Wednesday, December 09, 2009

"पहले पढ़ा, अब देखिये.." (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)

अंक : 104
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"" का सादर अभिवादन!
आज "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की"  की प्रस्तुत हैः-
पहले पढ़ा, अब देखिये..बिखरे मोती के विमोचन की खबर आपको १२ अक्टूबर, २००९ की पोस्ट से दी थी.
तब से ही उस कार्यक्रम के विडियो की डिमांड लगातार आती रही. आज उसी के विडिओ प्रस्तुत कर रहा हूँ.
’बिखरे मोती’ का दीर्घ प्रतिक्षित विमोचन विगत ४ अक्टूबर, २००९ को गुरुदेव श्री राकेश खण्डेलवाल, वाशिंगटन, यू. एस.ए. के कर कमलों द्वारा गया चौहान बैन्केट हॉल, टोरंटो में समपन्न हुआ. इस अवसर पर श्री अनूप भार्गव एवं रजनी भार्गव जी, न्यू जर्सी, यू एस ए, मानोषी चटर्जी जी, शैलजा सक्सेना जी ने शिरकत की. श्रोताओं से खचाखच भरे हॉल में कार्यक्रम की शुरुवात मानोषी चटर्जी ने की. कार्यक्रम की अध्यक्षता अनूप भार्गव जी एवं संचालन श्री राकेश खण्डेलवाल जी ने किया.
यशस्वी मेरी दिल्ली यात्रा - 1 - वैसे तो दिल्ली जाना पहले भी कई बार हो चुका है पर कभी भी दिल्ली को घूमने का मौका नहीं मिला और वैसे भी दिमाग में दिल्ली की जो छवि बन चुकी थी उसके चलते कभी घू...
*युवा संवाद, भोपाल का तीन दिवसीय फिल्म शो* *8 दिसम्बर-- ग़र्म हवा * जाने-माने निर्देशक एम एस सथ्यू की १९७३ में प्रदर्शित फिल्म
जिसके गीत लिखे हैं कै...
'बाल साहित्य समीक्षा' का आकांक्षा यादव विशेषांक -बच्चों के समग्र विकास में बाल साहित्य की सदैव से प्रमुख भूमिका रही है। बाल साहित्य बच्चों से सीधा संवाद स्थापित करने की विधा है।
बाल साहित्य बच्चों की एक भ...
Hasyakavi Albela Khatri एक कवि हृदय मच्छर का बेटा - एक कवि हृदय मच्छर का बेटा जब पहली बार उड़ान पर गया और रात भर बाहर रहने के बाद सुबह लौटा तो बाप ने पूछा - कैसा रहा परफोर्मेंस ? बेटा बोला - शानदार.....
चूसता ही जा रहा दहेज मेरे देश में.......... - शादी की तारीख पक्की करने से पहले ही पक्का किया जाता है लगेज मेरे देश में तब कहीं होती है नसीब यहाँ बेटियों को ससुराल की सुहाग सेज मेरे देश में गर...
आलोक स्तम्भ आधी रात को बिस्तर में ध्यान करता है......... - क्या तुम्हें मालूम है कि सात्विक प्रकृति का मनुष्य कैसे ध्यान करता है ? वह आधी रात को अपने बिस्तर में ध्यान करता है, जिससे लोग उसे देख न सकें....
आइये पहचानें मिलकर सारे जितने थे पधारे और हुए शामिल फिर जंगल से बच कर लिए निकल। पर ब्‍लॉगिंग और हिन्‍दी नहीं बचेगी अब सदा छाई रहेगी बन कर बिन्‍दी मुंबई के भ...
अविनाश वाचस्पति मुंबई में हूं आज भी - मुंबई के मित्रों ने अपने स्‍नेह और श्रद्धा से है किया लबालब। रिपोर्ट चित्रों के साथ दूंगा दिल्‍ली पहुंचूंगा जब। पहुंचा था पूना में मिला था अमृत साधना जी से...
शब्दों का सफर सब ठाठ धरा रह जाएगा…[आश्रय-25] -*[image: banjaras] ताजा कड़ियां-पिट्सबर्ग से रामू का पुरवा तक…[आश्रय-24] शहर का सपना और शहर में खेत रहना [आश्रय-23] क़स्बे का कसाई और क़स्साब [आश्रय-22] ...
MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर1 मुंबई ब्लागर मिलन के अनुभव - मुंबई ब्लोगर मीट की कल सभी ब्लोगों ने जानकारी दी डाक्टर रुपेश्जी श्री वास्तव ने अपने ब्लॉग *भड़ास* पर संपूर्ण व्रतांत कुछ यू पेश किया देखे यहाँ किल्क करके। म...
टिप्पणी-चर्चा चच्चा का जवाब शुकुल जी अऊर मगरुरवा को - हां तो बच्चा लोग चच्चा फ़िर आगईन हैं..टिप टिप करबे को…तो बच्चा लोग आजकल जो कछु चल रहा है ऊ सब आप अच्छी तरह जानत ही हो…हम आजकल बहुते व्यस्त हैं..पर ऊ का है...
इयत्ता भांति-भांति के जन्तुओं के बीच मुंबई बैठक - आलोक नंदन मुंबई के संजय गांधी राष्ट्रीय नेशनल पार्क में भांति-भांति के जन्तुओं के बीच रविवार को भांति-भांति के ब्लौगर जुटे। लेकिन एन.डी.एडम अपनी ड्राइंग की...
*(सुविख्यात चिट्ठाकार समीर लाल ‘समीर’ के काव्य संग्रह –
बिखरे मोती की पांच प्रतियाँ रचनाकार के हिन्दी व्यंग्य लेखन पुरस्कार आयोजन में पुरस्कार स्वरूप प्र...
गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष 2012 में इस दुनिया के अंत की संभावना हकीकत है या भ्रम ?? - जिस तरह जन्‍म और मृत्‍यु जीवन का सत्‍य है , उसी प्रकार आशा और आशंका हमारे मन मस्तिष्‍क के सत्‍य हैं। जिस तरह गर्भ में एक नन्‍हीं सी जान के आते ही नौ महीने हम...
लिखो यहाँ वहां सॉलिटरी रेसिसटेंस - अरुण कुमार असफल की यह टिप्पणी विष्णु खरे जी के आलेख पर प्रतिक्रया स्वरूप लिखी गई पोस्ट पर किसी अनाम भीम सिंह जी की टिप्पणी के विरोध में प्राप्त हुई है। अ...
प्रत्यक्षा तुमी बाजना बाजो ना कैनो ? - अनुराज रामदूथ पुराने मंदिर के चबूतरे पर सूखे पत्ते हटाता जीर्ण खंभे से पीठ टिकाता बैठ जाता है । धूप चेहरे पर बरसती है । कपड़े के जूते धूल से अटे हैं । इस बि...
कस्‍बा qasba वन-रूम सेट रोमांस- दिल्ली मेरी जान - गोविंदपुरी के शर्मा जी का वन-रूम सेट। तीसरी मंज़िल पर। टेबल फैन की औकात नहीं थी कि वो दिल्ली की गर्मी से राहत दिला दे। चटाई लेकर छत पर सो जाता था। बगल की छ...
ज़ख्म, परेशां है चुप्पी से...  संवेदनशील कवि श्री ओम आर्य को लाईसेंस नंदनी को नसीहतें और एक लम्बी चुप्पी - स्त्रियाँ अपमान सहने को जन्म नहीं लेती लेकिन उनके पास इस दुनिया में बहुत सारे काम होते हैं इसलिए वे उस कथित अपमान को नज़र अंदाज करना श्रेयस्कर समझती हैं और ...
अनुनाद अबू ताहा अपनी छत पर कबूतर पालता है: एप्रिल जॉर्ज - ** *एप्रिल जॉर्ज की यह कविता (मूल अंग्रेजी में) दि नवेम्बर थर्ड क्लब के अद्यतन अंक में प्रकाशित हुई है.* ** *अबू ताहा अपनी छत पर कबूतर पालता है* बगदाद...
सफ़ेद घर मुंबई ब्लॉगर-बैठकी, बोले तो .......होठों को करके गोल...... सीटी बजा के बोल..... ऑल इज वेल चाचू .....ऑल इज वेल :) - ब्लॉगर मिलन स्थल की ओर जाते समय जब जंगल-झाडी वाले डेढ किलोमीटर के सडक पर पैदल चल रहा था तो मन में ख्याल आया कि यार ये तो एकदम ही अलग अनुभव है। ब्...
तीसरा खंबा मद्रास की अंग्रेजी बस्ती : भारत में विधि का इतिहास-13 - सूरत में व्यापारिक केन्द्र मजबूत हो जाने के बाद कंपनी ने अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर अपनी फैक्ट्रियाँ स्थापित करने का निर्णय किया जिस के परिणाम स्वरूप मद्रा...
हिन्दुस्तानी एकेडेमी स्व. कैलाश गौतम जी की स्मृति में काव्यपाठ करेंगे डॉ.कुमार विश्वास - हास्य-व्यंग्य से सराबोर ठहाकों में रची-बसी, जिन्दादिली से भरपूर जिन्दगी जीने वाले गीतकार कैलाश गौतम जी को गुजरे हुए तीन बरस बीत चुके हैं। ९ दिसम्बर २००६ को...
अज़दक उदासी.. - *गुमसुम, ग़ायब रहती है*, महीनों ख़बर नहीं होती कहां भागी, क्‍या हुआ, सारे सम्‍बन्‍ध खत्‍म कर लिए? के ख़्यालों में दबे, पुराने दु:खों की तरह लगभग भूल-भुला...
मानसिक हलचल नत्तू भागीरथ पांड़े - [image: NattuBahgirath Pandey] कल मैं नत्तू पांड़े से बात कर रहा था कि उन्हे इस युग में भागीरथ बन कर मृतप्राय गंगा को पुन: जीवन्त करना है। नत्तू पांड़े सात...
देशनामा मां ठंडी छांव...खुशदीप - *आज की मेरी पोस्ट निर्मला कपिला जी को समर्पित है...साथ ही ये पोस्ट भारत से दूर परदेस में आशियाना बना चुके सभी भारतवंशियों के लिए भी है...मां से उसका बेटा द...
अनवरत आखिर करोड़ों का क्या करेंगे? - * * *'कहानी'* *आखिर करोड़ों का क्या करेंगे? ** * - *दिनेशराय द्विवेदी * भाई साहब ने दो दिन पहले फोन किया था कि मैं रविवार की रात को उपलब्ध रहूँगा..
खेती-बाड़ी अंतरिक्ष के जौ की ‘स्‍पेस बीयर’, जापान में मची धूम, सिर्फ खुशकिस्‍मतों को मिलेगी - शराब के शौकीन लोगों के लिए यकीनन यह एक रोचक खबर है। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जौ उपजाकर बीयर तैयार की है और इसका नाम 'स्पेस बार्ली' रखा है। जापान में इन ...
क्वचिदन्यतोअपि..........! और ये है सोलहवीं नायिका ....अनुशयाना! - नायिका भेद शास्त्र के एक लोकप्रिय लेखक हुए हैं भानुदत्त. उनके अनुसार अनुशयाना वह नायिका है जो प्रिय मिलन में बाधा उत्पन्न हो जाने से उदास है और यह नायिका ...
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गुनगुनाती धूप (अल्पना वर्मा)
माँ के प्यार की महिमा का, करता हूँ गुणगान,
कभी कमी न प्यार में होती, कैसी है यह खान . कष्ट जन्म का सहती है, फिर भी लुटाती जान, सीने से चिपकाती है, हो कैसी भी संतान ........

अफ़सोस कहीं राम का अवतार नहीं है।

-चाँद शेरी- नादान न बन कोई तेरा यार नहीं है। ज़ुल्मत में तो साया भी वफ़ादार नहीं है। कर पाए जो मजबूर जवानी की हिफ़ाज़त, क़ानून के हाथों में वो तलवार नहीं है।....

ताऊ की चाय मे गिरकर मक्षिका सुंदरी का परलोकगमन

[bee.jpg]बाबा समीरानंदजी बोले : बालक, मोह ग्रस्त मत हो. जिसको मरना है वो मरेगा ही..तेरी चाय मे गिरकर मरेगा ..नही तो मेरी चाय मे गिरकर मरेगा...या फ़िर किसी और की चाय मे गिरकर मरेगा...पर मरेगा जरुर...मरने वाले को कौन रोक पाया है आज तक? तो ऐसे मे तुम्हारा चाय का परित्याग करना नितांत हास्यापद है. इसमे कसूर तुम्हारे चाय पीने का नही है बल्कि जबरन आकर आत्महत्या करने वाले का है. अत: अब उठ और चाय पीना शुरु कर.

श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी का प्रवचन धुआधार चल रहा है ….ब्लॉगजगत के एकमात्र सर्टीफाईड एवं रिक्गनाईज्ड बाबा

image लगभग २५ साल बद उसी चित्रकार को फिर एक विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने का निमंत्रण प्राप्त हुआ. इस बार प्रतियोगिता का विषय था कि विश्व के सबसे खूंखार imageऔर खौफनाक चेहरे का चित्र.
चित्रकार फिर अपनी खोज पर निकला.
आतंकवादी खेमों से लेकर डकैतों तक के अड्डे तलाश डाले और अंत में एक जेल की काल कोठरी में कई हत्याओं के लिए आजीवन सजा काटते एक व्यक्ति को देख उसे लगा कि उसकी मंजिल उसे मिल गई.
उसने उस कैदी को अपना प्रयोजन बताया और उसका चित्र बनाया.

 

लखनऊ में ब्लॉगर दंगा: image
आधे घंटे बाद लौट के आया तो क्या देखा कि उस चाय की  दूकान के पास थोड़ी भीड़ लगी हुई है.... मैं भीड़ के बीच से होता हुआ टेबल के पास पहुंचा तो क्या देखा कि सौरभ भाई और सलीम खान घूसों कि मुद्रा में खड़े हैं.... और सौरभ का चेहरा गुस्से के मारे मैगी सौस हुआ जा रहा है... और सलीम खान का चेहरा भी तमतमाया हुआ है... आस-पास के लोगों ने बताया कि दोनों अचानक बात करते हुए लड़ पड़े.... दोनों के कपडे भी अस्त-व्यस्त थे... और बाल भी बिखरे हुए.... मैं समझ गया कि लगता है... हाथा-पाई भी हुई है... अब कौन कितना पिटा यह नहीं  पता.
 
चलते-चलते यह कार्टून भी देख लीजिए-
मुसलमान इसी लायक हैं!!
लो जी! हो गई आज की चर्चा पूरी!
अब आप फटाफट चर्चा में दिये लिंकों पर जायें और टिपियायें......

15 comments:

Udan Tashtari said...

शानदार कवरेज, बेहतरीन विस्तार...आनन्द आ गया. बहुत खूभ...लगे रहिये.

Khushdeep Sehgal said...

चर्चा में जगह देने के लिए आभार...कई बढ़िया लिंक मिले...

जय हिंद....

Himanshu Pandey said...

आप का श्रम प्रशंसनीयहै । बहुत सारे चिट्ठे समेट लाये आप इस चर्चा में । आभार ।

श्यामल सुमन said...

बहुत सारे चिट्ठों को एक साथ समेटने की एक सफल कोशिश।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Dr. Shreesh K. Pathak said...

आप का श्रम प्रशंसनीयहै

Unknown said...

gazab ka sangrah aur gazab ki rachnaayen.....

aapka bahut bahut dhnyavaad !

Meenu Khare said...

शानदार, बेहतरीन...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत आभार इस विस्तृत चर्चा के लिये.

रामराम.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

शानदार चर्चा शास्त्री जी !

Ashish Khandelwal said...

विस्तृत ब्लॉग पाठन संभव हुआ आपकी इस सारगर्भित चर्चा का माध्यम से

हैपी ब्लॉगिंग

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बढिया रही चर्चा.....

Vineeta Yashsavi said...

yaha pe aa ke ek sath hi kai achhi blog post parne ko mil gayi...

दिगम्बर नासवा said...

हमेशा की तरह ग़ज़ब चर्चा ..........

Pramendra Pratap Singh said...

अच्‍छी चर्चा, कल हम भी गुरूवार चिट्ठी चर्चा लेकर आ रहे है।

रंजन (Ranjan) said...

मजेदार...

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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