Thursday, September 10, 2009

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल । ( चर्चा हिंदी चिट्ठो के)

नमस्कार !! पंकज " चर्चा हिंदी चिट्ठो के " इस अंक के साथ !!!
http://www.indianetzone.com/photos_gallery/5/Bharatendu_14454.jpg भारतेंदु हरिश्चंद जी( September 9, 1850 – January 6, 1885)



निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।

सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार ।।

भाषा अपनी हिंदी , .


इसी कड़ी में हिमांशु जी ने आज भारतेंदु जी के याद में उनकी रचना कानून ताज़ीरात शौहर प्रकाशित किया है , आप लिंक पर क्लिक वहा जा सकते है .
सुनो मेरी वेदना

सूरजमुखी सी

समर्पित्

दिन भर ताकती हूँ

करती हूँ

तेरी किरणो से
DSC00192
अठखेलियाँ
पलकों मे सजा कर


कुछ सपने
छोटा बच्चा समझ के मुझको ना धमकाना रे
कुछ खोकर कुछ पाकर तुमको पहचाना
यह दुनिया है खेल खुदा का ये जाना.
उसने दिल की जब से दीवारें ऊँची की
हमने भी तो छोड़ दिया वो मयखना..

http://www.fabulouswallpaper.com/wallpaper/Blooming_Pink_Rose_animated_desktop_wallpaper.jpg


मन लगाना सरल नहीं होता

मुस्कुराना सरल नहीं होता ॥ My Photo

http://www.fabulouswallpaper.com/wallpaper/Blooming_Pink_Rose_animated_desktop_wallpaper.jpg

तेरे इश्क में - ओम आर्य My Photo

मैं हूँ अभी
इतना गतिमान
कि हूँ न्युटन के गति नियमों से परे
और इतना निरपेक्ष
कि आइंस्टीन है स्तब्ध.
http://www.fabulouswallpaper.com/wallpaper/Blooming_Pink_Rose_animated_desktop_wallpaper.jpg
प्यार का प्रतिदान My Photoरंजना (रंजू)
पाती जो तेरे प्यार की तपिश


तो हिमखण्ड ना बन पाती


धूमती धुरी पर जैसे धरती


युगों युगों तक साथ तेरा निभाती
http://www.fabulouswallpaper.com/wallpaper/Blooming_Pink_Rose_animated_desktop_wallpaper.jpg



हमरा देश निरला
http://www.fabulouswallpaper.com/wallpaper/Blooming_Pink_Rose_animated_desktop_wallpaper.jpg
यहाँ वहा क्या कहे दिल को छु लेने वाला लेख , कविता सब कुछ
वफ़ा चली गई
तो जफ़ा चिपक गई
जीने की ललक बढ़ी
मौत झलक गई
सोच की स्याही
से कलम सरक गई
ज़ेब तार-तार हुई
नियत भटक गई
http://pic.ipicture.ru/uploads/090304/23827/UytyMXkXU0.jpg
किस शून्य में
छिप गए हो
कहाँ कहाँ ढूंढूं
किस अंतस को चीरूँ
जब से गए हो मुहँ मोड़कर
http://pic.ipicture.ru/uploads/090304/23827/UytyMXkXU0.jpg
बादल हुए बेईमान सजनी ......My Photo
दरअसल इस साल पूरा उत्तर भारत भयंकर सूखे की चपेट में है। बादल बरसे मगर
इतनी देर से की कई फसलो ने तो दम ही तोड़ दिया। अब भला नाज़ुक और नफीस पान
इतनी गर्मी कैसे बर्दाश्त कर पाता सो आधी से ज़्यादा फसल चौपट हो गई। रही
सही कसर पान में लगी गिन्दार और दूसरी बिमारिओं ने पूरी कर दी। उधर पिछले
कुछ समय में कत्थे और छाली के दामो में काफ़ी वृद्धि हुई है। सो पान का
पत्ता आम आदमी के बस से बाहर की दौड़ लगा रहा है।

पुलिसिया लंगूर
हिमाचल प्रदेश बंदरों के आतंक से जूझ रहा है

6 comments:

Himanshu Pandey said...

खूबसूरत लिंक दिये हैं आपने । प्रत्येक प्रविष्टि की चर्चा किसी न किसी चित्र के साथ करना इसे सुन्दर बनाता है । आभार ।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर और चित्रमयी रंगीन चर्चा के लिये आभार.

रामराम.

स्वप्न मञ्जूषा said...

आज हम पहली बार आपके ब्लॉग पर आये हैं
और अपने पोस्ट का चर्चा देख बहुत बहुत मुस्काये हैं..
आपका ह्रदय दे धन्यवाद है जी...

रंजू भाटिया said...

पहली बार आपका ब्लॉग देखा मेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए शुक्रिया

निर्मला कपिला said...

पंकज जी बहुत बडिया चर्चा रही आज भी आभार्

Chandan Kumar Jha said...

आपकी चर्चा के आयाम बढ़ते जा रहे है । सुन्दर चर्चा । आभार ।

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

Followers

जाहिर निवेदन

नमस्कार , अगर आपको लगता है कि आपका चिट्ठा चर्चा में शामिल होने से छूट रहा है तो कृपया अपने चिट्ठे का नाम मुझे मेल कर दीजिये , इस पते पर hindicharcha@googlemail.com . धन्यवाद
हिन्दी ब्लॉग टिप्स के सौजन्य से

Blog Archive

ज-जंतरम

www.blogvani.com

म-मंतरम

चिट्ठाजगत