Monday, November 02, 2009

"छुट्टी है तो कुछ हँसी हो जाए" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की )

अंक : 66
प्रस्तुतकर्ता : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की   "चर्चा हिन्दी चिट्ठो की " का प्रारम्भ मैं "छुट्टी है तो कुछ हँसी हो जाए"  से प्रारम्भ करता हूँ-
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अजी हम ने लिया विंडो ७ से पंगा, क्या आप के पास कोई हल है इस का..नमस्कार, आप सभी को, मेरे नया लेपटाप वीरवार यानि २९/१० को आ गया, देखने मै बिलकुल किसी सुंदर सी दुलहन की तरह.... फ़िर हम ने धीरे धीरे उस का घुंघट यानि उस की पेकिंग खोली, साथ मै किताब तो थी ही नही जो पढ पाते, फ़िर उसे खुब निहारा, ओर बच्चो का इंत्जार करने लगा, दिल ना माने , बार बार घडी देखाता, कभी सोचता खुद ही चला लूं...
अब अन्य चर्चाओं की ओर बढ़ते हैं-

सलाम डा. अमरकुमार जी और सलाम चच्चा टिप्पू सिंह जी-

फ़िर कल ही दोपहर में पता चला कि टिप्पू चच्चा के रोहित ने भी एकदम से वही टेम्पलेट लगा दिया ...चच्चा टिप्पू सिंह और रोहित बबूआ ने मिलकर टेम्पलेट बदल दिया तो मुझे डबल रोना आया अपने इस आधे अधूरे ज्ञान पर ....क्युकी मै तो एकदम से यह मान बैठा था कि यह टेम्पलेट इंटरनेट पर उपलब्ध हो ही नही सकता जबकि चच्चा ने तो डाऊनलोड लिंक ही थमा दिया पोस्ट में.

रामप्यारी का शतकीय सवाल – 100  हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज रामप्यारी के सौवें सवाल मे आपका हार्दिक स्वागत है. रामप्यारी ने ताऊजी डाट काम का चार्ज लिया है तबसे रामप्यारी द्वारा पूछी जाने वाली यह सौवी पहेली है. आज के विजेता को दिया जायेगा जिनियस गोल्डन सर्टीफ़िकेट............
राम-भरत मिलाप - अयोध्याकाण्ड (23)
अनेक प्राकृतिक शोभा वाले दर्शनीय स्थल चित्रकूट पर्वत पर स्थित थे अतः चित्रकूट में निवास करते हुये राम उन दर्शनीय स्थलों का सीता को घूम-घूम कर उनका दर्शन कराने लगे। भाँति-भाँति की बोली बोलने वाले पक्षियों, नयनाभिराम पर्वतमालाओं तथा उनकी शिखरों, विभिन्न प्रकार के फलों से लदे हुये वृक्षों को देखकर सीता अत्यन्त प्रसन्न हुईं। ऐसे ही जब एक दिन राम प्राकृतिक छटा का आनन्द ले रहे थे तो सहसा उन्हें चतुरंगिणी सेना का कोलाहल सुनाई पड़ा और वन्य पशु इधर-उधर भागते हुए दृष्टिगत हुए। इस पर राम लक्ष्मण से बोले, "हे सुमित्रानन्दन! ऐसा प्रतीत होता है कि इस वन-प्रदेश में वन्य पशुओं के आखेट हेतु किसी राजा या राजकुमार का आगमन हुआ है। हे वीर! तुम जाकर इसका पता लगाओ।..
अलबेला खत्री जी ने जो जवाब मौ.उमर कैरानबी को दिया वह आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं-



रोटियाँ माँ जैसी....तो आटा बाप जैसा ...........




हर आदमी को अपनी माँ के हाथ की रोटियां पसन्द होती हैं, मुझे भी है । मैंने कल अपनी पत्नी से कह दिया - रोटियां मेरी माँ जैसी बना दिया कर । वो बोली - बना दूंगी....... आटा अपने बाप जैसा गूँथ दिया कर __हा हा हा हा हा हा हा
गजल(इयत्ता से...)
यूं कितने बेजान ये पत्थर
लेकिन अब इंसान ये पत्थर !
मोम सा गलने की कोशिश में
रहते हैं हलकान ये पत्थर।
......................... (संदीप नाथ की यह गजल “दर्पण अब भी अंधा है” संग्रह से।)

'रीढ़ की हड्डी' है कि नहीं ....??

सुना कि २९ अक्टूबर को राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल गयी थीं लन्दन, महारानी एलिजाबेथ से कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 'बैटन' लेने के लिए.... क्या हो रहा है....??क्या हम दिमागी तौर पर इतने ज्यादा गुलाम हो गए हैं कि अपने इतिहास को ही भूल गए हैं.......???............
कल के मैच में किसकी होगी बल्ले-बल्ले ??

कल के मैच में भारत की जीत के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बधाई ! मेरे द्वारा तीन दिनों से क्रिकेट मैच के बारे में की जाने वाली संभावनाओं की अच्‍छी खासी सटीकताको देखकर आपलोग ग्रहों के क्रिकेट मैच पर पडनेवाले प्रभाव के प्रति अवश्‍य आश्‍वस्‍त हो गए होंगे। इस कारण कल के मैच के बारे में भी मेरे द्वारा की जानेवाली विवेचना का

अमेरिका से 'देवी' नागरानी की दो ग़ज़लें


चमन में ख़ुद को ख़ारों से बचाना है बहुत मुश्किल बिना उलझे गुलों की बू को पाना है बहुत मुश्किल
कभी महसूस की गुलशन में तुमने ख़ार की ख़ुशबू कहीं कागज़ के फूलों से है आती प्यार की ख़ुशबू
यह पोस्ट फिलहाल अंग्रेज़ी में है।
FAQs relating to work related visas issued by India
Introduction
In recent weeks, several queries have been raised about the type of Visas issued by India to foreigners for work related visits. It is clarified that basically there are two (2) types of work related Visas, namely:-
1. Business Visa designated as ‘B’ Visa
2. Employment Visa designated as ‘E’ Visa

अब देखिए- श्री बी.एस.पाबला जी का ब्लॉग बुखार


टिप्पणियों के सम्पर्क में रहने हेतु कुछ व्यवहारिक बातें

हमेशा की तरह विभिन्न प्रकार के मुद्दों पर इन दिनों हिंदी ब्लॉग जगत में हलचल हो रही है। कई विवादित मुद्दे भी हैं। ऐसे ही एक मुद्दे वाली पोस्ट पर एक ब्लॉगर साथी द्वारा की गई टिप्पणी पर आ रही उत्तेजित प्रतिक्रियायों के बारे में, मैंने बात करनी चाही तो वह हैरान परेशान हो गया। उसका कहना था कि मैं तो टिप्पणी लिख कर आ गया था, अब बाद में क्या हुआ मुझे कुछ मालूम नहीं
नेता बनेगा शूटर बजरंगी.....का जी ब्लागर बनते न.....?
खबर :- नेता बनना चाहता है शूटर मुन्ना बजरंगी नज़र:- लो ...ई भी नेता ही बनना चाहता है...कितना प्यार करता है भारतीय लोकतंत्र से । कभी कभी तो हमको लगता है कि हमसे जादे तो ई लोगन को देश और समाज के प्रति प्रेम है..देखिये तो जतना ई टाईप और ऊ टाईप लोग ..एक्टिव सर्विस से पकडा जाता है फ़ट से अपना असली काम को जाहिर कर देता है।..भैया मुन्ना बजरंगी अब तुम ई तय करिये लिये तो ई भी बता देते कि पर्टिया कौन ज्वाईन करोगे......?
किसकी चादर मैली...खुशदीप

इस फिल्म का नाम है ...एक चादर मैली सी...ये फिल्म राजेंद्र सिंह बेदी के लिखे और 1965 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता नॉवल...एक चादर मैली सी...पर बनाई गई थी...बेदी साहब इस नॉवल पर 60 के दशक में गीता बाली और धर्मेंद्र को लेकर खुद फिल्म बनाना चाहते थे...लेकिन गीता बाली की मौत की वजह से बेदी साहब को अपना इरादा छोड़ना पड़ा...बेदी साहब के सपने को 1986 में निर्देशक सुखवंत ढढ्डा ने पूरा किया...फिल्म का सार इस प्रकार है...

लोग

नशा जिंदगी का अभी उतरा नही शायद वक्त के साथ लोग सिर्फ़ अपने पैमाने बदल रहे है खत्म नही हुई है अब तलक जिंदगी की प्यास लोग जरुरत पड़ने पर मयखाने बदल रहे है ॥



नैनीताल फिल्म फेस्टिवल
सात और आठ नवंबर को पहला नैनीताल फिल्म फेस्टिवल होने जा रहा है. थीम है प्रतिरोध का सिनेमा. जगह है शैले हॉल, नैनीताल क्लब, मल्लीताल. इसमें देश और दुनिया की कई महत्वपूर्ण फिल्में दिखाई जाएंगी. नेत्र सिंह रावत और एनएस थापा को समर्पित इस फेस्टिवल को युगमंच, जन संस्कृति मंच और द ग्रुप मिलकर कर रहे हैं. आसपास रहने वाले
नरेद्र मोदी को स्वाइन फ्लू पर गुजरात पुलिस ने क्या कहा ?



"हे प्रभु यह तेरा-पथ"

अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी
बहुत अन्तराल के बाद "हे प्रभू" पर कुछ लिख पा रहा हू। आज मै आपको जैन तेरापन्थ धर्म सघ के आचार्य तुलसी द्वारा चलाऍ गऍ अणूव्रत आन्दोलन को जानने की और फिर अपनाने की कोशिश करेगे। जैसे इससे पुर्व मे आपने इसी ब्लोग पर आचार्य तुलसी के बारे मे विस्तृत रुप से पढ चुके है। ११ वर्ष की उम्र मे साधू दीक्षा, २२ वर्ष छॉटी उम्र मे आचार्य पद यह विलक्षणता उन्ही मे देखेने को मिल सकती है जो सुपर पॉवर होते है। १९४७ देश आजादी के जश्न मे डूबा हुआ था । और इस फकीर महात्मा सन्त को फिकर थी देश मे फैली अराजकता की और गिरते नैतिक मुल्यो। अणूव्रत आन्दोलन के माध्यम से राष्ट्रपतिभवन से लेकर गरिब के झोपडे की कुण्डी को खटखटाने वाले महान आचार्य गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी का यह आन्दोलन आज भी प्रासगिक है। देखते है आखिर ६० वर्षो पुर्व से चल रहे इस आन्दोलन मे मनुष्यप्रजाति का क्या कुछ भला हो सकता है ?
"किसी ने कभी लिखा ही नही"
मुझे इंतज़ार है
उस एक ख़त का
जिसमें मजमून हो
उन महकते हुए
जज्बातों का
उन सिमटे हुए
अल्फाजों का
उन बिखरे हुए
अहसासों का
जो किसी ने
याद में मेरी
http://photos1.blogger.com/x/blogger2/1947/271686636734823/1600/z/854553/gse_multipart43866.jpg
भारतीय पाठक आगे हैं नेट यूजर से
जगदीश्‍वर चतुर्वेदी ♦ भारतीय मीडिया परिदृश्य में 2006 तक इंटरनेट के ग्राहकों की संख्या सवा तीन करोड़ से ज़्यादा थी। इनमें दो करोड़ दस लाख नियमित ग्राहक हैं। तकरीबन 59 मिलियन पीसी साक्षर हैं और ये इंटरनेट विज्ञापनों के लक्ष्यीभूत श्रोता
Is DEV DEEPAVALI COMMUNAL!
क्या देव दीपावली साम्प्रदायिक है?
दो दिन पूर्व ही ज्ञानदत्त पाण्डेयजी के ब्लाग ‘मानसिक हलचल’ पर देव दीपावली की पोस्ट पढ़ी थी। इस विषय पर उन्होंने गंगा तट पर फैले कचरे के बारे में भी लिखा था
कविता फूल
नीले- पीले हरे रंग- बिरंगे ,
फूल है जैसे हर रंगो से रंगे .....
बाग में फूल है हर रंग के अनेक ,
बाग में है सब एक .....
रंग- बिरंगे हरे नीले- पीले ,
फूल है सभी बाग में खिले ...

चिठ्ठी चर्चा : बन्दूक चलाने से पहले जरा मजबूती से खड़े तो होइए.....
आज रविवार का दिन है और मेरे लिए आपकी चिठ्ठी लिखने का दिन है . आज कई चिठ्ठो का अवलोकन किया जिनका उल्लेख करने का मैंने यथासंभव प्रयास किया है . चर्चा के पूर्व सामयिक विषयो पर चर्चा करना जरुरी है - आज हमारा प्रदेश मध्य प्रदेश अपनी स्थापना के ५३ वर्ष
शतरंज के खेल में वे ऊँट पसन्द नहीं करते
अक्सर हम इस बात की चर्चा करते हैं कि फलाना आदमी सीधा है या टेढ़ा । किसी से मिलने से पहले यह हमारी स्वाभाविक उत्सुकता होती है ताकि हम उस व्यक्ति से मिलने का तरीका तय कर लें । किसी सरकारी दफ्तर में जाने से पहले यह जानना बेहतर होता है कि साहब सीधा है या टेढा । लोग अक्सर किसी व्यक्ति के बारे में अपना अभिप्राय प्रकट करते हैं.. बड़ा सीधा आदमी है ..गऊ है बिलकुल गऊ। मतलब चाहे जैसे मूँड लो  या फिर इस तरह कि ..बड़ा टेढ़ा आदमी है भाई जरा सम्भल के ।
एको रसः करुण एव -क्या सचमुच ?
कवि सुमित्रानंदन पन्त ने  करुणा के महात्म्य को कुछ यूं बुलंद किया -वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान ,उमड़ आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान ! शायद  वाल्मिकी को ही स्मरण  कर रहे थे वे ....अब भवभूति के भाव को  भाव न देने की मेरी क्या बिसात  है मगर इस अकिंचन को सदा लगता रहा है कि करुणा नहीं  मनुष्य का प्राबल्य भाव श्रृंगार होना चाहिए !  क्योंकि दुःख ,करुणा तो मनुष्य का चिर  साथी है -यह दुनिया दुखमय ही है -महात्मा बुद्ध भी कह गए हैं
विबिया टूलबार बढ़ावा दे आपके ब्लॉग को
से आप एक टूलबार देख रहे होंगे | ढेरों विशेषताओं वाले इस टूलबार को आप भी अपने ब्लॉग पर आसानी से लगा सकते है | इसके लिए आपको विबिया.कॉम पर अपना खाता बनाना होगा | खाता बनाने के एक दो दिन बाद आपको विबिया से मेल द्वारा निमंत्रण मिलेगा
अपनी ही तलाश ! पॉङ्वखोली, Uttarakhand Part -2
दुसरे दिन सुबह हमने द्वाराहाट से दूनागिरि मंदिर की तरफ प्रस्थान किया ....कहानी है की...जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे और हनुमान जी उनके लिए संजीवनी बूटी लेकर वापस आ रहे थे, तब द्रोणॉचल पर्वत का इक हिस्सा यहाँ पर टूट कर गिर गया था.....फिर बारहवी शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने यहाँ पर माँ भगवती की मूर्ति स्थापित कर दी।



अब दीजिये इजाजत , अन्त  में इतना ही कहूँगा कि...आज का अंक आपको कैसा लगा अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये......कल आपसे मुखातिब होगे पंकज मिश्रा .......


सभी को श्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और 
कार्तिक पूर्णिमा (गंगा-स्नान) पर्व की बधाई!
धन्यवाद ....नमस्कार ...........

33 comments:

Khushdeep Sehgal said...

चर्चा के आगाज़ ने ही दिल खुश कर दिया...

जय हिंद...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

"चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" में स्थान पाये सभी चिट्ठाकरों को बधाई!

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने!

Gyan Darpan said...

हमेशा की तरह आज भी बेहतरीन चर्चा |

Arvind Mishra said...

प्रतिनिधि संकलन !

Mishra Pankaj said...

शास्त्री जी नमस्कार ....
सुन्दर चर्चा के साथ सुन्दर पोस्टो का संकलन

बधाई
पंकज मिश्रा

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

bahut badhiya charcha-abhar

राजीव तनेजा said...

बढिया चिट्ठाचर्चा

ताऊ रामपुरिया said...

शाश्त्रीजी इस सुघड चर्चा के लिये आपको धन्यवाद, आपसे एक गुजारिश है कि आप चर्चा के साथ अपनी एक चर्चा मय कविता अवश्य दिया करें. आपका नाम आते ही पाठक को कविता दिखने लग जाती है. यानि कविता और शाश्त्रीजी एक दूसरे के पर्याय हो गये हैं.

रामराम.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ताऊ जी!
भविष्य में आपकी सलाह का ध्यान रखा जायेगा।
सभी को श्री गुरू नानकदेव जयन्ती और
कार्तिक पूर्णिमा की बधाई!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हास्य, व्यंगय के लेखो का अद्भुत समागम !

परमजीत सिहँ बाली said...

बढ़िया चर्चा।
आप को भी बधाई।

vandana gupta said...

tau ji ne bilkul sahi baat kahi hai........aapki rachna bhi padhne ko mil jaye to gazab ho jaaye...........vaise charcha bahut hi badhiya rahi.

Ambarish said...

sundar hai charcha..

रश्मि प्रभा... said...

achhi charcha

शेफाली पाण्डे said...

badhiya hai shastree ji...

Udan Tashtari said...

बेहतरीन चर्चा.

श्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और
कार्तिक पूर्णिमा (गंगा-स्नान) पर्व की बधाई!

दीपक 'मशाल' said...

:)

Unknown said...

aapka laakh laakh dhnyavad.shastriji..jo apne mujhe bhi yaad rakha...

guruparva ki hardik badhaai !

post kya hai bukhaar ki davaa hai

ya marusthal me aayi gili hava hai

राज भाटिय़ा said...

आप सब को श्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और
कार्तिक पूर्णिमा पर्व की बधाई! बढ़िया चर्चा।

Anonymous said...

बढ़िया रही यह चर्चा भी

बी एस पाबला

श्रीमती रजनी माहर said...

Charcha hindi chittho kee bahut badhiya rahi.
Guru parv kee badhai.

अविनाश वाचस्पति said...

छुट्टी हो या बेछुट्टी हंसी सदा रहनी चाहिए
हास्‍य की गंगा तो सदा बहती रहनी चाहिए
हंसने से मन के सभी फूल खिल जाते हैं
ओठों के भीतर से दांत सभी निकल आते हैं
उन दांतों से ही हम दुख को चबा जाते हैं
जीभ को बचाते और दांत खूब चलाते हैं
हंसने हंसाने से कभी नहीं शरमाते हैं
दुख में भी कभी नहीं गरमाते हैं।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

देव दीपावली की पोस्ट का संज्ञान लेने के लिए आभार। आज स्पष्टिकरण आया है कि सरकार ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और गंगा तट के आयोजन यथावत चलते रहेंगे। देर आयद दुरुस्त आयाद:)

रंजन (Ranjan) said...

bahut sundar charchaa...badhai

nirjan said...

वाह....मयंक जी!
आप तो चर्चा भी बढ़िया कर लेते हैं।
सुन्दर चर्चा!

http:badnam.blogspot.com said...

शास्त्री जी!
चर्चा बढ़िया रही हैं।
मुबारकवाद!

देवदत्त प्रसून said...

मयंक जी!

सुन्दर चर्चा!
बहुत बधायी!

P.N.SAXENA said...

NICE.
CONGRATULATION.

Ria Sharma said...

बहुत बधाई आपको शास्त्री जी!
वैसे आप खुद ही चला लें लैपटॉप..अन्यथा बच्चे अपने हिसाब से सेटिंग कर देते हैं जी....:) भुक्तभोगी हूँ ना....:))

एक ही पेज पर कितना कुछ पढने को मिल जाता है.... चिट्ठा चर्चा इक सुन्दर आधार है !!

आपका बहुत आभार यहाँ पर मेरे ब्लॉग को भी जगह देने का !!
प्रणाम !!

Devi Nangrani said...

शास्त्री जी
आपका साधुवाद है!
होती गतिविधियों को पढ़कर लगा आपने आइना घुमाते हुए हर महफ़िल को सजाया है.
जिंदगी गुज़र बसर करने के लिये हास्य का एक अपना स्थान है जो तनाव के चहरों पर कुछ मनरंजित मुस्कान ले आए
बहुत धन्यवाद मेरी गज़लें शामिल करने के लिए

देवी नागरानी

शरद कोकास said...

चलिये अच्छा चर्चा हो रहा है ..।

SELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTION said...

★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
जय ब्लोगिग विजय ब्लोगिग
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♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
आदरणीय शास्त्री जी
चर्चा वो भी आप जैसे वरिष्ठ करे तो हम बच्चो की
तो निकल पडती है। 'मुकेम्बो' खुश हुआ जी। क्योपन्कजभाई
मै ठीक कह रहा हू ना ?
बहुत ही * * * * * स्टार वाली चर्चा रही
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

पहेली मे भाग लेने के लिऎ निचे चटका लगाऎ

कोन चिठाकार है जो समुन्द्र के किनारे ठ्हल रहे है

अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी

मुम्बई-टाईगर

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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