Sunday, November 01, 2009

कई सपने संवर कर टूट जाते, रात भर में अब, सुबह के गुनगुनाने की, कभी नौबत नही आयी.(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार .......पंकज मिश्रा/मिश्र ..........अपनी चर्चा लेकर .पोस्ट आपकी चर्चा हमारी .....
एक कहानी बताता हु ...हमारे बीच   के ही एक ब्लॉगर है ...जब भी कही भी दो लोगो में विवाद होता था तो ओ अपने ब्लॉग पर वडे मनोरंजक तरीके  से पेश करते थे ...अब नौबत ये आ गयी कि आज श्री मान खुद से फसे है ...फसे क्या है किसी की बचकानी का सजा भुगत रहे है ....ये हिन्दी ब्लॉगर नहीं है ये हमारे गाय के टांग तोडू सेक्टर सदस्य है .....
चर्चा की शुरुआत टिप्पू चच्चा के टिप्पणी चर्चा के साथ .......
टिप्पणी चर्चा और टेम्पलेट सत्याग्रह जो कि टिप्पू चच्चा के द्वारा चलाया जा रहा है ....

ऊर अगर आपको इस लडाई का अंत करने का मन है त हमारी मांग इहां बता देत हैं..काहे से कि आपने हमको जो सलाह दी है उसका मर्म हम समझ रहे हैं…अऊर इसीलिये ई कदम आपका तरफ़ बढा रहे हैं कि अगर आप लोग सुलह चाहत हैं त हमका क्या पागल कुत्ता ने काटा है जो हम जबरिया लडेंगे? हमरा पास भी टाईम की बडी कमी है . सारा दिन आफ़िस मा खिटिर पिटिर करो..छुट्टी वाले दिन ई आपकी टेंपलेटवा की खिटिर पिटिर...आफ़िस मा कोई पकड लेगा तो अच्छी भली हमरी सरकारी नौकरिया की बार्ह बज जायेगी? इसलिये हमारी शर्तें नीचे लिखी हैं। हों मंजूर तो बोलिये मालिक?

गिरिजेश राव के लेखनी में जादू है ...यह बात सही  है  -बड़ी होती स्कॉलर बेटी

image ये धरती मुहम्मद की कब से हो गई? अगर इस्लाम की ही बात करनी थी तो मुहम्मद ही मिले थे? राम और मुहम्मद को इकठ्ठा कर क्या कहना चाहता है रचयिता? दोनों की संगति कहाँ बैठती है? राम ने आदर्शों को जिया, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। मुहम्मद ने एक मजहब चलाया और अपने जीवन काल में ही उसका बाइ हुक या क्रुक प्रचार प्रसार किया। मुहम्मद के चलाए मजहब में तो इंसानों को बाँट कर भेदभाव को क़ोडिफाई तक कर दिया गया है। फिर ये भेदभाव न होने के सन्दर्भ में वह कहाँ से संगत हो जाते हैं? सेकुलरी साधारणीकरण के जोश में हम जाने कितना कूड़ा करकट बच्चों के जेहन में भरते जा रहे हैं! उनके मन मस्तिष्क में एक निहायत ही अवास्तविक दुनिया बिठा रहे हैं। सचाई ठीक उलट है। ये बच्चे जब वास्तविकता का सामना करेंगे तो उन्हें अपने प्रतिमानों को बदलने और दुहराने में कितनी मानसिक यातना भुगतनी होगी - हम यह क्यों नहीं सोच पाते? हम उन्हें सही क्यों नहीं बताते? सच से कैसे नुकसान के होने से हमें डर है? हम इतने कमजोर हैं कि अपनी संतति को सच बता भी नहीं सकते और प्रार्थना सच का दम भरने की गवाते हैं ! हम किसे धोखा दे रहे हैं ?

अदा जी की बात में भी दम है

बात वो दिल की ज़ुबां पे कभी लाई न गई
चाह कर भी उन्हें ये बात बताई न गई
नीम-बाज़ आँखें भी बरसतीं हैं मेघ लिए
आब तो गिरता रहा पर आग बुझाई न गई
कौन है हम, हैं कहाँ,क्यों हैं ये पूछा तुमने
थी खबर हमको मगर तुमसे बताई न गई
दर्द का दिल पे असर कैसा है मुश्किल गुजरा
बात यूँ बिगड़ी के फिर बात बनाई न गई

संगीता पुरी जी शायद ब्लागजगत में चल रहे युद्ध को समझ गयी है और बतायी  है कि  क्षमा मांग पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता !!

एक गांव में एक छोटा सा बच्‍चा रहा करता था। एक दिन उससे गल्‍ती हो गयी , उसने अपनी दादी जी को भला बुरा कह दिया। फिर क्‍या था , सभी ने उससे अपनी दादी जी से माफी मांगने को कहा। वह दादी जी से कुछ दूरी पर बैठा था , जमीन को बित्‍ते(हाथ के अंगूठे से छोटी अंगुली तक को फैलाने से बनीं दूरी) से नापते हुए दादी जी की ओर आगे बढता जा रहा था । मुश्किल से दो तीन बित्‍ते बचे रह गए होंगे कि दादी जी ने उसे अपनी ओर खींच लिया और गले लगाते हुए कहा कि बेटे तुझे

और जब हमारे .....महाराज को पछतावा होगा इस ब्लॉग युद्ध पर तो उन्हें रतन जी और उनकी बात याद आयेगी कि--काश उन मामलों को मै ऐसे निपटाता !

निर्णय करते वक्त राम सिंह ने मानवीय पक्ष दरकिनार करते हुए सिर्फ कारखाने का पक्ष देखा | आज राम सिंह को अपने द्वारा किये गए गए गलत निर्णयों का वीभत्स चेहरा नजर आने से वह अन्दर तक हिल चूका है और सोचता है कि उन मामलों में मानवीय पक्ष देखकर भी तो मै कोई

सदा की भी बात सुनिए उनका कहना है कि  टूटना शुभ होता है कांच का ....

कुछ दिन पहले ही  मेरे एक, मित्राने मेरा रक्त चाप नापा था और बताय था कि बढ़ रहा है .....विश्वस्त सूत्रों से पता चला है चच्चा टिप्पू सिंह के टेम्पलेट युद्ध से कई लोगो का रक्त चाप बढ़ गया है ...पढिये ये खबर उच्च रक्तचाप से पीड़ितों की संख्या बढ़ी

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेसर ) और ब्लड सुगर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में। लेकिन भारत में तुलनात्मक दृष्टि से इन रोगों के मरीजों की संख्या तीन गुनी है। वजह है- अनियमित खानपान। इन दिनों चाऊमिन, बरगर और पित्जा से लेकर तरह- तरह के पकौड़ों का चलन है। इनमें पोषक तत्व कितने हैं, यह शोध का विषय है। लेकिन जानकारों का मानना है कि फास्ट फूड खाना सेहत को खराब करना है। वैसे भी सदियों से डाक्टर कहते आए हैं कि ज्यादा तला या फ्राई किया हुआ खाना पाचन प्रणाली को बिगाड़ता है। लेकिन आजकल फास्ट फूड ही चलन में आ गया है। फुटपाथों पर चाऊमिन की दुकानों पर भीड़ रहती है। छोटे शहरों में भी चाऊमिन की बहार है। इसमें पोषक तत्व न के बराबर रहता है। सिर्फ पेट भरता है। दूसरी वजह है- ब्रेड के साथ सॉस और जेली खाने आदत। आजकल अक्सर लोग ब्रेड पर ये चीजें लगाते हैं और चाव से खाते हैं। ऐसी चीजें लगातार और खूब खाने से ब्लड सुगर बढ़ता है जिसे हम हिंदी में रक्त शर्करा कहते हैं।

रविकांत  जी ने भी बताया है कि  आंसुओं में डूबकर उस पार जाना चाहता हूं.....

image क्या कविता के लिये विषय का इतना अभाव हो गया है कि कवियों को अपनी समस्त प्रतिभा ये बताने में नष्ट करनी पड़े कि किसी अभिनेत्री ने विदेशी को चुंबन देकर भारतीय संस्कृति का अपमान किया है। और बताने का ढंग भी ऐसा कि साफ समझ आता है कि उन्हे भारतीय संस्कृति से तो क्या लेना देना ? असल पीड़ा तो ये है कि इस उपहार से वे क्यों वंचित रह गय? उनका दर्द कि हम भारतीय क्या मर गये थे? अब चूंकि ये दर्द तो कई भारतीयों का है इसलिये तालियां तो खूब मिली बस कहीं कविता भर न मिली।

चलिए कविता के समंदर में ....हम ये नहीं कहेगे कि कविता कोना क्युकी कोना तो छोटा होता है जी:)

विनोद पाण्डेय जी की कविता
कभी नौबत नही आयीimage

कई सपने संवर कर टूट जाते, रात भर में अब,
सुबह के गुनगुनाने की, कभी नौबत नही आयी.
बाप बनकर जिसे सदा दी,जिंदगी के हर मोड़ पर,
उसे हक़ भी जताने की,कभी नौबत नही आयी.
जीवन पथ पर चलता रहा, कंधे पर बोझ लिए,
चहक कर मुस्कुराने की,कभी नौबत नही आयी.

पुकारimage

ढ़ोंग रचाकर जनसेवा का निज-सेवा करते जन-नायक।
राष्ट्र-द्रोह को राष्ट्र-प्रेम की संज्ञा देते हैं नालायक।।
घोटाला अब राष्ट्र-धर्म है पशुता बनी राष्ट्र की भाषा।
निश्चित सबकी टूट चुकी है राम-राज्य पाने की आशा।।

क्या कहू समीर जी के बारे में -श्री समीर लाल जी का हुक्म कौन टाल सकता है भला?!!!!!!!!!!!!!!!!!!दीपक 'मशाल'

चलो भाई आ गया है परीक्षाओं का मौसम 

आजकल परीक्षाओं का मौसम है| हमारे विद्यालय में गृह परीक्षाएं चल रही हैं|  गृह परीक्षा में  ड्यूटी करने पर पैसा नहीं मिलता इसलिए इसे कटवाने के लिए हम अपनी image सारी ताकत झोंक दिया करते हैं, हाँ अगर पैसा मिलता होता तो स्थिति इसके बिलकुल उलट होती.

जानिए अपना  मासिक भविष्यफल---------नवम्बर 2009  पं.डी.के.शर्मा"वत्स" के साथ

imageमेष राशि-शुभ तिथियाँ :- 13,21,22,25,26,29
अशुभ तिथियाँ :-  3,6,8,10,11,14,17,18,19
उपाय:- बुधवार के दिन अपने वजन के दशांश तुल्य कोई मोटा अनाज दान करें ।  श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का नित्य पाठ करें ।

व्‍यावसायिक दृष्टिकोण से यह माह आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। आप व्‍यावसायिक विस्‍तार की योजना बनाकर नए लोगों को जोड़ना चाहते हैं जिनमें से कुछ आपके साथ जुड़ेंगे और उनका कार्य–संपादन आपको ऊंचे व्‍यावसायिक लेन–देन की ओर उन्‍मुख कर देगा। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपसे जुड़ने वाले सभी लोगों का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। मान- प्रतिष्‍ठा में वृद्धि होगी और पद संबंधी कोई नवीन जिम्‍मेदारियां आपको सौंपी जा सकती है

रामप्यारी का आज १०० वा सवाल पूछा जाएगा ताऊजी डॉट कॉम ..कल था रामप्यारी का सवाल – 99

अभी इलाहबाद सम्मलेन की बातें चल रही है पढिये एकदम चौकाने वाली बात -अब वर्धा विश्विद्यालय के सर पर काठ की हांडी फूट रही हैं ।

अब वर्धा विश्विद्यालय के सर पर काठ की हांडी फूट रही हैं । लगता हैं वर्धा विश्विद्यालय मे कोई ब्लोगिंग पर रिसर्च कर रहा होगा तभी तो किस ब्लॉगर को बुलाना हैं वो जानता होगा । पता नहीं सीधे से ये कहने मे कया नुक्सान हैं की जिसको हम चाहते थे बुला लिया ।

अब आज मेरी बात ....में मेरा एक मंतब्य है जोमैआपसे बता रहा हु ...

नाम लेना शायद कम होगा ....लेकिन यह हम सबको पता है कि ब्लॉग जगत में चल रहे  युद्ध को लेकर सभी हैरान है ..और सभी सम्मानित ब्लॉगर यही चाहते है कि युद्ध विराम हो!
ऐसे समय मे
टिप्पू सिंह द्बारा कुछ मांग है और वह माग मेरे हिसाब से वाजिब है ...

आज रविवार है और आपके पास भी ढेर सारा काम है तो इतने से  ही आनंद लीजिये ...कल फिर हाजीर होगे ....और हां एक व्यंग लिखाहू समय लगे तो  पढियेगा यहाँ जाकर प्यारे चूहे साथियो ...जागो
अब नमस्कार

 

 

 

 

 

22 comments:

दीपक 'मशाल' said...

:)

Arvind Mishra said...

अरे वाह आज की चर्चा अल्लसुबह ही आ गयी -लाभान्वित हुआ ! छूटे सूत्र यहाँ मिल गये -शुक्रिया !

शरद कोकास said...

इतवार की सुबह सुबह आपने सब को जगा दिया । चलिये अब दिन भर चर्चा होता रहेगा । धन्यवाद ।

अपूर्व said...

भई अब तो संडे का सूरज भी बेड-टी से पहले आपकी चर्चा देखना मांगता है

Randhir Singh Suman said...

nice

अजय कुमार झा said...

बहुत खूब पंकज जी रविवार की सुबह इससे खूबसूरत शुरूआत तो हो ही नही सकती थी ..बहुत सुंदर ..लगे रहिये..

विनोद कुमार पांडेय said...

हमेशा की तरह बेहतरीन और हर दिल अज़ीज जिसमें आज आपने हम जैसे नाचीज़ की कविता भी पेश की बहुत बहुत आभार आपका...चिट्ठा चर्चा दिन पर दिन और लोकप्रिय होता जा रहा है इसके लिए आपके प्रयास प्रशंसनीय है.. पंकज जी ऐसे ही सुंदर चर्चों का एक स्थान पर प्रस्तुति अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से किए है आपने ..सुबह ब्लॉगवानी ओपन करे और आपका यह पोस्ट कई सारे सुंदर पोस्टों को प्रस्तुत करता है जिन्हे पढ़ कर मन हर्षित हो जाता है....बधाई!!!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

खुशनुमा रवि्वार की शुरुवात-लेकिन कल फ़िर सोमवार है
फ़िर वही रोज का रोना धोना फ़िर वही मांझी वही पतवार है
ई सोमवार आता क्यों है?......................
सुंदर चर्चा। 36 गढ निर्माण दिवस की आप सभी को बधाई

बाबा निठ्ठल्लानंद जी said...

एकदम चौकाने वाली बात -अब वर्धा विश्विद्यालय के सर पर काठ की हांडी फूट रही हैं ।

ये तो आपने गजब का लिंक दिया. इलाहाबाद सम्मेलन पर इस लिंक से नई दृष्टि पडती है कि किस तरह चंद लोगों ने अपनी खुन्नस निकाली और असलियत क्या है?

आपकी मेहनत को सलाम कि आप ऐसे ऐसे लिंक ढूंढ कर यहां दिये हैं.

Meenu Khare said...

बहुत बढिया चर्चा. गिरिजेश जी की पोस्ट लिंक के लिए धन्यवाद.

Pramendra Pratap Singh said...

वाह यहॉं भी चिट्ठो की चर्चा हो रही है, वाह

Ambarish said...

acchi charcha.. yudh viraam ki apeel ke liye shukriya.. pichle kuch dino se jidhar bhi nikalta hun, ek na ek aise blog par pahunch hi jata hun jahan yudh chal raha ho...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

चर्चा छोटी जरूर है। मगर संयत और बढ़िया है।
बहुत-बहुत बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

धमाकेदार शुरुआत है रविवार की ....... अच्छी चर्चा .......

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वाह्! सुबह सुबह एकदम बढिया चर्चा बाँचने को मिल गई....

हमारी पोस्ट सहित अन्य सभी लिंकस भी बढिया लगे.....
धन्यवाद्!

संगीता पुरी said...

कहां फंसा रहे हैं मुझे पंकज जी .. मुझे अचानक छोटे भाई के बचपन के इस बात की याद आ गयी .. और एक पोस्‍ट लिख गया .. ये सत्‍य है .. पर इसे लिखने का कोई प्रयोजन नहीं !!

शेफाली पाण्डे said...

badhiya charcha .....thanx for adding my post

Gyan Darpan said...

हमेशा की तरह आज भी चर्चा शानदार रही | अब आपका लिखा व्यंग्य पढने जा रहे है |

vandana gupta said...

hamesha ki taraj charcha shandar rahi.

Udan Tashtari said...

ये भी उत्तम चर्चा रही. मजा आया. टिप्पू चाचा की टिप्पणी भी बांच ली. :)

स्वप्न मञ्जूषा said...

आपकी पोस्ट और चर्चा हमारी....
क्या तारीफ होगी हमसे तुम्हारी..
सब पर चली है आपकी जादूगरी
तारीफ कुछ कम कर गई टिपण्णी बेचारी.....!!!

samaj.darshanindia.blogspot.com said...

us tang toru sector member ko janane ka man kar raha hai

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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