Saturday, October 31, 2009

टीप के ऊपर टिप्पा, कर लो लारा लप्पा * अजय झा *(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की)

नमस्कार,,,,
चर्चा हिन्दी चिट्ठो के इस अंक में मै पंकज मिश्र ......
आज बारी थी हेमंत भाई की लेकिन पता नहीं जबसे इलाहाबाद से वापस आये है ....उनका इन्टरनेट कनेक्शन ही खराब पडा है .........हेमंत जी और हिमांशु जी को इलाहाब में पता नहीं किस परेशान आत्मा की नजर लगी है कि जबसे आये है .......न तो चर्चा कर पाए है और ना ही अपने ब्लॉग पर एक भी पोस्ट ठेल पाए है ............इश्वर से प्राथना है उनका इन्टरनेट कनेक्शन जल्दी ठीक हो जाए .......
चलिए चर्चा की शुरुआत करते है मीनू खरे जी के ब्लॉग से

बेगम अख्तर की गाई चुनिन्दा बेहतरीन ग़ज़लें

image अब इसे बेगम साहिबा की आवाज़ की सलाहियत कहिए या उनका खुलूस कि लखनऊ की उस ज़माने की महफ़िलें आज भी लोगों को नहीं भूली है. लखनऊ के हैवलक रोड इलाके में बेगम साहिबा का मकान भले ही वीरान पड़ा है मगर उनकी आवाज़ आज भी फिज़ाओं में मानो यह ग़ज़ल गूँजती है. सुनिये, यक़ीनन यह आपकी रूह में उतर जाएगी.
अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते
तौबा के बाद यह मंज़र नहीं देखे जाते.

देश की सबसे भीषण आग जयपुर में आर इसके बारे में बता रही  वाणी गीत 500 करोड़ की रही देव दिवाली ...देश की सबसे भीषण आग

gffशोरगुल मचा हुआ था ...अभी तक आग पर काबू पाने का कोई तरीका नजर नही आ रहा है ... डिपो में मौजूद आयल के अपने आप जल कर नष्ट होने तक कुछ नही किया जा सकता 
12 घंटे से लगातार आग उगलती ये लपटें जयपुर में 500 करोड़ का खरा नुकसान तो कर चुकी है ...सही आकलन तो इस आग पर काबू पाकर ही किया जा सकेगा ....फिलहाल तो पास में मौजूद दूसरे एल पी जी गोदाम तक आग ना पहुँच सके ...यही एहतियात बरती जा रही है ...खतरा टला नही है ....दिल्ली , मुंबई से एक्सपर्ट की टीम पहुँच चुकी है मगर आग रोक पाने का कोई पुख्ता इंतजाम नही कर पायेई हैं ..30 से भी अधिक दमकलें लगातार लगी हुई हैं ...सोहार्द्र के लिए जाने वाले हमारे शहर के वाशिंदे अपनी तमाम वैचारिक दुश्मनी भूल स्वास्थ्य सेवा और अपने घरों को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे लोगों की मदद करने में तत्पर हैं ....
ईश्वर हमारे शहर को इस विपदा से जल्दी उबारे ....!!

पी.सी.गोदियाल
"फाड़ दिया सालों ने !"

याद है, जब तुम
पिछली बार,
मायके से आयी थी,
वह गिफ्ट मेरे लिए लाई थी,
सुन्दर, सफ़ेद चटकीला था.
न ज्यादा टाइट था,
और न ढीला था,
मगर इस होली पर उसे,
जो दिया था तेरे मायके वालो ने !
मिलकर रंग मलने के बहाने,
फाड़ दिया.....
फाड़ दिया सालो ने !!

वन्दना
स्वीकार करूँ मैं भी तुमको

अंगीकार किया जब तुमने
क्यूँ नही चाहा तब
स्वीकार करूँ मैं भी तुमको
जब बांधा इस बंधन को
गठजोड़ लगा था हृदयों का
फिर क्यूँ नही चाहा तुमने
अंगीकार करूँ मैं भी तुमको
दान लिया था जब तुमने
तब क्यूँ नही चाहा तुमने
वस्तु बना कर

 

डा. अरविंद मिश्रा   एक स्नेह सम्बन्ध का दुखद अंत !

image मैं यहाँ सम्माननीय बनने या विद्वान् की कटेगरी हासिल करने नहीं आया हूँ -लोगों से सहज  सम्बन्ध बना रहे यही पर्याप्त है ! और यह भी समझ लीजिये मैं किसी को स्नेह करता हूँ तो अपरिहार्य और अति असहनीय आचरणों पर किसी दैवीय प्रेरणा वश  यथा सामर्थ्य  दण्डित किये बिना भी नहीं छोड़ता ! चाहे वह मेरा निकटतम रक्त संबंधी ही क्यों न हो ! एक डेढ़ साल साथ रहकर आप यह समझ नहीं  पायीं ,आश्चर्य है !  मैं ऐसा ही हूँ ! बाई बर्थ !
इधर  आप निरंतर उद्धत  होती  रही हैं ,बेखौफ ,निर्द्वंद !  वह असीम सत्ता न करे कि मेरे आकलन में आप भी आचरण की वह लक्ष्मण रेखा छू ले जो मुझमें सहसा दैवीय प्रेरणाएं जगा देती है !  और वह दिन हमारे इस आभासी संपर्क- सम्बन्ध का अंतिम दिन होगा -स्वयमेव सहज !

रामप्यारी का सवाल - 98

image                                                                    रामप्यारी नजर आयी है इस फैंसी ड्रेस में ताऊ पहेली 46 पर आप यहाँ से जाइए 

राजकुमार ग्वालानी ने बताया  है बिल गेट्स एंड कंपनी को  उनकी औकात विंडोज -7 की औकात अब 20 रुपए

अपने देश में किसी भी साफ्टवेयर की नकल कितनी तेजी से होती है इसका एक नमूना फिर से सामने आया है विंडोज-7 के रूप में। इस साफ्टवेयर के बाजार imageमें आए अभी चंद ही दिन हुए हैं कि इसकी नकल महज 20-20 रुपए में बिकने लगी है। यह नकल जहां महानगरों में 50 रुपए में बिक रही है, तो छोटे शहरों में इसे महज 20 रुपए में खरीदा जा सकता है।

लो जी मजनू लिख लो शायरी दिखने वाली शायरी मजनूँ के लिये (Visual Shayari Majanu ke liye)

image

बबलीimage

याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !

"एक मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

 

आँखें कभी छला करती हैं,

आँखे कभी खला करती हैं।image


गैरों को अपना कर लेती-

जब भी चश्म मिला करती हैं।।

ये किसी मंदिर,धर्मस्थान या तीर्थस्थल का प्रवेश द्वार नही है,प्रेस क्लब है प्रेस क्लब्।
image आधा घण्टा चलने वाली कांफ़्रेंस एक घण्टे से ज्यादा चली।सभी तरह के सवाल हुये और दूसरों के बहाने अपनी तक़लीफ़ के निराकरण के उपाय भी पूछे गये।देर तक़ चलने के कारण दूसरे कार्यक्रम भी लेट होते चले गये।सबके बाहर आने के बाद मैने क्लब के सह सचिव दामू आम्बेडारे से पूछा कि तू क्या कर रहा था बे?तूझे क्या तक़लीफ़ है?साले तेरे कारण लोग तक़लीफ़ मे हैं,तेरे घर मे कलह होते होते बची है।तू अंदर क्या छुड़ावाने गया था?लंद-फ़ंद?अरे भैया आप भी ना,बस मेरे ऊपर ही डाऊट करते हो।तो,मैने कहा,और किस पर करूं,तू बता?ये आपका प्रभूदीन अंदर बैठ कर भी झूठ बोल रहा था।अब प्रभूदीन भड़क गया और बोला तू
एक गोत्र में प्यार और फिर शादी करने पर सजा-ए-मौत

image एक बार फिर इंसानियत को बदनाम करते हुए एक गोत्र में प्यार और फिर शादी करने पर लड़की के घर वालों ने कपल्स को ऐसी सजा दी है कि सुनने वाले भी सिहर जाएं। मामला कहीं दूर का नहीं भारत की राजधानी के नरेला इलाके का है। प्रेमी जोड़े के घर से भागकर शादी करने के बाद लड़की के घरवालों ने बहाने से दोनों को वापस बुलाया। इसके बाद लड़के की हत्या कर दी और युवती को घर में बंधक बनाए रखकर कुछ रिश्तेदारों ने बलात्कार भी किया। किसी तरह लड़की अपने परिवार वालों के चंगुल से भागने में सफल रही और नरेला थाने में आकर इसकी खबर दी। इसके बाद सोनीपत की नहर से युवक की लाश निकालकर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। लड़की के पिता और नाबालिग भाई समेत पांच मुलजिमों को गिरफ्तार किया गया है।

महापुरुषों के सदविचार ....जो युद्ध की सी तत्परता व्यक्त नहीं करता है वह हार जाता है.

०  जब तक तुम स्वयं अपना उद्धार करने के कमर कसकर खड़े नहीं होंगे तब तक करोडो ईसा मुहम्मद बुद्ध या राम मिलकर भी आपकी रत्ती भर मिलकर सहायता imageनहीं कर सकते . इसीलिए दूसरो की और मत ताको अपनी सहायता आप करो .
० कर्तव्यपालन करते हुए मौत मिलना मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सफलता और सार्थकता मानी गई है .

नौकरी में सफलता के सूत्र- जरुर पढिये बड़े काम के हैं

imageराम-राम भाई......हाँ यार जाना तो है ही, चाहे बरसात हो या ओले गिरे या आग लगे ..... पापी पेट का सवाल है" 

"हाँ भैया....... पापी पेट की खातिर तो सब करे के लागी.......पान लगाओं"image

 

"लीजिये भैया........ हमने पान छलिया के

हाथ से लिया ही था कि सुनाई दिया......"पाय लगी महाराज.......

 
...मत बनाना मेरा बुत, मेरी मौत के बाद....

 

मैं हमेशा चलना चाहता हूँ,

बोलते रहना चाहता हूँ,

सुनते रहना चाहता हूँ, image

मत बनाना मेरा बुत,

 

ग़ज़ल/यार नहीं जो काम न आएimage

यार नहीं जो काम न आए।
प्यार वही जो साथ निभाए।
आता वक्त बुरा तो अक्सर,
जिससे आशा वो ठुकराए।
दिन में ही कुछ कोशिश कर लो,
जिससे काली रात न आए।
वक्त अगर बीतेगा ये भी,
दोबारा फिर हाथ न आए

काफी दिनों से एक बात बराबर मन मे हैं सो आज आप लोग के सामने एक प्रश्न के रूप मे दे रही हूँ ।

जब हमारा जन्म होता हैं किसी घर मे और हम वहाँ रहते हैं तो ये क्यूँ कहा जाता हैं " अपने माँ - पिता के घर मे रह रहे हो " अगर हमारी बात पसंद नहीं हैं तो निकल जाओ । क्या किसी घर मे जन्म ले लेने मात्र से ही हम उस घर के " नैचुरल सिटिज़न " नहीं हो जाते हैं ? फिर वो माता - पिता का घर क्यूँ कहलाता हैं । ये बात पुत्र और पुत्री दोनों के सम्बन्ध मे लागू होती हैं और निरंतर सुनाई देती हैं ।
जहाँ भी शादी के बाद अगर बेटा माँ -पिता सब साथ रह रहे होते हैं तो सब यही कहते हैं " अरे आप बडे भाग्यवान हैं आप का बेटा आप के साथ रह रहा हैं " और अगर किसी वजह से लड़का और बहु की रसोई अलग हैं तो सुनाई देता हैं " रह आप के घर मे रहे हैं और खाना अलग पकाते हैं ""

"ब्लॉगिंग सिर्फ नेट तक ही सीमित नही है!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज के अतीत के झरोखे में जानिए सामूहिक गरियाने की गणित, लाभ व उपयोग   राजीव कानपुर,

हाल ही में एक बंधु ने हम पर मज़ाकिया आरोप लगाया कि हम अपने कुछ साथियों को गरियाये रहे। उस समूह के हम स्वयं भी जबरिया सदस्य हैं। सही बात तो यह है कि हमने वास्तव में गरियाया तो नहीँ ही था, पर जब इस पर कुछ ध्यान गया, विचार-मंथन किया तो कुछ विचार अमूल्य रत्न की भाँति मिले। कुछ-कुछ वैसे ही - जैसे कि दूघ के मंथन से मक्खन या जैसे देवासुर समुद्र मंथन होने पर, पहले हलाहल व उसके बाद अलभ्य रत्न मिले थे।
हलाहल तो हम पी(क) गये! विचार रत्नों को आपके साथ बाँटते हैं।
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गरियाने से नुकसान तो जो होता हो वह तो मालूम नहीँ, पर उससे कुछ तो फायदे होते हैं ही। गरियाने की परम्परा निश्चय ही उतनी ही प्राचीन होगी जितनी कि मानव-सभ्यता। शायद यह प्रकृति प्रदत्त वरदान हो, शायद मनोवैज्ञानिक भी मानते हों कि गरियाने से मन पर बोझ हट जाता हो! निर्बल का संबल है यह। यहाँ पर हम गरियाने के एक विशिष्ट स्वरूप की बात कर रहे हैं।

टीप के ऊपर टिप्पा, कर लो लारा लप्पा..

अजय झा जी की टिप्पणी चर्चा

देखिये जी ई बात देखा जाए....हमरे चच्चा तो मालिक हैं ...हम सेवक भतीजा हैं उनके...चचा जईसन धांसू-फ़ांसू, और ठांसू चर्चा ..ऊ भी सचित्र अमर कथाएं टाईप ..हमरे बस का बात नहीं था ....मुदा जब आप लोगन को ठोक ठोक के टीपते देखे ..तो सोचे काहे नहीं ई को नए अंदाज ..लपेट दिया जाए.....आप लोगन तो टीप के निकल लिये...मुदा कहां जी....हम का कहते हैं उसके बाद ...उहो तो सुनते जाईये न....देखिये देखिये..गोसियाईयेगा नहीं...अरे ठिठोली किये हैं जी ..

अब " नजर-ए-इनायत "

image अब कहां जाएगी पिंकी!!  स्टार बनना किसे अच्छा नहीं लगता. यंगस्टर्स का सपना होता है सेलिब्रिटी बनने का. पैरेंट्स भी तो चाहते हैं उनके बच्चे नाम रौशन करें पूरी दुनिया में. सपनों को साकार होते देखना अच्छा लगता

image अमर उजाला में 'विचार' व 'अरविंद कोशनामा' अगस्त 2009 को अमर उजाला के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग कोना' में विचार व अरविंद कोशनामा की पोस्ट्स
दिल तो क्या चीज़ है जान से जाएँगे- नुसरत ऐसा बनना सवारना मुबारक तुम्हें, कम से कम इतना कहना हमारा करो, चाँद शरमाएगा चांदनी रात में, यूँ न जुल्फों को अपनी संवारा करो । यह तबस्सुम यह आरिज़ यह रोशन जबीं, यह अदा यह निगाहें
image 'अपराधी शहर में रह सकता है, भिखारी है तो बाहर कर दिया जाए!?': हाई कोर्ट हाई कोर्ट ने भिखारियों के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के रुख की तुलना महाराष्ट्र में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के रवैये से की है। दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार

बवालों सी रातें फ़सादों से दिन हैं, बवालों सी रातें जवानी की सरकश मिसालों सी रातें अदद नौकरी की फ़िकर मे कटा दिन कटें कैसे, भूँखे सवालों सी रातें उजालों मे झुलसे नजर के शज़र जब बनी हम-सफ़र, हमखयालों सी रातें खिलता अगर तेरी कुर्बत का चंदा निखर जातीं दिन के उजालों सी राते
image आग बुझा नही पा रहे चलें हैं सुपर पॉवर बनने….भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी तनाव पैदा होता है तो टेलिविज़न पर आने वाले रक्षा विशेषज्ञ यही कहते है की हमारे पास पाकिस्तान के मुकाबले बहुत ताक़त है अगर हमारा पाकिस्तान से झगडा हो गया तो उसे पूरी तरह से हमें एक महीना से ज्यादह नही लगेगा। हमारा

इलाहाबादी चिक्-चिक् का मतलब ! पिछले कई दिनो से जारी इलाहाबादी चिक-चिक बंद होने का नाम नही ले रही है। इलाहाबाद में सम्पन्‍न हुई ब्‍लागर मीट के बाद से शामिल होने वाले भी और न शामिल होने वाले लिखने पढने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। कहने वाले कुछ भी कहे किन्‍तु यर्थात से मुँह नही
image मर्यादा पुरुषोत्तम रावण!मेरा मन अर्जुन की स्थिति को प्राप्त हो गया है। मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं, यह निर्णय नहीं कर पा रहा हूं। मेरा मन बार-बार कृष्ण-कृष्ण का जाप करने लगता है। जहां तक उसकी पहुंच है, वह कृष्ण को खोजने लगता है। ताकि कहीं तो एक अदद कृष्ण मिल जाए और वैचारिक

image श्रवणकुमार की कथा - अयोध्याकाण्ड (19)महाराज दशरथ ने कहा, "कौशल्ये! यह मेरे विवाह से पूर्व की घटना है। एक दिन सन्ध्या के समय अकस्मात मैं धनुष बाण ले रथ पर सवार हो शिकार के लिये निकल पड़ा। जब मैं सरयू के तट के साथ-साथ रथ में जा रहा था तो मुझे ऐसा शब्द सुनाई पड़ा मानो वन्य हाथी गरज रहा हो

ब्लाग्जगत मे नये चिट्ठे -

जनपक्ष टुडे

अपने खेतों की सुध लो प्रवासियों

यूं तो प्रदेश का उद्यान विभाग राज्य बनने के बाद से मृत पड़ा हुआ है लेकिन अब प्रदेश में हार्टीकल्चर को नया चेहरा देने के लिए सरकार प्रवासी उद्यान योजना लाने पर विचार कर रही है । इस योजना पर अगले दस सालों में 81 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है ।
उत्तराखंड का उद्यान विभाग राज्य के उन विभागों में शामिल है जो अफसरशाही के जनविरोधी रवैये के कारण अंतिम सांसे गिन रहा है । लगभग 3500 कर्मचारियों और अफसरों के इस विभाग के पास हालांकि प्रदेश में बागवानी क्रांति करने का जिम्मा है लेकिन विभागीय मंत्रियों और विभागीय अफसरों ने बागवानी विकास के बजाय फाइलों में बाग उपजाए और राज्य और केंद्र सरकार का करोड़ों रुपये बागवानी विकास के नाम पर डकारते रहे । वह भी तब जब पड़ोसी राज्य हिमाचल में बागवानी ने आम लोगों के जीवन स्तर में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया । हिमाचल में समृद्धि का जो रुख आज चमक रहा है वह बागवानी का ही करिश्मा है ।

अब दीजिये इजाजत
नमस्कार

Friday, October 30, 2009

सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की)

आज का चर्चा का ये अंक दर्पण शाह और पंकज मिश्रा दोनों की सम्मिलित प्रस्तुति है .....आशा है आपको बेहद पसंद आयेगी ...
सबसे पहले आपको ये बता दे कच्छा  और चढ्ढी में कोई फर्क नहीं होता ये  मै कल पढा .....अब ब्लागजगत में यही सब बताया जा रहा है ...........देखो आगे क्या क्या होगा राम जाने ....राम  नहीं भाई  लिखने वाले जाने ...और हां आप ये मत पूछियेगा कि उस ब्लॉग का लिंक दीजिये ......क्युकी मै दुगा नहीं ...का काहे ये जबरिया है ....तो सुन लीजिये हमतो ....जाने दीजिये किसी की कापी राइट है.........
अब चलिए गधा सम्मलेन में ...अरे नहीं भाई ....हमें तो न्योता न ही नहीं है अपणे ताउजी गए है ....गधा तो ले गए है लेकिन खुद रिपोर्टर की हैसियत से गए है.....पढ़ लीजिये रिपोर्ट .........

जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम
image जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां  मिलने लगे.  रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खimageबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और  शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं.  हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.

अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ?  जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.

और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे  सबसे तेज चैनल के  हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.

अब समीर जी को तो मै कुछ कहुगा ही नहीं जितना सामान बाधना हो बाध ले :) और निकल पड़े पुल के उस पार से: इलाहाबाद दर्शन पर ……….

imageतीन शर्ट, तीन फुल पेण्ट, एक हॉफ पैण्ट (नदी स्नान के लिए), एक तौलिया, एक गमझा (नदी पर ले जाने), एक जोड़ी जूता, एक जोड़ी चप्पल, तीन बनियान, तीन अण्डरवियरimage, दो पजामा, दो कुर्ता, मंजन, बुरुश, दाढ़ी बनाने का सामान, साबुन, तेल, दो कंघी ( एक गुम जाये तो), शाम के लिए कछुआ छाप अगरबत्ती, रात के लिए ओडोमॉस, क्रीम, इत्र, जूता पॉलिस, जूते का ब्रश, चार रुमाल, धूप का चश्मा, नजर का चश्मा, नहाने का मग्गा, बेड टी का इन्तजाम (एक छोटी सी केतली बिजली वाली, १० डिप डिप चाय, थोड़ी शाक्कर, पावडर मिल्क, दो कप, एक चम्मच), एक मोमबत्ती, माचिस, एक चेन, एक ताला, दो चादर,  एक हवा वाला तकिया

मैं इसलिये हाशिये पर हूँ क्यूँकि

मैं बस मौन रहा और

उनके कृत्यों पर

मंद मंद मुस्कराता रहा!! 

बेहतरीन चिट्ठों की एक बकवास चिट्ठा चर्चा.... (भारत एक गरीब देश है जहाँ अमीर लोग बसते हैं.... की तर्ज़ पर !!)

इतनी बकवास कि, अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना कहते हमने वो पढ़ा तो आप इसे भी पढ़ लीजिए... क्यूँ पढ़ लीजिये भाई ? कम से कम अभी साफ़ कह तो सकते हैं कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष? हम नहीं जानते जी आपको !! वैसे ही ब्‍लॉगिंग से स्‍तब्‍ध हैं सत्‍ताधारी. सत्ताधारी?????? कहाँ हैं सत्ताधारी, कहाँ है सरकार? मिल कर इसका नाम विचारें ! आइये इन्‍हें पहचानें !! कुछ तो करें..... चलो एक कविता ही सोचो..... सोचो बहुत दूर कही   पुल के उस पार  या कभी एक प्यारा सा गाँव, जिसमें पीपल की छाँव  या दहलीज के उस पार जहाँ से हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए , ...से लौटकर झांकते हैं कि कहीं जिनको छोड़ के गये थे घर में वो तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे हमारे बच्चों को पीट ने लग गए तो? और वह जीत गए तो? ह्म्म्म !! वैसे बच्चे आजकल के शोले ,हँसगुल्ले हँसने के लिए, जो हिंदी को हेय समझते हैं, भावनाओं के राग नहीं जानते, श्रीमद्भागवतगीता से उन्हें कोई लेना देना नहीं   लडेगा कौन इनसे सर पर कफ़न बांध कर ? लेकिन बेचारे जाएँ तो जाएँ कहाँ.... ह्म्फ़.... ह्म्फ़... बहुत हो गयी न ये बकवास ? बस !! !! इतनी मेहनत के बाद काश... एक गरम चाय की प्याली हो.

अदा जी पुछ रही है कहाँ है हमरा घर ?? 

जब 'इ' आये तो इनसे भी कैसे कहें कि बाथरूम जाना है.....इ अपना प्यार-मनुहार जताने लगे और हम रोने लगे.....इ समझे हमको माँ-बाबूजी की याद आरही है...लगे समझाने.....बड़ी मुश्किल से हम बोले बाथरूम जाना है....उ रास्ता बता दिए हम गए तो लौटती बेर रास्ता गडबडा गए थे ...याद है हमको

अड़बड़िया कड़बड़

ऊँची उनकी नाक
रस्ते नमन चलो

पूछे हैं वो

हाले कहन चलो

करनी है बात

जीभे कटन चलो

ना सुनें जो वो

चुपके निकल चलो।

चेतावनी रा चुंग्ट्या : कवि की कविता की ताकत

पग पग भम्या पहाड,धरा छांड राख्यो धरम |
(ईंसू) महाराणा'र मेवाङ, हिरदे बसिया हिन्द रै ||1||


गिरद गजां घमसांणष नहचै धर माई नहीं |
(ऊ) मावै किम महाराणा, गज दोसै रा गिरद मे ||3||
हमको हमारी खाक न मिली !

नापाक जिन्दगी को कोई पाक न मिली,
दिल-ए-गम को हमारे कोई धाक न मिली !image
दे पाये कहीं पर वास्ता, जिसके प्यार का,
बदकिस्मती कह लो कि वो इत्तेफाक न मिली !!

मुद्दतो से पाला था जहन में इक हसीं ख्याल,
कि लिखवाएंगे इक सुन्दर नज्म कभी तो!
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !

अनूप सेठी की कविता – रोना

बादलों का घुमड़ना और बरस पड़ना जैसा
सदियों पुराना जुमला भी रोने के मर्म को छू नहीं पाताimage
पर्वत का रोना इस तरह कि
बरसात में जैसे नसें उसके गले की फूल जाएं
कहना भी रोने को ठीक से बता नहीं पाता
रोना तो रोना
रोने के बाद का हाल तो और भी अजब है
कोई ईश्वर जैसे जन्म ले रहा हो
बारिश के बाद भी धुंधले सलेटी

क्या हुआ बेटा? ...पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ'

दिनांक : २४-अक्तूबर-२००९

image प्रातः अलार्म के पांच बार बजाने के बाद, बिस्तर से उतरने का मन बनाया | लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) | यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य था पर एक चौकानेवाली बात हुई - आज मेरे बड़े लड़के 'अक्षत' ने पैर छू कर प्रणाम किया | मैंने समझा शायद मेरी धर्म पत्नी ने इसे ऐसा करने को कहा होगा, पर मैं गलत था | पूछा क्या हुआ बेटा? बालक का सरल सुलभ जवाब - पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ मैं'

कुछ दीप कुछ ऎसे भी जगमागतए है
दुसरे दिन कुछ लपंट लोगो ने ओर उन सफ़ेद पोशो ने अपनी करतुत छिपाने के लिये उस लडकी के बारे पुछ ताछ शुरु कर दी, ओर अंट शंट बकना शुरु कर दिया, जब वो बातraj bhatiya jee घर मै लोगो के कानो मै पडी तो बुढिया ने कहा कि बिटिया तुझे इस घर स कोई नही निकाल सकता, लोगो को बक बक करने दो...
हां कुछ बाते लिखना भुल गया कि  कई समाज सुधारको ने , नारी संगठनो ने इन पर केस किया कि एक बुढे ने नाबालिग लडकी से शादी कर के हिदु समाज का मुंह काला कर दिया, पहली बीबी के होते हुये दुसरी बीबी से शादी की, लेकि उस परिवार का कहना है कि हमे हर जगह हमारे सच ने बचाया,
"एक असफल स्टिंग आपरेशन [व्यंग्य] - शक्ति प्रकाश"

आम आदमी : नमस्कार महोदय, मैं शक्ति..
पत्रकार : शक्ति? कपूर तो नहीं हैं ना? हैं हैं हैं ....बैठिये बैठिये, वो तो ऐसे भी पत्रकारों के सामने नहीं आ सकता (पिच्च..) पर आपने रेफरेन्स नहीं बताया?
आम आदमी : जी वो बबलू भाई....
पत्रकार : श्रीवास्तव ? बहुत तगड़ा रेफरेन्स लाये हैं भाई।
आम आदमी : जी वो बबलू भाई बिल्डर सैक्टर ग्यारह वाले|
पत्रकार : तो ऐसे कहिये ना, कैसा है अपना बबलुआ?
आम आदमी : जी अच्छे हैं, पर लगता है बहुत अंतरंगता है आपकी?

रेल दुर्घटनायें : एक नियमित नियति

image अब से एक दशक पहले रेलवे से जुडी सभी कमियों, कमजोरियों, दोषों ,अपूर्ण योजनाओं और नहीं पूरे किये जा सकने वाले सुधार उपायों के लिये बजट का नहीं होना या संस्धानों की कमी को ही जिम्मेदार ठहरा कर इतिश्री कर ली जाती थी । किंतु अब जबकि ये प्रमाणित हो गया है कि रेलवे न सिर्फ़ लाभ में बल्कि बहुत ही मुनाफ़े में चल रही है तो भी सुरक्षित यात्रा के अनिवार्य लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाना बहुत ही अफ़सोसजनक बात है ।और बहुत बार ऐसी दुर्घटनाओके बाद जांच आयोगों की रिपोर्टों, समीक्षा समितियों की अनुशंसाओं से ये बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय रेलवे न तो इन दुर्घटनाओं से कोई सबक लेती है और न ही भविष्य के लिये कोई मास्टर प्लान तैयार कर पाती है। इसे देख कर तो ऐसा ही लगता है कि रेलवे प्रशासन के लिये सुरक्षित यात्रा कोई मुद्दा है ही नहीं, सो उस पर क्यों सोचा, विचारा जाए।
प्रेतों का उत्सव [इस्पात नगरी से - १९]
image समुद्री डाकू का यह भूत हमसे मिलने बड़ी दूर से आया है।

अब बारी अतीत के झरोखे की

आज अतीत के झरोखे मे है  डा. अरविंद मिश्रा जी के ब्लॉग की कविता आजाद है या पराधीन भारत ?

सत्यमेव जयते को क्या हो गया है ,
महाकाव्य का अर्थ ही खो गया है
वोटों के खातिर जुटे हैं जुआड़ी ,
हुयी द्रोपदी आज जनता विचारी
हालत जो पहुँची है बद से भी बदतर,
कहाँ चक्रधारी कहाँ हैं धनुर्धर
................................................
अस्मिता खोता भारत ,महाभ्रष्ट भारत
आजाद है या पराधीन भारत
महाभारती का महाघोष भारत
करो या मरो मन्त्र फिर से लो भारत !
डॉ .राजेंद्र प्रसाद मिश्र

अब " नजर-ए-इनायत "

रामप्यारी का सवाल – 97-image
मेरा फोटोआनेवाले दो महीने महत्‍वाकांक्षी युवाओं के लिए बडे खास रहने चाहिए !!-युवा वर्ग पर किसी न किसी प्रकार के कार्यक्रम का दबाब बढता चला जाएगा। 2 , 3 , 8 , 9 , 10 , 17 , 18 , 19 , 29 , 30 नवम्‍बर तथा 1 , 6 , 7 दिसम्‍बर को यानि इन खास तिथियों को मंगल ग्रह अधिक प्रभावी रहेगा।

साधो यह हिजडों का गाँव-4--व्यंग्य-पद  (11) साधो अब मसखरे पलेंगे। व्यंग्य रखो अंटी में अपनी, मंचों पर चुटकुले चलेंगे। जो नैतिक हैं उन लोगों से, लंपट-पापी बहुत जलेंगे। सच्चे सदा रहेंगे वंचित, झूठे सुख में नित्य ढलेंगे

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा और दुष्प्रवृत्तियाँ प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है...--माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है और दुष्प्रवृत्तियाँ भी उसी के अन्दर होती है . अब यह उसकी अपनी योग्यता बुद्धीमत्ता और विवेक पर निर्भर करता है की वह अपना मत देकर जिसे

दोस्ती की एक अनोखी मिसाल है ये मूर्ती ---पिछली पोस्ट में मैंने एक जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया था, इस सवाल के साथ की दिल्ली के नेहरु पार्क में लेनिन की मूर्ती क्यों स्थापित है. ज़वाब में बहुत सारे दोस्तों ने टिपण्णी की।

‘ये लड़का पूछता है, अख्तरुल-ईमान तुम ही हो?

खाए-अघाये लोग और 'आम-धन का खेल' !*जाहिर है कि यह बात उन लोगो के लिए कोई मायने नहीं रखती जो कामरेड के कहने पर दो किलो चावल के लिए पुलिस गश्ती दल के वाहन के नीचे विस्फोटक लगा कर उसे उड़ा देते है, यह बात उन लोगो के लिए

रिश्‍तों की अग्नि में ...मैं लकड़ी होता और कोई मुझे जलाता, तो जलकर मैं इक आग हो जाता, डाल देता कोई उन जलते हुये अं

दिखने वाली शायरी यादों के लिये (Visual Shayari Yadoon ke liye)-

हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए !लोग किनारे की रेत पे जो अपने दर्द छोड़ देते है वो समेटता रहता है अपनी लहरें फैला-फैला कर हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए जब भी कोई उदास हो कर आ जाता है

ब्लाग्जगत मे नये चिट्ठे -

हमारा खत्री समाजimage

 

 

[hindi.jpg]महफ़िल ए हिंदी

अब दिजिये इजाजत

नमस्कार

Thursday, October 29, 2009

.बाबा कायलदास प्रवचनम : खूंटे पै सम्मेलनम(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

 

 

नमस्कार , चर्चाहिंदी चिट्ठो के इस अंक के साथ मै पंकज मिश्रा ......पिछले  सप्ताह आपको बताया था  कि इस सप्ताह हमारे अतिथि पोस्ट की शुरुआत श्री ताउजी करेगे लेकिन इसी समय अहमदाबाद में गधा सम्मलेन होरहा है .....और ताउजी वहा चले  गए है लाइव रिपोर्टिंग के लिए अतः इस सप्ताह का अतिथि पोस्ट कैंसिल हो गया है .....आप हर रोज गधा सम्मलेन की आँखों देखा हाल पढ़ सकते है ताउजी के ब्लॉग पर ....

अब चर्चा की शुरुआत भी ताउजी के ही ब्लॉग से…….बाबा कायलदास प्रवचनम : खूंटे पै सम्मेलनम…………………….

imageबाबा को सारा माहोल ऐसा लग रहा था कि बिना किसी प्रयास के ही कायलत्व को उपलब्ध होगये फ़ोकट मे ही यानि बिना तपस्या किये ही बाबा की समाधि लग गई. तत्वज्ञान की उपलब्धि के लिये कायल होना, फ़िर घायल होना और इसके बाद प्रथम सीढी है कायलत्व प्राप्ति और उसके बाद दूसरी सीढी है घायलत्व प्राति और अंतिम सोपान है परम तत्व यानि कायलम शरणम गच्छामि हो जाना.

बाबा कायलदास : वत्स ऐसा नही कहते. मन छोटा ना करो घायल दास.. आखिर मेरे बाद इस दुनियां को राह दिखाने वाले मेरे उतराधिकारी तो तुम ही हो...वत्स तुम्हारा संशय दूर करने के लिये आज इस पवित्र कथा का आयोजन यहां करवाओ. इसके श्रवण मनन से मन के सब क्लेश दूर हो जाते हैं वत्स... सुनो और सुनावो...सारे क्लेश भगाओ. अब जल्दी से कथा के लिये तैयारीयां शुरु करवाओ.
और बाबा घायल दास के चेलों ने फ़टाफ़ट कथा की तैयारी शुरु करदी..पंडाल.. शामियाना..माईक की व्यवस्था कर दी गई और आनन फ़ानन में गांव वाले भी भेंट पूजा की सामग्री ले कर कथा सुनने के लिये पण्डाल में हाजिर हो गये. कुछ चेले कथा के लिये प्रसाद रुपी सामग्री तैयार कराने मे जुट गये.

एक भाषा के भग्नावशेष
कहते हैं कि कुछ ही सालों में दुनिया भर में केवल आठ दस भाषायें बचेगी. ये मेंडारिन (चीनी), अंगरेजी, स्पेनिश, बांग्ला, हिंदी, पुर्तगाली, रूसी और जापानी आदि हैं। इनमें भी अंगरेजी तो सबके सिर पर सवार है ही. कुछ लोग कहते हैं कि इसमें बुरा क्या है, जितनी कम भाषायें उतना अच्छा संवाद. पर भाषा क्या केवल संवाद है ? भाषा संस्कृति भी है और इतिहास भी. जब कोई बज्जिका बोलता है तो वह बज्जि संघ की लोकतांत्रिक पम्पराओं को, आम्रपली के इतिहास को आगे बढा रहा होता है. जब कोई बनारस के घाट पर सुबह सुबह संस्कृत के वही मंत्र उच्चारित ( भले ही बिना उन्हें समझे, हाँ! समझने लगे तो फिर कहना ही क्या! ) करता है जो तीन हजार पहले उसके पूर्वज करते थे तो वह इतिहास के गौरवशाली पन्ने पलटता है और भाषाओं के उद्घाटित न होने से इतिहास के खो जाने का भय नहीं होता. एक भाषा की मौत के साथ वहाँ के जीवन की विशिष्टता और सांस्कृतिक धरोहरें भी काल कलवित हो जाती है. इजिप्ट का उदारहण देखे, वहाँ की भाषा के साथ वहाँ का इतिहास भी सहारा के रेत में खो गया
हासिल..image

मैं पूछता हूँ जिन्दगी से
तू, कब मुझको रास आएगी?...
मैं कब तलक नापता रहूँगा फासले
और कब तू ख़ुद पास आएगी ?...
कब सिखाएगी जीना?
ख़ुद को ही घूँट घूँट पीना
और कब ये तन्हाई
तेरे होने का एहसास दिलाएगी ?...
कब तलक रहूँगा मैं अजनबी ?

ज़िन्दगी

किimage सी ने ख्वाब भी बनाया
पलकों में भी बसाया
किसी के दिल की धड़कन भी बनी
ज़िन्दगी की आरजू भी बनी
उसे भी अपने दिल की धड़कन बनाया
उसके ख्वाबों को भी
अपनी आंखों में सजाया
उसकी हर चाहत को अपना बनाया
बस उसकी इक हसरत को
जो न अपनाया
उस इक कसूर की
सज़ा ये मिली

जिन्दगी के रंग पर पढिये ये कैसे माओवादी हैं जो राजधानी एक्सप्रेस में रोटी और कंबल लूटते हैं

image बुधवार की सुबह से ही खबरें आ रही हैं कि दिल्ली की केंद्र सरकार उच्च स्तरीय बैठक कर रही है। चिदंबरम साब पहले ही सेना और अर्धसैनिक बलों के माध्यम से लड़ाई लड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह से सरकार गरीबों पर गोलियां चलाकर गरीबी खत्म कर पाती है। और किस हद तक। सवाल यह भी है कि जिन आदिवासी इलाकों में आजतक सड़कें, रेल, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, पुलिस व्यवस्था बहाल नहीं की जा सकी, वहां अब सरकार सेना को कैसे पहुंचाती है और इन इलाकों के लोगों के ऊपर गोलियां चलवाकर किस तरह से हिंसक आंदोलन को खत्म करती है।

 

दिखने वाली शायरी ताऊ के लिये (Visual Shayari Taau ke liye)

image002

जी.के. अवधिया ----

अधिकतर व्यक्तियों के मृत्यु निकट अनुभव निम्न क्रम में पाये गये हैं।
1. एक अत्यन्त अप्रिय ध्वनि/शोर सुनाई पड़ना (संदर्भः लाइफ आफ्टर डेथ)।
2. स्वयं के मरे हुये होने का ज्ञान।
3. सुखद भावनाओं, शांति और स्थिरता का अनुभव।
4. शरीर से बाहर होकर हवा में तैरते हुये आसपास के क्षेत्र को देखने का अनुभव।
5. नीले सुरंग, जिसके अंत में चमकदार प्रकाश या कोई उपवन हो, में तैरते हुये जाने का अनुभव।
6. मरे हुये लोगों या आध्यात्मिक चरित्रों से मुलाकात।
7. अलौकिक प्रकाश दिखाई पड़ना(प्रायः समझा जाता है कि वह प्रकाश उस देवता का रूप होता है जिस पर व्यक्ति का अटूट विश्वास होता है)।

मृत्यु निकट अनुभव……………………….

आज बच्चन जी की एक और कविता -तब रोक न पाया मैं आँसू !

तब रोक न पाया मैं आंसू !image

जिसके पीछे पागल होकर

मैं दौड़ा  अपने जीवन भर ,

अब मृगजल में परिवर्तित हो मुझपर मेरा अरमान हंसा

तब रोक न पाया मैं आंसू !

जिसमें अपने प्राणों को भर

कर देना चाहा अजर अमर ,

जब विस्मृति के पीछे छिपकर मुझ पर मेरा वह गान हंसा

तब रोक न पाया मैं आँसू

बिछोह की पीडा़ का टोटल रिकॊल - मदन मोहन का संगीत
image दूसरा गीत है, मुझे याद करने वाले, तेरे साथ साथ हूं मैं - जो फ़िल्म रिश्ते नाते के लिये मदनजी नें ही सुरों से संवारा है. ना जाने क्यों , हसरत जी का लिखा हुआ ये गाना संवेदनाओं के सभी बंधन तोड गया.ये गाना भी लताजी नें ही गाया है, और इसमें भी मुझे जयकिशन जी के कहीं कहीं दर्शन होते हैं(शायद आम्रपाली का गीत तुम्हे याद करते करते कुछ इसी जोनर का है)वैसे लताजी के बारे में बार बार क्या कहना? उनके अलावा और कोई ये गीत गा सकेगा - इतनी पीडा़ , उद्वेग और विरह की टीस की इतनी गहरी अभिव्यक्ति के साथ- यह संभव ही नहीं.और हसरत जी के बोल - एक एक शब्दों पर गौर करें और आहें भरने का हिसाब नहीं रख पायेंगे आप.
गज़ल

सुनहरे हर्फों को दिल पर मेरे आकर सजाये कौन
मेरी किस्मत मेरे माथे पे खुशियों की बनाये कौन
बहुत नाराज़ हो तुम भी बहुत नाराज़ मैं भी हूँ
चलो छोडो सभी शिकवे,मगर पहले मनाये कौन
उठे ऊपर अगरचे लौ बुझाने को लगे सब ही
मगर बढती हुई उसकी पिपासा को बुझाये कौन

लिखना हमारे होने का अहसास दिलाता है....

ये किसके लिए लिखती हो ?
ये किसके लिए गाती हो ?
तुमने ऐसी टिपण्णी क्यूँ दी ?
उसने ऐसी टिपण्णी क्यूँ दी ?
इतना समय क्यूँ बिताती हो ब्लॉग पर ?
इससे क्या मिलने वाला है ?
ये कौन है ? वो कौन है ?

उबुन्टू लिनक्स : मोबाइल फ़ोन से इन्टरनेट कैसे जोड़े

[स्क्रीनशॉट-3.png]उबुन्टू इंस्टाल करने के बाद ब्रोडबैंड इन्टरनेट बिना किसी कॉन्फिगरेशन के चालू हो जाता है लेकिन यदि आप अपने मोबाइल से लिनक्स में इन्टरनेट चलाना चाहते है तो थोडी सी कॉन्फिगरेशन करनी पड़ेगी जबकि विण्डो एक्सपी में संबंधित मोबाइल का पीसी सोफ्टवेयर इंस्टाल करना पड़ता है | लिनक्स में यह बहुत आसान है

नखरेवाली

दिल फिर मचलने लगाimage
प्यार का चिराग चलने लगा
अभी आए, वो अभी चल दिए
हम फिर अकेले रह गए
उनकी इस अदा को देखकर
हम दीवाने हो गए

आइये इन्‍हें पहचानें (अविनाश वाचस्‍पति)

image

हाँकोगे तो हाँफोगे

विवाह के तुरन्त बाद ही मुझे एक विशेष सलाह दी गयी:

imageहाँकोगे तो हाँफोगे’

गूढ़ मन्त्र समझ में आने में समय लगता है| हर बार विचार करने में एक नया आयाम सामने आता है। कुछ मन्त्र तो सिद्ध करने में जीवन निकल जाते हैं।


 

इब खूंटे पै सम्मेलन रिपोर्ट : -

अभी एक सम्मेलन इलाहाबाद में संपन्न हुआ जिसकी चर्चा और लाइव टेलिकास्ट आप देख चुके हैं. आजकल एक गधा सम्मेलन अहमदाबाद मे चल रहा है. ताऊ को उसका बाकायदा  निमंत्रण मिला.  ताऊ इस सम्मेलन के उदघाटन सत्र से समापन सत्र तक वहां मौजूद रहेगा.  ताऊ द्वारा खींची गई  सम्मेलन की कुछ तस्वीरे देखिये  और पूरी रिपोर्ट का इंतजार किजिये.

donkey-1

   
चित्र – १ सम्मेलन के उदघाटन सत्र में दौड लगाते गर्दभराज

 

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चित्र – २ दौड के उपरांत विश्राम मुद्रा में प्रतिभागी

 

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चित्र – ३ अपने संतू गधे को बेचकर चैन की नींद निकालता ताऊ

मै आपको बता दूं कि यह सम्मेलन बहुत ही सफ़लता पुर्वक चल  रहा है . जिनको भी शिरकत करनी हो..उनसे निवेदन है कि निमंत्रण पत्र के लिये अपना टिकट लगा लिफ़ाफ़ा पता करके भिजवायें.

 

नोट : इस सम्मेलन की अगली विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किजिये! 

 

आज तबियत नासाज होने की वजह से बाकी के कालम की चर्चानही कर पा रहा हु .....माफी
नमस्ते

Wednesday, October 28, 2009

गरिया रहे हो सरकारी टैक्स पेयर का पैसा फिजूल में उड़ाए गए।(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

अंक : 61

प्रस्तुतकर्ता : पंकज मिश्रा

नमस्कार ," चर्चा हिन्दी चिट्ठो" में मै पंकज कुमार मिश्रा आप सब से मुखातिब हु ...आज बारी थी हमारे बड़े भाई हिमांशु जी की लेकिन भारतीय संचार निगम लिमिटेड में तकनीकी खराबी के चलते वो आज चर्चा करने में असमर्थ थे ....तो मै सोचा कि चलो मै ही आज की भी चर्चा कर दू .......तो लीजिये आप के सामने प्रस्तुत है चिटठा जो कि आपने ही लिखा है ......चलिए शुरू करते है ........
श्री दिनेश राय द्विवेदी जी की पोस्ट 
नाबालिग लड़की को भगाकर शादी करना सजा को न्यौता देना है।   भाई अगर कोई ब्लॉगर के दिमाग में ऐसी कोई बात हो तो त्याग दे  वकील साहब की बात माने…..

अगर कोई युवक किसी नाबालिग लड़की से प्यार करता हो और वह लड़की भी उसे प्यार करती हो,  दोनों घर छोड़ कर भाग जाएँ और विवाह कर लें। उस के बाद imageपरिवार वाले उन्हें पकड़ लें और लड़के पर बलात्कार और अपहरण का मुकदमा कर दें। लड़की भी युवक के खिलाफ बयान दे दे। ऐसी स्थिति में यह बताएँ कि लड़के के पास बचाव का क्या उपाय है?

आप के प्रश्न में लड़की नाबालिग है। नाबालिग लड़की को यह तय करने का अधिकार नहीं कि वह किस के साथ रहेगी या न रहेगी। ऐसी अवस्था में उस की सहमति हो तो भी वह वैध नहीं है। ऐसी अवस्था में किया गया विवाह भी जबरन किया गया बाल विवाह होगा। जब कि लड़की खुद युवक के विरुद्ध बयान दे रही है। लड़के के विरुद्ध अपहरण (धारा-366) और (धारा-376) दोनों ही अपराध तो साबित होंगे ही  बाल-विवाह का अपराध  साथ में और साबित होगा।

इलाहाबाद से 'इ' गायब - अंतिम भाग

गरिया रहे हो सरकारी टैक्स पेयर का पैसा फिजूल में उड़ाए गए। इस देश में और कहाँ कहाँ ऐसे कुकर्म होते हैं? जरा बताइए तो! नहीं होते न !बस ब्लॉगरी ही भ्रष्ट है।... क्या कहा? ऐसी बात नहीं लेकिन ब्लॉगरी को इन दोषों से बचना/बचाना चाहिए। अच्छा, पवित्र गैया की बड़ी चिंता है आप को ! बड़ा आत्मविश्वास है अपने उपर! जमाने को अपनी मुठ्ठी में बन्द रखेंगे! दुर्भाग्य(या सौभाग्य) से बहुत लोग ऐसे नहीं हैं। भ्रष्ट हैं न ! सुविधाजीवी प्रलापी। ..

अयोध्या नाम तो आप सभी जानते है ..प्रभु श्री राम चन्द्र  का जन्मभूमी ......आज आप लोग पढ़ लीजिये और भी कुछ बाते इतिहास ब्लॉग पर ....

image वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अयोध्यापुरी को मनु ने बसाया था, जबकि स्कंदपुराण कहता है कि यह नगरी विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी है। कुछ मतों के image अनुसार, अयोध्या श्रीरामचंद्र के धनुष के अग्रभाग पर स्थित है। कथा है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम पृथ्वी पर लीला समाप्ति के बाद समस्त अयोध्यावासियों को निज धाम ले गए। अयोध्या वीरान हो गई। बाद में श्रीराम के पुत्र कुश ने इसे फिर से बसाया। कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण पटरानी रुक्मिणी के साथ अयोध्या आए थे। उनके नाम पर बना कुंड आज भी 'रुक्मिणी कुंड' के नाम से जाना जाता है।

रंजना सिंह जी का लेख क्षमादान !!!

image जन्मगत हों या स्वनिर्मित, ह्रदय से गहरे जुड़े सम्बन्ध, हमें जितना मानसिक संबल और स्नेह देने में समर्थ होते हैं,जितना हममे जोड़ते हैं,कभी कभार जाने अनजाने ह्रदय को तीव्रतम आघात पहुंचा हमें तोड़ने में भी उतने ही प्रभावी तथा सक्षम हुआ करते हैं...स्वाभाविक है, जो ह्रदय के जितना सन्निकट होगा, प्रतिघात में भी तो वही सर्वाधिक सक्षम होगा ....बाहर रहने वाले चोट पहुंचाएंगे भी तो वह ह्रदय तक तो पहुँच पायेगा नहीं..

"एक चेहरा"

इस कदरimage
बस गया है।
मेरी आंखों में
अब आइना भी
इज़हार करता है।

कि बन जाये आत्मा

बहना नदी की तरहimage

निरंतर, निर्विरोध और तीव्र वेग लिये

कि बन जाये आत्मा

एक नदी चंचल

और मिटा दे अपना अस्तित्व

मिलकर अपने इष्ट से ।

महफूज़ अली

हो तुम मेरा यथार्थ
ख़ुद राह मैं तलाशूंगा
जब तुम दोगी
मेरा साथ।
मुझे हर पल ज़रुरत है तुम्हारी,
जलते रहने के लिए,
धड़कते रहने के लिए,
मत आओ एक हवा के झोंके की तरह

दिगम्बर नासवा

खूब है मासूम सी अदा
बोलती आँखें यदा कदा
होठ से तेरे जो निकले
गीत मैं गाता रहूँ सदा
स्पर्श से महका जो तेरे
खिल रहा वो फूल सर्वदा
ग्वाल में राधा तू मेरी
बांसुरी बजती यदा यदा

आज के मैच के बारे में जानिए सगीता पूरी के साथ

कल जमथा नागपुर के विदर्भ क्रिकेट एशोसिएशन स्‍टेडियम में भारत और आस्‍ट्रेलिया के मध्‍य होने वाले दूसरे क्रिकेट मैच में ग्रह की स्थिति बिल्‍कुल सामान्‍य होने से दोनो टीमोंimage की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। भारत की शुरूआत बहुत ही अच्‍छी रहेगी और लगभग दो घंटे तक भारत काफी अच्‍छा खेलेगा , जिसके कारण अंत अंत तक सामान्‍य खेलते हुए भी पहली पारी में इसकी स्थिति बहुत ही मजबूत बन जाएगी।
दुनिया अजब गजब
imageक्या आप जानते हैं कि कहने को तो सब जीव जंतु के खून का रंग लाल होता है पर टिड्डी एक ऐसा कीट है जिसका रक्त का रंग सफ़ेद होता है ..
तितली की स्वाद ग्रंथि उसके पिछले पैरों में होती है
हाथी के दांत दो या तीन बार नहीं पूरे जीवन काल में यह छः बार निकलते हैं

शहद आपको अच्छा लगता है पर इसको इकठ्ठा करने में सिर्फ़ एक पाउंड शहद बनाने में बीस लाख फूलों से पराग इकठ्ठा करती है मधुमखी.... कितनी मेहनत का काम है न

ओम आर्य

कभी पार्क की
फिसल पट्टी पे लेट कर
आधा चाँद देखते हुए
सोंचता हूँ अधूरे प्रेमों के बारे में
और 'रात को रोक लो' वाला गाना गाता हूँ
निकालता हूँ
अपनी पुरानी लिखी कवितायें
एक दो पढता हूँ

मृत्यु-कामना . (कविता)

 

किसी दिन,
- मर जाने की इच्छा करने लगता है,
दूसरी तमाम इच्छाओं की तरह,
उसकी यह इच्छा भी ,
या तो पूरी हो जाती है,
या बस कमजोरी या ताकत के साथ जीती रहती है ।
लेकिन तब हादसों का एक दौर शुरू होता है,
जब आदमी,
न तो जी रहा होता है

खबरों की खबर पर अजय कुमार झा जी है…

imageखबर :- बिग बास ने कमाल खान को बाहर निकाला । नज़र :- गलत किया बिग बास ने, और बिग बास ने ये किया ही क्यों.... काहे से कि जब बिग बास कुछ करबे नहीं करते हैं, अरे जौन कर रहे हैं या तो वहां घुसे हुए मेहमान खुद कर रहे हैं ....नहीं तो हमको छोड कर कुछ लोग जो एसएमएस करते हैं ..ऊ लोग कर रहे हैं.....वैसे हमको शक है कि कौनो एसएमएस करता भी है ...खैर छोडिये ई बात को..बात तो असली ई है कि बिग बास गलत किये कमाल खाल को बाहर निकाल के। देखिये जी ई माना कि ऊ देश द्रोही रहे हैं ....तो का हुआ ..अरे असली में थोडे हैं जी ....फ़िर सबसे जरूरी बात तो ये थी कि इस बात कि पक्की खबर थी कि अबकी जो कमाल खान थोडे दिन और बिग बास के घर में रह जाते .....तो अगला नोबेल उनको ही मिलना था पकिया था जी .....ई रोहितवा और राजू भाई गडबडा दिये सब ..एक ठो और नोबेल छूट गया ..चलिये का किजीयेगा सब्र किजीये।

अब बारी अतीत के झरोखे की

आज की प्रस्तुती है दीपक भारतदीप की ई-पत्रिका ब्लॉग से

‘सविता भाभी’ से मस्त राम पीछे- व्यंग्य आलेख

इंटरनेट पर पोर्न वेबसाईटों का जाल कभी खत्म नहीं हो सकता। देश के अधिकतर प्रयोक्ता ऐसा वैसा देखने के लिये ही अधिक उत्सुक हैं और उनकी यही इच्छा संचार बाजार का यह एक बहुत बड़ा आधार बनी हुई हैं।
एक मजे की बात है कि हमेशा ही नारी स्वतंत्रता और और विकास के पक्षधर सार्वजनिक रूप से अश्लीलता रोकने का स्वतंत्रता के नाम पर तो विरोध करते हैं पर अंतर्जाल पर ‘सविता भाभी’ की रोक पर कोई सामने नहीं आया। लगभग यही स्थिति उनकी है जो परंपरावादी हैं और अश्लीलता रोकने का समर्थन करते हैं वह भी इसके समर्थन में आगे नहीं आये।
इधर अनेक अंतर्जाल लेखकों ने यह बता दिया है कि ‘सविता भाभी’ पर कैसे पहुंचा जा सकता है। हमने यह वेबसाईट देखने का प्रयास नहीं किया मगर इस पर लगा प्रतिबंध हमारे लिये कौतुक और जिज्ञासा का विषय है। इधर हमारे एक पाठ ने जमकर हिट पाये तो वह जिज्ञासा बढ़ गयी।
हम भी लगे गुणा भाग करने। पाया कि मस्तराम उसके मुकाबले एकदम फ्लाप है।

अपने खुशदीप साहब की सुनिए और बताइये कि आपके बच्चों का रोल मॉडल कौन...है

image ये मैं नहीं कह रहा...दिल्ली में पब्लिक स्कूलों के बच्चों पर किए गए एक सर्वे से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं...इस सर्वे में 13 से 18 साल की उम्र के 500 बच्चों से सवाल पूछे गए...आम धारणा यही है कि बच्चे क्रिकेटर्स और फिल्म स्टॉर्स से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहते हैं...जी नहीं सर्वे बताता है

अब " नजर-ए-इनायत "

image वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-5)-वर्ष -२००९ में जो कुछ भी हुआ उसे ब्लॉग की दुनिया ने किसी भी माध्यम की तुलना में बेहतर ढंग से नोटिस लेने की पूरी कोशिश की है। चाहे बिहार में बाढ़ हो या सुखा या फ़िर मुम्बई के आतंकवादी हमलों के बाद की परिस्थितियां

दोहरे मापदंड...-आज सुबह के अखबार में ख़बर पढ़ी कि कैसे एक उत्तर-पूर्वी लड़की की एक लड़के ने हत्या कर दी। हर अख़बार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो लड़का एक सभ्रांत परिवार का था और ख़ुद भी बहुत पढ़ा लिखा था।
image वे--दोस्तों ने कहानी का एहतराम तो किया पर साथ ही इसरार भी कि इस ब्लाग को कविता के लिये ही आरक्षित रखा जाय…तो अब कवितायें ही रहेंगी यहां…लीजिये प्रस्तुत है कोई दस साल पहले लिखी यह कविता जो बाद में साखी मे छपी) वे सबसे ऊंची आवाज़ में नारे लगाकर भर देते हैं

image तेरी रुसवाई से, मेरी बेवफाई का इल्जाम अच्छा है--यह मेरे दर्द का फ़साना, कुछ झूठा कुछ सच्चा है शब-ए-हिज्र की हैं बातें, तुम ही सुनते तो अच्छा है कहकर तो देखो कभी, परियों की बातें उनसे हर संजीदा दिल में, सहमता हुआ एक बच्चा है इसी बहाने पहचान हो गई दोस्त दुश्मनों की

image नानक वाणी में प्रेमिका हैं प्रभु !!--गुरु नानक का जन्म रावी नदी के तटवर्ती गांव तलवंडी में वर्ष 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। बाद में यह स्थान ' ननकाना साहब ' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। नानक की बड़ी बहन नानकी के नाम का अनुकरण करते हुए पिता कालू मेहता ने अपने बेटे का नाम नानक रखा

image अश्लील कौन : मकबूल फिदा हुसैन, बिहारी लाल, प्रेमचंद या कि हममैं ने कई बार कई जगहों पर पढ़ा और सुना है कि मकबूल फिदा हुसैन ने हिंदू देवी-देवताओं की कई अश्लील पेंटिंग बनाई थी। इसी कड़ी में सरस्वती की तस्वीर भी थी। गर एम. एफ. हुसैन का विरोध इसी मुद्दे पर हिंदू कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि मकबूल फिदा हुसैन वाकई
image नवदुनिया में 'चोखेर बाली'भोपाल से प्रकाशित नवदुनिया में 26 अक्टूबर 2009 को चोखेर बाली की एक पोस्ट


image "नाम के कुत्ते - काम के वफादार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")स्वामीभक्ति की  जीती-जागती मिसाल - नाम के कुत्ते -  काम के वफादार, बिन झोली के भिखारी रोटी के  चन्द टुकड़ों के लिए - स्वामी पर  जान न्योछावर करने वाले- इन सदस्यों के हवाले  आज घर की पूरी रखवाली सौंपकर दिल्ली जा रहा हूँ।
राखी सावंत की रंगरेलियां, अभिभावक परेशानराखी और कंट्रोवर्सी का तो चोली-दामन का साथ है। वैसे भी रियालिटी शो पति, पत्नी और वो के चलते राखी कई बार चर्चा में आ चुकी हैं। लेकिन इस बार राखी के साथ उनके मंगेतर इलेश भी सुर्खियों में हैं।
image ताना न मारो मोहे तीर लागे ....

आज और इस क्षण मन कर रहा है कि एक पसंदीदा गीत को साझा किया जाय। कुछ सुना जाय , कुछ बुना जाय !अब कि ऐसे समय में जब चारो तरफ लगभग भुस - सा भरा हुआ है और जिसे देखिए वही अपने ही भीतर के हाहाकार से हलकान है और दोष बाहर के दबावों , प्रलोभनों , उठापटक को दिए


अब दीजिये इजाजत कल फिर मिलेगे
नमस्कार

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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