Wednesday, March 31, 2010

ब्लॉगर्स सावधान--लिव इन रिलेशनशिप--ये किस मोड़ पर ? "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की"

पिछले साल एक मशीन बनाई गई थी ब्रह्माण्ड का रहस्य जानने के लिए, उसके बनते ही समाचार आने लगा था कि दुनिया पर खतरा मंडरा रहा है, प्रयोग असफ़ल होने पर दुनिया खत्म हो सकती है। इक बार मशीन खराब हो गयी थी दुबारा शुरु करने में 18 माह लगे। इस बिगबैंग प्रयोग के लिए मंगलवार को प्रोटोन्स का पहला सफ़ल कोलिजन रिकार्ड कर लिया गया। यह साईंस की दुनिया के लिए  एक बड़ी उपलब्धि है। अब मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज के हिन्दी चिट्ठों की चर्चा पर------

बैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे  ताऊजी डॉट कॉम पर  वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री शिखा वार्ष्णेय  प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर -----नर्वस 90 का शिकार धीमी गति से ब्लॉग लेखन करते करते 90 पोस्ट ले दे के लिख पाए हैं क्रिकेट के बेट्समेन की भांति हो गए हैं हम नर्वस नाइंटी के शिकार क्यों मन में उमड़ ही नहीं रहा है किसी भी किसम का विचार विषय अनेक हैं अनेक हैं...

लिव इन रिलेशनशिप--एक गंवई देहाती चिंतन.....!! लिव इन रिलेशनशिप पर बहस चल रही है, इसमें हम भी अपनी देहाती, गंवई सोच के साथ सम्मिलित हो गये हैं अब यह बहस सार्थक है कि व्यर्थ अभी इस पर फ़ैसला समय करेगा। लेकिन फ़िर भी हम गाल बजाए जा रहे हैं। ---हम भी हो गए 420 420 कहलाना किसी को पसंद नहीं है। लेकिन इसका क्या किया जाए कि हर इंसान के जीवन में यह आकंड़ा कभी न कभी दस्तक दे ही देता है। कम से कम उस इंसान के जीवन में तो जरूर 420 का दखल होता है जो इंसान लेखन से जुड़ा ह.

सोनिया गाँधी का य़ू टर्न !!! सोनिया गाँधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् क़ी अध्यक्ष बन गयी है!नयी बात ये है क़ी चार साल पहले उन्होंने इसी पद को त्याग दिया था और कहा था क़ी वे राजनीती में केवल सेवा करने आई है ,सत्ता सुख लेना उनका उद्देश्..मीना कुमारी --एक खूबसूरत अदाकारा --आज उनकी पुण्य तिथि है --
आज वितीय वर्ष का क्लोजिंग डे है। इत्तेफाक देखिये , आज ही 5० और ६० के दशक की मशहूर अदाकारा ट्रेजिडी क्वीन मरहूम मीना कुमारी जी की भी पुण्यतिथि है।आज का लेख उन्ही की याद में समर्पित है। अभी कुछ दिन पहले फ...
ओम प्रकाश जिंदल : उर्जा सर्जक लौह शिल्‍पी  किसान से सफल उद्योगपति, सुप्रसिद्ध समाजसेवी व कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में स्व. ओम प्रकाश जिंदल (7 अगस्त 1930-31 मार्च 2005) ने जीवन की प्रत्येक कसौटी पर खरा उतर कर कमर्योगी-सा जीवन बिताया व कठिन परिश्रम, ...पहली फ़िल्म की रोशनी  आलोक धन्वा की यह छोटी सी कविता अपनी सादगी की वजह से मुझे अतिप्रिय है:जिस रात बांध टूटाऔर शहर में पानी घुसातुमने ख़बर तक नहीं लीजैसे तुम इतनी बड़ी हुई बग़ैर इस शहर केजहाँ तुम्हारी पहली रेल थीपहली फिल्म की रोशनी
समान गोत्र में शादी करने वाले युवा दंपत्ति के अपहरण और हत्या के मामले में 5 लोगों को मौत की सजा
करनाल शहर के सत्र न्यायालय ने कैथल शहर के नजदीक एक गांव में समान गोत्र में शादी कर लेने वाले एक युवा दंपत्ति के अपहरण और हत्या के मामले में पंचायत के 7 लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें से 5 लोगों को मौत क...कृपया रास्ता सुझाये ---- शिवकुमार बटालवी, पंजाबी शायरी के शिखर पुरुष  रब्बी गिल के द्वारा गया हुआ गाना सुना था ---- इक कुड़ी जेदा नाम मोहब्बत........बार बार सुना.......इतना सुना कि मेरी कसेट ही ख़राब हो गयी. ये गीत लिखा किसने लिखा था --- शिवकुमार बटालवी, पंजाबी शायरी के शिख...
परदे के पीछे पर्दानशीं है.............माइकल जैक्सन का भूत  हमारे पड़ोस के राज्य क्यूबेक में मुस्लिम औरतों के नकाब पहनने पर पाबन्दी लगा दी गयी है, जो एक अच्छी पहल है, यह हर तरह से अच्छी शुरुआत है, दिनों दिन बुर्के के भी फैशन में इज़ाफा ही हुआ है, बहुत अजीब से बुर्... डॉ. जमालगोटा का करम खोटा... बन गया वो बिन पेंदी का लोटा  अब डॉ. जमालगोटा का करम ही खोटा है तो भला कोई क्या कर सकता है? ये जहाँ भी जाते हैं गाली ही खाते हैं। पर बड़ी मोटी चमड़ी है इनकी, इसीलिये गाली खाकर भी मुस्कुराते हैं। पहले ये हकीमी करते थे किन्तु *"नीम हकीम खत...
लघु कथा- पिछला टायर ! वित्तीय बर्ष की समाप्ति और ३१ मार्च को अधिकाँश बैंको में खाते समापने कार्य के तहत सार्वजनिक लेनदेन न होने की वजह से ३० मार्च को ही वेतन बाँट दिया गया था ! इसलिए सेलरी की रकम हाथ में होने की वजह से हमेशा प... ये किस मोड़ पर ? निशि की सुन्दरता पर मुग्ध होकर ही तो राजीव और उसके घरवालों ने पहली बार में ही हाँ कह दी थी . दोनों की एक भरपूर , खुशहाल गृहस्थी थी . राजीव का अपना व्यवसाय था और निशि को लाड-प्यार करने वाला परिवार मिला. एक ...
ब्लॉगर्स सावधान !!! कुछ भी हो सकता है...खुशदीप बताते हैं कि पुराने ज़माने में हिंदुस्तान में किसी ने चाय का नाम तक नहीं सुना था...ईस्ट इंडिया कंपनी आई...अंग्रेज़ आए...लोगों को सड़कों-चौराहों-नुक्कड़ पर मुफ्त में जग भर भर के चाय पिलाई जाने लगी...खालिस ... प्रिये तुम प्रिये , यह खत नहीं है.यह मेरे हृदय में उठ रहे विचारों का ज्वार है,दिमागी तारों को हिला देनेवाली एक कंपन है,धमनियों में बह रहे रक्त-कणों का आवेग है,एक साथ कई भावनाओं के मिलने से बना एक शब्द है.इसलिये प्रि...
विश्व मंच पर पहचान बना रही हैं भारतीय ललित कलाएं संजय द्विवेदी* देर से ही सही भारतीय ललित कलाएं विश्व की कला दुनिया में अपनी जगह बना रही हैं। शास्त्रीय संगीत और नृत्य से शुरुआत तो हुई पर अब चित्रकला की दुनिया में भी भारत की पहल को स्वागतभाव से देखा जा... लोक आयोग के पाले में मलेरिया विभाग में हुए बहुचर्चित घोटाले की जांच रिपोर्ट  छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मलेरिया विभाग में हुए बहुचर्चित घोटाले की जांच रिपोर्ट आखिरकार लोक आयोग के पास पहुंच गई है। इससे दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।मलेरिया विभाग में हुए घोटाल...
खयालों के परिंदे इस लिए आज़ाद रखता हूँ --जफा की धूप में अब्र-ए-वफ़ा की शाद रखता हूँ इसी तरहा मोहोब्बत का चमन आबाद रखता हूँ छुपा लेता हूँ मै अक्सर तुम्हारी याद के आंसू यही थाती बचा कर अब तुम्हारे बाद रखता हूँ मै अपनी जिंदगी के और ही अंदाज़ रखता हूँ ...-न्यूज चैनल ............. फ़िजूल की बहस !!!-- आजकल "न्यूज चैनल" वाले भी फ़िजूल की बहस को तबज्जो देने में अपनी शान समझने लगे हैं या यूं समझ लें अपनी "टीआरपी" बढाने के चक्कर में फ़िजूल की बहस में उलझे रहते हैं, हुआ ये कि टेनिस खिलाडी "सानिया मिर्जा" और क्...

स्वास्थ्य विभाग की ये कैसी सेवा? *एस. स्वदेश* हाल में कुछ खबरिया चैनलों पर ऐसा ही वाक्या फिर दिखा। नागपुर के सरकारी अस्पताल में पांच दिन का एक मासूम नवजात अस्पतालकर्मियों की लापरवाही से जिंदा जला और मर गया। दुर्गा काडे नाम की महिला ने 1...डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में 'तीसरी आँख' तथा 'राजतंत्र'  31 मार्च 2010 को डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग राग' में तीसरी आँख तथा राजतंत्र की पोस्ट्स

अब देते हैं चर्चा को विराम आपको ललित शर्मा का राम राम-------------

Monday, March 29, 2010

दुष्यंत और शंकुन्तला के बीच---लिव इन रिलेशनशिप--(चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)--->>>>ललित शर्मा

पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए एक घंटे का ब्लेक आउट कि्या गया, इससे पर्यावरण तो बचा कि नही ये तो पता नही, बेचारे पुरनदास गुरुजी का घर जरुर लुट गया, गर्मी में वे सब लाईट बंद करके सपरिवार बाहर  बैठे थे, लेकिन चोर भी ताक में थे वे भी बत्ती गुल होते ही घुस गए बाड़ी तरफ़ का दरवाजा खोल कर, गुरु जी के सामान पर हाथ साफ़ कर गए----मैं ललित शर्मा अब आपको ले चलता हुँ कुछ उम्दा चिट्ठों की चर्चा पर....................

बेनामी ब्लाग पर चल रही है एक सार्थक बहस---विवाह संस्था को अवैध घोषित किया जाय या कम से कम इसे मान्यता तो न दी जाय विवाह संस्था नारी शोषण का मूल है। अब स्थापित पुरुष प्रधान समाज ने यह एक ऐसा हथियार हजारो साल पहले ढूढ़ा जिसने मातृसत्तात्मक समाज को पितृसत्तात्मक बना दिया । बहुकाजी स्त्री को बर्बर शारीरिक बल के अधीन कर दिया गया और यौन शुचिता की बेड़ियों में उसके अस्तित्त्व को इस तरह कस दिया गया कि उसे निहायत प्राकृतिक विधानों पर भी आत्मघृणा होने लगी--------रहस्य गूढ़ नहीं!आयातित वस्तु बड़ी प्यारी लगती है. इम्पोर्टेड आईटम. हमारे विभाग के लोगों को आम जन मानस(मित्र गण) पहले कहा करते थे; कस्टम का माल नहीं पकडाया क्या? उसकी नीलामी नहीं हो रही है क्या? क्यों?
 
कविता ,तुम ही तो मिलाती हो रात के अंधेरों में सन्नाटों की साय साय मन में उठती है हाय हाय कहा हो, कहा हो ? पुकारता ,खोजता में मिल जाता हूँ खुदसे अक्सर तब नींद गहरी आती है सुबह भी चहकती है और नहीं मिल पाता जब खुद से तब खीज से भरा भरा थक...फिल्मी संस्कृति की प्रमुख चुनौतियां- 2 भारतीय सिनेमा में सांस्कृतिक संवाद का मूलाधार है आनंद। इसके तीन मुख्य तत्व हैं, ये हैं, भारतीय संस्कार, गाने और संगीत। ये तीनों ही तत्व मिश्रित संस्कृति का रसायन तैयार करते हैं।
 
पानी की मार बचपन में जब जाता था परीक्षा देने या जब जाते थे पिताजी घर के बाहर दूर किसी काम से तो माँ झट से रख देतीं थीं दरवाजे पर दो भरी बाल्टियाँ कहती थीं- शुभ होगा। आज जब निकलना चाहता हूँ घर के बाहर तो पत्नी झट से------ फेसबुक और ऑरकुट के दीवानों, ज़रा इधर भी नज़र डालो *[पुराने पन्नों से] साथियों .....मास्टरों और उधार का चोली दमन का साथ है अतः आशा है कि आप लोग मुझे साहिर साहब की इस रचना को उधार लेकर, इसका दुरुपयोग करने के लिए माफी प्रदान करेंगे .
 
रवि कुमार ने जीता एक लाख का खिताब--राष्ट्रीय ओपन शतरंज की अंतिम बाजी में मेजबान छत्तीसगढ़ के रवि कुमार ने रूपेश कांत के साथ २३ चालों में ही बाजी ड्रा खेलकर आधा अंक बटोरा और इसी के साथ खिताब और एक लाख की इनामी राशि पर कब्जा कर लिया। यह पहला ...छत्तीसगढ़ी लोक कला के धुरी 'नाचा' 'जुन्ना समय अउ अब के नाचा म अब्बड़ फरक होगे हे। जुन्ना नाचा कलाकार मन रुपिया-पइसा के जगह मान सम्मान बर नाचयं गावयं। गरीबी लाचारी के पीरा भुलाके कला साधना म लगे राहयं, कला के संग जिययं अऊ मरयं। 
 
अन्तर सोहिल = Inner Beautiful -यह वाक्या पढने से पहले कुछ हरियाणवी शब्दों के अर्थ समझ लेना जरूरी है। उडै = वहां उरेनै-परेनै = इधर-उधर सोन की खातर = सोने के लिये टोण लाग्या = ढूंढने लगा कितै भी = कहीं भी किस तरियां = किस तरह न...भिखारी  अपने देश में भिखारियों की संख्या दिन-व-दिन बढते जा रही है गली-मोहल्लों, चौक-चौराहों, गांवों-शहरों, धार्मिक स्थलों, लगभग हर जगह पर भिखारी घूमते-फ़िरते दिख जाते हैं और तो और रेल गाडियों में भी इनका बोलबाला है... 
 
कोख में आतंकवाद दूर किसी आँगन में खिल रही थी एक कली.... नन्ही सी... प्यारी सी कली.. नहीं--नहीं!! कहाँ खिली वह कली..? खिलने से पहले ही मसल दी गयी वह नाज़ुक कली क्यों..?? क्योंकि वह कली गर खिल जाती तो माता... सुमन के भीतर आग है हार जीत के बीच में जीवन एक संगीत। मिलन जहाँ मनमीत से हार बने तब जीत।। डोर बढ़े जब प्रीत की बनते हैं तब मीत। वही मीत जब संग हो जीवन बने अजीत।। रोज परिन्दों की तरह सपने भरे उड़ान। यदि सपन जिन्दा रहे लौटेगी--
 
सदगुरु दांव बतईया खेले दास कबीर " मेरे गुरुदेव स्वामी चिन्मय योगी जी ने अपने गुरु भगवान श्री रजनीश ओशो से पुछा "भगवान् ,किसी व्यक्ति को सदगुरु मिल गया. सदगुरु ने पूजा ध्यान विधि बता दी .उसके बाद क्या सदगुरु की आवश्यकता नहीं है ?" अल्पना के ग्रीटिंग्स की एक प्रदर्शनी-आर्ट गैलरी रायपुर मे-27मार्च से 31 मार्च तक सृजनशील हाथ सृजन कार्य मे निरंतर लगे रहते हैं, यह एक साधना है, इस साधना से नई कृतियों का जन्म होता है, जिसमें सृजनकर्ता की वर्षों की मेहनत लगी रहती है। जब उचित समय आता है
 
हुआ हूँ फिर उपस्थित तेरे सम्मुख ,,,, ओ दयानिधे(प्रवीण पथिक) ,,,, अतृप्त इच्छाओ की ,,, अधबनी नौका लेकर ,,, हुआ हूँ फिर उपस्थित तेरे सम्मुख ,,,, ओ दयानिधे ,,,, टकटकी लगा रखी है ,,,, तेरी हर अनुग्रही क्रिया पर ,,,, की काश कोई द्रष्टि इधर भी हो ,,,, ओ समग्र नियन्ता ,,,, मेरी----- कैसा हो कलियुग का धर्म ??
प्रत्‍येक माता पिता अपने बच्‍चों को शिक्षा देते हैं , ताकि उसके व्‍यक्तित्‍व का उत्‍तम विकास हो सके और किसी भी गडबड से गडबड परिस्थिति में वह खुद को संभाल सके। पूरे समाज के बच्‍चों के समुचित व्‍यक्तित्‍व नि...
 
डार्लिंगजी :पुस्तक समीक्षा नर्गिस और सुनील दत्त की जोड़ी हमेशा हमारे लिए एक आयडियल जोड़ी रही है...लेकिन उनके मिलने की कहानी भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम पेंचीदा नहीं है....जहाँ एक ओर बचपन से अपनी माँ के द्वारा नर्गिस सिनेमा-जगत में आ ----- दुष्यंत और शंकुन्तला के बीच कौन सा संबंध था?महाभारत संस्कृत भाषा का महत्वपूर्ण महाकाव्य (धर्मग्रंथ नहीं)। हालांकि महत्वपूर्ण धर्म ग्रंथ का स्थान ग्रहण कर चुकी श्रीमद्भगवद्गीता इसी महाकाव्य का एक भाग है। महाभारत बहुत सी कथाओं से भरा पड़ा है। 
 
अमिताभ बच्चन को ही नहीं हरिद्वार में गंगा स्नान को भी कांग्रेस राजनैतिक चश्मे से देख रही विधानसभा अध्यक्ष के आमंत्रण पर छत्तीसगढ़ के अधिकांश विधायक हरिद्वार की यात्रा पर गए। पहले मुख्यमंत्री ने आमंत्रित किया था तो कांग्रेस विधायक दल ने इंकार कर दिया था। क्योंकि उन्हें डर था कि मुख्यमंत्री के आ.----- विदेश में जन्मे, भारत में शिक्षा पा रहे बच्चे के मामले में न्यायिक क्षेत्राधिकार पर नए सिरे से विचार करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने विदेश में जन्मे, लेकिन यहां शिक्षा पा रहे बच्चे के मामले में देश की अदालतों के न्यायिक क्षेत्राधिकार पर नए सिरे से विचार करने का फैसला किया है। शीर्ष कोर्ट ने एक ऐसे मामले पर आखिरी फैसला ह..
 
नर्सिंग होम में हंगामा श्रीगंगानगर के आदर्श नर्सिंग होम में इलाज के दौरान एक महिला की मौत के बाद उसके परिजनों ने नर्सिंग होम के अन्दर बाहर धरना देकर एक सामान उस पर अपना कब्ज़ा कार लिया। एक दिन एक रात के बाद पुलिस भारी सुर------ लुटा अपनी रिश्तेदारी में ~~~~ सारी उम्र कटी यूँ तो सिपहसालारी में मारा गया बेरहमी से मगर वो यारी में . इम्तहान तो था महज़ कुछ घंटों का पूरा साल निकल गया देखो तैयारी में . बहुत ढूढ़ा खोया था जो इकलौता बीज अंकुरित हुआ तो मिला इस क्य..
 
गणेश शंकर 'विद्यार्थी' पत्रकारिता के आदर्श पुरुष : बख्शी सृजनपीठ का कार्यक्रम--आदर्श पत्रकारिता को जीवंत बनाकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हुंकार भरने वाले शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान दिवस पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ कार्यालय सेक्टर-9 में विगत दिनो मनाया गया। उपस्थित पत...ताऊ पहेली - 67 प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 67 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं क..------
 
लिव इन रिलेशनशिप : फ़ैसले पर एक दृष्टिकोण --- यूं तो अभी इस मुद्दे पर लंबित मुकदमें में न्यायालय का अंतिम फ़ैसला नहीं आया है , और जाने किन किन आधारों पर मीडिया में इस मुद्दे को लेकर तमाम तरह की खबरें , रिपोर्टिंग और सर्वेक्षण तक दिखाए समझाए जा रहे हैं । इस फ़ैसले को लेकर बहस, और फ़ैसले के बाद की-------  और इस बार फ्लाईट छूटी..(केरल यात्रा : संस्मरण -१) लीजिये ,एक अल्पान्तराल के बाद फिर हाजिर हूँ .इस बीच विभागीय कार्य  से केरल यात्रा कर आया .सोचा था कि इस बार यात्रा की अपनी परेशानियों जिनसे अपुन का  चोली दामन का साथ है से ब्लागर मित्रों को बिलकुल भी क्लांत नही करूंगा .घर में तो "जहाँ जाईं 
 
संजीवनी हृदय तिमिर को  बींधतीतेरी रूह की सिसकती आवाज़जब मेरे हृदय कीमरुभूमि से टकराती हैमुझे मेरे होने का अहसास करा जाती हैजब तेरे प्रेम की स्वरलहरियाँ हवा केरथ पर सवार होमेरा नाम गुनगुना जाती हैंमुझे जीने का सबबसिखा जाती हैंजब  दीवानगी---- गीत --  देखो चन्दन वन बहक  गया ,जाने कितना कुछ महक गया ,अंगड़ाई ली अभिसारों ने ,मादक परिणय व्यापारों ने ,फुनगी पर चढ़ा पलाश यहाँ ,पिघले लोहे सा दहक गया //देखो ......छूटी पीछे बीती पीड़ा ,श्वांसों ने छेड़ी है वीणा ,जागे जीवन मे राग नए ,भोला मन फिर से
 
चलते चलते देखिए कार्टुन कोना----डब्बु जी---


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आभार

Wednesday, March 24, 2010

आज सान्ध्यकालीन विशेष चर्चा हिंदी चिट्ठों की------------------------ललित शर्मा

भगवान श्री राम का जन्मदिवस धुम-धाम से मनाया गया,आज कुछ चिट्ठों की फ़टाफ़ट चर्चा करते हैं, अब मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की चर्चा हिंदी चिट्ठों की पर---
सबसे पहले चर्चा करते हैं ताउ डॉट कॉम पर जहां वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता प्रारंभ हो चुकी है। आज प्रकाशित किया गया हैवैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : श्री ललित शर्मा हमने वैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की घोषणा की थी. जिसके लिये हमें बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. जैसा की हमने बताया था कि शामिल प्रविष्टियों का प्रकाशन ताऊजी डाट काम पर किया जायेगा. उसी घोषणा अनुसार आज से हम प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं का प्रकाशन शुरु कर रहे हैं.-----
इधर गगन शर्मा जी कह रहे हैं कि सचिन इसीलिए कुछ अलग सा है.आई पी एल नामक क्रिकेट के तमाशे में सम्मिलित टीमों के नामों पर गौर किया है आपने? चलिए मान लेते हैं कि ऐसी हुल्लड़ भरी नौटंकियों में भाग लेना है तो नाम भी ऐसे, वैसे, कैसे, कैसे ही होंगे, लोगों को रोमांचित...काव्य मंजुषा पर अदा जी कह रही हैं 'नीम हकीम ख़तरा-ए-जान' .....शेफाली जी पास होऊँगी या नहीं..?? * * *एक कहावत पढ़ी थी... * *'नीम **हक़ीम** ख़तरा-ए-जान' *बचपन से इसका मतलब यही जाना कि जिसे आधा ज्ञान हो उससे खतरा होता है, अंतरजाल खंगाल डाला तो कहीं मिला: नीम हक़ीम ख़तरा जान----
मनोज जी कह रहे हैं देसिल बयना 23 : मार खाई पीठिया -- करण समस्तीपुरी जय हो ! जय हो !! भये प्रकट किरपाला..... दीन-दयाला कौसल्या हितकारी........... !!! बधाई हो रामनवमी का त्यौहार !!! अरे राम नवमी से याद आया......... ओह ! कहाँ गया उ दिन ! हाथ-पैर से होली का... रानी विशाल जी एक कविता लेकर आई हैं वो पल.....अब भी मेरे पास है कांपते हाथों से मेरे हाथों को लेकर हाथ में जो चाहते थे कहना तुम शब्द वो भी बह रहे थे समय की तरह आँसूओं के साथ....!! भीगते जज्बातों का वो पल.....जब छुपाई थी अपनी आँखों की नमी एक दूजे से हमने,...
यहां पर देखिए वरिष्ठ आर्टिस्ट श्याम निनोरिया कृत थम्ब इम्प्रेशन चित्र !! *आर्ट गैलरी पर प्रस्तुत है रायपुर वरिष्ठ के आर्टिस्ट श्याम निनोरिया जी के द्वारा निर्मित ग्रीटिंग कार्ड* श्री श्याम निनोरिया जी द्वारा निर्मित थम्प इम्प्रेशन पेंटिंग----अग्रदुत पर विष्णु सिन्हा जी लिख रहे हैं कनू सान्याल की आत्महत्या नक्सलियों को इशारा है कि उनका रास्ता गलत है नक्सली आंदोलन के जनक कनू सान्याल ने फांसी के फंदे पर लटकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। 78 वर्षीय कनू सान्याल वैसे तो बुढ़ापे के रोगों से पीडि़त थे लेकिन आत्महत्या उनके सिद्घांतों पर प्रश्रचिन्ह तो लगाता ही है..
कुसुम ठाकुर जी ने एक बहुत ही अच्छी कविता लिखी है यह सोच मैं हूँ हैरान " यह सोच मैं हूँ हैरान " बहुत कठिन है साथ में हँसना , और किसी की खातिर रोना , सँग सँग जीवन पथ पर फिर भी , चलना है आसान , यह सोच मैं हूँ हैरान । महल से न कम घर होगा , क्या सोची थी यह कब होगा ? जीवन की स...---कुमारेंद्र सेंगरज जी कह रहे हैं अबे यार! कल एक 'डे' सूना-सूना निकल गया ! ! !गनपत- क्या यार! क्यों शान्त-शान्त से बैठे हो? मुँहफट- कुछ नहीं यार! कल एक डे निकल गया और हमें कानों-कान खबर भी नहीं हो सकी। गनपत- कौन सा डे, बे? हम तो सारे के सारे डे, दिवस, त्यौहार अपनी डायरी में न...
नवी्न प्रकाश ले आए हैं----नया Mozilla Firefox 3.6.2 Finalसबसे अच्छे इंटरनेट ब्राउजर का नया संस्करण Mozilla Firefox 3.6.2 Final सबसे तेज ज्यादा सुरक्षित और ज्यादा भरोसेमंद । आपके कंप्यूटर के लिए एक बेहद जरुरी औजार । यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करें । पोर्टेबल वर्जन...--नुक्कड़ पर लिम्टी खरे जी कह रहे हैं--हमारा पहला अद्भुत और अकल्पनीय अनुभव है पाड्कास्ट *हमारा पहला अद्भुत और अकल्पनीय अनुभव है पाड्कास्ट * ** * इंटरनेट का इन्द्रजाल समझना बहुत ही मुश्किल है। इंटर नेट पर जहां तक आप सोच सकते हैं आप उससे कहीं आगे जा सकते हैं। इसके साथ ही साथ ब्लाग ने तो धूम मचा ...
विजय प्रकाश सिंह जी ले आए हैं राम - कृपानिधान ( राम नवमी के अवसर पर - एक दॄष्टिकोण ) प्रभु श्री राम पर कितना कुछ सब को पता है और कितना लिखा - पढ़ा जाता है इसे शब्दों मे बांधना एक साधारण मनुष्य के लिए अकल्पनीय है । दिन भर जाने अनजाने हम राम का स्मरण करते हैं । ऐसे मे मेरे जैसे एक साधारण व्य...
गोदियाल जी बता रहे हैं कूड़ा-करकट ! सर्वप्रथम सभी मित्रों को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाये ! * तजुर्बों से ही दुनिया सीखती है अक्सर, बड़े इत्मिनान से उन्होंने हमें बताई ये बात ! और हम थे कि हमें यह भी मालूम न था कि रात के बाद दिन निकलता है या...
अवधिया जी बता रहे हैं उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना ... प्रभु की यह मुस्कान ही तो माया है रामनवमी पर विशेष राम ... दो अक्षरों का एक ऐसा नाम जिस पर संसार का प्रत्येक हिन्दू की अथाह श्रद्धा है। राम हिन्दुओं के आराध्य देव हैं और राम का नाम उनके लिये भवसागर से मुक्ति देने वाला मन्त्र है। गोस्वामी... कुलवंत हैप्पी बता रहे हैं-भारतीय की जान की कीमत ***(बाल-बुद्धि भारतियों पर कवि का कटाक्ष)* अरे - समझौता गाड़ी की मौतों पर - क्या आंसू बहाना था उनको तो - पाकिस्तान नाम के जहन्नुम में ही - जाना था मरने ही जा रहे थे - लाहौर, करांची - या पेशावर में मरते औ...
सजंय भास्कर जी कह रहे हैं--आजादी के इन महानायकों को हम भी याद करते हैं मेरा रंग दे बसंती चोला, माहे रंग दे। इन लाइनों को सुनने के बाद देश पर जान कुर्बान करने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की यादें ताजा हो जाती हैं। दो साल पहले भी एक फिल्म रंग दे बसंती के जरिए देश के युवा... दीपक मशाल लेकर आए हैं एक लघुकथा पूजा के लिए सुबह मुँहअँधेरे उठ गया था वो, धरती पर पाँव रखने से पहले दोनों हाथों की हथेलियों के दर्शन कर प्रातःस्मरण मंत्र गाया 'कराग्रे बसते लक्ष्मी.. कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तु.....'. पिछली रात देर से ...
आरंभ पर संजीव तिवारी कह रहे हैं कैसे बने हमारी भाषाई पहचान? स्‍थानीय भाषा और बोली में ब्‍लाग संचालन को प्रोत्‍साहन देने के लिए समय समय पर पाठकों की टिप्‍पणियां और मेल प्राप्‍त होते रहते हैं. हमारे छत्‍तीसढ़ के एवं हिन्‍दी ब्‍लाग जगत के पूर्णसक्रिय  प्रख्‍यात मूंछों वाले ब्‍लागर ललित शर्मा जी नें हमें पिछले दिनों बतलाया था कि इस प्रकार के मेल उन्‍हें भी प्राप्‍त होते रहे हैं  दिनेश राय द्विवेदी जी लेकर आए हैं वे सूरतें इलाही इस देश बसतियाँ हैं -महेन्द्र नेह वे सूरतें इलाही किस देश बसतियाँ हैं, अब जिनके देखने को आँखें तरसतियाँ हैं* **यह मीर तकी 'मीर' का वह मशहूर शैर है जो अक्सर शहीद भगतसिंह और उन के साथियों के होठों पर रहा करता था।

अब चलते चलते कार्टुनो पर नजर डालिए




अब देते हैं विराम आपको रामनवमी की शुभकामनाएं और ललित शर्मा का राम-राम

Sunday, March 21, 2010

रविवार की छोटी चर्चा , पर खबरे बड़ी (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार ,
मै पंकज मिश्रा आप सबका स्वागत करता हु अपने इस चर्चा ब्लॉग पर ..चर्चा में समय कम दे पा रहा हु क्युकी नौकरी पर समय ज्यादे दे रहा हु . खैर कोई बात नहीं दोनों की जरुरत के हिसाब से समयानुकूल मैनेज किया जाएगा !
चलिए चर्चा की तरफ चलते है .
आज ललित शर्मा का जनमदिन है

रविवार को हमारे चर्चा परिवार के सदस्य श्री ललित शर्मा जी का जन्मदिन था ,शर्मा जी आपको हमारी तरफ से जन्मदिवस की ढेरो सारी शुभकामनाये ! ब्लॉग जगत के बाकी लोगो की तरफ से भी आपको शुभकामनाये मिली जिसके बारे में जी के अवधिया जी ने अपने ब्लॉग पर प्रकाश डाला है !
जी के अवधिया जी ने बताया है कि
केक नहीं काट रहे ललित जी आज अपने जन्म दिन पर..
हमारे छत्तीसगढ़ में किसी के जन्मदिन मनाने के लिये आँगन में चौक पूरा (रंगोली डाला) जाता था, सोहारी-बरा (पूड़ी और बड़ा) बनाये जाते थे। बड़े उड़द दाल के होते थे, हाँ स्वाद बढ़ाने के लिये थोड़ा सा मूँगदाल भी मिला दिया जाता था। सगे-सम्बन्धियों तथा मित्र-परिचितों को निमन्त्रित किया जाता था। जिसका जन्मदिन होता था उसे टीका-रोली आदि लगाकर उसकी आरती उतारी जाती थी। वह स्वयं अपने से बड़ों के पैर छूता था और उससे कम उम्र वाले उसके पैर छूते थे। फिर प्रेम के साथ खा-पीकर खुशी-खुशी सभी विदा लेते थे। न कोई भेटं न कोई उपहार, भेंट-उपहार की प्रथा ही नहीं थी।

और दूसरी तरफ सुमन जी ने लोकसंघर्ष पर आज बताया है कि
भगत सिंह के वैचारिक शत्रु
1930 में जब भगत सिंह जेल में थे, और उन्हें फाँसी लगना लगभग तय था, उन्होंने एक पुस्तिका लिखी, “मैं नास्तिक क्यों हूँ।” यह पुस्तिका कई बार छापी गयी है और खूब पढ़ी गयी है। इसके 1970 के संस्करण की भूमिका में इतिहासकार विपिन चंद्र ने लिखा है कि 1925 और 1928 के बीच भगत सिंह ने बहुत गहन और विस्‍तृत अध्ययन किया। उन्होंने जो पढ़ा, उसमें रूसी क्रांति और सोवियत यूनियन के विकास संबंधी साहित्‍य प्रमुख था। उन दिनों इस तरह की किताबें जुटाना और पढ़ना केवल कठिन ही नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी काम था। भगत सिंह ने अपने अन्य क्रांतिकारी नौजवान साथियों को भी पढ़ने की आदत लगायी और उन्हें सुलझे तरीके से विचार करना सिखाया।

अनिल पुसादकर जी ने सवाल किया है कि
क्या आत्महत्या ही सारी समस्याओं का हल है?
और लिखते है कि
खैर इस बारे मे बहुत सी बातें पहले हुई होंगी और शायद होती ही रहेंगी तब-तक़,जब तक़ हम अपने बच्चों को उस स्थिती मे जाने के लिये ढकेलते रहेंगे।पता नही क्यों हम अपने बच्चों से ज़रूरत से ज्यादा अपेक्षा करने लगते हैं?क्यों हम उनसे हमेशा बेहतर और उससे भी बेहतर की उम्मीद करते हैं?मेरे भी घर मे दो बहुत ही छोटी क्लास के छात्र हैं।उनमे से एक क्लास थ्री की स्टूडेंट है मेरी भतीजी युति और दूसरा पी पी यानी के जी टू का स्टूडेंट है हर्षू।दोनो की ही मम्मी परीक्षा के समय बेहद तनाव मे रहती है और बच्चों को रिज़ल्ट खराब आया तो देखना,ये नही मिलेगा,वो नही मिलेगा कहकर धमकाते रहती है।मैने कई बार उन लोगों से कहा कि तुम लोग अपने मार्क्स बताओ फ़िर उनसे कुछ कहो।इस बात पर वे मेरे सामने तो कुछ नही कहती लेकिन बाद मे बच्चों को फ़िर से धमकी मिल जाती है बाबा को बताया ना तो देखना।

पी सी गोदियाल जी ने गजब की कविता लिख मारी है आप भी पढ़िए
साठ साल मे अकल न आई.....!
महलों के सुख भोग रहे, हाथों मे जाम ठसे हुए है । सडकों की बदहाली से, लोग जाम मे फंसे हुए है ।।लूट-खसौट उद्देश्य रह गया, आज हर जन-नेता का।तथ्य को तोड-मरोडना, काम ये कानून के बेता का ॥धर्म-समाज मे हवा दे रहे, ये बे-फजूल के पंगो को । साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ॥कत्ल-हिंसा,बलात्कार-व्यभिचार,इनका यही लेखा है।आजादी के इस कालखंड मे,देश ने क्या नही देखा है ।।

शरद कोकाश जी ने बताया है कि
मेहनतकश जंग लड़कियों को सिखाती है इंतज़ार करना


गिरिजेश राव भईया का कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा है फिर भी लिख दिए है यहाँ लिखने का मन कर रहा है पर समय की कमी बहुते खल रही है , फिर भी गिरिजेश जी ने लिखा है कि
कुछ लिखना है लेकिन मन नहीं बन रहा इसलिए यह लिख दिया :)
यह सारी बकवास इसलिए कर रहा हूँ कि रविवार है। मन नहीं लग रहा और जो लिखना है वह इतनी दक्षता की माँग कर रहा है कि कँपकँपी छूट रही है। ब्लॉग जगत के महारथी, अतिरथी, सारथी, रथविरती, व्रती, पैदल ... वगैरह सबने टिप्पणियों पर कुछ न कुछ अवश्य लिखा है। मुझे लगा कि मेरा यह संस्कार तो अभी तक हुआ ही नहीं ! इसलिए सम्पूर्ण ब्लॉगर बनने की दिशा में एक और पग बढ़ाते हुए यह लेख लिख रहा हूँ।
उपर जो लिखा है वह इसलिए लिख पाया कि परोक्ष रूप से मुफ्त प्लेटफॉर्म उपलब्ध है। अगर इस काम के लिए पैसे अंटी से निकलते प्रत्यक्ष दिखते तो शायद न लिखता, संयम रखता। मुफ्त के प्लेटफॉर्म पर मुफ्त की सलाह देना अपराध नहीं एक कर्तव्य है - उसे मानने वाले की अंटी से हजारो नोट निकल जाँय तो भी।


खुशदीप जी के ब्लॉग पर दो सौ पोस्ट पुरी हो गयी है आज - चलिए बधाई दे रहे है आपको
मेरी डबल सेंचुरी और भगवान लापता...खुशदीप
इस दौरान जो मैंने आपका बेशुमार प्यार कमाया, वही सबसे बड़ी पूंजी है...इस दौरान मेरे आइकन्स समेत बड़ों ने मेरा हौसला बढ़ाया, सुझाव दिए...रास्ता दिखाया...वहीं हमउम्र साथियों और छोटे भाई-बहनों ने भी मुझे भरपूर प्यार दिया...मैं किसी एक का नाम नहीं लेना चाहूंगा...सभी मेरे लिए सम्मानित हैं...हां गुरुदेव समीर लाल समीर का नाम इसलिए लूंगा कि उन्होंने ब्लॉगिंग के रास्ते पर पहले दिन से उंगली पकड़ कर चलना सिखाया...


अजय भाई का मुदा -
मालावती की माला से भी गंदा है ये ...इन पर भी थू थू थू
खबर है कि पंजाब में सड रहा है सैकडों करोड का गेहूं । खबर ये है कि अब जबकि इस गेहूं की नई फ़सल भी लगभग तैयार है तो पता चला है कि पिछले दो सालों से तैयार और जमा गेहूं जो लाखों मीट्रिक टन है ॥वो अब सडने लगा है ...कारण भी तो सुनते जाईये ..उसे रखने के लिए सरकारों के पास जगह नहीं है ।गोदाम नहीं है ..वाह जिस देश में लाखों लोगों का पेट खाली है उस देश की सरकार के पास अनाज रखने के लिए जगह नहीं है और हालत ये है कि अब वो सडने के कगार पर है ।



और अंत में एक जरुरी सूचना -

बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना : ताऊ रामपुरिया
माननीय ब्लागर बंधुओं, आप सभी को गुडी पडवा (नव वर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएं.
नववर्ष के शुभारंभ के पावन अवसर पर हास्य व्यंग के लिये आज ताऊ डाट इन की तरफ़ से बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना की घोषणा करते हुये हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही हैं.
इस सम्मान का उद्देश्य ब्लाग जगत में हास्य व्यंग के लेखन को प्रोत्साहन देना और हास्य व्यंग्यकारों को सम्मानित करना है. हम जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज की सुदृढ़ता के लिए ऐसे लेखन का बहुत महत्व है. इसके लिये समस्त सूचनाएं इस प्रकार हैं.
सम्मान के बारे में:-
1. बैशाखनंदन स्वर्ण सम्मान - 2010 (एक पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 5,100/= (पांच हजार एक सौ रुपिये)
एवम प्रमाण पत्र
यह पुरस्कार चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना को दिया जायेगा.
2. बैशाखनंदन रजत सम्मान - 2010 ( पांच पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 500/= (पांच सौ रुपये) प्रत्येकएवम प्रमाण पत्र
3. बैशाखनंदन कांस्य सम्मान - 2010 (ग्यारह पुरस्कार)
सभी को
सुश्री सीमा गुप्ता की नई प्रकाशित पुस्तक "विरह के रंग" की एक प्रति -एवम प्रमाणपत्र



( यह चर्चा आफिस के पी सी से कर रहा हु अतः फोटो नहीं लगाया हु )
धन्यवाद !

Wednesday, March 17, 2010

“ब्लॉग में अपार संभावनाएँ हैं” (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)

अंक : 159
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"" का सादर अभिवादन!
आइए पिछले 24 घण्टों की कुछ पोस्टों की चर्चा प्रारम्भ करता हूँ!
तेताला

ब्लॉग में अपार संभावनाएं हैं : कनिष्क कश्यप - [image: The Representative Voice of Hindi Blogs] ब्लॉगप्रहरी एक उम्दा सोच का रिज़ल्ट ही है, आज उस उम्दा सोच के धनी कनिष्क कश्यप से हुई भेंट वार्ता सादर...
my own creation
वही कहते हैं! - अब कोई और काम नहीं रह गया, हर पल तेरे ख्यालों में रहते हैं, खमदार(१) गेसुओं में खोये हुए, दिल की उलझने सुलझाते रहते हैं, ना जाने की इबरत(२) गजरे ने दी थी, बो...
नवगीत की पाठशाला

३०- आँगन में बासंती धूप : अजय गुप्त - शिखरों से घाटी तक सोना सा बिखर गया, आँगन में बासंती धूप उतर आई है। खेतों से पनघट तक कोहरा ही कोहरा था, कहीं नहीं हलचल थी सब ठहरा-ठहरा था। हिम निर्मित चोली ...
काव्यतरंग

यह कैसी प्रतीक्षा.. - पल पल अविरल निर्बाध सदा भावो में बहता रहता है पग पग पर हर दम मखमल सा राहों में साथ वो रहता है कण कण में पृथ्वी के जिसका अस्तित्व समाहित है त्रण त...
यशस्वी

औली के बारे में कुछ - औली उत्तराखण्ड का एक भाग है। यह 5-7 किमी. में फैला छोटा-सा स्की रिसोर्ट है। इस रिसोर्ट को 9,500-10,500 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। यहां बर्फ से ढकी चोटिय...
नन्हें सुमन

‘‘प्यारी प्राची’’ - *** * *इतनी जल्दी क्या है बिटिया, * *सिर पर पल्लू लाने की।* *अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,* *समय बिताने की।।* ** *(चित्र गूगल सर्च से साभार)* *मम्मी-प.
JHAROKHA

यकीन - ** * तुम्हारे यकीं का इंतजार करते करते अब थक चुकी हूं मैं फ़िर भी तुम्हें आया नहीं यकीं मुझ पर अब तक उससे तुम नहीं मेरा आत्म सम्मान टूटता है और मै..
Hindi Tech Blog

यूट्यूब विडियो डाउनलोड करने का औजार - यूट्यूब के विडियो डाउनलोड करने का एक आसान औजार ये सिर्फ विडियो डाउनलोड करने कि सुविधा तो देता ही है उसे कुछ मुख्य विडियो फोर्मेट में बदलने कि भी सुविधा इ...
साहित्य योग

"युवाओं से है मेरी पुकार...सरदार भगत सिंह की कुछ पक्तियों से...." - आज आप को मैं कुछ उन पक्तियों से परिचय कराता हूँ जब सरदार भगत सिंह जेल में अपनी मंगेतर के याद में गाया करते थे. आजीवन तेरे फिराक जुदाई विछोट्र, विरह, नामिल...
ताऊजी डॉट कॉम

फ़र्रुखाबादी विजेता (200) : श्री पी.सी.गोदियाल - नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि ह...
समाचार:- एक पहलु यह भी
मुबारक हो, आज नववर्ष है - आज सुबह से ही दोस्तों और परिचितों के एसएम्एस आने लगे थे. हर रोज की तरह कोई अच्छे दिन की बधाई दे रहा था तो कोई गुड मोर्निंग विश कर रहा था. कुछ मित्रो ने नवर..
उच्चारण
“स्लेट और तख़्ती” - *सिसक-सिसक कर स्लेट जी रही, तख्ती ने दम तोड़ दिया है। सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है, कलम टाट का छोड़ दिया है।। **[image: slate00]**[image: patti1]** **[image...
naturica
दौर - ए - बाज़ार, न देखा जाए - बदल डालेंगे साथ आ, अगर तुझसे भी। सूरत-ए- हाल को बीमार, न देखा जाए॥ ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद लौट रहा हूँ ....उम्मीद है सभी साथी बाखैरियत होंगे .... नयी ग़ज़...
ज़िन्दगी
तेरे पास - सुन तेरे चेहरे पर गुलाब सी खिली मधुर स्मित नज़र आती है मुझे जब तू दूर -बहुत दूर निंदिया के आगोश में स्वप्नों के आरामगाह में विचरण कर रहा होता है तेरे सीने...
अंधड़ !
अरे भाई जी, किसी ने ये सवाल भी पूछे क्या ? - *जहां तक माया की "माया" का सवाल है, हमारे उत्तराँचल में पूर्वजों के जांचे-परखे दो बहुत ख़ूबसूरत मुहावरे प्रचलित है, जो समय की कसौटी पर खरे भी उतरे है ! इनमे...
simte lamhen
शहीद तेरे नाम से... - बरसों पुरानी बात बताने जा रही हूँ...जिस दिन भगत सिंह शहीद हुए,उस दिन का एक संस्मरण... सुबह्का समय ...मेरे दादा-दादी का खेत औरंगाबाद जानेवाले हाईवे को सटक...
गीत सुनहरे
शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 5 - शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 5 देश प्रेम का ज्वार भरा था, रोम रोम अंगार भरा था . मन में शोले भड़क रहे थे, स्वतंत्रता को तड़प रहे थे . प्रचण्ड शक्ति संचित कर भाल...
दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़
कब्रिस्तान में सूर्योदय - कोई नियम नहीं टूटा नहीं विच्छिन्न हुआ कोई वैधानिक प्रावधान एक मनभावन मुस्कान तो थी छतनार दरख्तों के होठों पर लेकिन बारिश से वह नम हो चुकी थी कुछ फीकी और कुछ ...
Alag sa
कबीरदासजी और छत्तीसगढ़ - साहेब बंदगी साहेब का स्वर यदि कभी सुनाई पड़े तो जान लीजिए कि कबीर पंथी आपस में एक दुसरे का अभिवादन कर रहे हैं। सत्यलोक गमन के पश्चात कबीर जी की वाणी का संग्...
पराया देश
सिर्फ़ मर्दो के लिये... एक चुटकला?? - इस चुटकले को सिर्फ़ हंसी ओर मजाक के तॊर पर ले, अगर किसी को पढने के बाद कॊई ऎतराज हो तो अपने लेपटाप पर, या अपने पीसी पर सारा गुस्सा उतारे, कृप्या मेरी टांग न..
गत्‍यात्‍मक चिंतन
क्‍या सचमुच हमारे सोने के चेन में उस व्‍यक्ति का हिस्‍सा था ?? - कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं अवश्‍य घट जाती हैं , जिसे संयोग या दुर्योग का पर्याय कहते हुए हम भले ही उपेक्षित छोड दें , पर हमारे मन मस्तिष्‍क को झकझोर ह...
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
रिलायन्स वाले ऐसे काटते हैं ग्राहकों की जेब से पैसे... - नमूना पेश-ए-खिदमत है... आप किसी जरूरी कार्य में व्यस्त हैं अथवा यात्रा कर रहे हैं. रिलायन्स के ही किसी अनजाने नम्बर से काल आती है. आप काल रिसीव कर लेते हैं...
my own creation
वही कहते हैं! - अब कोई और काम नहीं रह गया, हर पल तेरे ख्यालों में रहते हैं, खमदार(१) गेसुओं में खोये हुए, दिल की उलझने सुलझाते रहते हैं, ना जाने की इबरत(२) गजरे ने दी थी, बो...
मुक्ताकाश....
दुविधा की देहरी से... - [सच, वह सच कहता है !] साम्प्रदायिकता की बोतलों में संकीर्णता का लेबल चिपका कर कुंठाओं के कार्क लगा तुम मुझे भी उसमें बंद कर देना चाहते हो : मेरे लिए तो बड़ी ...
काव्य मंजूषा

सबने उसे बहुत सताया है... - कई दिन बाद वो घर आया है पर चेहरे से लगता वो पराया है दामन से उसके लिपटे, सो गए आधी रात उसने जगाया है यकीं नहीं उसे मेरी मोहब्बत का सबने उसे बहुत सताया...
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय

आल इज वैल - कुछ न कुछ चलता न रहे तो ज़िंदगी क्या? इधर बीच में काफी भागदौड़ में व्यस्त रहा. न कुछ लिख सका न ज़्यादा पढ़ सका. इस बीच में बरेली के दंगे की ख़बरों से मन बहुत आहत...
जीवन के पदचिन्ह
गम है कि जिन्दा हूँ, वरना खुशियों से तो मर जाता - गम है कि जिन्दा हूँ, वरना खुशियों से तो मर जाता तनहाइयों ने थामे रखा, वरना जमाने में किधर जाता सौ बार हुआ क़त्ल रहा फिर भी धड़कता मेरा दिल माजी की थी चाहत...
Science Bloggers' Association
ENVIRONMENTAL MATTERS By- M.K. Bajpai - ENVIRONMENTAL MATTERS By – M.K.BAJPAI/Jhansi Today every living organism is suffering from the pollution hazards in one way or the other, human greed h.
कामन 'वैल्थ' यूपी मैं?


Posted by IRFAN
प्रतिभा की दुनिया ...!!!

वो कौन था मोड़ पर .... - वो याद ही तो थी जो एक रोज मोड़ पर मिली थी. घर के मोड़ पर. वो याद ही तो थी जो गुलमोहर के पेड़ के नीचे से गुजरते हुए छूकर गयी थी. एक कच्ची सी याद उठी साइकि...

अब दीजिए आज्ञा!
धन्यवाद!   नमस्कार!! 

तबदीलियाँ तो वक्त का पहला उसुल है----शक्ति रुपेण नारी-- "चर्चा हिंदी चिट्ठों की"--ललित शर्मा

ज दिन भर हंगामा था मायावती के नोटों की माला को लेकर, बस इतने सारे नोट एक जगह पर देखने को पहली बार मिले वह भी चित्र में। अब इनसे गरीबों का विकास होगा, उनके लिए रोटी कपड़ा और मकान जुटाया जाएगा। अब यह ना पुछना कि कौन से गरीब? नव रात्रि पर्व मे मातृ शक्ति स्मरण करते हुए आज चर्चा मे सिर्फ़  मातृ शक्ति को ही स्थान दिया है----पंकज मिश्रा जी छुट्टी मे हैं इस लिए मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की चर्चा हिन्दी चिट्ठों की पर.....................
आज की चर्चा का प्रारंभ करते हैं उदयाचल से याने अरुणाचल से--यह सुरम्य वादियों का प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य लिए बहुत ही भाता है। प्रकृति की छटा अद्भुत है। अरुणाचल से ममता जी ने अपने ब्लाग पर जानकारी दी है तथा कुछ सुंदर चित्र भी लगाए हैं---अरुणाचल प्रदेश जिसे land of rising sun कहते है ये तो अब आप जानते ही है।  यूँ तो अरुणाचल प्रदेश सुनकर लगता है की ये भी उत्तर पूर्व (N E ) का एक छोटा सा राज्य होगा पर ऐसा नहीं है अरुणाचल प्रदेश काफी बड़ा है। हाँ पर जनसँख्या यहां की काफी कम है (शायद 1० -११ लाख )।
डॉ अमिता नीरव अपने चिट्ठे अस्तित्व पर सृष्टि के गर्भाधान का उत्सव गुड़ी पड़वा के विषय मे रोचक जानकारी दे रही हैं--फागुन के गुजरते-गुजरते आसमान साफ हो जाता है, दिन का आँचल सुनहरा, शाम लंबी, सुरमई और रात जब बहुत उदार और उदात्त होकर उतरती है तो सिर पर तारों का थाल झिलमिलाने लगता है। होली आ धमकती है, चाहे इसे आप धर्म से जोड़े या अर्थ से... सारा मामला आखिरकार मौसम और मन पर आकर टिक जाता है। इन्हीं दिनों वसंत जैसे आसमान और जमीन के बीच होली के रंगों की दुकान सजाए बैठता है.... अपने आँगन में जब गहरी गुलाबी हो रही बोगनविलिया, पीले झूमर से लटकते अमलतास और सिंदूर-से दहकते पलाश को देखते हैं, तो लगता है कि प्रकृति गहरे-मादक रंगों से शृंगार कर हमारे मन को मौसम के साथ समरस करने में लगी हैं।
उल्लास पर मीनु खरे जी बता रही हैं माँ जगदम्बा के नौ रुप--- कुसुम ठाकुर जी ने कोहबर पर बासंती पुजा के विषय मे जानकारी दी है----चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से विक्रम संवत शुरू होता है जिसे हिंदू नववर्ष या नव संवत्सर भी कहते हैं । आज चैत्र शुक्ल पक्ष का प्रतिपदा है और विक्रम संवत २०६७ का आरम्भआज के दिन ही बासंती या चैत्र नवरात्रा आरम्भ होता है और आज के दिन ही चैत्र दुर्गा पूजा की कलश स्थापना की जाती है । नौ दिनों तक धूम धाम से चलने वाली इस दुर्गा पूजा का भी विशेष महत्व है । 
संवेदना संसार पर रंजना जी कह रही हैं--आरक्षण-रक्षण किसका? नेताजी बहुतै खिसियाये हुए हैं.आजकल जहाँ देखिये वहां चैनल सब पर चमक रहे हैं और सबको चमका रहे हैं...एलान किये हैं कि उनका लाश पर महिला आरक्षण बिल पास होगा.....नेताजी फरमाते हैं .....वे महिलाओं के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वो तो इतना चाहते हैं कि महिला आरक्षण का लाभ पढी लिखी फ़र फ़र उडती फिरती परकटी बलकटी उन महिलाओं को नहीं ,बल्कि यह उन महिलाओं को मिले, जो नरेगा के अंतर्गत बोझा ढ़ोने का काम करती हैं,जो अल्पसंख्यक समाज से आती हैं,जो अत्यंत पिछड़े वर्ग से आती हैं..संसद में जा राज्य व्यवस्था चलाने का अधिकार उन महिलाओं को मिलना चाहिए जो शिक्षा से वंचित हैं,पारिवारिक सामाजिक अधिकार से वंचित हैं..
डॉक्टर मीना अग्रवाल अपने ब्लाग टमाटर पर कुछ मुक्तक लेकर आई हैं। पहेली हूँ मुझे सुलझा के देखो नजदीक से अब आ के देखो,समर्पण में मुझे सीता के पाओ,मुझे हर रूप में दुर्गा के देखो,मुझे इसका गिला कब तक रहेगा,कोई किस दिन मुझे चिट्ठी लिखेगा,जो सुख था प्यार की उन चिट्ठियों में,मज़ा वो दूर-भाषी सुख न देगा। ब्लाग सोचा न था पर नेहा शर्मा गुड़ी पड़वा पर एक लेख लेकर आई हैं---गुडी पडवा...चैत्र मास का पहला दिन...जो की हिंदी कैलेंडर के नए साल का पहला दिन है....इसे महाराष्ट्र में नए साल के रूप में मनाया जाता है....इस दिन को शादी,नए काम शुरू करने,गहने और नयी संपत्ति खरीदने के लिए शुभ माना जाता है..
सुधिनामा पर साधना वैद्य जी लिख रही हैं शक्ति रुपेण नारी--- अपने सभी पाठकों को नवसंवत्सर की शुभकामनायें देते हुए चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन मैं उस आदि शक्ति को नमन करती हूँ जिसने इस संसार के सारे दुखों का नाश कर मानव मात्र को भयमुक्त किया है और उसको समस्त सुखों का वरदान दिया है ! ‘असहाय’, ‘बेचारी’, ‘दयापात्र‘, ’अबला नारी’, ‘कमज़ोर जात’,’दासी’,‘बाँदी’,‘गोली’,‘गुलाम’इन सारे नामों को सलाम !रजनी भार्गव जी रजनीगंधा पर नीम पर लिख रही हैं--कागज़ पर कुछ टेढ़ी मढ़ी लकीरें,नक्शे पर नीली, हरी लकीरें,बच्चों के मन में गढ़ गई थीं,आज लकीरें सुलग रही थीं,बनती बिगड़ती बटोही सी,भटक रही थीं।
स्पंदन पर शिखा जी ने एक कविता सजाई है अहसास---गीली सीली सी रेत में,छापते पांवों के छापों में,अक्सर यूँ गुमां होता है,तू मेरे साथ साथ चलता है, सुबह की पीली धूप जब,मेरे गालों पर पड़ती है,शांत समंदर की लहरें,जब पाँव मेरे धोती हैं, उन उठती गिरती लहरों में अब भी, मुझे अक्स तेरा दिखाई देता है। किरण राजपुरोहित जी भोर की पहली किरण पर लिख रही हैं ---ओ! चित्रकार----ओ! चित्रकार-- रंगों संग चलने वाले --आकृतियों में ढ़लने वाले--भावों के साकार--- ओ! चित्रकार-- सृष्टि से रंग चुराकर---मौन को कर उजागर--     रचते हो संसार---ओ! चित्रकार
प्रतिभा की दु्निया पर प्रतिभा जी लिख रही हैं---कौन था मोड़ पर---वो याद ही तो थी जो एक रोज मोड़ पर मिली थी. घर के मोड़ पर. वो याद ही तो थी जो गुलमोहर के पेड़ के नीचे से गुजरते हुए छूकर गयी थी. एक कच्ची सी याद उठी साइकिल की पहली सवारी वाली भी. वो भी तो याद ही थी जो हर शाम के साथ झरती थी छत पर. छत, जिसके बनने में भी हाथ लगाया था भरपूर. वो याद ही थी उन दीवारों में बसी हुई।----काव्य तरंग पर रानी विशाल जी रच रही हैं काव्य---तबदीलियाँ तो वक्त का पहला उसुल है--- चलते चलते सुनिए गीत ----- ये समा समा है ये प्यार का------
सभी को नव संवत्सर एवं नवरात्रि पर की बधाई-अब देते हैं चर्चा को विराम- सभी को मेरा राम-राम

Monday, March 15, 2010

हिन्दुस्तान दैनिक के धुरंधर पत्रकरो के ब्लाग ( चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार , सोमवारी चर्चा मे आपका स्वागत है !

अजय भाई साहब ने सलाह दिया था कि रफ़्तार, जागरण मंच , इडिजी , हिंदी ब्लोग्स से भी चिट्ठे उठा कर चर्चा में लगाएं , बस उसी की शुरुआत करते है आज और आज आपको परिचित कराते है हिन्दुस्तान दैनिक के धुरंधर पत्रकरो के ब्लाग से !

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प्याली में तूफानप्याली में तूफान 

शशि शेखर

प्रधान संपादक, हिन्दुस्तान
एक ऐसा जाम जिसमें आजादख्याली की हाला भरी होगी। एक ऐसा मंच जिस पर उन्मुक्त विचारों के नग्मे गूजेंगे। जिस पर उड़ने के तलबगार पंछियों को बांधने के लिए कोई पिंजरा नहीं होगा। सुबह की उंगलियों में थमा गुनगुनी चाय का कप हो, ऑफिस की व्यस्तताओं में राहत देने वाला कॉफी का मग हो या किसी सुकरात के हाथों में धरा हलाहल का पैमाना, इन्हीं नन्ही प्यालियों में ही तो अक्सर सुकून के या बदलाव के तूफान छुपे होते हैं!

 


coffi house

कॉफी हाउस 

अरुण कुमार त्रिपाठी
एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान

बातें और कॉफी गरमागरम ही अच्छी लगती हैं। ठंडी हो जाएं तो बेकार हो जाती हैं। पर इन दोनों से भूख मिटती नहीं बल्कि बढ़ती है। इसीलिए लोग कॉफी हाउस में लंबी-लंबी बातें करते हैं और कई -कई कप कॉफी पीते हैं। कभी निंदारस से शुरू होने वाली यह बातें क्रांति पर खत्म होती हैं तो कभी क्रांति से शुरू हो कर हाथापाई तक आ जाती हैं। पर उनका अपना मजा है। टीवी चैनलों ने कॉफी हाउसों को उजाड़ा है हम चाहें तो उन्हें फिर से बसा सकते हैं।

kuch baat kare आओ कुछ बात करें 

हरजिन्दर
एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान

घटनाएं भी बहुत हैं। समस्याएं भी बहुत हैं। ढेर ढेर से विचार हैं हर घटना और समस्या के लिए। इसलिए हम शुरू कर सकते हैं बातों का एक ऐसा सिलसिला, जो शायद कभी न टूटे

 

 

saare raahसरे राह

राजेन्द्र धोड़पकर
कार्टूनिस्ट व एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान

कुछ जानकारी, ज्यादातर अज्ञान, कुछ गपबाज़ी, कुछ गलत मत-मतांतर, कुछ प्रासंगिक, कुछ अवांतर, तरह-तरह की बातें, फिल्में, राजनीति, खेल, अभिजात और सड़क की संस्कृति। इन सबके बारे में इन बातों के कोई सूत्र और इनका कोई अर्थ हो सकता है कि हो, और न भी तो क्या फर्क पड़ता है

 


luv u zindagi लव यू जिंदगी

संजय अभिज्ञान
एडिटर (न्यू मीडिया, फीचर्स और रिसर्च), हिन्दुस्तान, दिल्ली

सिर्फ उनके लिए जो थोड़ा सा रूमानी हो जाने को तैयार हों। कुदरत, इंसान और चीजों से मुहब्बतों की बातें। इश्क, जुनून और लगन के सूफियाना किस्से। गजलों, कविताओं, रागों और फिल्मी गानों का नास्टेल्जिया। प्लेबैक सिंगरों, संगीतकारों, फिल्मकारों और कहानीकारों के नाम कुछ लव लेटर। एक महफिल - अपनी और आपकी फुर्सतों की जुगलबंदी के लिए


hum log हमलोग

अकु श्रीवास्तव
सम्प्रति-वरिष्ठ स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान, पटना

कुछ खास। कुछ आम। यानी बातें उस अवाम की, जो जिंदगी की जद्दोजहद के बीच हंसते हुए भी रोता है और रोते हुए भी हंसता है। जाहिर है, उसके हंसने में हजार व्यथाएं हैं, तो रोने में हजार कथाएं। आइए, ऐसे ही ट्रेजडी, कॉमेडी, सटायर और सेंटिमेंट्स के जाने-अनजाने अफसानों से रू-ब-रू होते हैं हमलोग


be awaz बेआवाज़

दिवाकर
उप स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान, लखनऊ

उन दलितों-मुस्लिमों की आवाज़, जिन्हें समाज जानता भी नहीं

 

 


sun kissa sarangi तो सुन किस्सा, सारंगी!

नवीन जोशी
एग्जक्यूटिव एडिटर, हिन्दुस्तान, लखनऊ

एक सुवा था, शुक। और एक थी सारंगी। सारंगी ने शुक से कहा-ए सुवा, कोई कहानी सुना न! सुवा ने कहा- क्या कहानी कहूँ सारंगी, निर्बुद्धि राजा के तो किस्से ही किस्से हैं।…तो, आज हमारे देश का भी यही हाल है। क्या प्रजा, क्या राजा और क्या दरबारी, सबके किस्से ही किस्से हैं। अनंत किस्से। तो क्या चिट्ठा कहूँ? मगर कुछ तो कहते रहना होगा न! कहे-सुने बिना गति नहीं


Teliscope NEW टेलिस्कोप

प्रमोद जोशी

गली के नुक्कड़ की ब्रह्मांड यात्रा। दूर तक देखने वाली दूरबीन। इसमें दूर-दूर की बातें ज्यादा हैं, पास की कम। संदर्भ फिर भी अपनी गली का है

 

 

 

park युवा पार्क

 

ब्लॉग बस्ती के इस बगीचे में आप पाएंगे लेखन की कुछ नई खुशबुएं। नई सोच के कुछ लोग जो घटनाओं पर भंवरों की तरह मंडराएंगे और उनकी गंध आप तक पहुंचाएंगे। मधुमक्खियों के इस दस्ते में सबके पास डंक हैं, लेकिन उनकी चुभन आपके लिए नहीं,  समाज के विलेनों के लिए होगी। आपके लिए तो वे बस शहद एकत्र करेंगे. . . ।  पेश हैं हिंदुस्तान परिवार के कुछ ऐसे उभरते लेखक जो कांटे चुभने पर सिस्टम को नहीं कोसते, बल्कि कलम उठाकर परिवर्तन सुझाने लगते हैं.

Saturday, March 13, 2010

कल मै भी बुढा होने वाला हु तब यही बुढऊ ब्लागर्स एशोसियेशन मेरे काम मे आयेगा ( चर्चा हिन्दी चिट्ठों की )

नमस्कार ! पंकज मिश्रा आप सबके साथ ..आपके लिक्खे चिट्ठो की चर्चा लेकर !krishna

कल ही वापस आया और आप सबने इतना प्यार दिया कि मन भर आया , और अच्छा लगा यह जानकर कि आप सब मुझको इतना प्यार करते है ..

समीर जी ने सवाल किया था कि रुद्रपुर कहां है ?

आदरणीय समीर जी रुद्रपुर उत्तराखण्ड के पन्तनगर जिले मे पडता है ! और यहा से आदरणीय रुपचन्द शास्त्री जी का घर ७० किलोमीटर है ..यहा पर सब कुछ अच्छा है बस एक तकलीफ़ बहुत बडी है कि मच्छर बहुते ज्यादे लगते है !

सारा कोशीश नदारद है इन नामुरादो के सामने ! जब मै यह सब लिख रहा हु तब भी साले मुझे ४ मच्छर काट रहे है अब समझ मे नही आता कि टाईप करु या इनको सम्भालू?

चलिये बाकी बातें तो होती ही रहेगी बात करते है श्री अरविन्द मिश्रा जी कि – मिश्रा जी कह रहे है कि वापस कीजिये प्लीज मेरी टिप्पणियाँ !

101_0482 टिप्पणियाँ भी एक सृजनकर्म  है -अगर मुख्य सृजन नहीं तो कोई गौंड भी नहीं -ब्लॉगजगत में चर्चा,प्रतिचर्चा और परिचर्चा की बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ियाँ हैं टिप्पणियाँ -उनकी उपेक्षा कतई उचित नहीं हैं और नहीं उन्हें घूर घाट के किनारे लगाने की प्रवृत्ति होनी चाहिए .वे किसी भी तरह इतनी उपेक्षनीय नहीं हैं -टिप्पणीकार की  मानस पुत्र और पुत्रियाँ है टिप्पणियाँ! उनकी इतनी बेकद्री मुझे तो कतई रास नहीं आई!स्वप्नदर्शी ने नर नारी में लैंगिक  समानता दर्शाने की सक्रियता और उत्साह  में पक्षियों -मुर्गों में लैंगिक निर्ध्रारण के एक उपर्युक्त वैज्ञानिक शोध को संदर्भित किया और जब मैंने टिप्पणी में यह बताया कि स्तन पोषी प्राणियों में जिसमें मनुष्य भी है ,लैंगिक निर्ध्रारण चिड़ियों से भिन्न है तो वह टिप्पणी तो छोडिये पूरी पोस्ट ही डिलीट कर दी गयी! क्या एक वैज्ञानिक से यही अपेक्षा है कि वह सार्थक चर्चा करने के बजाय इस तरह के थर्ड ग्रेड पर उतर आये?पूरी पोस्ट ही डिलीट कर देना अपनी इमेज बचाए रखने का  'क्राईसिस कंट्रोल'  तो नहीं है ? हम विदेशों से अप संस्कृति तो सीख रहे हैं मगर वहां के कुछ सार्थक बातें क्यूं नहीं सीखते ? या हम अपने हिन्दी जगत  और गोबर पट्टी को हमेशा ऐसे ही डील करने के आदी हो गए हैं? वहां कोई भी वैज्ञानिक ब्लॉगर अपनी गलती मानने में ज़रा भी नहीं हिचकता ओर पूरी सहिष्णुता से टिप्पणी पर चर्चा करता .आभारी भी होता .मगर यहाँ तो हमें हमारी टिप्पणियाँ बिना हमारी अनुमति के डिलीट कर हमें अपने  गोबर पट्टी के होने की औकात बता दी गयी है

हमारे आपके सबके प्यारे ताऊ जी ने बुढऊ ब्लागर्स एशोसियेशन की स्थापना की है दुख यह है कि मै भाग नही ले सकता क्युकि अभी तो मै जवान हु :)

लेकिन मुझे इस बात का घमन्ड नही है क्युकि पता है कल मै भी बुढा होने वाला हु तब यही बुढऊ ब्लागर्स एशोसियेशन मेरे काम मे आयेगा …..

bba8 पहला तो ये कि आजकल किसी सेलेब्रेटी को ब्रांड अंबेसडर बनाना बहुत जरुरी है अत: हमने तुरंत मिस. समीरा टेढी जी से बात की "बुढऊ ब्लागर्स एशोसियेशन" की ब्रांड अंबेसडर बनने के लिये. और वो भी इस शर्त पर की वो इसके लिये जब भी मिटिंग होगी यहां पर आयेंगी. और साथ में यह भी कि बुढऊ लोगों को कहीं हार्ट अटेक ना हो जाये तो वो सफ़ेद बालों वाला विग और साडी में रहेंगी यानि भडकाऊ ड्रेस नही पहनेगी.
मिस. समीरा टेढी इस बात पर भडक गई. पर जब हमने उनको समझाया कि यह समाज हित का काम है सो थोडा त्याग भी करना चाहिये और आपको कौन सा रोज रोज आना है? बस मिटींग वाले दिन आना है जिससे मीटिंग मे सारे बुढ्ढे आपके दीदार के बहाने हाजिर हो जायें और हमारे इस BBA के मेंबर बन जायें. बडी मुश्किल से वो राजी हूई, पर आखिर हां भर ही ली.

आगे है शेफ़ाली पांडे जी और इनका कहना है कि आने दो हमें संसद में, क्यूंकि ....

दोनों की भोली भाली सूरत ही दिल को भाती है, दोनों की  छवि जितनी गिड़गिडाती  हुई, हो उतना  जनता और समाज को सुकून मिलता है| DSC00682दोनों का हाथ पर हाथ धर के  बैठे रहना कोई बर्दाश्त नहीं कर पाता| दोनों हर समय काम करते हुए ही अच्छे लगते हैं|

दोनों को तब तक नोटिस में नहीं लिया जाता, या महत्व को जानबूझ कर  अनदेखा किया जाता है, जब तक वेबगावत या विद्रोह ना कर दें, या कहिये कि पार्टी बदल लेने और अपनी स्वयं की  स्वतंत्र पार्टी बनाने की धमकी ना दे दें|

अजय झा जी ………………………..आह ! आह ! आह ! ( अमां तुमही तो कहे थे कि बधाई दीजीए ....ये इस ब्लोग की पांच सौंवी पोस्ट है ....मगर वाह नहीं कहिएगा  तभी तो कह रहे है आह ! )

ajayमैं खडा देखता हूं ,समय को ,
और समय देखता है मुझको ,
तुम चलाओ जब तक शैय्या बने ,
खत्म न हो जाए "शर" कहीं ?
टूटा तोडा गया कई बार,
हर बात तुम्हीं ने जोडा भी ,
बस डर इस बात का रहता है , इस टूट- अटूट में ,
कभी मैं भी न जाऊं ,बिखर कहीं .........

रतन सिंह शेखावत जी का फ़ैशन ब्रांड - धोती, कुरता और पगड़ी

ls1 तन पर धोती कुरता और सिर पर साफा (पगड़ी) राजस्थान का मुख्य व पारम्परिक पहनावा होता था , एक जमाना था जब बुजुर्ग बिना साफे (पगड़ी) के नंगे सिर किसी व्यक्ति को अपने घर में घुसने की इजाजत तक नहीं देते थे आज भी जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह जी के जन्मदिन समारोह में बिना पगड़ी बांधे लोगों को समारोह में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाती | लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस पहनावे को पिछड़ेपन की निशानी मान नई पीढ़ी इस पारम्परिक पहनावे से धीरे धीरे दूर होती चली गई और इस पारम्परिक पहनावे की जगह पेंट शर्ट व पायजामे आदि ने ले ली | नतीजा गांवों में कुछ ही बुजुर्ग इस पहनावे में नजर आने लगे और नई पीढ़ी धोती व साफा (पगड़ी) बांधना भी भूल गई ( मैं भी उनमे से एक हूँ ) | शादी विवाहों के अवसर भी लोग शूट पहनने लगे हाँ शूट पहने कुछ लोगों के सिर पर साफा जरुर नजर आ जाता था लेकिन वो भी पूरी बारात में महज २०% लोगों के सिर पर ही |

और  राजकुमार ग्वालानी जी का कहना है कि पैरा नेशनल गेम्स का आगाज हो छत्तीसगढ़ से

raj-1 छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त ने छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के मुख्य सरंक्षक का पद स्वीकार करने के साथ ही छत्तीसगढ़ में पैरा ओलंपिक की तर्ज पर पैरा नेशनल गेम्स करने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजा रणधीर सिंह से फोन पर बात करके उनको छत्तीसगढ़ आने का आमंत्रण दिया है।

अनिल पुसादकर जी बता रहे है थानेदारों को भ्रष्ट कहना आपकी ईमानदारी नही बेबसी का सबूत है गृहमंत्री जी!

anilPUSADKAR अपने क्षेत्र मे अवैध शराब की बिक्री न होने की घोषणा मंत्री ने बड़े गर्व से की।तो क्या वे सिर्फ़ अपने विधानसभा क्षेत्र के ही मंत्री हैं?क्या प्रदेश के अन्य हिस्सों से उन्हे कोई लेना-देना नही है?मेरा ये सवाल है कि अगर आप अपने क्षेत्र को सुधार सकते हो तो दूसरे क्षेत्र को भी ठीक कर सकते हैं।अगर आप ऐसा नही कर रहे हैं तो ये आपकी अक्षमता ही मानी जायेगी ना कि ईमानदारी।
मंत्री जी अगर आप ये मान रहे हैं कि थानेदारों का महिना बंधा है और अगर उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई नही हो रही है तो ये भी अपने आप मान लिया जायेगा कि वे भी कंही न कंही महिना दे रहे हैं।लेने वाला कोई भी हो सकता है?अगर आप कहें कि मैं नही लेता,अगर लेता तो उन्हे गालियां कैसे देता?तो मान भी लेंगे कि आप नही लेते।मगर कार्रवाई क्यों नही करते ये सवाल तो खड़ा ही है ना?आप नही लेते होंगे? तो भाई-भतीज़े लेते होंगे? नही तो दूसरे मंत्री लेते होंगे?,नही तो बड़े अफ़सर लेते होंगे?कोई ना कोई तो लेता ही होगा वर्ना मंत्री को पता होने के बाद भी कार्रवाई क्यों नही हो रही है?

सुमन जी का लेख -वादा लपेट लो, जो लंगोटी नहीं तो क्या ?  ( माफ़ करियेगा फ़ोटो नही लग पाया )

इनमें अनाज सब से मुख्य है। गरीब को रोटी चाहियें, परन्तु हमारी खाद्य नीति ने गरीब को भूखा मरने पर मजबूर कर दिया। लगता है हमारे केन्द्रीय खाद्य मंत्री शरद पवार के भी कुछ निहित स्वार्थ थे जिसके कारण उन्होंने आयात निर्यात का मकड़जाल फैलाकर कुछ बड़ों को शायद फायदा पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने अक्सर ऐसे विरोधाभासी बयान दिये जिससे एक तरफ अनाजों के दाम बढ़े जिस से उपभोक्ता प्रभावित हुए परन्तु दूसरी तरफ उत्पादकों तक फायदा नहीं पहुंचने दिया गया। यह फायदा बिचौलिए ले उड़े। कभी कहा गया अनाज आयात किया जायेगा, कभी कहा गया गोदामों में अनाज इतना भरा हुआ है कि उनको आगे के लिये खाली करना जरूरी हो गया है। शक्कर के सम्बंध में भी गलती से या जानबूझकर उलटफेर वाली नीतियाँ अपनाई गईं। उपभोक्ता ऊँचे दामों पर शक्कर खरीदने पर मजबूर हुआ, दूसरी तरफ आयातिति खांडसरी बन्दरगाहों पर पड़ी सड़ती रही।

अब बारी कविताओ की दो कविताये -

१-कविताएँ और कवि भी..

२-“…..कण चाहता हूँ..” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

 

शुभ्र वसना !
शब्दों में रंग ना
कैसे उतारूँ चित्र सना
तुम्हारा अंग ना -
कोरा सजना
सज ना !
चंचल आँख ना
पलक कालिमा घना
सना
नेह यूँ आखना
मैं ताकता, ताक ना
शुभ्र वसना
सज ना

मेरा परिचय यहाँ भी है!

नही कार-बँगला, न धन चाहता हूँ।
तुम्हारी चरण-रज का कण चाहता हूँ।।
दिया एक मन और तन भी दिया है,
दशम् द्वार वाला भवन भी दिया है,
मैं अपने चमन में अमन चाहता हूँ।
तुम्हारी चरण-रज का कण चाहता हूँ।।
उगे सुख का सूरज, धरा जगमगाये,
फसल खेत में रात-दिन लहलहाये,
समय से जो बरसे वो घन चाहता हूँ।
तुम्हारी चरण-रज का कण चाहता हूँ।।

अब दिजिये इजाजत , नमस्कार !

Friday, March 12, 2010

साहेबा मै वापस आ गया हु ! पंकज मिश्रा ( चर्चा हिन्दी चिट्ठों की )

नमस्कार , मै पंकज मिश्रा बहुत दिनो के बाद आप सबसे मुखातिब हो रहा हु. माफ़ करियेगा बहुत दिनो से आप सबसे दूर रहा और सबसे बडी गलती यह थी कि बिना बताये गायब रहा . लेकिन अब कोशीश यह रहेगी कि बराबर आप सबसे बना रहू.

चलिये पहले यही बता दु कि मै इतने दिन था कहा? तो साहेबा अगर एक जगह रहता तो जरुर आप सबसे मुलाकात होती लेकिन कहा कहा था पढिये .

सबसे पहले मै १० फ़रवरी को पूना गया वहा से २० को वापस आया

२१ फ़रवरी को फ़िर  मुम्बई गया वहा लगातार १० दिन लोकल ट्रेन का धक्का खाता रहा और वहा से ठीक होली के दिन घर यानि गुजरात आया और २ मार्च को वापस घर आया यानि उत्तर प्रदेश .

४ दिन घर रहा और उसके बाद ९ मार्च को पुनः पन्तनगर आना हुआ और फ़िलहाल अभी पन्तनगर मे हु.

लेकिन खुशी की बात यह है कि अब मै IBM के साथ काम कर रहा हु और कार्यस्थल है टाटा मोटर्स रुद्रपुर . बिल्कुल शान्त और सुकुन भरा जगह .

चलिये ज्यादा नही बताते है नही तो आप कहेगे कि मै कौन सा प्रधानमन्त्री हु जो इतना विवरण दे रहा हु :)

चर्चा मे आज ज्यदा कुछ नही ले रहा हु बस कुछ एक चिट्ठो की चर्चा है .

सबसे पहले तो अपने गगन शर्मा जी पुछ रहे है एक पचास की नोट के बारे मे आपको पता हो तो बताइये .

कोई २५-३० साल पहले पचास रुपये का एक नोट चलन में आया था। उसके पिछलेraj bhatiya jee
हिस्से में संसद का चित्र बना हुआ था। पर इमारत पर तिरंगे के स्थान पर सिर्फ 'पोल' था, झंडा नहीं छप पाया था। कुछ दिनों बाद उस नोट को हटवा लिया गया।
क्या किसी सज्जन के पास वैसा नोट है ? यदि हो तो बताएं।

आगे है राज भाटिया जी और बुझा रहे है पहेली-एक पहेली बूझॊ तो जाने 

आज हमे सब डबल डबल दिख रहे है, यानि अब आप ही देखे यह घटना आज के दिन ही घटी थी लेकिन २२ साल पहले, ११ मार्च को घटी तो हमे आज २२ नजर आ रहे है, इस घटना का जिकर पराया देश पर भी हो चुका है कभी ना कभी, इस घटना से पहले हम अकेले थे, अब धीरे धीरे चार हो गये, इस तरीख को हम जिन्दगी मै पहली बार किसी निरिह जानवर पर बेठे थे, तो बताईये वो निरिह जानवर कोन था, ओर वो घटना कोन सी थी, जिस ने हमारी जिन्दगी ही बदल दी??

घुघूती बासूती पर बात हो रही है -भारत में स्त्री की औकात

स्त्री की भारतीय समाज में क्या स्थिति है इसका इससे ज्वलंत प्रमाण / उदाहरण और क्या हो सकता है? अब भी यदि हम यह कहते फिरें कि भारत में स्त्रियों का स्थान बहुत ऊँचा है तो क्या कहा जाए? किसी की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि सार्वजनिक तौर पर यह कह सके कि वह अपने बनिहार(मजदूर) को आदेश देता है कि किसे वोट दे। किन्तु यहाँ एक नेता बड़े गर्व के साथ ऐसी बात कह रहा है।

 

पी सी गोदियाल जी कह रहे है तू क्या निकला !!

godiyaal saahabपुण्य समझा था धर्म का तुझे, तू अधर्म का पाप निकला,
मानवता पर कलंक निकला, पर्यावरण का अभिशाप निकला !
हांकता है बाहुबल के जोर पर, तू यहाँ हर एक झुण्ड को,
भेड़ियों से है भय तुझे, भेड़ पर तेरे जुल्म का ताप निकला !
महापंच की चौधराहट दिखाई, निरीह प्रेमियों की राह में,
मुस्लिमों का तालिबां निकला, हिन्दुओ का खाप निकला !

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" अब कर रहे है बातें कुछ इधर की, कुछ उधर की

इन्साफ की दिशा में अन्याय हो रहा है

आरम्भ किस विद्या का अध्याय हो रहा है।।

सोना बता रहे हैं शब्दों को सब हमारे

मिट्टी मगर हमारा अभिप्राय हो रहा है।।

और खुशी की बात यह है कि फ़िल्म "ताऊ की हेराफ़ेरी" : प्रदर्शन के लिये तैयार है और इसमे मै भी भाग लिया हु तो आप जरुर पढे ताऊ की हेरा फ़ेरी!

taau-ki-herapheri3ताऊराव : हां तो श्याम...तुम्हारा नाम क्या है?
श्याम : युं कि नाम तो आप ही श्याम बोल रयेले हैं...तो श्याम ईच होयेंगा ना?
ताऊराव : अरे तू दिमाग खराब कर नको..और तू श्याम...राम..आम..या जाम ..कुछ भी होयेंगा...अरे जाम से याद आया...खंबा लाया क्या तू?
राजू : अरे ताऊराव...ये क्या खंबा लायेगा? तेरे खंबे के पैसे की तो ये टिप्पणी खरीद के ले आयेला है कडका कहीं का....
श्याम : अबे कडका किसको बोला रे तू?
ताऊराव : अबे हलकटो ...चुप करो अब...वो जो खडगसिंह से टिप्पणी उधार लेके चिपकायेली थी वो वापस मांगने आयेला है...अबी मेरा माथा फ़िर गयेला है...जा रे...राजू...तू जाके खंबा लेके आ..मस्त..फ़िर मैं तेरे को बतायेगा आईडिया यहां से भाग निकलने का...
आगे क्या हुआ? क्या खडगसिंह से बचकर ताऊराव, राजू और श्याम भाग पाये ? या खडग सिंग ने उनको रंगे हाथों गिरफ़्तार किया?

और अंत मे दो कतरने मेरे और मेरे दोस्त आनंद देव यादव की ! पढने के लिये फ़ोटो पर क्लिक करें

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