Wednesday, September 30, 2009

मुझे खड़े करके इंसान ने क्यूं जलाया है (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार आप सब को दशहरा की शुभ कामनाये.


कल दशहरा था दशानन, मेघनाद और कुम्भकर्ण के गगनचुम्बी पुतले मैदान में सजे
थे रामलीला मैदान में मेला लगा था हजारों लोगों की भीड़ थी श्री राम जी की
जय के उद्घोष के साथ पुतलों का दहन शुरू हो चुका था इस मेले से चार बालाएँ
गुम हो गई थी. डा. रूपचंद शास्त्री


जिन भावों की मैं, वर्षों से प्यासी ,
वह भाव आज, फ़िर से जगी है
जिस चाहत को मैं तो, भूल ही गई थी ,
वह चाहत मन में, जागृत हुई है कुसुम


उसका दर्द बन गया है अब दवा देखो,

हर पत्‍ता है खामोश कहां है हवा देखो ।



तुम मनाने की जिद लिये बैठे हो वहां,


कह रहा है दिल कौन है हमनवा देखो ।

तुझसे दूर होकर खुद से बिछड़ गया हूं, सदा




जलते जलते मुझे यूं ख्याल आया है
कि मुझे खड़े करके इंसान ने क्यूं जलाया है
या समझ रहा इंसान है
कि जिंदा हूं मैं राम के बिना
जबकि राम ने मुझे मारा है अविनाश वाचस्पति




न पूछो हिज्र ने क्या क्या हमें जलवे दिखाए हैं My Photo
इधर आँखों में अश्क़ आये उधर हम मुस्कुराए हैं

अभिनन्दन ब्लॉग वाणी


तुम्हारी एक दुनिया है
किलकारियों और विश्वास की .....
जिसमे जाने के लिए
तुम
गुजरते हो एक मानसिक तैयारी से ........
सारे फ़ोन स्विच ऑफ़ करके .... दीप्ती भारद्वाज



देख कैसी बेशर्म है? टुकर टुकर जवाब दिये जा रही है।भगवान का शुक्र नहीं
करती कि किसी शरीफ आदमी ने इसे ब्याह लिया है। : महीने मे ही इसके पर
निकल आये हैं। सास को जवाब देने लगी है।* दादी जाने कब से बुडबुडाये जा
रही थी। कहानी वीर बहुटी पर

ख्याल आते रहे

सोहबत में
ज़रुरत के
ज़िन्दगी गुज़रती रही
My Photo

इशारों को कैसे
जुबां दे दें हम
मोहब्बत बच जाए
दुआ निकलती रही अदा



उठो,
देखो खिड़की खोल कर,
बालकनी से झाँक कर
सूरज, लाया है आज


कुछ ख़ास कशीदे बुनकर किरणों की!! ओम भाई
आज तू तेल बेच, मैं शक्कर बेचूंगा !

माँ : बेटा लड्डू खा लो ...

माँ : बेटा राजीव ये लड्डू खा लो, हनुमान जी का प्रसाद है
|राजीव : माँ मैंने कितनी बात तुम्हें कहा है कि मुझे मीठा बिलकुल पसंद नहीं,
फिर क्यों मुझे बार-बार लड्डू खाने को कहती हो ?राकेश सिंह


आदी








यहां रावण जलाया तो मृत्यु निश्चित








देशभर में भले ही विजयादशमी की धूम हो, मगर एक जगह ऐसी भी है जहां
रावण का पुतला जलाना तो दूर इस बारे में सोचना भी महापाप है। यह इलाका है
हिमाचल के कांगड़ा जिले का बैजनाथ। मान्यता है कि इस क्षेत्र में रावण का
पुतला जलाया गया तो मृत्यु निश्चित है।

मान्यता के अनुसार रावण ने बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का
वरदान प्राप्त किया था। यहां बिनवा पुल के पास स्थित एक मंदिर को रावण का
मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग और उसी के पास एक बड़े पैर का
निशान है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने इसी स्थान पर एक पैर पर खड़े होकर
तपस्या की थी। इसके बाद शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक
हवन कुंड भी निकला था। हवन कुंड के बारे में मान्यता है कि इसी कुंड के
समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी।




Monday, September 28, 2009

डा. अरविंद मिश्रा जी की पहली पोस्ट क्वचिदन्यतोअपि पर

नमस्कार सोमवार के इस विशेष अंक में मै पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु अपने साप्ताहिक लेख वरिष्ठब्लॉगर के ब्लॉग की पहली पोस्ट .
आज के इस अंक में चर्चा हो रही है हमारे ब्लागजगत के डा. अरविंद मिश्राMy Photo जी के पोस्ट की उनके ब्लॉग
क्वचिदन्यतोअपि.....

पर छपी पहले पोस्ट की .
डा. साहब ने इस ब्लॉग पर पहली पोस्ट लिखी थी

Saturday, 28 June 2008 और जो लिखा गया है आप नीचे पढ़ ले .



स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा ......!




मेरे विज्ञान के ब्लॉग हैं .मगर मुझे विज्ञान के इतर भी अक्सर कुछ कहने की
इच्छा होती है .विज्ञान के ब्लागों पर मैं अपने को बहुत बंधा पाता हूँ
-विज्ञान का अनुशासन ही कुछ ऐसा है ।इसलिए संत महाकवि तुलसी से उधार लेकर
उन्ही के शब्दों को इस ब्लाग का शीर्षक बनाया .विज्ञान से परे ,उससे इतर
स्रोतों से -इधर उधर से भी जो यहाँ कह सकूं -क्वचिदन्यतोअपि .......
यह
भी स्वान्तः सुखाय है .ताकि इसके सरोकारों /निरर्थकता /सार्थकता को लेकर
कोई बहस हो तो यह स्वान्तः सुखाय का लेबल मेरी ढाल बन सके
यह तो इस
ब्लॉग का नामकरण सन्दर्भ हो गया ....अब अगली पोस्ट देखिये कब होती है
..किसी ने क्या खूब कहा है कि ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज रोज होते हैं ?यह
नामकरण की पोस्ट कुछ कम थोड़े ही है -यह आत्मश्लाघा की बेहयाई करते हुए कह
रहा हूँ .....शंकर .....शंकर .....


कैसा है हमारा प्रयास , अपने टिप्पणी से अवगत कराये !!

Sunday, September 27, 2009

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की इस रवीवार के अंक में पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु

नमस्कार , चर्चा हिन्दी चिट्ठो की इस रवीवार के अंक में पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु .

तोड़ना नही सम्भव है,
विधि के विधान की कारा


अपराजेय शक्ति है कलि की,
पाकर अवलंब तुम्हारा


कितनी बेबस हो गयी हूँ

क्यों इतनी लाचार हो गयी हूँ जब से गया है वो काट कर् मेरे पँख्

बैठ गया आसमान पर ले गया यशोधा होने का गर्व जानती हूँ कभी नहीं आयेगा

कभी माँ नहीँ बुलायेगा

एक गांव में वहां के लोगों ने बारिश के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने का
समय निश्चित किया। तय समय पर सारे लोग वहां प्रार्थना के लिए आए। पर, सभी
खाली हाथ थे। खाली हाथ यानी प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ेंगे और काम
मुकम्मल। पर, वहां एक ऐसा बच्चा भी आया, जिसके हाथों में छाता था। उसे
भवितव्यता पर भरोसा था कि हमारे कृत्य यदि बारिश के लिए किए जा रहे हैं तो
बारिश होगी। और यदि बारिश होगी तो भींगने से बचने के लिए उसके पास छाता
था। यह क्या था।
यह था फेट का नमूना।


कितने दिन के बाद मिला हूँ


मैं खुद से बातें करता हूँ

तेरा हाल मुझे मालुम है
तू बतला, अब मैँ कैसा हूँ
My Photo


मैं तन्हा घर से निकला था
रात ढले तन्हा लौटा हूँ

टूट गया आईना दिल का
अब घर में तन्हा रहता हूँ

तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।


मैं सुमन बिन गन्ध का हूँ वाटिका में, किस तरह यह पुष्प मन्दिर में चढ़ाऊँ। माँ तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।
मैं निबल हूँ आपका ही है सहारा, थाम लो माँ हाथ मैं अपना बढ़ाऊँ। माँ तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।



हालांकि अब रामलीला में वो बात कहां.....जो हमारे जमाने में हुआ करती थी...अजी
पूरे साल..बस त्योहारों पर ही नज़र हुआ करती थी....होली, दिवाली, दुर्गा पूजा,
दशहरा....और पूरे साल उसकी तैयारी भी...क्या दिन थे वे ...( पुरी बात यहाँ पढ़े )


खुद को देख रहे


आईनें में इस कदर

वो अजनबी शक्स वहा

बैठा अंदर कौन

दावे बहुत किया करते

खुद से वाकिफ है

भ्रूण हत्या बनाम नौ कन्याओं को भोजन ??


नवरात्र मातृ-शक्ति का प्रतीक है। एक तरफ इससे जुड़ी तमाम धार्मिक
मान्यतायें हैं, वहीं अष्टमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर इसे
व्यवहारिक रूप भी दिया जाता है। लोग नौ कन्याओं को ढूढ़ने के लिए गलियों की
खाक छान मारते हैं, पर यह कोई नहीं सोचता कि अन्य दिनों में लड़कियों के
प्रति समाज का क्या व्यवहार होता है। आश्चर्य होता है कि यह वही समाज है
जहाँ भ्रूण-हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे मामले रोज सुनने को मिलते है
पर नवरात्र की बेला पर लोग नौ कन्याओं का पेट भरकर, उनके चरण स्पर्श कर
अपनी इतिश्री कर लेना चाहते हैं। आखिर यह दोहरापन क्यों? इसे समाज की
संवेदनहीनता माना जाय या कुछ और? आज बेटियां धरा से आसमां तक परचम फहरा
रही हैं, पर उनके जन्म के नाम पर ही समाज में लोग नाकभौं सिकोड़ने लगते
हैं। यही नहीं लोग यह संवेदना भी जताने लगते हैं कि अगली बार बेटा ही
होगा। इनमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। वे स्वयं भूल जाती हैं कि वे
स्वयं एक महिला हैं। आखिर यह दोहरापन किसके लिए ??


बेशर्म मेहमान


होते हैं कुछ ऐसे लोग


जिन्हें होता प्यारा मान

मानो या भी मानो


बन जाते फिर भी मेहमान



उसकी रहमत तुम्हारी दुआ चाहिए

चाहती हूँ दिलूँ में महकती रहूँ


मैं हूँ खुशबू वफ़ा की हवा चाहिए My Photo


मैं ग़ज़ल तो कहूँगी मगर शर्त है

सुनने वाला कोई आपसा चाहिए





कार्टून:- रावण की चिंता...

पप्पू के कारनामे

अब तो हो गई है शादी इससे पहले पप्
पू नहीं था निरा पप्पू कुछ गप्पू भी था।
बड़े छोटों के काटता था कान हज्
जाम नहीं था होता तो उस्तरा चलाता गाल परसिर्फ काटता होता बाल।
एक दिन अपने मित्र मुन्
ना के साथ गया दिल्ली रेलवे स्टेशन और दिल दे बैठा।

पूछताछ खिड़की पर हुआ जाकर जब खड़ा बैठी सुंदरी ने पूछा यस प्
लीज, कुछ पूछना चाहते हो ?


हस हस के लोट-पोत हो जायेगे आप !!

<span title=गुजरात के एक थियेटर
कंपनी का वाकया भी कुछ ऐसा ही है। वहां मेघनाद बने
कलाकार को कंपनी के मालिक ने कई माह से वेतन नहीं दिया था। इससे वह बड़ा
परेशां था ओर मालिक को कुछ सबक सिखाना चाहता था। सो, जब लक्ष्मण ओर मेघनाद
के बीच अन्तिम युद्ध हो रहा था ओर उसमे मेघनाद को मरना था, तो उसने मरने
से उस समय तक साफ़ मना कर दिया, जब तक कि उसे पुरा वेतन चुका दिया जाए।
कंपनी के मालिक ने विंग से उसे इशारा किया कि इस प्रोग्राम के बाद उसे
पूरे पैसे चुका दी जाएँगे। मगर वह नहीं मना। उसे मालिक पर तनिक भी विश्वास
नहीं था।

चाँद तेरी सूरत में अगर भगवान की सूरत क्या होगी . रामायण महाभारत
में चाँद को देवतुल्य माना गया है और उसकी पूजा आराधना की जाती है . करवा
चौथ के दिन महिलाए चलनी में चाँद की सूरत देखती है . साहित्यकारों और
कवियो ने चाँद की तुलना
प्रेमी से की है . चाँद तक पहुँचने के
लिए लोगो में होड़ मची है . चाँद पर अपने यान से मानव भेजने की तैयारी कर
रहा है तो कोई चाँद पर खुदाई करने की तैयारी कर रहा है .







Saturday, September 26, 2009

अगर उस समय श्री राम स्वयं के लिए वधू चुनते तो ? (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार , पंकज मिश्रा . आपके साथ

कल की चिट्ठा चर्चा सुबह बजे प्रकाशित हुआ क्युकी किसी भाई ने मेरा पासवर्ड जानने की कोशीश कि और मेरा अकाउंट कुछ देर केलिए बंद हो गया था !!!
आप मेरा पासवर्ड जानने की कोशीश मत करिए यह बहुत लंबा है , पासवर्ड यार !!!!

ताऊ जी की ख़बर !!!
हमेशा सौम्य और शांत रहने वाले उडनतश्तरी ने खामोश रहना मुझे पसंद है. पोस्ट पर आई हुई टिप्पणीयों के
साथ ही खामोश रहते हुये ही एक इतिहास रच दिया है. हिंदी ब्लागजगत मे सिर्फ़ ३३९ पोस्ट पर १५०००
टिपणी सर्वप्रथम प्राप्त कर नया रिकार्ड बनाया है.
[15000-tipaniya.PNG]

उडनतश्तरी की सफ़लता इस मायने मे भी काबिले तारीफ़ है कि पहले साल मे भी उन्होनें प्रति पोस्ट ३४ कमेंट का रिकार्ड बनाया था. और अब ४५ कमेंट प्रति पोस्ट का नया रिकार्ड है.




अगर उस समय श्री राम स्वयं के लिए वधू चुनते तो क्या तब भी उसको स्वयंवर
कहा जाता, कदापि नहीं क्योंकि उस समय के लोगों की हिन्दी आज से कई गुना
बेहतर थी, वो स्वयंवधू कहलाता। वर लड़की चुनती है और वधू लड़का। शायद मीडिया
राखी का स्वयंवर देख भूल गया कि स्वयंवधू नामक भी कोई शब्द होता है।

हां, तब शायद राहुल का स्वयंवर शब्द ठीक लगता, अगर वो भी लड़कों में से ही अपना जीवन साथी चुनते, दोस्ताना फिल्म की तरह।


तो भाई अब यदि भारत मैं कोई आपसे केहुनी-मिलन (elbow shake) करना चाहे तो


चौकियेगा नहीं | क्या पता भारत मैं भी केहुनी मिलन का प्रचलन आरम्भ हो गया हो और हमें पता ही नहीं ! वैसे भी अपन देशी लो
ग तो आँख मुंद कर कॉपी करने

मैं माहिर हैं | चेतावनी : भूल से भी अपनी केहुनी किसी आर्जेन्टिना वालों
से नहीं मिलाना, लेने के देने पड़ सकते हैं


अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं






देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
[meenakumari.jpg]
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला





उसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
मन चंचल गगन पखेरू है,





मैं किससे बाँधता किसको.

मैं क्यों इतना अधूरा हूँ,
की किससे चाह है मुझको.
वो बस हालात ऐसे थे,
कि बुरा मैं बन नहीं पाया.

एक दिन मम्मी लाईट वाली अलमारी साफ कर रही थी... अरे वही अलमारी जो ठण्डी
भी होती है....मम्मी ने उसका सारा सामान बाहर निकाल कर साफ करने रख दिया..
और मैं... मैं मौका देख उस अलमारी में घुस गया.. बड़ा मजा आया उसमें..








अंतर्जाल उर्फ़ नेट जैसे महान माध्यम का, कुछ अपराधी प्रवृत्ति वाले लोग, गलत इस्तेमाल कर रहे है,
यह दुःख की बात है. संजीव तिवारी के नाम का सहारा लेकर किसी ने चर्चित -ब्लागर जयप्रकाश मानस (वेब पत्रिका-सृजनगाथा वाले ) पर कीचड उछलने के बारे में मुझे पता चला है यह कदम निंदनीय है। मै देख रहा हूँ, कि संजीव तिवारी (ब्लॉग का नाम- आरम्भ)






दिन भर की भाग -दौड़ के बाद
जब बिस्तर पर लेटे होगे ,




और मेरे ख्यालों को लपेटे
आँखे मूँद सोचे होगे ,
अच्छी बुरी कई बातें [IMG1908A.jpg]




तुम्हारी नज़रों में होगी ,
पर मेरी बेतुकी बातें तुमको
तकलीफे दे रही होंगी





कुत्ते के साथ बलात्कार के दोषी टेक्सी ड्राइवर को नहीं मिली जमानत




यह अपने आप में अनोखा होने के साथ-साथ भारतीय कानून-कायदे के इतिहास में
इस तरह का शायद पहला मामला है। कुत्ते का बलात्कार करने के आरोप में 30
अगस्त से जेल में बंद मुंबई के टैक्सी ड्राइवर की जमानत याचिका सेशन कोर्ट
ने खारि
ज हो गई है। आरोपी ड्राइवर का तर्क है कि उसे बेल दे दी जानी चाहिए
क्योंकि पुलिस पीड़ित का बयान रेकॉर्ड नहीं कर सकी है


वो करते थे इन्तज़ार चाँद का हर रोज़,
कुछ दिनों से चाँद को उनका इन्तज़ार है,


हर रात को देखता है राह उन दोनो की,[gss.jpg] गुरनाम सिंह



उन्हे फिर से खुश देखने को वो बेकरार है,





पुष्प की गंध से कुछ खटक सी गई,




नैंन-सैंन चुंबन की ले-दे फ़टाफ़ट हुई।

हवायें बेचारी सब गुमसुमा सी गईं



शाम मारे शरम के हो गई सुरमई




भौंरें भागे सभी सर पे धरे अपने पंख

तितलियां फ़ूल में बस दुबक सी गयीं।


कली जो सुकुमार खिल रही थी उधर

वो भी बेचारी सहमकर झटक सी गयी।



विधि का विधान विधना ने कब है टाला,




उसके लिखे से मिले हर मुंह को निवाला ।


कर्म किये जा फल की इच्‍छा मत कर कहे




तो सब पर होवे क्‍या जब मन हो मतवाला ।


सुख के सेवरे में दुख की काली रात छुपी,


समीर लाल जी की १५ हजार टिप्पणिया
, बधाई स्वीकार करे मेरी , पंकज मिश्रा

ताजा खबर यह है कि इण्डियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि उसके
पास वह कागजात हैं जिनसे प्रमाणित होता है कि एस एम कृष्णा के मंत्रालय के
एक सक्षम ज्वाइंट सेक्रेटरी ने पूरी कोशिश की कि मंत्री जी के पंचसितारा
रिहाईश का बिल सरकार भरे।

[24h1.jpg]हरिओम तिवारी





यहाँ क्लिक कीजिये


मुझे होने पे अपने गुरुर है
बस एक-मुश्ते गुबार हूँ

समझूँगा मैं तेरी बात क्या
पत्थर की इक मैं दीवार हूँ

बच के निकला था ख़ुशी से मैं
मैं सोगो ग़म का बाज़ार हूँ

मैंने जो क्षण जी लिया है

उसे पी लिया है ,

वही क्षण बार-बार पुकारते हैं मुझे

और एक असह्य प्रवृत्ति

जुड़ाव की


महसूस करता हूँ उर-अन्तर.



आंगन में मंदिर के ऐन मुख पर, यानी शुरुआत में नंदी की भारी भरकम प्रतिमा है, जो धर्म एवं आनंद का ही प्रतीक है। नाटय कला में यह नांदी पाठ के शुरुआती अनुकर्म में भी फलित होता है। संभवत: इस पशु प्रतीक का संबंध एक कृषिमूलक सभ्यता की शुरुआत से हो। इसी नंदी के पीछे एक बड़ा चौकोर गढ़ा है जो यजन (यज्ञ) के काम आता है। पुरातत्त्व के विद्वानों का मानना है कि लिंग, मातृमूर्तियां, नाग-यक्षों
जैसी प्राकृतिक शक्तियों की पूजा द्रविड़ों से आई है और फिर पूजा में
भक्तिपरक मनुष्याकार मूर्तियां भी वहीं से विकसित हुईं। आर्यों के प्रतीक
अमूर्त थे
.
सच्चाई की कसौटी पर

कसने के लिए जब अग्नि साक्षी मानकर खड़ी हुई,
ऑंखें नम हुई,[Zz96zya.jpg]
ओंठ थरथराने लगे क्या करने जा रही हूँ? औरों की नजर में
ख़ुद को औ' अपनों को उघाड़ने जा रही हूँ.


रास आया नही मुझे जिंदगी का इस तरह से चले जाना
और गम का मुझको इस तरह से छले जाना ॥ मैं जाता देख उसको खाली हाथ सी खड़ी ही रह गई

न समझ आया उसे मेरा बार बार रुकने को कहे जाना ॥ वो ऐसी रात थी जिसमें मेरे सब ख्वाब रोये थे
उम्मीद की कोख में जिंदगी ने दर्द के बीज बोए थे रात भर जागकर भी पूरी न हुई जीने की हसरत
तय ही था सुबह का अपनी आंखों को मले जाना ॥


एक ही दौलत पास मेरे,

तेरे नाम , तेरी यादों की

जो रस्में निभाने हम तरसे

जो नहीं किये उन वादों की



तोरे पाकिस्तान का का हाल है ?


" गंगौली के वास्ते ना न करियो कोशिश ?"

"गंगौली का क्या सवाल है ?"

"सवाल है हम्में पकिस्तान बनने या बनने से का ?"


" एक इस्लामी हुकूमत बन जाएगी "
"
कहीं इस्लामू है कि हुकुमतै बन जहिए भाई, बाप-दादा की कबर हियाँ है,
चौक इमामबाडा हियाँ है , खेती-बाडी हियाँ है हम कौनो बुरबक है की तोरे
पकिस्तान जिंदाबाद में फंस जाएँ "


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