Saturday, February 06, 2010

हरामी..? यानी हराम का जना हुआ “चर्चा हिन्दी चिट्ठों की”(ललित शर्मा)

अभी तीन चार दिनों से ब्लागवाणी की नापसंद सेवा का भरपुर लाभ Lalit cartoon198x131 उठाया जा रहा है। कुछ विशेष पोस्ट आते ही लगातार नापसंद की बाढ आ जाती है। मतलब यह है कि वही पो्स्ट ज्यादा पसंद की जा रही है और तो और कविताएं और गजल भी नापसंद होने लगी हैं। हमारे भाई लोग इतने जागरुक हो गए हैं कि बिना लिफ़ाफ़ा खोले ही जान जाते हैं कि इसमे कुछ ऐसा है जो पसंद करने लायक नही है। करो भाई खुब करो इसी उपयोग के लिए तो यह औजार दिया गया है। जिनकी पोस्ट पर नापसंद लग रही है उन्हे मेरी सलाह है कि वे स्वयं ही एक नापसंद का चटका अपनी पोस्ट को देकर घर से निकालें क्योंकि नकारात्मक्ता का भी शीर्ष स्थान होता है, कम से कम पतन  की गहराई भी नाप कर देखी जाएं, जब हम उत्थान  और उन्नति  की नापते है तो। अब मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज के हिंदी चिट्ठों की चर्चा पर......................
आज पहला चिट्ठा लेते हैं राजकुमार सोनी जी का, इनकी लेखनी विविध आयामी है तथा नित्य नवीन विषयों का चयन कर अपनी लेखन क्षमता ब्लाग जगत को समृद्ध कर रहे है।

हरामी..?

कौन हूं मैं। फिलहाल तो मेरा कोई नाम नहीं है, और लोगों की तरहrajkumar soni आप भी मुझे हरामी कह सकते हैं। हरामी यानी हराम का जना हुआ। लेकिन जरा इस चित्र को गौर से तो देखिए। हूं न, काला टीका लगाकर चुम्मी लेने के लायक। तो आज मैं इस चित्र से बाहर निकलकर आपसे बतियाना चाहता हूं। हो सकता है कि कुछ लोगों को इस बात में एक फैन्टासी नजर आए कि भला फोटो से बाहर निकलकर कोई कैसे बतिया सकता है? वह भी ऐसा बच्चा जो दुनिया की खूबसूरती देखने के लिए ठीक ढंग से आंखें खोलना भी न सीख पाया हो, लेकिन फिर भी न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि आप मेरे गुलाब की पंखुड़ियों के समान कंपकंपाते मासूम होठों को देखकर यह समझ ही सकते हैं कि मैं क्या कहना चाहता हूं? मैं मानता हूं कि अब भी इस दुनिया में ऐसे लोग हैं जो सूखे हुए कांटे में फंसी तितली को बचाने के लिए अपना सारा कामकाज छोड़ सकते हैं। मेरी सारी बातें उन लोगों के लिए ही हैं जिनके सीने में अभी मशीन फिट नहीं हुई है।
कहाँ है आज वसन्त की मादकता?myphoto
वसन्त ऋतु है अभी! किन्तु मुझे तो मादकता का किंचितमात्र भी अनुभव नहीं हो रहा है। टेसू और सेमल के रक्तवर्ण पुष्प, जो कि वसन्त के श्रृंगार माने जाते हैं, तो कहीं दृष्टिगत हो ही नहीं रहे हैं। कहाँ हैं आम के बौर? कहाँ गई कोयल की कूक? यह वसन्त का लोप बड़े नगरों
कौंग्रेस की इस राजनीति पर तथाकथित सेक्युलर खामोश क्यों ?p.c. godiyal
यह तो सभी जानते है कि 'फूट डालो और राज करो', यह गुरु-मन्त्र तो कौंग्रेस को विरासत में अंग्रेजो से मिला था, मगर वोट के लिए वे इतने छोटे दर्जे की राजनीति पर उतर आयेंगे कि इनके सिपहसलार यह भी भूल जांए कि उनके इस गैर-जिम्मेदाराना कदम से देश की सुरक्षा पर
डिनरhasya fuhar
डिनर एक दिन श्रीमान जी सुबह-सुबह डायनिंग टेबुल पर बैठे खा रहे थे। तभी बाहर से आवाज लगाते हुए फाटक बाबू घुसे, “सर जी कहां हैं? क्या कर रहे हैं?” श्रीमान जी बोले, “डायनिंग रूम में हूँ। डिनर खा रहा हूँ।” फाटक बाबू डायनिंग रूम तक पहुंच गये। श्रीमान जी को


तिरंगे में सफ़ेद रंग “क्रिश्चियनिटी” का होता है और “जन-गण-मन” की धुन पर पोप की प्रार्थना…… Mockery of National Flag, National Anthem by Missionary
[डिस्क्लेमर – मुझे मलयालम नहीं आती, इसलिये प्रस्तुत पोस्ट एक मलयाली मित्र द्वारा दी गई सूचनाओं पर आधारित है… जिसे मलयालम आती हो, कृपया इसकी पुष्टि करें…]बचपन से मैंने तो यही पढ़ा था कि देश के तिरंगे में भगवा रंग त्याग और बलिदान का, सफ़ेद रंग शान्ति का तथा

धुआँ धुआँ हो करके उठा
दिल तपता है , किसने देखा अँगारों कोवो जो धुआँ धुआँ हो करके उठा , उसे उम्र लगी परवानों की ढलती है शमा , पिघली जो है ये अश्कों मेंछा जाती है अफसानों सी , इसे उम्र लगी बलिदानों कीरँग कोई हुआ , गुलाल हुआ या मलाल हुआमिल जाता है इन्सां के खूँ में , इसे उम्र
भूखarvind jha
"साहब, दो दिनों से घर में खाने को दाना नही है. कोई काम दे दो साहब." रामदीन साहब के सामने गिरगिरा रहा था. साहब ने कुत्ते को पुचकारते हुए जबाब दिया "एक सप्ताह और रुक जाओ, फ़िर मैं तुम्हे जरुर काम दूंगा.".रामदीन फ़िर आग्रह करने लगा " नहीं, साहब तब तक तो हम

शर्तें ...
नाज़ नखरे , अगर अखरे तुम चले जाना नहीं रोकेंगे तुमको हम मगर तुम संग ले जाना सभी बातें , सभी यादें कभी न रुख इधर करना वहीं जीना वहीं  मरना  अगर फिर भी लगे न मन कभी जो याद आये तो जो मेरा गम सताये
नंगलाल का जवाब नहीं...........1
रंगलाल के बेटे नंगलाल को डांटते हुए स्कूल मास्टर ने कहा -तुम्हें शर्म आनी चाहिए ! तीन साल से एक ही क्लास में पड़ेहुए हो.........इस में शर्म की क्या बात है सर ? नंगलाल बोला - और अगरहै, तो आपको भी आनी चाहिए.......क्योंकि आप भी तो पिछलेदस सालों से इसी एक

हाथ कंगल को आरसी क्‍या .. फिर 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के मौसम के सिद्धांत की 1.sangitapuri सत्‍यता की बारी आएगी !!
3 और 4 फरवरी को मौसम से संबंधित मेरे द्वारा की गयी भविष्‍यवाणी सही हुई या गलत , इसका फैसला करना आसान तो नहीं । मध्‍य प्रदेश , छत्‍तीसगढ और राजस्‍थान में जैसा मौसम देखने को मिला , वो सामान्‍य नहीं था और इस कारण इन प्रदेशों में रहनेवाले लोग मेरी

मसिजीवी का एक प्रश्न!
मेरे पिछले आलेख पाबला जी से हुआ अपराध बहुत बडा? पर काफी सार्थक टिप्पणियां आई हैं जिनके लिये मैं अपने चिट्ठामित्रों का आभारी हूँ. इन में से एक टिप्पणी पर जरूर कुछ कहना चाहूँगा जो मेरे मित्र मसिजीवी से मिली है. (मसिजीवी) चर्चा के लिए अनंत विकल्‍प थे फिर
“निठल्ला चिन्तन” व्यंग्यः (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)roop chand shastri
मित्रों! आज कुछ सामग्री पोस्ट करने के लिए मेरे पास नही है! मात्र एक  विचार मन में आया है- “चर्चा मंच” पर दिन की एक चर्चा तो लगा ही देता हूँ, कभी-कभी दो भी हो जाती हैं। सोच रहा हूँ कि इसमें ढाई दर्जन सदस्य सम्मिलित कर लूँ। इससे चर्चा करने में सुविधा

मैन प्रोपोजिज-- गौड डिस्पोजिज।Dr. Dral
कहते हैं, मैन प्रोपोजिज-- गौड डिस्पोजिज। यानि आदमी सोचता कुछ और है , और हो कुछ और जाता है।मैंने सोचा था इस बार आपके मनोरंजन के लिए एक हास्य कथा प्रस्तुत करूँगा। लेकिन उसे पोस्टपोंड करके फ़िलहाल यही लिखना पड़ रहा है। दरअसल परसों रात पिताजी का ब्लड प्रेशर
वेबसाइट कंट्रोल पेनल में कहाँ कैसे अपलोड करें ?RATAN SINGH-2
अक्सर ज्ञान दर्पण के पाठकों के फ़ोन आते रहते कि कंट्रोल पेनल में वेब साईट कहाँ अपलोड करे ? क्या कही इसका टुटोरियल मिल जायेगा ? तो क्यों न आज ऐसे साथियों के लिए इस प्रश्न पर चर्चा कर ही ली जाये | वेब साईट होस्टिंग सेवा प्रदाताओं  द्वारा कई तरह के
बस खत्म हुआ इंतज़ार ,बस आ गया रविवार ( दिल्ली ब्लोग्गर्स मिलेंगे राज भाटिया जी से , और आपस में भी )
जी हां बहुत समय से टलते टलते आखिरकार वो दिन आ ही गया है जिसका मुझे और भाटिया जी को इंतज़ार था ,जी हां इस रविवार यानि सात फ़रवरी को सुबह ग्यारह बजे से शाम चार बजे तक हम सब आपस में मिल बैठेंगे । फ़िर से उन्हें याद दिला रहा हूं ताकि फ़िर से मुझे ये न सुनना

मेरा हीरो
६ फरवरी .... . मेरे दिल के बहुत करीब है ये तारीख ,मेरे हीरो का जन्म दिवस...जी हाँ एक ऐसा इंसान जो जिन्दगी से भरपूर था ..जीवन के हर पल को पूरी तरह जीता था. एक मेहनतकश इंसान.... जिसके शब्दकोष में असंभव शब्द ही नहीं था,..व्यक्तित्व ऐसा रौबीला कि सामने वाला
२० मिनिट के मंत्र से ४० दिनों में नौकरी

डॉ.सत्यजीत साहू  परगया
मात्र ४० दिन रोज २० मिनिट के मंत्र जप से नौकरी प्राप्ति . बिलकुल सच है मेरे भाई आप कर के तो देखो . क्या आप इस बात को मजाक में ले रहें है ? पर जरा सोचिये की अगर आपका भाई या बच्चा अगर बेरोजगार है तो वो आपके...

वो ललकार रहे हैं, हम घिघिया रहे हैं
-राजेश त्रिपाठीइसे हमारी केंद्र सरकार का दिमागी दिवालियापन और नासमझी नहीं तो और क्या कहा जाये कि वह उस पाकिस्तान से वार्ता शुरू करने के लिए घिघिया रही है, जो लगातार हुंकार भरता और भारत को ललकारता नजर रहा है। मुंबई के 26 /11 के हमलों के बाद से भारत लगातार

मैं भी बिकना चाहता हूं
मैं बिकना चाहता हूं। न न इसे मजाक न समझें। वाकई मैं बिकना चाहता हूं। बिककर बिकने का सुख भोगना चाहता हूं। देखना और महसूस करना चाहता हूं कि आखिर कैसा लगता है बिककर!वैसे खुद को बेचने का ख्याल मेरे मन में काफी दिनों से है। बस, मेरी संवेदनाओं और लोक-लाज का
छत्तीसगढ़ में बाबूलाल जैसे अफसर रहेगे तो नक्सलवाद तो पैदा होते रहेगा
छात्र राजनीति में पत्रकारिता में और कड़वा बोलने वाले रिश्ते से मेरे बड़े भाई लगने वाले अनिल पुसदकर की प्रेरणा से पहली बार अपने विचार ब्लाग में लिख रहा हूं ऐसे पिछले एक साल से में सिर्फ मै नक्सलवाद के खिलाफ समाचार ही लिख रहा
गंगा पर सरकार की नीयत साफ नहीं
डॉ. महेश परिमलकुंभ मेला शुरू हो चुका है। लोग उसमें स्नान कर अपने पापों को धो रहे हैं। पवित्र बन रहे हैं। अब तक लाखों बल्कि अरबों लोगों को ये गंगा नदी निष्पापी बना चुकी है। फिर भी इनकी संख्या कम नहीं हुई है। जितना ये लोगों का मैल धोती है, उतनी ही अपवित्र
उत्कोच !! उत्कोच !!
आचार्य कौटिल्य को जब पढ़ रही थी , तब उत्कोच शब्द जादा समझ आया था . उस काल के उत्कोची लोगों और उत्कोच के तरीकों पर निगाह रखना शुरू कर दिया , लेकिन आज तो उत्कोच की परिभाषा ही बदल गई ,क्योंकि कोच की जगह तो अब बिस्तर ने ले ली है . भारतीय प्रशासनिक सेवा

राज भाटीया जी आज दिल्ली में हैं
आप सब को श्री राज भाटिया जी और मेरी नमस्तेश्री अरविन्द मिश्रा जी ने पूछा है कि - "भारत में हैं या जर्मनी में"मैं आप सबको बता देता हूं कि श्री राज भाटिया जी भारत में आये हुए हैं और आज यानि शुक्रवार को दिल्ली में हैं। उनसे मिलने या बात करने के लिये उनका
कहीं ऐसा तो नहीं
   कहीं ऐसा तो नहीं की  हम इस दुर्लभ जीवन के अनमोल छनो को गवा रहे है दुनिया की चकाचोंध तो क्यों न हम स्वयं मै झांके की हम कितने पानी मै है |कैन ऐसा तो नहीं की हम अटक गए है आलस्य  मै , परमद मै और
समझना होगा इंटरनेट के इन्द्रजाल को
समझना होगा इंटरनेट के इन्द्रजाल कोसायबर क्राईम के लिए हो गया है उपजाउ माहौल तैयार(लिमटी खरे)अब समय आ गया है कि इस बात पर सर जोडकर बैठा जाए और विश्लेषण किया जाए कि इंटरनेट का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए। इंटरनेट की उमर अब 41 साल हो
एक अहसास का नाम है मां
आज ब्लॉग तलाशते-तलाशते मैं भारतीयम तक पहुंच गई। वहां अरविंदजी की कविता मां पढ़ी अच्छी लगी उसे पोस्ट कर रही हूं- भाई समीरलाल (उड़न तश्तरी)ने मां को याद किया तो प्रतिक्रिया स्वरूप मुझे मेरी वह " मां" शीर्षक रचना याद आ गयी ,जो वर्षों पहले मेरे संग्रह " चीखता

उठो सुबह हो चुकी चमक रहा आफताब देखो
इससे पहले कि गीली आँखों में तेज़ाब देखो होश में आओ रहनुमाओं वर्ना इंकलाब देखो हक़ मार जाते हो तुम अपने ही खिदमतगार के रगों में इसके खून नहीं सुलगता अलाव देखो जंगल पहाड़ उजाड़ कर ये कैसी तरक्की पाई है चार दिन कि जिंदगी

बइयाँ ना मरोड़ो बलमा..............घुघूती बासूती
अवैधानिक चेतावनी: ज्ञान पिपासु फिर कभी आएँ जब ज्ञान वार्ता हो रही हो। खेद है कि आज ज्ञान की दुकान बन्द है। आज अगम्भीर चिन्तन दिवस है।प्लास्टर उतर गया, जमकर रगड़ा लग गयाऔर हम खड़े खड़े, हॉस्पिटल में पड़े पड़ेहाथ खूब मुड़वाते औ तुड़वाते रहे।हाय रे मानव! तू सदा

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (190) : आयोजक उडनतश्तरी
बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं कि अब से इस खेल के दिन मंगलवार और शुक्रवार निर्धारित कर दिये गये हैं. समय शाम 4:44
मिलिए श्याम कोरी”उदय” से—चिट्ठाकार चर्चा
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ये कहावत हमारे यहाँ चलती है. हमारा छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदाओं से भरा पूरा है. साथ ही साहित्यकारों और लेखकों की कोई कमी नहीं है. सहित्य जगत को उच्च कोटि के लेखक और साहित्यकार छत्तीसगढ़ की माटी ने दिये
द्रोपदी पर अश्लील टिप्पणी अक्षम्य
द्रोपदी पर अश्लील टिप्पणी अक्षम्य उपन्यास को साहित्य अकादमी द्वारा सम्मान देश का अपमान'द्रोपदी' उपन्यास में द्रोपदी के बारे में अश्लील टिप्पणियां भारत के गौरव के प्रतीकों को ध्वस्त करने की अंतहीन श्रृंखला की एक नई कड़ी है। इस उपन्यास पर अविलम्ब प्रतिबंध

क्या आर्य समाज में किया गया विवाह वैध है?
सचिन पूछते हैं?सर!  मैं ने शादी आर्यसमाज से कर ली है। पत्नी के मातापिता मुझे फोन कर बोलते हैं कि मैं उन के पास चला जाऊँ। मैं जाना नहीं चाहता। मैं उन सब लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता हूँ। वो लोग बोलते हैं कि उन लोगों ने पुलिस में रिपोर्ट करवा
विवादास्पद लिखो टिप्पणी पाओ - एक सफल प्रयोग
विवादास्पद लिखो टिप्पणी पाओ  . यही शिक्षा पायी मैने . बचपन में जब विज्ञान की किताब पढ़ा करता था उसमे लिखा देखा था आओ विज्ञान करके सीखे . वही प्रयोग मैने ब्लॉग में किया .जब सही लिखा तब वही आये मेरे पास जो जिनका स्नेह हमेशा से मुझे मिलता रहा .

मैं तो चला भई .............अब आप चाटोmithlesh ( बाय - बाय ब्लोगिंग )-------मिथिलेश दुबे
मैंने आज ब्लागिंग को अलविदा कहने का मन बना लिया है , मैनें हमेशा वही लिखा और कहा जो मुझे सार्थक लगा । किसी को भी नीचा दिखाना मेरे समझ से परे रहा है और रहेगा । मेरे लेखन से अगर किसी को दुख हुआ है तो इसके लिए खुद को दोषी समझता हूँ । मुझे किसी भी मुद्दे (

महाकवि कालिदास की समाधि श्रीलंकाImage0792 में है.
महाकवि कालिदास। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के राजकवि।अभिज्ञान शकुंतलम, मेघदूत, मालविकाग्निमित्र, ज्ञतुसंहार, कुमारसंभव आदि महान ग्रन्थों के रचयिता। इतना प्रसिद्ध व्यक्ति पर जिसका जन्मकाल, जन्मभूमि के साथ-साथ मृत्युकाल सब विवादित। पर जो भी जानकारी उपलब्ध
जो पकड़ में आ गया वही दोषी लेकिन Image0793 बाकी सब ईमानदार हैं क्या?
सुबह-सुबह सो कर उठते ही दरवाजे पर पुलिस और आयकर अधिकारी दिखायी दें तो किसी का भी रक्तचाप सामान्य नहीं रह सकता। फिर वह बड़ा अधिकारी हो शासन का तब तो मूड पूरी तरह से खराब होना ही है। जिसे सिर्फ अकडऩे और सलाम लेने की आदत हो, उसके घर के जर्रे-जर्रे की कोई

स्वर्गीय लोहिया साहब - रामधारी 12 सिंह 'दिनकर’
डॉक्टर राममनोहर लोहिया से मेरी पहली मुलाकात सन् 1934 या 35 में पटना के सुप्रसिद्घ समाजवादी नेता स्वर्गीय फूलन प्रसाद जी वर्मा के घर पर हुई थी और हम लोगों का परिचय मित्रवर श्री रामवृक्ष बेनीपुरी ने करवाया था। उस समय लोहिया साहब मुझे उद्वेगहीन, सीधे सादे
हार - जीत
श्याम कोरी 'उदय'  कडुवा सच - पर
पल, पाने की चाह कुछ पल के लिये अच्छी है समर्पण की भावना सदा के लिये अच्छी है जरा सोचो हमने क्या खोया - क्या पाया और जरा सोचो तुमने क्या पाया - क्या खोया जिंदगी की राहों में जीत कर भी हारते हैं कभी कभी ह...
जन्म दिन हमारे ब्लाग का पार्टी दी संजीव तिवारी ने
राजकुमार ग्वालानी

राजतन्त्र -पर
तीन फरवरी को हमारे ब्लाग खेलगढ़ का पहला जन्म दिन था। इसी दिन हमारा भिलाई जाना हुआ। भिलाई में हमारी मुलाकात संजीव तिवारी और बीएस पाबला जी से हुई। भिलाई पहुंचने से पहले ही हमारे ब्लाग के 365 दिन पूरे होने ...
कहूँ याद करती !!

Kusum ThakurKusum's Journey (कुसुम की यात्रा) -ले पर
आज एक ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन है जिसके साथ का एहसास मेरे जीवन में बहुत महत्व रखता है । जो मुझे १५ वर्ष की उम्र में मिला और २३ वर्षों में जन्मों का स्नेह दिया । एक अद्भुत कलाकार , एक हंसमुख इंसान , मातृ -भ...
आखिर ताऊ की हिंदी चिठ्ठा चर्चा शुरु हो ही गई...

ताऊ रामपुरिया  ताऊ डॉट इन पर
कुछ समय पहले ही ताऊ और रामप्यारी ने केश वर्धक तेल, कद वर्धक तेल, भाग्य वर्धक तेल और ब्लाग हिट कराऊ एवम टिप्पणी खींचू तेल बेचना शुरु किया था पर जैसा ताऊ के साथ हमेशा होता आया है वही हुआ. यानि सब माल उ...
चर्चा को देते हैं विराम-ललित शर्मा का राम-राम

26 comments:

राजकुमार ग्वालानी said...

ब्लाग बिरादरी के लिए आप जो काम कर रहे हैं उसके लिए आपको सदा याद रखा जाएगा। ब्लागरों को बढ़ाने के लिए आपके काम की जितनी तारीफ की जाए कम है।

राजकुमार ग्वालानी said...

बहुत ही गजब की करते हैं आप चर्चा
छोड़ते नहीं हैं किसी का भी पर्चा

डॉ. मनोज मिश्र said...

vaah.

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा चर्चा ललित भाई..बढ़िया विस्तार है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर चर्चा!

Anonymous said...

बहुतेरी ऐसी लिंक्स मिली जो नज़रों से गुज़री नहीं थी

आभार

बी एस पाबला

संगीता पुरी said...

वाह .. बहुत बढिया !!

Unknown said...

परिश्रमपूर्वक की गई विस्तृत चर्चा!

"अभी तीन चार दिनों से ब्लागवाणी की नापसंद सेवा का भरपुर लाभ उठाया जा रहा है। कुछ विशेष पोस्ट आते ही लगातार नापसंद की बाढ आ जाती है।"

निन्दक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय ...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बने केहेस अवधिया जी
जोहार ले

ताऊ रामपुरिया said...

गजब का विस्तार है आपकी चर्चा में. कैसे कर लेते हैं आप इतनी सुंदर और विस्तृत चर्चा? बहुत मेहनत और लगन का काम है. ब्लागवुड आओअके योगदान को याद रखेगा.

नापसंद के चटके...:)

नैराष्य प्रकट कर उसे दूर करने का अच्छा तरीका है. जिनकी पोस्ट पर ये चटके लग रहे हैं वो तो पुण्य कमा रहे हैं कि दूसरे निराश लोगों को निराशा दूर करवाने का मौका दे रहे हैं.

जिनकी पोस्ट पर ऐसे चटके लग रहे हैं उन पोस्ट-वीरों को टोपी उतार सलाम.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया said...

भूल सुधार :-

आओअके = आपके

पढा जाये.

रामराम.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी लगी यह चर्चा....

Akanksha Yadav said...

इस चर्चा के बहाने कई ब्लोगों को एक साथ पढने का मौका मिल जाता है...सुन्दर प्रयास.
_________
शब्द-शिखर पर इस बार काला-पानी कहे जाने वाले "सेलुलर जेल" की यात्रा करें और अपने भावों से परिचित भी कराएँ.

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर चर्चा आभार ।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

फर्स्टक्लास चर्चा भाई.....
आभार्!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आजकल ब्लॉग जगत में गली के कुत्तों की संख्या ज्यादा हो गयी है।
--------
ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...
धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

बड़ी गजब की फोटुवा लगाये हो भाई, धन्यवाद।
विद्युत गति से चल कर आप तक पहुंचने वाले पत्रों के गंतव्य का खुलासा करेंगे। कृपया।

ई शिर्षक थोड़ा "ऐसा-वैसा" नहीं हो गया है ?

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अच्छी राम राम रही आज तो.

36solutions said...

बहुत सुन्दर चर्चा ललित भैया.

हमारी भी फोटू गज़ब का लगाय है, धन्यवाद.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मुझे इस चर्चा से बहुत ख़ुशी हुई....क्यूंकि.... कल की सबसे सर्वश्रेष्ट रचा शिखा जी की "मेरा हीरो" वाली पोस्ट थी...और इस पोस्ट की कहीं चर्चा नहीं होती तो यह बहुत बड़ी नाइंसाफी होती...... मैं आपका आभारी हूँ.... कि आपने शिखा जी की पोस्ट को अपनी चर्चा में यथोचित स्थान दिया.... बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत .........(n number of) आभारी हूँ........

rashmi ravija said...

मैंने तो चिटठा चर्चा वाली पोस्ट्स देखनी ही छोड़ दी है....पर आज कई पोस्ट्स सिर्फ इसलिए देखीं कि शिखा वार्ष्णेय की इतनी अच्छी पोस्ट की कहीं भी चर्चा हुई है या नहीं...और आशानुकूल निराशा ही हाथ लगी....पर यहाँ..उसका उल्लेख देख...सुखद आश्चर्य हुआ...
और भी कई अच्छे लिंक्स मिले...शुक्रिया

बाल भवन जबलपुर said...

http://bharatbrigade.com/2010/02/blog-post_06.html
http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/02/blog-post_05.html

दिगम्बर नासवा said...

बहुत उम्दा चर्चा....

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया चर्चा ...

shikha varshney said...

अच्छी चर्चा काफी अच्छे अच्छे links मिले..शुक्रिया ललित जी .
@रश्मि जी ,महफूज़ ...आप लोगों का बहुत शुक्रिया मेरी रचना पर इतना विश्वास जताने के लिए और उसे इतना स्नेह देने के लिए

शारदा अरोरा said...

आपने मेरी रचना को चर्चा में रखा ,धन्यवाद , सूचित करने का कष्ट करते तो और अच्छा लगता , ये तो यूं ही नजर पड गई ,और पता लगा ..

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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