नित नेताओं अफ़सरों के एक से बढकर एक घोटाले और भ्रष्ट्राचार के कारनामे सामने आते हैं। जनता की गाढी कमाई को अपनी पैतृक सम्पत्ति समझ कर हजम करने का काम बरसों से चल रहा है। जब भी किसी अधिकारी के यहां छापा पड़ता है तो करोड़ों की बेनामी सम्पत्ति सामने आती है। लेकिन इनका कुछ भी नही होता। उल्टे एक कमाऊ अधिकारी होने का तमगा जरुर हासिल हो जाता है। कहतें है कि भ्रष्ट्राचार की जड़ें बहुत गहरी हैं, लेकिन मैं कहता हुँ कि भ्रष्ट्राचार एक उल्टा वृक्ष है जिसकी जड़ आसमान में और डालियाँ जमीन पर, इसे जमीन पर खड़े होकर जितना काटेगें उतना ही तेजी से बढता है।इसलिए उल्टा होकर ही इसकी जड़ों में मठा डाला जा सकता हैं। अब मैं
ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज के कुछ उम्दा चिट्ठों की चर्चा पर................
लोगों का ईगो क्यों टकराता है आन बान और शान बस रखते इसका ध्यान बघारते हैं हम सभी अपना अपना ज्ञान (मैं भी वही कर रहा हूँ) पर एक बात खलती है हमें लोगों का ईगो क्यों टकराता है ब्लॉग जगत में देखा हमने किसी की भी पोस्ट हो, (भले ही वह आपको ...
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : श्री मनोज कुमार प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. त...
13 माह में 1200 पोस्ट हमारे ब्लाग राजतंत्र और *खेलगढ़* को मिलाकर 1200 पोस्ट का आंकड़ा पार हो गया है। ये पोस्ट हमने 13 माह के अंदर लिखी है। एक साल में ही हमने 1100 से ज्यादा पोस्ट लिख डाली थी। ब्लाग जगत से हमें एक साल में काफी प...
कलयुग का आदमी अब सोचता हूं क्यों न "कलयुग का आदमी" बन जाऊं कलयुग में जी रहा हूं तो लोगों से अलग क्यों कहलाऊं बदलना है थोडा-सा खुद को बस मुंह में "राम", बगल में छुरी रखना है ढोंग-धतूरे की चादर ओढ के चेहरे पे मुस्कान लाना ...
कभी साथ बैठ गपियाओ , तो जाने --- मेरा मेरा करती है दुनिया सारी मोहमाया त्याग कर दिखाओ , तो जाने । दावत तो फाइव स्टार थी लेकिन भूखे को रोटी खिलाओ , तो जाने । रुलाने वाले तो लाखों मिल जायेंगे किसी रोते को हंसाओ, तो जाने । देवी देवता बसते ह... पं. माखनलाल चतुर्वेदी की यादें बिलासपुर जेल से*4 अप्रैल - जयंती विशेष* बिलासपुर में द्वितीय जिला राजनीति परिषद का अधिवेशन सन् 1921 में हुआ जिसकी अध्यक्षता अब्दुल कादिर सिद्धीकी ने की। स्वागताध्यक्ष यदुनन्दन प्रसाद श्रीवास्तव तथा सचिव बैरिस्टर ई. राघवे...
बिल्कुल अपने बाप पर गया है लडकी - मम्मी ये पडोसी का लडका बार-बार मुझे पप्पी (किस) करके भाग जाता है। मम्मी (मुस्कुरा कर) - बडा शरारती है, बिल्कुल अपने बाप पर गया है। ------------------- ------- ---- ---------------------------------------...
मौन मूर्खता को छिपाता है मौन रह कर लोगों को सोचने दो कि तुम मूर्ख हो या नहीं, मुँह खोल कर उन्हे समझ जाने का अवसर मत दो कि तुम वास्तव में मूर्ख हो! (Better to remain silent and be thought a fool, than to open your mouth and remove...
दर कदम दर चल राही *रे राही ,रे राही रे* ** *ना कर अभिमान* ***दर कदम दर चल* ***नहीं तो* ***गिर तू जायेगा* ***ना सोच सीधे* ***सातवाँ आसमां पाने की* ***रे राही ,रे राही रे* ***धीरे चल* ***पायेगा तू हर आसमां* ***दर क...
ये किस मोड़ पर ?..........भाग ३ गतांक से आगे ........................... अपने हालात के बारे में ना तो निशि किसी से कह सकती थी और ना ही सहन कर पा रही थी. उसे तो यूँ लगा जैसे स्वच्छंद आकाश में विचरण करने वाले पंछी को किसी ने घायल कर दिया ह...
जनगणना मे यह जानकारी भी ली जानी चाहिये थी… जैसा कि सभी जानते है कि देश में जनगणना का काम एक अप्रैल से शुरु हो चुका है। इस बार इस जनगणना मे भरे जाने वाले फ़ार्म मे एक आम नागरिक के जीवन से समबन्धित बहुत सी बातों की जानकारी लेने का प्रयासकिया जा रहा है...
कहने को आज़ाद हो गए किन्तु.. पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने हिम्मत का काम किया और पूरे देश को विचार के लिए एक रास्ता भी दिखा दिया. उन्होंने भोपाल के एक दीक्षांत समारोह के दौरान अपना गाउन को उतार फेंका और दो टूक कहा कि ''य...
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव का आगाज १५ अप्रैल से जी हाँ, मातृभाषा हिंदी को मृत अथवा मात्र भाषा कहने वालों की बोलती बंद करने का समय आ गया है। हिंदी चिट्ठाकारिता के इतिहास में पहलीवार ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना की गयी है । यह उत्सव १५ अप्रैल २०१० से शुरू...
कविता घर की बांदी अभी चंद रोज पहले मेरे एक शुभचिन्तक ने फोन कर मुझसे यह जानना चाहा क्या वाकई कविताओं से पेट नहीं भरा जा सकता। मैं अपने शुभचिन्तक को फोन पर बहुत ज्यादा विस्तार से जवाब तो नहीं दे पाया लेकिन यह सच ही है कि कवि...
अजीब लड़की (२) मेरे कमरे में उसकी उपस्थिति मानो किसी कुर्सी मेज की तरह थी मैं उसे पूरी तरह उपेक्षा दे रही थी ..मैं अपनी पढ़ाई में कोई भी व्यवधान नहीं चाहती थी,हालाँकि खाने के समय वो चुप्पी तोड़ने की बहुत कोशिश करती, ऐसा..
भिलाई के युवकों द्वारा निर्मित विश्व रिकॉर्ड की रजत जयंती: विशेष लेख-माला वैसे तो हर क्षेत्र में भिलाई अपने उद्भव के समय से ही विश्व कीर्तिमान बनाते आया है। कई कीर्तिमान टूट गए, कई कीर्तिमान आज भी अपने स्थान पर अटल हैं। इन्हीं कीर्तिमानों में से एक है* **भिलाई** **के** **दो** **...
चलते चलते आज का चित्र
चर्चा को यहीं देते हैं विराम -- सभी को
ललित शर्मा का राम-राम
हमारे पैरा मिलिट्री फोर्सेज के जवानों को सरकार ने सिटिंग डकस समझ लिया है...नक्सलवाद के तंदूर में भुनने के लिए छोड़ दिया है...तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता यही चाहते हैं न ये सिटिंग डकस चुपचाप भुनती रहे और आवाज़ भी न करें...
बहुत दुःख की बात है...