Friday, October 02, 2009

गांधी जयंती की शुभकामनाये (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

.................. नमस्कार , गांधी जयंती की शुभकामनाये - आप सब को !!! .....................
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कौतूहल एक धुआँ है

उपजता है तुम्हारी दृष्टि से,

मैं उसमें अपनी आँखे मुचमुचाता

प्रति क्षण प्रवृत्त होता हूँ

आगत-अनागत के रहस लोक में


बैठी थी गुमसुम सी मैं नदी के किनारे,





दिल में उमंग और आँखों में सपने लि,खो गई उन ख़ूबसूरत वादियों में,





उम्मीद की किरण को साथ दिल में लिए !




ता. 23 बुधवार की रात को मैं लिखने बैठा. कई बार कई तरह से लिखा और फाड़
डाला. बहुत रात बीत गई. नींद भी नहीं आती थी. दिमाग चक्कर काट रहा था. मन,
जहाज़ का पक्षी हो रहा था. यकायक एक शैली सूझ पड़ी. लिखने लगा. भाव टपकने
लगे. धारा चली. मन तृप्त हो गया. अग्रलेख पूरा करके सो रहा. सुबह उठते ही
सेठजी ने मांगा. तब डरते-डरते ही दिया ; किंतु ईश्वर ने लाज रख ली. सब ने
पसन्द किया. शीर्षक था – ‘आत्म-परिचय’.






वैसे भी हम भारतीय लोग किसी अच्छा काम करनेवालों की टांग खिचाई करने मैं पीछे नहीं रहते !




यूँ तो हम हर साल दशहरा मनाते हैं,




रावण के पुतले को पटाखों से सजाकर, सामूहिक उत्सव में धूमधाम से जलाते हैं।




और नकली रावण को जलाने के लिए अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,




My Photo




पटाखों की हर आवाज के साथ, रावण अट्टाहास करता है, क्योंकि भारत में कई कलियुगी रावण,




बड़े मजे से राज करता है।।
सभी आनन फानन मे उधर दौदे साथ वाला फौजी अपनी गाडी ले आया। ये ट्यूवेल इसी
गाँव के आखिरी खेत पर था साथ मे दूसरा गाँव बेला पुर की जमीन पडती थी।
वहाँ भी एक टयूवेल था।रिचा को देख कर एक बार तो सब की रूह काँप
गयी।शरीर पर कई जगह चाकू के निशान भी थी।सारे कपडे खून से सने थे मुँह पर
खरोंचों से खून रिस रहा था......
पुरी कहानी यहाँ पढिये





वो कमियां हमारी गिनाते रहे
हम गिनने में गड़बड़ाते रहे







वो खताएं हमारी बताते रहे
हम हैं कि 'अदा से मुस्काते रहे






ज़िन्दगी के होने से, कायनात नही होती,

होती तो है मुलाकात, पर मुलाकात नही होती।





वही मौसम, वही मंज़र, वही फुर्सत, वही तुमभी,

और होती हैं सब बात, 'वही' बात नहीं होती।






आदरणीय मा साहब...सादर चरण स्पर्श ।अपने पिछले प्रवास में मैनें ग्राम विद्यालय की जो
स्थिति देखी ,....मुझे खुशी है कि ...शायद अपने जीवन में ये पहली बार था
कि.....मुझे सुखद अनुभव हुआ.....भवन का जीर्णोधार हो रहा
था.....विद्यार्थियों की संख्या भी बढ रही थी.....और सबसे अच्छी बात जो
लगी ....वो ये कि...अध्यापकों की जो कमी महसूस हो रही थी....उसे आपने अपने
किसी निजि अनुदान से ...कुछ नवयुवकों को पढाने का जिम्मा देकर पूरा करने
का जो प्रयास किया...वो तो अपने आप में अनुकरणीय है।


मन में सुलगते जवाब रख

दिल में अपने हिसाब रख



वक्त का घोड़ा किस तरह दौड़े

पैरों में अपने रकाब रख



तेरी आँखें वो लोग पढ़ लेंगे

ख्वाबों पे अपने नकाब रख

पतझड़ कैसा होता है, यह मैं जान गया हूं। पेड़ के सूखने पर उसे कैसा महसूस
होता है। यह भी मुझे मालूम हो गया। इंसान और पेड़ सूखने पर एक जैसे लगते
हैं। दोनों तरफ जर्जरता है, नीरसता है, और आखिरी वक्त का इंतजार। मगर एक
जस्बा है जिसने सूखे ठूंठ को भी इतना बल दिया हुआ है कि वह बाधाओं से



मुकाबला करने की रट लगाए है।


गांधी को जब बेचते रोज सियासतदान
तब तो उफ करता नहीं नेता एक महान
नेता एक महान, साथ ही फिल्म सितारे
करते 'गांधीगीरी' सिर्फ शोहरत के मारे



दिव्यदृष्टि इसलिए तजो कोहराम मुरीदो
ले बापू का नाम गोल्डन कलम खरीदो


@@@@@@@@@@@@स्वास्थय @@@@@@@@@@@@@



गलत खानपान , स्ट्रेस और गड़बड़
लाइफस्टाइल के चलते आजकल बड़ी तादाद में लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से
परेशान हैं। अगर वक्त रहते कंट्रोल न किया जाए तो हा
ई बीपी कई गंभीर
बीमारियों की वजह बन सकता है। हाई बीपी एक ' साइलंट डिज़ीज ' है यानी
ज्यादातर लोगों में इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। ऐसे में जब तक बीपी
की जांच न हो , तब तक उन्हें पता ही नहीं लग पाता।


.................................................यादें ..................................................



माधवी....तुम मेरी पहली पक्की सहेली थी! मुरैना के स्कूल में हमने
एक साथ पहली क्लास में एडमिशन लिया था! तुम मेरी पहली दोस्त बनी थीं!

आज तुमसे अलग हुए शायद पच्चीस साल हो गए ....अब शायद सामने भी आ जोगी तो
नहीं पहचान पाऊँगी! मुझे अभी तक तुम्हारा चौथी कक्षा वाला चेहरा याद है!
और तुम्हारे चिडिया के घोंसले जैसे घने घने बाल...हम सब तुम्हे चिढाया
करते थे लेकिन दरअसल तुम्हारे बाल हम सबसे अच्छे थे ...

......................................... प्यार क्या है .........................................................




एक बड़ा अजीब सा प्रश्न है। पिछले दिनों इमरोज जी का एक इण्टरव्यू पढ़ रही
थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब वे अमृता प्रीतम के लिए कुछ करते थे तो
किसी चीज की आशा नहीं रखते थे। जाहिर है प्यार का यही रूप भी है, जिसमें
व्यक्ति चीजें आत्मिक खुशी के लिए करता है न कि किसी अपेक्षा के लिए। पर
क्या वाकई यह प्यार अभी जिन्दा है? हम वाकई प्यार में कोई अपेक्षा नहीं
रखते। यदि रखते हैं तो हम सिर्फ रिश्ते निभाते हैं, प्यार नहीं? क्या हम
अपने पति, बच्चों, माँ-पिता, भाई-बहन, से कोई अपेक्षा नहीं रखते।...सवाल
बड़ा जटिल है पर प्यार का पैमाना क्या है? यदि किसी दिन पत्नी या प्रमिका
ने बड़े मन से खाना बनाया और पतिदेव या प्रेमी ने तारीफ के दो शब्द तक नहीं
कहे, तो पत्नी का असहज हो जाना स्वाभाविक है। अर्थात् पत्नी/प्रेमिका
अपेक्षा रखती है कि उसके अच्छे कार्यों को रिकगनाइज किया जाय.....
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वे तुम्हारी पागल रातों में
तलाशती हैं अपनी छूटी हुई लिपस्टिक
और यकीन करती हैं, तबाह होती हैं



वे चली जाना चाहती हैं
और लौट आना भी,
वे किसी गहरे रंग की पतंग पर बैठकर
.........................................कार्टून जगत ........................................................................






[swineflu[2].jpg]...................................................................................................



स्पैम याने कि कचरा टिप्पणी क्या होती है




इंटरनेट से सम्बन्धित एक शब्द है स्पैम। स्पैम का अर्थ है रद्दी या कचरा। इंटरनेट में कुछ दुष्ट प्रकृति के विघ्नसन्तोषी लोग दो प्रकार के कार्य करते हैं पहला स्पैम ईमेल भेजना और दूसरा स्पैम टिप्पणी करना इनका कार्य ही है नेट में यहाँ वहा कचरा फैलाते रहना।
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बादलों में गुस्ताख़






रावण दहन का दिन था.. घर के लोग पूरा जोर लगा रहे थे कि रावण के पुतला दहन
हो तो उसका चश्मदीद मैं भी बनूं। लेकिन मुझे रावण से बहुत सहानुभूति रही
है। सहानुभूति के कारणों का हवाला बाद में दूंगा लेकिन सच तो यह है कि
रावण दहन का दॉश्य मुझसे झेला नहीं जाता।
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परिचय नामा . ताऊ डाट इन पर
सुश्री प्रेमलता पांडे
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खबर-ए -खाश
लगातार दो बार अपने बच्चों को बेचने की घटना हैरान करती है, वह मामूली
राशि के लिए। भव्या कहती है, मैं बच्चे बेच नहीं रही हूं। बस उनकी परवरिश
बेहतर हो जाए। ओह... यह कैसी परवरिश होगी, जो मां के बगैर हो और कैसी
दुनियादारी कि जहां धन है, वहां बच्चे नहीं और जहां बच्चे हैं वहां धन
नहीं। धन के गणित ने बच्चों से उनके माता-पिता छीन लिए। यहां यह भूमिका
यमराज ने नहीं, माया ने अदा की है। जयपुर में ऐसी कई भव्याएं हैं। त्योहार
के इस शुभ मुहूर्त में जीवन भी बिक रहे हैं।?
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अब आज का नमस्कार , कैसा लगा हमारा प्रयास जरूर बताये !

12 comments:

Himanshu Pandey said...

लगभग सभी पढ़े हुए लिंक आ गये हैं इस चर्चा में । चर्चा का विस्तार भी ठीक है । आभार ।
गांधी जयंती की शुभकामनायें ।

Arvind Mishra said...

और मेरी कहाँ गयी ?

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

कलेवर और चर्चा दोनों अति उत्तम ! बधाई।

'मोनालिसा भउजी' तो कमाल की हैं। डिज़िटल चितेरे को बधाई।
ब्लॉगरों के नाम न देने की अदा भी भा गई।

अनूप शुक्ल said...

बहुत बढिया प्रयास है।

Khushdeep Sehgal said...

देश के दो लाल...एक सत्य का सिपाही...दूसरा ईमानदारी का पुतला...लेकिन अगर आज गांधी जी होते तो देश की हालत देखकर बस यही कहते...हे राम...दूसरी ओर जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी भी आज होते तो उन्हें अपना नारा इस रूप मे नज़र आता...सौ मे से 95 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान...

दर्पण साह said...

कैसा लगा हमारा प्रयास जरूर बताये !

...hamesha ki tarah jaandar !!

Shaandar !!

har blog ko ja ja ke padhta hoon !!

ताऊ रामपुरिया said...

वाह मिश्राजी, आज तो फ़िर से कमाल की चर्चा की आपने. बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

रामराम.

Meenu Khare said...

बहुत बढ़िया चर्चा, अलग अन्दाज़ में.

अजय कुमार झा said...

पंकज जी ...देख रहा हूं..निखार बढता जा रहा है..और मज़ा भी..जारी रखिये...

स्वप्न मञ्जूषा said...

Pankaj Babu aap bhi kaisa gazabwa dhaate hain
Gandhi Baba ko ham god lagte hain
Mona Bhauji ka darshan karate hain...
kamal ka charcha aap chalate hain
dekhiye na sab to yahi batate hain..
shaandaar...
HAPPY BIRTHDAY BAPU !!!!

Randhir Singh Suman said...

nice

मुकेश कुमार तिवारी said...

पंकज जी,

अच्छी चर्चा है और ब्लॉगों का व्यापक कव्हरेज करते हैं, जमे रहिये और लिखते रहिये।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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