Sunday, September 27, 2009

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की इस रवीवार के अंक में पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु

नमस्कार , चर्चा हिन्दी चिट्ठो की इस रवीवार के अंक में पंकज मिश्रा आपका स्वागत करता हु .

तोड़ना नही सम्भव है,
विधि के विधान की कारा


अपराजेय शक्ति है कलि की,
पाकर अवलंब तुम्हारा


कितनी बेबस हो गयी हूँ

क्यों इतनी लाचार हो गयी हूँ जब से गया है वो काट कर् मेरे पँख्

बैठ गया आसमान पर ले गया यशोधा होने का गर्व जानती हूँ कभी नहीं आयेगा

कभी माँ नहीँ बुलायेगा

एक गांव में वहां के लोगों ने बारिश के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने का
समय निश्चित किया। तय समय पर सारे लोग वहां प्रार्थना के लिए आए। पर, सभी
खाली हाथ थे। खाली हाथ यानी प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ेंगे और काम
मुकम्मल। पर, वहां एक ऐसा बच्चा भी आया, जिसके हाथों में छाता था। उसे
भवितव्यता पर भरोसा था कि हमारे कृत्य यदि बारिश के लिए किए जा रहे हैं तो
बारिश होगी। और यदि बारिश होगी तो भींगने से बचने के लिए उसके पास छाता
था। यह क्या था।
यह था फेट का नमूना।


कितने दिन के बाद मिला हूँ


मैं खुद से बातें करता हूँ

तेरा हाल मुझे मालुम है
तू बतला, अब मैँ कैसा हूँ
My Photo


मैं तन्हा घर से निकला था
रात ढले तन्हा लौटा हूँ

टूट गया आईना दिल का
अब घर में तन्हा रहता हूँ

तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।


मैं सुमन बिन गन्ध का हूँ वाटिका में, किस तरह यह पुष्प मन्दिर में चढ़ाऊँ। माँ तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।
मैं निबल हूँ आपका ही है सहारा, थाम लो माँ हाथ मैं अपना बढ़ाऊँ। माँ तुम्हारी वन्दना के स्वर सजाऊँ।।



हालांकि अब रामलीला में वो बात कहां.....जो हमारे जमाने में हुआ करती थी...अजी
पूरे साल..बस त्योहारों पर ही नज़र हुआ करती थी....होली, दिवाली, दुर्गा पूजा,
दशहरा....और पूरे साल उसकी तैयारी भी...क्या दिन थे वे ...( पुरी बात यहाँ पढ़े )


खुद को देख रहे


आईनें में इस कदर

वो अजनबी शक्स वहा

बैठा अंदर कौन

दावे बहुत किया करते

खुद से वाकिफ है

भ्रूण हत्या बनाम नौ कन्याओं को भोजन ??


नवरात्र मातृ-शक्ति का प्रतीक है। एक तरफ इससे जुड़ी तमाम धार्मिक
मान्यतायें हैं, वहीं अष्टमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराकर इसे
व्यवहारिक रूप भी दिया जाता है। लोग नौ कन्याओं को ढूढ़ने के लिए गलियों की
खाक छान मारते हैं, पर यह कोई नहीं सोचता कि अन्य दिनों में लड़कियों के
प्रति समाज का क्या व्यवहार होता है। आश्चर्य होता है कि यह वही समाज है
जहाँ भ्रूण-हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे मामले रोज सुनने को मिलते है
पर नवरात्र की बेला पर लोग नौ कन्याओं का पेट भरकर, उनके चरण स्पर्श कर
अपनी इतिश्री कर लेना चाहते हैं। आखिर यह दोहरापन क्यों? इसे समाज की
संवेदनहीनता माना जाय या कुछ और? आज बेटियां धरा से आसमां तक परचम फहरा
रही हैं, पर उनके जन्म के नाम पर ही समाज में लोग नाकभौं सिकोड़ने लगते
हैं। यही नहीं लोग यह संवेदना भी जताने लगते हैं कि अगली बार बेटा ही
होगा। इनमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। वे स्वयं भूल जाती हैं कि वे
स्वयं एक महिला हैं। आखिर यह दोहरापन किसके लिए ??


बेशर्म मेहमान


होते हैं कुछ ऐसे लोग


जिन्हें होता प्यारा मान

मानो या भी मानो


बन जाते फिर भी मेहमान



उसकी रहमत तुम्हारी दुआ चाहिए

चाहती हूँ दिलूँ में महकती रहूँ


मैं हूँ खुशबू वफ़ा की हवा चाहिए My Photo


मैं ग़ज़ल तो कहूँगी मगर शर्त है

सुनने वाला कोई आपसा चाहिए





कार्टून:- रावण की चिंता...

पप्पू के कारनामे

अब तो हो गई है शादी इससे पहले पप्
पू नहीं था निरा पप्पू कुछ गप्पू भी था।
बड़े छोटों के काटता था कान हज्
जाम नहीं था होता तो उस्तरा चलाता गाल परसिर्फ काटता होता बाल।
एक दिन अपने मित्र मुन्
ना के साथ गया दिल्ली रेलवे स्टेशन और दिल दे बैठा।

पूछताछ खिड़की पर हुआ जाकर जब खड़ा बैठी सुंदरी ने पूछा यस प्
लीज, कुछ पूछना चाहते हो ?


हस हस के लोट-पोत हो जायेगे आप !!

<span title=गुजरात के एक थियेटर
कंपनी का वाकया भी कुछ ऐसा ही है। वहां मेघनाद बने
कलाकार को कंपनी के मालिक ने कई माह से वेतन नहीं दिया था। इससे वह बड़ा
परेशां था ओर मालिक को कुछ सबक सिखाना चाहता था। सो, जब लक्ष्मण ओर मेघनाद
के बीच अन्तिम युद्ध हो रहा था ओर उसमे मेघनाद को मरना था, तो उसने मरने
से उस समय तक साफ़ मना कर दिया, जब तक कि उसे पुरा वेतन चुका दिया जाए।
कंपनी के मालिक ने विंग से उसे इशारा किया कि इस प्रोग्राम के बाद उसे
पूरे पैसे चुका दी जाएँगे। मगर वह नहीं मना। उसे मालिक पर तनिक भी विश्वास
नहीं था।

चाँद तेरी सूरत में अगर भगवान की सूरत क्या होगी . रामायण महाभारत
में चाँद को देवतुल्य माना गया है और उसकी पूजा आराधना की जाती है . करवा
चौथ के दिन महिलाए चलनी में चाँद की सूरत देखती है . साहित्यकारों और
कवियो ने चाँद की तुलना
प्रेमी से की है . चाँद तक पहुँचने के
लिए लोगो में होड़ मची है . चाँद पर अपने यान से मानव भेजने की तैयारी कर
रहा है तो कोई चाँद पर खुदाई करने की तैयारी कर रहा है .







10 comments:

Himanshu Pandey said...

खूबसूरत चर्चा । धन्यवाद ।

Gyan Darpan said...

बढ़िया चर्चा

Randhir Singh Suman said...

good

ताऊ रामपुरिया said...

लाजवाब जी, आपकी मेहनत रंग लायेगी इक दिन. बहुत मनोयोग से आप यह चर्चा लिख रहे हैं. शुभकामनाएं.

रामराम

Udan Tashtari said...

बेहतरीन चर्चा हमेशा की तरह, निखार आ रहा है.

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत चर्चा...........ACHHE CHITHE HAIN SAB KE SAB ......

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया चर्चा . एक दिन आपकी यह चर्चा सारे जगह अपना परचम फहराए... शुभकामनाओ के साथ.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

चिट्ठा चर्चा बढ़िया रही!


विजयादशमी पर्व की आपको शुभकामनाएँ!

अपूर्व said...

पंकज जी धन्यवाद..

स्वप्न मञ्जूषा said...

badhiya rahi charcha..

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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