Monday, August 31, 2009

हर सुखद अनुभूतियों में, बसा एक संसार हो तुम!

नमस्कार "चर्चा हिंदी चिट्ठो" कि इस कड़ी में मै पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु .
सज्जनों जैसा कि बहुतेरे हुआ है समीर जी हमेशा टिप्पणी देने में नंबर एक पर रहते है तो यहाँ चर्चा में भी नंबर एक पर ही आयेगे .
मेरी तो इतनी हिम्मत नहीं है कि ऊनके पोस्ट का चर्चा करू बस लिंक दे दे रहा हु .
हां चित्र अच्छी है यहाँ भी लगा दे रहा हु .आप नीचे की फोटो पर क्लिक करके समीर जी के ब्लॉग पर जा सकते है .
sadhnaji
ताउजी के ब्लॉग पर आज साप्ताहिक पत्रिका में आशीष जी बता रहे है दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग ब्लॉगर के बारे में ।
नीचे के लिंक पर है रतन सिंह शेखावत जी जो कि एक नयी जानकारी दे रहे है . क्या जानकारी . भाई मै यहाँ नहीं बताउगा आप सीधे उनके ब्लॉग पर जाकर पढिये :)

पेन ड्राइव को बूट एबल विण्डो एक्सपी इंस्टालेशन डिवाइस बनानाMy Photo

पढिये निर्मला कपिला जी का संस्मरण - संवेदनाओं के झरोखे से . बबली जी कि कविता वक़्त नहींhttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
डा. रूपचंद शास्त्री " मयंक " जी की रचना

‘‘हँस कर कोई जहर भी दे तो वो भी कुबूल है।



दुःख शायद लहू को ठंडा भी कर देता है !

यह लिखा है ओम आर्य जी ने आप ऊपर दिए लिंक पर क्लिक करके वहा पहुच सकते है .
एक लम्बे दुःख ने
थका दिया है मुझे
या फिर उबा दिया है शायद

सुबह उठ कर जो आ बैठा था
बालकनी में इस कुर्सी पर
तब से कितने गोल दागे बच्चों ने
सामने खेल के मैदान में
पर पसीना नहीं आया

Saturday, August 29, 2009

पोस्ट चर्चा में आपका स्वागत है

नमस्कार पोस्ट चर्चा में आपका स्वागत है .यह मेरा प्रयास आप लोग ही सफल बनायेगे और मुझे सहयोग प्रदान करेगे ऐसी कामना है . मेरे गुरुदेव का आर्शीवाद हमारे साथ है . ऐसा मुझे भरोसा है .
कोशीश यही होगी कि हिंदी के अच्छे पोस्ट को आपके सामने प्रस्तुत करू आगे आपका आर्शीवाद .

धन्यवाद .



आज के चर्चा कि शुरुआत करते है रंजना [रंजू भाटिया] जी के कहानी से .

एक बारिश की शाम


इसमे रंजू जी ने बहूत ही सलीके से एक नारी कि भावनाओं का वर्णन किया है
सारी तहज़ीब स्त्री के आधार पर बनी,घर ना होता तो, नगर ना होते ... नगर ना होते ,तो तहज़ीब ना बनती ...मर्द और औरत दोनो के सहज मन अलग -अलग होते हैं . .इस लिए प्रेम मर्द के लिए बंधन हो जाता है और औरत के लिए मुक्ति का मार्ग, पर वह बंधे रहना चाहती है सिर्फ़ अपने प्रियतम के प्यार से ..उसको खोने का डर उस पर हर वक़्त हावी रहता है ...


ऊपर दिए लिंक से आप वहा तक जा सकते है .
अब दूसरी पोस्ट की तरफ बढ़ते है ये है हमारे ताऊ जी कि पहेली नंबर ३७
आप यहाँ से जा सकते है पहेली बुझने के लिए http://taau.taau.in/2009/08/37.html

बताईये यह कौन सी जगह है?


अब आगे बढ़ते है लवीजा के बताये गए आईडिया की तरफ पापा को नींद से उठाने का आईडिया सिर्फ मेरे पास

आइये अब आपको लिए चलते है शब्दों के दंगल कि तरफ जहा पर हमारे साथ है डा. रूपचंद शास्त्री

’’अजीब दास्ताँ है ये.....’’


पाठक की संवेदना चोटिल होने पर लेखक-प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होग पाठक:अपनी रिस्क पर पढ़ें

My Photo
ये ऊपर लिखी लाइन हमारे वकील साहब श्री दिनेशराय द्विवेदी जी कि है मुझे एक लाइन बहूत ही पसंद आयी.
हिन्दी में तो यह काम और भी आसान है। राइटर में वर्तनी की अशुद्धियाँ
बताने वाला टूल ही गायब है। हिन्दी को उस की जरूरत भी नहीं है। लोग उस के
बिना भी अपनी संवेदनाओं को ट्रांसफर कर सकते हैं।
मानसिक हलचल पर पढिये-

भारत के बारे में फ्लेनेरी का कहना है -

जलवायु परिवर्तन - कहां कितना?



अमेरिका
और आस्ट्रेलिया के विपरीत कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां परिवर्तन बहुत कम हुआ
है। भारत विशेषकर ऐसा देश है, जहां प्रभाव बहुत कम रहा है। पूरे भारतीय उप
महाद्वीप में कम प्रभाव है। और, खबर अच्छी है कि; सिवाय गुजरात और पश्चिमी
ओड़ीसा को छोड़कर; अन्य भागों में सूखा पिछले पच्चीस सालों के पहले की तुलना
कम हो गया है। बंगाल की खाड़ी में तूफान कम आ रहे हैं यद्यपि वे दक्षिण में
ज्यादा आने लगे हैं। केवल उत्तर-पश्चिम भारत में बहुत गर्म दिनों की
संख्या बढ़ी है और वहां लू से मरने वालों की तादाद बढ़ी है।



कैसा लगा प्रयास जरुर बताइए

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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जाहिर निवेदन

नमस्कार , अगर आपको लगता है कि आपका चिट्ठा चर्चा में शामिल होने से छूट रहा है तो कृपया अपने चिट्ठे का नाम मुझे मेल कर दीजिये , इस पते पर hindicharcha@googlemail.com . धन्यवाद
हिन्दी ब्लॉग टिप्स के सौजन्य से

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