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Saturday, February 27, 2010

लागल झुलनिया के धक्का----पहिरी हमरो पैजामा----बालम मोर गदेलवा ---"चर्चा सिर्फ़ होली चिट्ठों की" (ललित शर्मा)

मौसम बदल रहा हैं और साथ मे कुछ सर्द गर्म के कारण अब स्वास्थ्य पर भी हमला हो रहा है। कल से हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव दिखा। होली की उमंग ने उत्साह बनाए रखा है अन्यथा आराम के अलावा कोई चारा नही था। होली  साल भर मे आने वाला सभी तबकों का त्योहार है जिसे सभी उल्लास से मनाते हैं। बच्चे बुढे सभी प्रतीक्षा करते है होली की। सबकी उमंगे जवान रहती हैं बस एक दिन धमाल हो जाए, बच्चे-बुढे, अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सब एक हो जाएं और बैर-दुस्मनी भुल कर होली का पर्व मनाएं।....... भाइयों और बहनों चर्चा  शुरू करने से पहले हमने खाया है भांग का गोला........इसलिए आज चर्चा में भी भांग मिला है. ....अगर किसी कों चढ़ जाये नशा तो हमारी कौनो गारंटी नहीं है.........टेक हैंडल विथ केयर.....कांच का समान है टूट सकता है.....बुरा ना मानो होली है........आज चर्चा करेंगे सिर्फ़ होली के चिट्ठों की। मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज के "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" पर.......................
होली की सबसे बड़ी न्यूज है कि धोनी ने जिस कुएं का पानी पीया वो अदा जी के घर में ही है तभी धुंवाधार चौके छक्कों के साथ शतक भी लग रहे हैं, भैया धोनी कों ही क्यों पूरी टीम कों पिलाओ उस कुंवे का पानी जिससे आस्ट्रेलिया कों याद आ जाये अपनी नानी..........रमलू सियार भी टुन्न है खाये वो जूते तेरी गली में सनम  कहते घूम रहा है.....जब इतना ही मालूम था जूते पड़ने वाले है तो गए क्यों थे गली में रास्ट्रीय राजमार्ग पर चलना था...वहां जूते पड़ते तो टी वी वाले इंटरव्यू लेते अख़बार वाले फोटू छापते अब गली में चुपचाप जूते खाने पर तो कोई कवरेज या प्रचार नहीं मिलने वाला है..
पिछले होली में फटा था पैजामा और गिरिजेश भाई अभी पूछ रहे है कि का तुम पहिरी हमरो पैजामा ? भैया जब हमको पैजामा का जरुरत था तब तो दिया नहीं और अब पूछ रहे है. समय कि कीमत होती है समय पर देते तो हो सकता है पहिन ही लेते अब धरे रहिये अपने पैजामा कों. जिन्होंने फाड़ा है हमारा कुरता. वो लाकर देंगे पैजामा भी..डॉ मनोज मिश्र जी लाये है होली का फाग जमा दिया है राज और चल रहा है...न देबय कजरवा तोहके  ना देब हमें  कौन सी पड़ी है लाल छड़ी मैदान खड़ी है....खूब लड़ी है खूब लड़ी है यहाँ होली का प्रवचन चल रहा है मुशायरा के रूप में चार दिन हो गया हम भी सुन रहे हैं...आप भी सुनिए बहुत धमाल है...शब्दों का कमाल है गजल नहीं है हजार सुना रहे है  पकड़ पकड के होली का गुलाल लगा रहे हैं
राजकुमार ग्वालानी रहते शहर में है बने हुए है शहरिया .....होली आई तो याद आ गई है गांव की गोरिया. गांव कों भूलो होली शर में मनाओ और हुल्लड़ हो तो प्रसाद में पुलिस के डंडे भी खाओ..उत्तराखंड में भी होली की बाहर छाई है...रंग-रंगिलि बहार ऐगे होरी की.यहाँ भी होली की बाहर आई है.....गिरीश पंकज भाई कल ही तो कह रहे थे तुम्हारी होली देख कर मुझे भी होली खेलने का मन हो रहा है...लेकिन रात बीतते ही विचार बादल गए और अब कह रहे हैं..होली में ठिठोली मत करो अभ आप ही बताईये कल ही आपका लिग परिवर्तन कर दिया राजीव तनेजा ने और अब भाई से भौजी बन गए है तो ठिठोली भी सहना पड़ेगी और गुलाल भी लगवाना पड़ेगा आपके साथ साथ हम भी फँस गए चक्कर में वो फोटो में आयटम डांसर बना दिया है अब क्या किया जाये? खैर उसके लिए तो हमने नोटिश चस्पा कर दिया है..
अब एक होली ऐसी भी होती है जहाँ पत्थर बरसाए जाते है और खून खराबा होता है उसके विषय में बता हैं कमलेश वर्मा जी डूंगरपुर की खूनी होली अब ऐसी होली तो कौन खेले मूड कान फोड़वाने वो तो रंग गुलाल खेलने से ही फुट जाते हैं...सुरेश चंद गुप्ता जी ने अग्रिम सूचना दे दी है कि होली आई, होली आई अब खेलना ना खेलना तुम्हारी मर्जी है  नारी के कविता ब्लाग पे भी होली मन रही है..होली है !  होली का अवसर हो और सुलभ ना हो सतरंगी तो कैसे होली मनायेगा बजरंगी होली में ठिठोली > एक से बढ़कर एक बुढऊ > रंग बरसे इन्होने जो बरसाया है रंग सब बुढाऊ हो गए है दंग बज रहा है होली पर मृदंग. 
इधर चंदू घर के अन्दर ही नगाड़े पीटने लग गया है.! होली है-भाई होली है. सब तरफ मस्ती का छाया है रंग. साहित्य शिल्पी पे भी है ये रंग बिरंगे फूल धूम धाम से मनाओ होली मत जाना भूल  वंदना जी कों रंगों ने इतना भरमाया है कौन से रंग से कैसे खेलें होरी समझ में नहीं आया है.....वंदना जी खेलिए जी भर के होली,...... बाजार में हर्बल रंग भी आया है....लाल..पीला, हरा ..नीला हर  तरफ छाया है. क्या बताएं होली हो और वयस्कों के लिए कोई अलग से सामग्री ना होतो कैसे पता चले की होली है...अरविन्द मिश्रा जी वयस्कों के लिए सामग्री लेकर आये हैं जरा दूर से ही देकिये.....बालम मोर गदेलवा -एक एडल्ट पोस्ट (गदेलों की तांक झाँक वर्जित है) इन्होने पहले से ही बोर्ड लगा दिया है कि वयस्कों कों छोड़ के कोई भी देख सकता है.....क्योंकि जहा व्यस्को के लिए लिखा रहता है उस फिल्म में सभी अवयस्क ही पाए जाते हैं  वे समझ जाते हैं कि यह फिल्म विशेष रूप से उनके लिए ही है...
ये लो भैया फगुनाहट का सम्मान भी हो गया.....रविन्द्र प्रभात जी खुशखबरी लेकर आये है...." परिकल्पना फगुनाहट सम्मान-2010" दुआ कीजिए रचनात्मक असंतोष की यह आग लगातार जलती रहे...! अब असंतोष की आग तो जलेगी ही भैया सीधा सीधा होली पे नुकसान उठाया है और एक साल का इंतजार आपने कराया है.देखेंगे अगले साल तक जलाएंगे आग लेकिन गैस का बिल कौन भरेगा यही चिंता है...आज कल तो गांव गंवई में भी गैस का ही चूल्हा जलता है...हस्तिना पुर में भी होली  खेली जा रही है के एम मिश्रा जी लेकर आये हैं.हस्तिनापुर में होली (हास्य-व्यंग्य, कार्टून) आप भी उठाईये होली का आनंद.... 
पदम् सिंग  सुना रहे हैं....लागल झुलनिया के धक्का बलम कलकत्ता निकरि गए  देखो भैया हम पहिले ही बताये देते है.... बंगाली टी टी का कोई भरोसा नहीं है  कहीं बिना टिकिट पकड़ लियेतो तो फेर मन गई होली तनी ध्यान रखिये..घुघती बासूती जी कह रही हैं...वह गोबर होली वर्ष था पहले गांव में गोबर से भी होली खेली जाती थी लेकिन अब गोरु कम हो गये कल ही अम्मा बता रही थी कि आंगन लीपने के लिए भी गोबर किलो भाव से लेना पड़ रहा है इसलिए गोबर से होली खेलना तो बहुत ही महंगा पड़ेगा.. शोभा जी कह रही हैं .फिर आया फागुन अब आ गया है तो होली मना ही ली जाये परों तो चला ही जायेगा....विवेक रस्तोगी जी अब थक गए है यायावरी जिन्दगी से होली बेटे के साथ मनाना चाहते हैं...
अभी तक तो हमने आदमी ही होलियाते देखे है लेकिन अब होलियाए दोहे हैं. श्यामल सुमन जी ने होली का रंग दोहों पर भी चढ़ा दिया...तोषी भी होली मना रही हैं रंगों का त्यौहार है होली......ना जाने कितने रंग समाये है होली के इन रंगों में में........हरकीरत हीर जी भी रंगों कों समेट कर लायी है...कुछ रफ़ाकत के रंग ......कुछ मुहब्बत के फूल .....कुछ तल्ख़ हवाओं से गुंजारिश और अदब की चुनरी होली में  अब होली की चर्चा समपन्न हो रही है..हम भी होली मनाएंगे और होली के पहले और होली के बाद ब्लागर होली सम्मलेन भी कराएँगे....जहाँ ब्लागर होंगे रंग गुलाल होगा....बस सिर्फ बस प्रेम होगा इसके अलावा कुछ भी नहीं होगा....और कुछ के लिए जगह भी खाली नहीं होगी.......आप सभी कों ललित शर्मा की तरफ से होली की ढेर सारी शुभकामनाएं........ .....

Saturday, January 02, 2010

पहलू में मौसम गुलाबी हुआ है ...(चर्चा हिन्दी चिट्ठों की )



अंक - 122                चर्चाकार - हेमन्त कुमार आज की चर्चा के साथ मैं हेमन्त कुमार आपके सामने हूँ । प्रस्तुत है आज की चर्चा । यह रही पहली पोस्ट - ज्ञानदत्त पाण्डेय ने आज भावी प्रधानमंत्री का स्टिंगॉपरेशन में  लिखा है कि -

"नत्तू पांड़े की माई की सख्त हिदायत थी कि उसके सुपुत्र का कोई न्यूड वीडियो न लिया जाये। उसको यह आशंका है कि इस वीडियो का (भविष्य में) नत्तू की शादी के अवसर पर ब्लैक मेल करने हेतु दुरुपयोग हो सकता है। मेरे जैसे तहलकाई के पास कोई चारा न बचा सिवाय स्टिंग ऑपरेशन (हिन्दी में क्या कहेंगे – डंक-संचालन या दंश-अभियान/दंशाभियान?) के। बाथ रूम में जब नत्तू पांड़े को नहलाया जा रहा था तो उनका खिड़की से वीडियो उतार लिया!"
गिरिजेश जी के  एक आलसी का चिट्ठा पर अरविन्द जी ने अतिथि पोस्ट दी है  - तीसरा भाग पूर्वार्द्ध : अलविदा शब्द, साहित्य और ब्लॉगरी तुम से भी..(लंठ महाचर्चा)

हान चिन्तक, दार्शनिक अरस्तू का मानना था कि मानव मात्र का अन्तिम लक्ष्य/अभीष्ट सुख की प्राप्ति है। आखिर कौन नहीं चाहता सुख। पशु-पक्षी कपि-भालू, नर-वानर, ऋषि-मुनि सभी तो सुख चाहते हैं। हाँ, यह बात दीगर है कि पशु पक्षियों में सुख की वह अनुभूति नहीं होती जैसी कि प्रकृति की श्रेष्ठतम कृति मानव में होती है। पशुओं में सुखानुभूति महज एक जैवीय ``उद्दीपन प्रतिक्रिया´´ के ही दायरे में सीमित होती है। मानव ने अपने अद्वितीय और अद्भुत सांस्कृतिक विकास की यात्रा में कई तरह के ``सुखों´´ के अन्वेषण-अनुभूति के पड़ाव तय किये हैं-सांसारिक (भौतिक) सुख, आध्यात्मिक  (मानसिक) सुख और यहाँ तक कि ``परमानन्द (सच्चिदानन्द ) तक की  प्राप्ति´´ का सुख जिसके पश्चात् फिर किसी और सुख की चाह ही नहीं रह जाती। यही मोक्ष (निर्वाण) है।
नये साल पर बोदूराम के साथ क्या हुआ पढिये पंकज मिश्रा के ब्लाग पर…..किस यु ऐन्ड योर फ़ेमिली..हैपी न्यु ईयर-बोदूरामhttp://crazywebsite.com/Website-Clipart-Pictures-Videos/New-Year-Graphics/Happy-New-Year-Party-Animals-Animation-1.gif
हुआ यु की की बोदूराम ने नए साल पर सबको मैसेज करने की सोची ..और किया भी और मैसे ज में वो लिखना चाहा कि...
WISH YOU & your family HAPPY NEW YEAR
लेकिन गलतीसे w की जगह दब गया k और हो गया
KISS you and & your family happy new year
अब तो आप समझ ही गए होगे कि कैसा बवाल हुआ होगा 
बोदूराम ने जल्दी से मेल अटैच्मेन्ट खोली और चलाया तो पहली लडकी आयी और बाय़ बाय़ की दुसरी लडकी आयी तो वेलकम की थोडी देर बाद दोनो लडकी साथ मे आती है और अपना टी शर्ट और जीन्स निकालकर हवा मे लहराकर नाचने लगती है..अब तो बोदूराम को काटो तो खून नही ..
तो दोस्तो यह तो बात हुई बोदूराम की और और मेरा तो सही ही था ..आप सबको देरी से ही सही नये साल की शुभकामनाये ...
नववर्ष के सन्दर्भ में इनके विचार देखिये - 

नया साल मुबारक: कुछ और रास्ते मिले, कुछ और रास्ते खुले...

एक दिन अचानक मुहँ बिरायेगा आयना, चांदी के तार झलकेंगे कपास की खेती में बदलने से पहले, तुम फिर फ़िराक में रहोगे, अभी भी पकड़ में है वक़्त, कुछ और दिन के लिए मुब्तिला कर दोगे खुद की तलाश. वक़्त के बदलते घोड़े की घुड़सवारी नहीं करोगे, उसकी थापों की थाह लोगे, तब जब वों एक फासले तक गुजर चुकी होंगी. फिर सुनोगे उसे एक भूली तान के भ्रम में, या किसी आहट के अंदेशे में। दुनिया बदलने की खुमारी में डूबे तुम, एक कोने दुबके रहे और उतनी देर में बदल गया है दुनिया का धरातल, कुछ वैसे नहीं जैसे चाहा था तुमने, जैसा अंदेशा था दन्त कथाओं में, जैसी उम्मीद कायम थी कत्लो-गारद की भरी पिछली सदी में.

 खुशदीप जी का ब्लॉग देशनामा लाया है खास - नये साल पर दो करोड़ के ठुमके का चोंचला...खुशदीप


लो जनाब आ गया 2010 भी...आधी रात को माहौल देखना था...ऐसे जैसे घड़ी की सुइयां बारह पर पहुंचेंगी तो न जाने क्या कुछ अनोखा हो जाएगा...देवदूत आसमां से नीचे उतर आएंगे...देवदूत तो क्या उतरते हां गले से गैलन के गैलन सोमरस ज़रूर उतर रहा था..चलिए आपको नए साल के तीन अक्स दिखाता हूं...आप सोचिएगा कौन से अक्स के करीब हैं या कौन से अक्स का दर्द करीब से जानना चाहते हैं...
ताऊ जी के ब्लॉग पर पहुँचिये -ओम पराया माल गटक जा भैरु..गटक गटक भैरु..


प्रिय बहनों और भाईयो, नये साल मे आपका हार्दिक स्वागत है. पिछला साल कल ही तो बीता है. हर साल बीतते बीतते हम कुछ बुरी बातें छोडने का संकल्प लेते हैं. कुछ अच्छी बातें अपनाने का संकल्प करते हैं. पर अगर मैं आपको इमानदारी से कहुं तो मानवीय मन ऐसा है कि कहीं टिक नही पाता. यानि जिसका जैसा स्वभाव पड गया वो उसी के अनूरुप व्यवहार करता है. यानि ले देके वही रामदयाल और वही गधेडी.
धीरू जी की शुभकामनायें कबूलिये, और कहनी सुनिये -हे २००९ तुम जाते जाते महंगाई ,आतंक को भी अपने साथ ले जाओ . नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

ना ना करते हुए भी २००९ में १०० पोस्ट  पूरी हो गयी दरबार की . यह कोई उपलब्धि तो नहीं लेकिन मेरी निरंतरता है .  क्योकि मुझ पर ठप्पा लगा है कोई काम मैं लग कर नहीं कर सकता . बहुत से सपने मेरे पिता ने मेरे लिए देखे होंगे लेकिन मैं भी समझता हूँ आज तक मैं खरा उतरा नहीं . साल दर साल हर नए साल पर प्रतिज्ञा करता हूँ कसम खाता हूँ . लेकिन आज तक पहले हफ्ते में ही सारी कसमे खा जाता हूँ और प्रतिज्ञा तो याद भी नहीं रहती .
एक प्यारी कविता नये साल का स्वागत करती हुई मनोज जी के ब्लॉग से -आ गया है साल नूतन


आ गया है साल नूतन, ख़ुशियों की सौगात लेकर,
करें इसका मिलके स्वागत जोश और ज़ज़्बात लेकर।

याद मन में अपने कर लें, मुस्कुराते बीते कल को
उम्र-भर रोना नहीं, बिगड़े हुये हालात लेकर।

आओ नज्मों में मिला लें, सबसे मीठी प्रेम-भाषा,
हो ग़ज़ल कामिल हर शै, क़लम और दावात लेकर।
नये वर्ष की चर्चा लेकर महेन्द्र जी आये हैं कुछ संकल्पों की याद दिलाने - चिट्ठी चर्चा : चलो हम नए वर्ष के प्रथम दिन को संकल्प दिवस बना लें हम


नया साल नई उम्मीदे लेकर आता है . दिमाग में नई सोच पुराने विचार कुछ नयापन लेकर और ढेरो आशाये लेकर आता है तो स्वाभाविक है की वर्ष २०१० में कुछ नया कर गुजरने की लालसा जरुर होती है . समाज के उत्थान का संकल्प ले. विकलांगो की सेवा करें . कठोर परिश्रम करे . नैतिक विकास का संकल्प ले आदि आदि .. " चलो हम नए वर्ष के प्रथम दिन को संकल्प दिवस बना लें हम " " एक नये संकल्प-सोच से पुरातन पंथो को बदलने का बीड़ा उठा लें हम "
गोदियाल जी का नये साल का सबसे मारक प्रश्न है यह !तू ब्लॉगर क्यों हुआ !


एक बार पुन: सभी को नववर्ष की मंगलमय कामनाये ! चलो नए साल की शुरुआत की जाये इस भोंडी सी गजल के साथ;
ठण्ड पूछती है कुर्ते से, तू पुलओवर क्यों हुआ, अरुणोदय को निहारना इतना, सोबर क्यों हुआ ! इस शरद-ऋतु में नव-वर्ष की प्रथम बेला पर, दिल्ली का जर्रा-जर्रा,फौगी से फौगर क्यों हुआ !

एक और बड़ा सा प्रश्न सुन लीजिये -ऐ नए साल बता , तुझ में नयापन क्या है ?
अपने ही घर आते हुए जाने क्यों इतनी झिझक हो रही है, वही घर वाही लोग वहीदोस्त पता नहीं कहाँ , क्या नया है? लेकिन फिर भी आज दिल चाहा , अपने दोस्तों के नज़दीक जाने का, और देख लीजिये, हम आगये,
दूरी क्यों रही, ये वजह ना ही पूछें तो अच्छा है. कुछ अपना चेहरा नज़र आएगा ,कुछ अपने ही लोगों के बदसूरत चेहरे दिखाई देंगे, सो क्यों न इस बात को यहीं छोड़ दिया जाए......
जैसा कि आप अवगत ही हैं कि सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 20 श्रेणियों हेतु प्रस्तावित 'संवाद सम्मान' का आयोजन किया जा रहा है। इस हेतु ब्लॉग जगत के प्रतिष्ठित 25 लोगों से नॉमिनेशन मांगे गये थे। इस सम्बंध में साथियों द्वारा दिये गये सुझाव के अनुसार ऑनलॉलन नॉमिनेशन भी आज से शुरू किया जा रहा है।
दूसरा है अलबेला जी का यह निर्णय -ब्लोगर मित्र अपना कीमती मत दें और स्वयं चुनें ब्लोगर 2009 और टिप्पणीकार 2009 के लिए सही नाम


मुझे ये बताते हुए बड़ा आनन्द है कि आगामी 24-25 अप्रेल 2010 को सूरत में एक विराट सांस्कृतिक समारोह में वर्ष 2009 के लिए हिन्दी ब्लॉग जगत की दो ऐसी हस्तियों को वार्षिक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने अपनी रचनाओं और टिप्पणियों से हिन्दी ब्लोगिंग को आगे बढ़ाया तथा लोकप्रिय बनाया । इस सन्दर्भ में पहला सम्मान उस सक्रिय ब्लोगर को भेन्ट किया जाएगा जिसने वर्ष भर अपनी लेखनी चलाई और सार्थक लेखन किया । सम्मान्य ब्लोगर को रूपये 25 हज़ार नकद, सम्मान-पत्र एवं शाल-श्रीफल भेन्ट किये जायेंगे

       

ल्लाह ने अपने आखिरी नबी, मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अपना आखिरी पैगाम कुरआन शरीफ़ नाज़िल किया था। कुरआन शरीफ़ जो सारी इन्सानियत के लिये नाज़िल हुआ है, जो रहम और बरकत की किताब है। अगर आपको एक मुस्लमान की ज़िन्दगी क्या होती है देखनी है तो आप नबी करीम मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी से अच्छी मिसाल दुनिया में कोई नही है।
अदा जी के ब्लॉग पर गुलाबी मौसम के बारे में -
पहलू में मौसम गुलाबी हुआ है सासों में सुर्ख़ी सी छाने लगी है पतझड़ की पाती सावन की केहुनी इशारों की दुनिया बुलाने लगी है वो बूटों में सजता है तारों में रचता शै अनजानी शक्ल जानी लगी है बातों की पायल किस्सों के झूमर गीतों की दुनिया गुनगुनाने लगी हैं
सीमा जी के ब्लॉग कुछ कवितायें कुछ हैं गीत से -आने दो खुशियों से भरे नए साल को

सभी दोस्तों ,आदरणीयों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें । मन से निकल दो सब मैल को, मलाल को । आने दो खुशियों से भरे नए साल को । बीती सो बात गई , अंधियारी रात गई . नव प्रभात आया है , लेकर सौगात नई । फैलने दो मन आँगन, प्यार के गुलाल को । आने दो खुशियों से भरे नए साल को ।
जाते-जाते हिमांशु के ब्लॉग पर की गयी राम जी से फरियाद नये साल पर -

ये साल में रामजी, इतनी-सी फरियाद, बना रहे ये आदमी, बना रहे संवाद। नये साल में रामजी, बना रहे ये भाव, डूबे ना हरदम, रहे पानी ऊपर नाव । नये साल में रामजी, इतना रखना ख्याल, पांव ना काटे रास्ता, गिरे न सिर पर डाल। नये साल में रामजी, करना बेड़ा पार, मंहगाई की मार से, रोये ना त्यौहार ।
खत्म करता हूँ ! 

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जाहिर निवेदन

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