Sunday, November 07, 2010

श्री खुशदीप सहगल के पिताजी का देहावसान-चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ( पंकज मिश्रा )

नमस्कार, चर्चा हिन्दी चिट्ठो के साथ मै पंकज मिश्रा आपके साथ आपके चिट्ठो की चर्चा लेकर!

बडे दुखः की बात है कि श्री खुशदीप शहगल जी के 82 वर्षीय पिताजी का मेरठ के एक अस्‍पताल के आई सी यू में 5 नवम्‍बर 2010 की प्रात: बीमारी से निधन हो गया है। शोक-संतप्‍त परिवार के प्रति चिट्ठाजगत परिवार अपनी संवेदना व्‍यक्‍त करता है और परमपिता परमात्‍मा से दिवंगत आत्‍मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।

यह जानकारी प्राप्त हुई  है पिताजी ब्लाग के माध्यम से.

श्री खुशदीप सहगल के पिताजी का देहावसान

image यह दुखद सूचना 5 नवम्‍बर 2010 की सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर स्‍वयं खुशदीप भाई ने मुझे देते हुए कहा था कि इसे 6 नवम्‍बर 2010 को प्रसारित करें ताकि दीपावली के दिन खुशियों में खलल न पड़े। सबकी खुशियों का ख्‍याल रखने वाले खुशदीप और उनका परिवार इस विपदा से अकेले ही जूझते रहे।

बी एस. पाबला जी ने अपने ब्लाग पर लिखा है कि-

खुशदीप सहगल को पितृ शोक

खुशदीप जी के पिताश्री को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए परमपिता परमात्मा से दिवंगत की आत्मा को शांति और उनके शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना।

सभी शुभचिंतक हिन्दी चिट्ठाकार इस दुखः की घड़ी में खुशदीप जी के साथ हैं।

ढेर सारी बधाई-ब्लॉग4वार्ता ने दीवाली मनाई------ललित शर्मा

जी हां श्री ललित शर्मा जी लिखते है दीपवली के शुभ अवसर पर.

नीचे कुछ चित्र उनके ब्लाग से,

image image

ताऊ डाट इन पर पहेलियो का सिलसिला जारी है और सिर्फ़ एक पायदान पिछे है शतक पूरा होने मे ,

कल शनिवार को ताऊ पहेली का ९९ अंक प्रस्तुत किया गया है.

ताऊ पहेली – 99

आज के लिये बस इतना ही क्युकि मै देख रहा हु गोलमाल-३

दिजिये इजाजत, धन्यवाद

Friday, November 05, 2010

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की तरफ़ से आप सभी को दीपावली की शुभकामनाये!- सादर, पंकज मिश्रा

नमस्कार! मै पंकज मिश्रा आपके साथ.image

सबसे पहले आप सब मेरे तथा मेरे परिवार की तरफ़ से दीवाली की शुभकामनाये स्वीकार किजिये..और इस दीपवली पर कम से कम पटाखे जलाईये प्रदुषण बचाइये, यह तो मै कह दिया बाकी आप जैसा सोचे करे.. smile_sad

अचानक प्रकट हुआ देखकर हैरान है आप सब ना? मै भी हैरान हु कि मुझे समय ने इतना मजबूर क्यु कर दिया है कि मै आप सबसे दूर रहने पर मजबूर हु, खैर चलिये ये अब बातें तो होती रहेगी आप सब चर्चा पर ध्यान दिजिये.

शुरुआत हमेशा की तरह आज भी गुरुदेव समीर लाल जी से ही होवेगी..समीर जी ने दीपवली के शुभ अवसर पर लिखा है कि-

और साथ मे है शुभम मिश्रा जी ब्लाग फ़ार वार्ता के लिये

जीवन की कड़वाहट हर ले
मीठा जाम कहाँ से लाऊँ?

दिल मेरा खुश होकर गाये
ऐसी शाम कहाँ से लाऊँ?

मन में जो उजियारा कर दे
वैसा दीप कहाँ से लाऊँ?

* छोटे बच्चों को स्वयं पटाखे जलाने को न दें। उनके साथ किसी वयस्क को अवश्य रहना चाहिए।

* पटाखों को कभी भी जेब में न रखें।

* पटाखों पर झुककर उन्हें नहीं चलाना चाहिए। पटाखों को कभी भी टिन के डिब्बे या कांच की बोतल में रख कर न जलाएं।

मन में जो उजियारा कर दे
तमन्ना- ए- चराग़- ए- दीवाली - हर आँगन बिखरे आलोक - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

अब आगे चलते है श्रीमान डा. अरविन्द मिश्रा जी के ब्लाग पर.

मिश्रा जी ने बताया है कि

बीन बैग्स पर बैठ कर बिग बास देखने का मजा ही कुछ और है!

वैसे हम सभी देखते है ऐसी वस्तुये लेकिन जानने की जागरुकता नही होती लेकिन आप इस लेख के माध्यम से जान सकते है कि-

imageबीन बैग एक पोर्टेबल सोफा है जिसे आप अपनी सुविधानुसार किसी भी तरह का आकार प्रकार दे सकते हैं ,वजन में फूल की तरह हल्का ,बस विक्रम वैताल स्टाईल में कंधे पर टांग लीजिये और जहां भी चाहिए धर दीजिये और पसर जाईये ...इसमें जो कथित "बीन"  है वह दरअसल इसे ठोस आधार देने के लिए इसमें भरा जाने वाला कृत्रिम बीन-सेम या राजमा के बीज जैसी पी वी सी या पालीस्टिरीन पेलेट होती हैं जो बेहद हल्की होती हैं! वैसे  तो बीन बैग्स के बड़े उपयोग है मगर हम यहाँ इसके बैठने के कुर्सीनुमा ,सोफे के रूपों  की चर्चा कर रहे हैं .हो सकता है कि इस तरह के बैग नुमा मोढ़े के आदि स्वरुप में सचमुच सेम या अन्य बीन की फलियाँ ही स्थायित्व के लिए कभी  भरी गयी हों मगर अपने अपने हल्के फुल्के रूप ये पाली यूरीथीन फोम जैसे हल्के पदार्थ के बीन -बीज/दाने  नुमा संरचनाओं से भरी हुई १९६० -७० के दशक में अवतरित हुईं -मगर ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुईं ...और लम्बे अरसे के बाद फिर १९९० के दशक और फिर अब जाकर तो इनका तेजी से क्रेज बढ़ा है .

अब बात चल रही है बिग बास की तो चलिये बिग बांस के ब्लाग पर अर्थात ताऊ जी के ब्लाग पर.

आज बिग बास ने दिया है दीपवली की शुभकामनाये !

ब्लागर्स बिग बास की तरफ़ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और साथ मे लिखते है कि-

भूलियेगा मत !

ब्लागर्स बिग बास

लौट रहे हैं

दीपावली की छुट्टियों के बाद ।

तो

मिलते हैं दीपावली की छुट्टियों क बाद

पराया देश पर राज भाटिया जी राम रतन धन का वीडियो लगाया है आप भी देख और सुन सकते है यहा क्लिक करके-

पर्व है त्योहार का तो खाने-पीने की बात भी होनी चहिये-शाही कोफ्ता बनाना सिखा रही है ममता जी मेरा ब्लाग पर.

आलू को उबाल कर छील लें। किशमिश के डंठल तोड़कर धो लें और काजू के 5-6 टुकड़े कर लें। मावा और पनीर एक बर्तन में निकाल कर उसमें उबले हुये आलू तोड़ कर डाल लें और कार्न फ्लोर डाल कर अच्छे से मैश कर लें,ताकि मिश्रण चिकने आटे की तरह नजर आने लगे, अदरक का पेस्ट बना कर मिला दें. ये मिश्रण कोफ्ता बनाने के लिये तैयार है। नानस्टिक कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कर लें। कोफ्तो के आटे से थोड़ा थोड़ा आटा निकाल लें, हथेली पर रखकर चपटा कर लें। सभी गोले तैयार होने के बाद गरम तेल में डालकर तल लें। कोफ्तो को धीमी आग पर ब्राउन होने तक तल लें। इसके बाद ग्रेवी बना ले। बाकी विधी और सामग्री की जानकारी ममता जी के ब्लोग पर जाकर प्राप्त करे.

जानकारी से भरा वेबसाईट धुधवा लाईव जिसकी चर्चा विविध भारती जैसे रेडियो प्रसारण पर हो चुकी है,,लेखक के के मिश्रा जी है और बता रहे है आज एक नयी जानकारी

आनुवंशिक कुरूपता !
imageभैंस ने जन्मा विचित्र बच्चालोग इसे कुदरत का करिश्मा मान सकते हैं। मेरे गांव और आसपास के तमाम लोगों ने इसे इसी नजर से देखा भी। कई अशिक्षित लोग उसको दैवीय चमत्कार मानकर प्रणाम तक करने लगे। था भी वह कुछ अनोखा ही। लखीमपुर-खीरी जनपद के मेरे कस्बे के पड़ोस के एक गांव कृपाकुण्ड में एक भैंस ने अजीबोगरीब से बच्चे को जन्म दिया। मंगरे लाल नामक ग्रामीण की भैंस...

 

ऐ बेटा, तनी डोरवा तो बंद कर दो...तनी राइस्वा तो लीजिये—काव्य मन्जुषा पर.

हम बस  इसी ठसक में जीते रहते हैं कि हम सोने की चिड़िया वाले देश के हैं....हमारी संस्कृति के आगे किसी की संस्कृति नहीं है.....लेकिन पारिवारिक मूल्य बहुत से देशों में, बहुत मज़बूत है...मसलन  कनाडा, इटली, फ़्रांस, मक्सिको, ethiopia वैगेरह वैगेरह ...दरअसल इन मूल्यों को दरकिनार किया ही नहीं जा सकता ..कारण स्पष्ट है 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है'...image

 

इन देशों में भी अपने बच्चों के प्रति माता-पिता का बहुत प्रेम देखने को मिलता है ...हाँ हमलोगों की  तरह अँधा प्रेम नहीं होता है...आखिर हर किसी को अपना जीवन जीना ही पड़ता है तो फिर समय से उसे जीवन की  सच्चाई से दो-चार करा देने में बुराई क्या है...और यही यहाँ के माँ-बाप करते हैं...१८ वर्ष का जब बच्चा हो जाता है, उसे दुनिया में संघर्ष करने के लिए प्रेरित करते हैं..

मीनू खरे जी ने लिखी है -आओ दिया जला दें

image इस दीवाली पर दीपों के बन्दनवार सजा दें
हर सूने मन के आंगन में आओ दिया जला दें.
सूनी गलियाँ सूनी सडकें सूने गलियारे हैं
सूना जीवन सूनी मांगें कितने अंधियारे हैं
आओ मिल इन अंधियारों को उजियारों का पता दें
हर सूने मन के आंगन में आओ दिया जला दें.
सुधि की तंग सुरंगों में चलो झांक हम आएँ
भूले बिछड़े संगी साथी सबको आज बुलाएँ
एक साथ सब मिल कर खाएं लड्डू खील बताशे
हर सूने मन के आंगन में आओ दिया जला दें.

काव्य मंजूषा पर से आज का दीपवली शुभकामना गीत…

तन का मंगल, मन का मंगल
विकल प्राण जीवन का मंगल
आकुल जन-तन के अंतर में
जीवन ज्योत जले
मंगल दीप जले
विष का पंक ह्रदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और ना व्यर्थ छले
मंगल दीप जले
आज अहम् तू तज दे प्राणी
झूठा मान तेरा अभिमानी
आत्मा तेरी अमर हो जाए
काया धूल मिले
मंगल दीप जले

 

आज बस इतना ही अगर आप सबका प्यार मुझे मिलेगा तो मै फ़िर हाजीर होऊगा॒!

आप सभी को एक बार फ़िर दीपवली की शुभकामनाये.

………. महाराज आपको भी भाईpresent

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की तरफ़ से आप सभी को दीपावली की शुभकामनाये!- पंकज मिश्रा

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