मौसम बदल रहा हैं और साथ मे कुछ सर्द गर्म के कारण अब स्वास्थ्य पर भी हमला हो रहा है। कल से हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव दिखा। होली की उमंग ने उत्साह बनाए रखा है अन्यथा आराम के अलावा कोई चारा नही था। होली साल भर मे आने वाला सभी तबकों का त्योहार है जिसे सभी उल्लास से मनाते हैं। बच्चे बुढे सभी प्रतीक्षा करते है होली की। सबकी उमंगे जवान रहती हैं बस एक दिन धमाल हो जाए, बच्चे-बुढे, अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सब एक हो जाएं और बैर-दुस्मनी भुल कर होली का पर्व मनाएं।....... भाइयों और बहनों चर्चा शुरू करने से पहले हमने खाया है भांग का गोला........इसलिए आज चर्चा में भी भांग मिला है. ....अगर किसी कों चढ़ जाये नशा तो हमारी कौनो गारंटी नहीं है.........टेक हैंडल विथ केयर.....कांच का समान है टूट सकता है.....बुरा ना मानो होली है........आज चर्चा करेंगे सिर्फ़ होली के चिट्ठों की। मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज के "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" पर.......................
होली की सबसे बड़ी न्यूज है कि धोनी ने जिस कुएं का पानी पीया वो अदा जी के घर में ही है तभी धुंवाधार चौके छक्कों के साथ शतक भी लग रहे हैं, भैया धोनी कों ही क्यों पूरी टीम कों पिलाओ उस कुंवे का पानी जिससे आस्ट्रेलिया कों याद आ जाये अपनी नानी..........रमलू सियार भी टुन्न है खाये वो जूते तेरी गली में सनम कहते घूम रहा है.....जब इतना ही मालूम था जूते पड़ने वाले है तो गए क्यों थे गली में रास्ट्रीय राजमार्ग पर चलना था...वहां जूते पड़ते तो टी वी वाले इंटरव्यू लेते अख़बार वाले फोटू छापते अब गली में चुपचाप जूते खाने पर तो कोई कवरेज या प्रचार नहीं मिलने वाला है..
पिछले होली में फटा था पैजामा और गिरिजेश भाई अभी पूछ रहे है कि का तुम पहिरी हमरो पैजामा ? भैया जब हमको पैजामा का जरुरत था तब तो दिया नहीं और अब पूछ रहे है. समय कि कीमत होती है समय पर देते तो हो सकता है पहिन ही लेते अब धरे रहिये अपने पैजामा कों. जिन्होंने फाड़ा है हमारा कुरता. वो लाकर देंगे पैजामा भी..डॉ मनोज मिश्र जी लाये है होली का फाग जमा दिया है राज और चल रहा है...न देबय कजरवा तोहके ना देब हमें कौन सी पड़ी है लाल छड़ी मैदान खड़ी है....खूब लड़ी है खूब लड़ी है यहाँ होली का प्रवचन चल रहा है मुशायरा के रूप में चार दिन हो गया हम भी सुन रहे हैं...आप भी सुनिए बहुत धमाल है...शब्दों का कमाल है गजल नहीं है हजार सुना रहे है पकड़ पकड के होली का गुलाल लगा रहे हैं.
राजकुमार ग्वालानी रहते शहर में है बने हुए है शहरिया .....होली आई तो याद आ गई है गांव की गोरिया. गांव कों भूलो होली शर में मनाओ और हुल्लड़ हो तो प्रसाद में पुलिस के डंडे भी खाओ..उत्तराखंड में भी होली की बाहर छाई है...रंग-रंगिलि बहार ऐगे होरी की.यहाँ भी होली की बाहर आई है.....गिरीश पंकज भाई कल ही तो कह रहे थे तुम्हारी होली देख कर मुझे भी होली खेलने का मन हो रहा है...लेकिन रात बीतते ही विचार बादल गए और अब कह रहे हैं..होली में ठिठोली मत करो अभ आप ही बताईये कल ही आपका लिग परिवर्तन कर दिया राजीव तनेजा ने और अब भाई से भौजी बन गए है तो ठिठोली भी सहना पड़ेगी और गुलाल भी लगवाना पड़ेगा आपके साथ साथ हम भी फँस गए चक्कर में वो फोटो में आयटम डांसर बना दिया है अब क्या किया जाये? खैर उसके लिए तो हमने नोटिश चस्पा कर दिया है..
अब एक होली ऐसी भी होती है जहाँ पत्थर बरसाए जाते है और खून खराबा होता है उसके विषय में बता हैं कमलेश वर्मा जी डूंगरपुर की खूनी होली अब ऐसी होली तो कौन खेले मूड कान फोड़वाने वो तो रंग गुलाल खेलने से ही फुट जाते हैं...सुरेश चंद गुप्ता जी ने अग्रिम सूचना दे दी है कि होली आई, होली आई अब खेलना ना खेलना तुम्हारी मर्जी है नारी के कविता ब्लाग पे भी होली मन रही है..होली है ! होली का अवसर हो और सुलभ ना हो सतरंगी तो कैसे होली मनायेगा बजरंगी होली में ठिठोली > एक से बढ़कर एक बुढऊ > रंग बरसे इन्होने जो बरसाया है रंग सब बुढाऊ हो गए है दंग बज रहा है होली पर मृदंग.
इधर चंदू घर के अन्दर ही नगाड़े पीटने लग गया है.! होली है-भाई होली है. सब तरफ मस्ती का छाया है रंग. साहित्य शिल्पी पे भी है ये रंग बिरंगे फूल धूम धाम से मनाओ होली मत जाना भूल वंदना जी कों रंगों ने इतना भरमाया है कौन से रंग से कैसे खेलें होरी समझ में नहीं आया है.....वंदना जी खेलिए जी भर के होली,...... बाजार में हर्बल रंग भी आया है....लाल..पीला, हरा ..नीला हर तरफ छाया है. क्या बताएं होली हो और वयस्कों के लिए कोई अलग से सामग्री ना होतो कैसे पता चले की होली है...अरविन्द मिश्रा जी वयस्कों के लिए सामग्री लेकर आये हैं जरा दूर से ही देकिये.....बालम मोर गदेलवा -एक एडल्ट पोस्ट (गदेलों की तांक झाँक वर्जित है) इन्होने पहले से ही बोर्ड लगा दिया है कि वयस्कों कों छोड़ के कोई भी देख सकता है.....क्योंकि जहा व्यस्को के लिए लिखा रहता है उस फिल्म में सभी अवयस्क ही पाए जाते हैं वे समझ जाते हैं कि यह फिल्म विशेष रूप से उनके लिए ही है...
ये लो भैया फगुनाहट का सम्मान भी हो गया.....रविन्द्र प्रभात जी खुशखबरी लेकर आये है...." परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-2010" दुआ कीजिए रचनात्मक असंतोष की यह आग लगातार जलती रहे...! अब असंतोष की आग तो जलेगी ही भैया सीधा सीधा होली पे नुकसान उठाया है और एक साल का इंतजार आपने कराया है.देखेंगे अगले साल तक जलाएंगे आग लेकिन गैस का बिल कौन भरेगा यही चिंता है...आज कल तो गांव गंवई में भी गैस का ही चूल्हा जलता है...हस्तिना पुर में भी होली खेली जा रही है के एम मिश्रा जी लेकर आये हैं.हस्तिनापुर में होली (हास्य-व्यंग्य, कार्टून) आप भी उठाईये होली का आनंद....
पदम् सिंग सुना रहे हैं....लागल झुलनिया के धक्का बलम कलकत्ता निकरि गए देखो भैया हम पहिले ही बताये देते है.... बंगाली टी टी का कोई भरोसा नहीं है कहीं बिना टिकिट पकड़ लियेतो तो फेर मन गई होली तनी ध्यान रखिये..घुघती बासूती जी कह रही हैं...वह गोबर होली वर्ष था पहले गांव में गोबर से भी होली खेली जाती थी लेकिन अब गोरु कम हो गये कल ही अम्मा बता रही थी कि आंगन लीपने के लिए भी गोबर किलो भाव से लेना पड़ रहा है इसलिए गोबर से होली खेलना तो बहुत ही महंगा पड़ेगा.. शोभा जी कह रही हैं .फिर आया फागुन अब आ गया है तो होली मना ही ली जाये परों तो चला ही जायेगा....विवेक रस्तोगी जी अब थक गए है यायावरी जिन्दगी से होली बेटे के साथ मनाना चाहते हैं...
अभी तक तो हमने आदमी ही होलियाते देखे है लेकिन अब होलियाए दोहे हैं. श्यामल सुमन जी ने होली का रंग दोहों पर भी चढ़ा दिया...तोषी भी होली मना रही हैं रंगों का त्यौहार है होली......ना जाने कितने रंग समाये है होली के इन रंगों में में........हरकीरत हीर जी भी रंगों कों समेट कर लायी है...कुछ रफ़ाकत के रंग ......कुछ मुहब्बत के फूल .....कुछ तल्ख़ हवाओं से गुंजारिश और अदब की चुनरी होली में अब होली की चर्चा समपन्न हो रही है..हम भी होली मनाएंगे और होली के पहले और होली के बाद ब्लागर होली सम्मलेन भी कराएँगे....जहाँ ब्लागर होंगे रंग गुलाल होगा....बस सिर्फ बस प्रेम होगा इसके अलावा कुछ भी नहीं होगा....और कुछ के लिए जगह भी खाली नहीं होगी.......आप सभी कों ललित शर्मा की तरफ से होली की ढेर सारी शुभकामनाएं........ .....