नमस्कार , मै पंकज मिश्रा बहुत दिनो के बाद आप सबसे मुखातिब हो रहा हु. माफ़ करियेगा बहुत दिनो से आप सबसे दूर रहा और सबसे बडी गलती यह थी कि बिना बताये गायब रहा . लेकिन अब कोशीश यह रहेगी कि बराबर आप सबसे बना रहू.
चलिये पहले यही बता दु कि मै इतने दिन था कहा? तो साहेबा अगर एक जगह रहता तो जरुर आप सबसे मुलाकात होती लेकिन कहा कहा था पढिये .
सबसे पहले मै १० फ़रवरी को पूना गया वहा से २० को वापस आया
२१ फ़रवरी को फ़िर मुम्बई गया वहा लगातार १० दिन लोकल ट्रेन का धक्का खाता रहा और वहा से ठीक होली के दिन घर यानि गुजरात आया और २ मार्च को वापस घर आया यानि उत्तर प्रदेश .
४ दिन घर रहा और उसके बाद ९ मार्च को पुनः पन्तनगर आना हुआ और फ़िलहाल अभी पन्तनगर मे हु.
लेकिन खुशी की बात यह है कि अब मै IBM के साथ काम कर रहा हु और कार्यस्थल है टाटा मोटर्स रुद्रपुर . बिल्कुल शान्त और सुकुन भरा जगह .
चलिये ज्यादा नही बताते है नही तो आप कहेगे कि मै कौन सा प्रधानमन्त्री हु जो इतना विवरण दे रहा हु :)
चर्चा मे आज ज्यदा कुछ नही ले रहा हु बस कुछ एक चिट्ठो की चर्चा है .
सबसे पहले तो अपने गगन शर्मा जी पुछ रहे है एक पचास की नोट के बारे मे आपको पता हो तो बताइये .
कोई २५-३० साल पहले पचास रुपये का एक नोट चलन में आया था। उसके पिछले
हिस्से में संसद का चित्र बना हुआ था। पर इमारत पर तिरंगे के स्थान पर सिर्फ 'पोल' था, झंडा नहीं छप पाया था। कुछ दिनों बाद उस नोट को हटवा लिया गया।
क्या किसी सज्जन के पास वैसा नोट है ? यदि हो तो बताएं।
आगे है राज भाटिया जी और बुझा रहे है पहेली-एक पहेली बूझॊ तो जाने
आज हमे सब डबल डबल दिख रहे है, यानि अब आप ही देखे यह घटना आज के दिन ही घटी थी लेकिन २२ साल पहले, ११ मार्च को घटी तो हमे आज २२ नजर आ रहे है, इस घटना का जिकर पराया देश पर भी हो चुका है कभी ना कभी, इस घटना से पहले हम अकेले थे, अब धीरे धीरे चार हो गये, इस तरीख को हम जिन्दगी मै पहली बार किसी निरिह जानवर पर बेठे थे, तो बताईये वो निरिह जानवर कोन था, ओर वो घटना कोन सी थी, जिस ने हमारी जिन्दगी ही बदल दी??
घुघूती बासूती पर बात हो रही है -भारत में स्त्री की औकात
स्त्री की भारतीय समाज में क्या स्थिति है इसका इससे ज्वलंत प्रमाण / उदाहरण और क्या हो सकता है? अब भी यदि हम यह कहते फिरें कि भारत में स्त्रियों का स्थान बहुत ऊँचा है तो क्या कहा जाए? किसी की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि सार्वजनिक तौर पर यह कह सके कि वह अपने बनिहार(मजदूर) को आदेश देता है कि किसे वोट दे। किन्तु यहाँ एक नेता बड़े गर्व के साथ ऐसी बात कह रहा है।
पी सी गोदियाल जी कह रहे है तू क्या निकला !!
पुण्य समझा था धर्म का तुझे, तू अधर्म का पाप निकला,
मानवता पर कलंक निकला, पर्यावरण का अभिशाप निकला !
हांकता है बाहुबल के जोर पर, तू यहाँ हर एक झुण्ड को,
भेड़ियों से है भय तुझे, भेड़ पर तेरे जुल्म का ताप निकला !
महापंच की चौधराहट दिखाई, निरीह प्रेमियों की राह में,
मुस्लिमों का तालिबां निकला, हिन्दुओ का खाप निकला !
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" अब कर रहे है बातें कुछ इधर की, कुछ उधर की
इन्साफ की दिशा में अन्याय हो रहा है
आरम्भ किस विद्या का अध्याय हो रहा है।।
सोना बता रहे हैं शब्दों को सब हमारे
मिट्टी मगर हमारा अभिप्राय हो रहा है।।
और खुशी की बात यह है कि फ़िल्म "ताऊ की हेराफ़ेरी" : प्रदर्शन के लिये तैयार है और इसमे मै भी भाग लिया हु तो आप जरुर पढे ताऊ की हेरा फ़ेरी!
ताऊराव : हां तो श्याम...तुम्हारा नाम क्या है?
श्याम : युं कि नाम तो आप ही श्याम बोल रयेले हैं...तो श्याम ईच होयेंगा ना?
ताऊराव : अरे तू दिमाग खराब कर नको..और तू श्याम...राम..आम..या जाम ..कुछ भी होयेंगा...अरे जाम से याद आया...खंबा लाया क्या तू?
राजू : अरे ताऊराव...ये क्या खंबा लायेगा? तेरे खंबे के पैसे की तो ये टिप्पणी खरीद के ले आयेला है कडका कहीं का....
श्याम : अबे कडका किसको बोला रे तू?
ताऊराव : अबे हलकटो ...चुप करो अब...वो जो खडगसिंह से टिप्पणी उधार लेके चिपकायेली थी वो वापस मांगने आयेला है...अबी मेरा माथा फ़िर गयेला है...जा रे...राजू...तू जाके खंबा लेके आ..मस्त..फ़िर मैं तेरे को बतायेगा आईडिया यहां से भाग निकलने का...
आगे क्या हुआ? क्या खडगसिंह से बचकर ताऊराव, राजू और श्याम भाग पाये ? या खडग सिंग ने उनको रंगे हाथों गिरफ़्तार किया?
और अंत मे दो कतरने मेरे और मेरे दोस्त आनंद देव यादव की ! पढने के लिये फ़ोटो पर क्लिक करें
17 comments:
स्वागत है पंकज जी।
चर्चा के लिए बधाई।
स्वागतम -आपकी कमी खल रही थी !
स्वागत है पंकज जी इतनी व्यस्तता के बावजूद चिट्ठा चर्चा ब्लॉगजगत के प्रति अथाह प्रेम प्रकट करता है...बहुत बहुत धन्यवाद..
प्रस्तुति तो होती ही है लाज़वाब....बधाई
वापसी का स्वागत है ..चर्चा अच्छी लगी ..इतने दिनों तक छोड कर न जाया करें ...धन्यवाद
अजय कुमार झा
अच्छा लगा देख कर..वापसी पर परंपरा के मुताबिक स्वागत...जबकि काम डांट खाने का कि बिना बताये गायब, :)
अब नियमित रहें और चर्चा करते रहें.
रुद्रपुर कहाँ है?
मेरे जिले में आने पर आपका स्वागत है!
सुन्दर चर्चा के लिए शुक्रिया!
भईया ऐसे ही मत गायब हो जाया करिए , वापसी धमाकेदार रही आपकी ।
बहुत ही बेहतर रही चर्चा ।
आभार ।
बहुत बढिया, अब शाश्त्रीजी का सानिंध्य मिलेगा तो कविता लिखना भी सीख जावोगे, बाकी चर्चा करने मे तो माहिर हो ही.
रामराम.
पंकज जी सर्वप्रथम वापसी की बधाई और शुभकामनाये , बेहतरीन चर्चा, और बहुत दिनों बाद एक बार फिर से आपकी वाली स्टाइल देख अच्छा लगा !
वापसी अच्छी लगी पर पंकज भैया यह बतलाना,
कितने दिनों को आए हो, फिर कब वापस तुमको जाना?
नियमित लेखन हमें चाहिए क्या पडेगा यह समझाना?
अब जो वापस आए हो मत ब्लॉग जगत तुम छोड़ के जाना...
hamare pados ke shahar me aane par aapak swaagat hai...
भई वाह्! इतने दिनों बाद आए और आते ही इतनी मजेदार चर्चा कर डाली....
आगे से कभी जाना हो तो ताऊ के रजिस्टर में लिख कर जाया कीजिए कि इतने दिनों के लिए ब्लागिंग से दूर जा रहा हूँ :-)
अजी आप गये तो चुपके से थे, लेकिन आने का स्टाईल बहुत अच्छा लगा, धमाके दार,चर्चा भी बहुत अच्छी लगी. धन्यवाद
पुन: स्वागत आपका
badhiya vapasi.
सुन्दर चर्चा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
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