Wednesday, December 30, 2009

रामप्यारी का फ़िर कमाल,टिप्पणिया पहुची हजार के पार (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार …पंकज मिश्रा आपके साथ ..नया साल आ रहा है ..बधाई आप सबको !!!!!चर्चा परिवार की तरफ़ से !!

रामप्यारी आन मिशन और आज इस साल का अन्तिम पहेली सवाल साल 2009 की मेगा पहेली (158) : आयोजक उडनतश्तरी..अब तक के कुल कमेन्ट ११३६ (रात ११:२५ मिनट ) तक का रिकार्ड है हमारे पास …आयोजक है समीर लाल “समीर”

image ये पहेली इस साल की अंतिम पहेली होगी! इसमे जवाब देने का समय निर्धारित किया गया है ३१ दिसम्बर २००९ की रात १२ :०० तक. यानि नया साल २०१० शुरु होने तक.

image पार्ट A में आपको बताना है कि इसमे कुल कितने चेहरे हैं. पार्ट एक के सही जवाब देने वाले विजेताओं को पहेली चेंपियन - २००९ का प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
पार्ट B में आपको इस चित्र में शामिल सभी चेहरों के नाम बताना है. इसका सही जवाब देने वाले प्रथम तीन विजेताओं को मिलेगा पहेली चेंपियन आफ़ चेंपियंस अवार्ड - २००९ का प्रमाण पत्र.

दोनों पार्ट में एक ही व्यक्ति सर्वप्रथम है तो उसे पहेली ’ग्रेण्ड चैम्पियन, २००९’ का एक अवार्ड अलग से दिया जायेगा, जिसमें सर्टीफिकेट के साथ समीर लाल ’समीर’ की बिखरे मोती की एक प्रति भेंट की जायेगी.

कविताएँ और कवि भी..मे गिरिजेश राव जी है लेकर कविता नरक के रस्ते : अभिशप्त, उदास, अधूरी सिम्फनी

शेर मर रहे हैं बाहर सरेह में
खेत में
झुग्गियों में
झोपड़ियों में
सड़क पर..हर जगह
सारनाथ में पत्थर हम सहेज रहे हैं
जय हिन्द।
मैं देखता हूँ
छ्त के छेद से
लाल किले के पत्थर दरक रहे हैं।

पिट्सबर्ग में एक भारतीय भी एक कविता के साथ ये बदनुमा धब्बे

image मेरे शुभचिंतक
जुटे हैं दिलोजान से
मिटाने
बदनुमा धब्बों को
मेरे चेहरे से
शुभचिंतक जो ठहरे
लहूलुहान हूँ मैं
कुछ भी
देख नहीं सकता
समझा नहीं पाता हूँ
किसी को कि
ये धब्बे
मेरी आँखें हैं!

जानिये इतिहास को my india5

सारनाथ में ढाई हजार वर्ष पुरानी दीवार

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणविद अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि स्तूप की गुप्तकालीन दीवार मिलने से पुराने इतिहास की सच्चाई सामने आ रही है। श्रीवास्तव के मुताबिक सारनाथ चौखंडी स्तूप पर ढाई हजार वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध से बिछड़े उनके शिष्य सारनाथ में मिले थे। यह निर्माण उन्हीं अनुयायियों की देन है। इसके पूर्व भी दो दीवारें पहले ही खोजी जा चुकी हैं। प्राचीन स्वरूप बना रहे अब वैज्ञानिक विधि से उसे संरक्षित भी कराया जाएगा।

अजय भईया गांव से वापस आ गये है  और दिखाये है कुछ फ़ोटो आप भी देखिये!रेल यात्रा ,, कुछ चित्र और ,ग्राम प्रवास (एक )

image आखिरकार लगभग एक सप्ताह के ग्राम प्रवासके बाद वापसी हो ही गई । आज ही दोपहर कोवापसी हुई है । अभी तो imageउंगलियों में गांव कीमीठी मीठी ठंड का स्वाद भी नहीं उतरा हैइसलिए ज्यादा तो शायद नहीं लिखा जाएगा ।मगimage र एक  ब्लोग्गर के सामने कंप्यूटर हो औरवो पोस्ट न लिख मारे तो फ़िर काहे का ब्लोगरजी । और हम तो घोषित ब्लोग्गर हैं जी ...अबये मत पूछियेगा कि घोषित अपराधी की तर्ज़ पेहमें घोषित ब्लोग्गर किसने बना दिया ।मगर येसब बातें तो फ़िर कभी फ़िलहाल तो इस यात्रा और मेरे ग्राम प्रवास की पहली किस्त आपके सामने रख रहा हूं ।जाहिर सी बात है कि आज मेरे शब्दों से ज्यादा आपसे मेरे मोबाईल के

सुमन जी बता रहे है न्याय में देरी का अर्थ बगावत नहीं

साक्ष्य और सबूतों के आधार पर वाद निर्णित होते हैं । जेसिका पाल, रुचिका आदि मामलों में न्यायिक अवधारणाएं बदली जा रही हैं जबकि होना यह चाहिए की विवेचना करने वाली एजेंसी चाहे वह सी.बी.आई हो पुलिस हो या कोई अन्य उसकी विवेचना का स्तर निष्पक्ष और दबाव रहित होना चाहिए जो नहीं हो रहा है । मुख्य समस्या अपराधिक विधि में यह है जिसकी वजह से न्याय में देरी होती है । न्याय में देरी होने का मुख्य कारण अभियोजन पक्ष होता है जिसके ऊपर पूरा नियंत्रण राज्य का होता है । राज्य की ही अगर दुर्दशा है तो न्याय और अन्याय में कोई अंतर नहीं रह जाता है

सदा जी कर रही है आगमन नये साल का ....

image पल-पल वक्‍त के साथ कदम मिला के चल,ठहरता नहीं यहां किसी के लिये कोई भी पल ।

बीते वक्‍त की बातों से सीख लेना सदा ही,

जाने वाला लम्‍हा लौटेगा नहीं, वो होगा कल ।

नया पल, नया दिन लेकर आ रहा है ये साल,

राजतन्त्र पर ग्वालानी जी बता रहे है गुस्सा आए तो जाने राज पिछले जन्म का

image एनडीटीवी के बकवास कार्यक्रम में राज पिछले जन्म का में कल के एपीसोड में संभावना सेठ को बुलाया गया था। वह अपने पिछले जन्म का राज यह सोचकर जानने आई थीं कि उनको कोई पुरुष गलत नजरों से देखता है तो उनको बहुत ज्यादा गुस्सा क्यों आता है। अपने टीवी वालों को तो एक बकवास विषय चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं है कि ज्यादातर पुरुषों की गंदी नजरों का सामना हर दूसरी महिला को करना पड़ता है तो क्या इसका यह मतलब है कि हर दूसरी महिला पहुंच जाए एनडीटीवी वालों के दरबार में।

 

ना जानते हो तो सुन लिजिये शेखावत जी से  लाइफ शादी के पहले और शादी के बाद

image

Life before marriage is AIRTEL
" u can express ur self ".
During honeymoon is RELIANCE-
" Always get in Touch ".
After Honeymoon is HUTCH
" Wherever u go ur wife network follows".

लो जी पढ लो रुक जाना मौत है- विल्स कार्ड ८

बरसात

उस रोज

मैं घर आया

बरसात में भीग image

भाई ने डॉटा

’क्यूँ छतरी लेकर नहीं जाते?’

बहन ने फटकारा

’क्यूँ कुछ देर कहीं रुक नहीं जाते’

पिता जी गुस्साये

’बीमार पड़कर ही समझोगे’

माँ मेरे बाल सुखाते हुए

धीरे से बोली

कल रात

एकाएक

पूरे चाँद ने

मुझे

मेरे कमरे की खिड़की से

घूरा...

मैने डर कर image

तुम्हारी तस्वीर

छिपा दी....

क्या जबाब देता उसे??

बताओ न!!

अब

तुम्हारी

तस्वीर नहीं मिल रही!!

ओये जी लिजिये नमस्ते दिजिये आशिर्वाद जय राम नमस्कार

Tuesday, December 29, 2009

अब चर्चा परिवार की टीम कुछ इस तरह है (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की)

नमस्कार….मै पंकज मिश्रा

चर्चा हिन्दी चिट्ठो के इस अंक मे आपको एक खबर बताता हु…चर्चा परिवार के साथ अब जुड गये है दो और महानुभाव

१-ललित शर्मा जी

२-महफ़ूज अली साहब

अब चर्चा परिवार की टीम कुछ इस तरह है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

About Me

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। मेरे बारे में अधिक जानकारी निम्न लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है।

अमर भारती, मयंक

उच्चारण

हिमांशु । Himanshu

About Me

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब सोचते रहतें हैं किस ओर किधर के हम हैं ।

ब्लॉग मदद
अखिलं मधुरम्

Science Bloggers' Association
सच्चा शरणम्

पिताजी

ललित शर्मा

About Me

परिचय क्या दूँ मैं तो अपना, मेघ भरी जल की बदरी हूँ, किसे पथिक की प्यास बुझाने, बंधी हुई कुएं पर गगरी हूँ, मीत बनाने जग में आया, मानवता का सजग प्रहरी हूँ, हर दुवार खुला है जिसके घर का, सबका स्वागत करती "नगरी" हूँ.

ललित वाणी

ललितडॉटकॉम

महफूज़ अली

About Me

पेशे से प्रवक्ता और अपना व्यापार. मैंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम्.कॉम व डॉ. रा.म.लोहिया विश्वविद्यालय,फैजाबाद से एम्.ए.(अर्थशास्त्र) तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि ली है. I.G.N.O.U. से सन २००५ में PGJMC किया और सन् २००७ में MBA किया. पूर्णकालिक रूप से अपना व्यापार भी देख रहा हूँ व शौकिया तौर पर कई कालेजों में भी अतिथि प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देता हूँ. पढना और पढाना मेरा शौक़ है. अंग्रेजी में मुझे मेरी कविता 'For a missing child' के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार मिल चूका है. मेरी अंग्रेजी कविताओं का संकलन 'Eternal Portraits' के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है,जो की Penguin Publishers द्वारा प्रकाशित है. अंग्रेजी में मैंने अब तक के कोई 2600 कवितायेँ लिखी हैं.हंस, वागर्थ, कादम्बिनी से होते हुए ..अंतर्राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका 'पुरवाई' जो की लन्दन से प्रकाशित होती है ..में प्रकाशित हुआ, तबसे हिंदी का सफ़र जारी है... मेरी हिंदी कविताओं का संकलन 'सूखी बारिश' जो की सन् २००६ में मुदित प्रकाशन से प्रकाशित है..मैं उम्मीद करता हूँ की मेरा ब्लॉग मेरे पाठकों को ज़रूर अच्छा लगेगा . आपके टिप्पणियाँ मेरा हौसला बढाती हैं. इसलिए मेरी रचनाएँ पढने के बाद अपनी अमूल्य टिपण्णी ज़ुरूर दें.मेरा प्रमुख ब्लॉग मेरी रचनाएँ !!!!!!!!!है.

Hemant Kumar

About Me

हर क्षण शिद्दत से जीना, कुछ नया करने के लिये लगे रहना और गुनगुनाना - बस इतना ही

अक्षरशः

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की !!!

कलरव

दर्शन

About Me

हर पल मुझमें एक आग लगती है, हर दुसरे पल बुझ जाती है, तुमने भी तो मुझे चेन स्मोकर कहा था...

प्राची के पार...

सर्किट

ब्लाग चर्चा "मुन्ना भाई" की

Abhishek Kushwaha

About Me

I like to explore experiment and invent.....everytime new approaches about archaic things and processes....!

आर्जव

Mishra Pankaj

About Me

साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!

अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

Its A Smart Way to Success

चर्चा हिन्दी चिट्ठो की !!!

तो अब बताईये कैसी लगी हमारी टीम और हा एक बात और इसमे सब कप्तान है भईया कोइ अकेला नही ..

नमस्ते

Monday, December 28, 2009

अभी तो व्यथा के श्रृंगों का आयतन वर्तनी की आकृतियॊं में नापता हूं (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार ,  पंकज मिश्रा आपके साथ…..

अभी तो व्यथा के श्रृंगों
का आयतन
वर्तनी की आकृतियॊं में नापता हूं ! ! !
भावना के पारावार में
खो जायेगें दुख भी जब
तुम्हारे स्मरण की विस्मृत मधुकरी तब
मन के वातायनॊं पर सजाउंगा !

image अरे नही भाई मै कहा इतना ग्यानी कि ऐसी बातें लिख पाउ ..ये तो है हमारे परिवार के नये सदस्य श्री मान “आर्जव”  जी जो कि चिट्ठा चर्चा के नये सदस्य है …और उपर की चन्द लाईने मै उनके ब्लाग से रात के १:५५ मिनट पर चोरी कर रहा हु…वैसे चोरी नही कहू तो सही है क्युकि अभी हमारे युवा टिप्प्णीकार आकर यह कह देगे कि बाकी जगह से भी आप चोरी ही करते हो :)

चलिये आपको बताते है अपने नये सदस्य आर्जव जी के बारे मे ….जैसा कि उनका प्रोफ़ाईल बताता है ..मै अपने तरफ़ से क्या बताऊ आजकल तो लोग दिन भर मे चार बार प्रोफ़ाईल बदलते है जी …तो हमारे आर्जव साहब के बारे मे बात यह है कि

About Me

I like to explore experiment and invent.....everytime new approaches about archaic things and processes....!

और ब्लाग है

आर्जव    चित्र-शब्द

अब चलते है चर्चा की तरफ़ ……..

पहले पहल बात करते है अपने जनपद जौनपुर के बारे मे …आनंद देव जी ने लिखा है गंगा जमुनी तहजीब की अनूठी मिशाल है जौनपुर की सरज़मी

image image गुलामी से ले कर अब तक यूँ तो देश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक तनाव , दंगा फसाद और खून खराबा जैसी घटनाए हुई पर उत्तर प्रदेश का जौनपुर जनपद न सिर्फ ऐसी घटनाओं से अछूता रहा है बल्कि जाति , धर्म और सम्प्रदाय जैसी संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठ कर यहाँ के लोगो ने हर मौके पर एक दूसरे के सुख दुःख में हाथ बटा
कर दुनिया के सामने गंगा जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिशाल पेश की है । यहाँ राम लीला के मंचन में अस्फाक, इस्लाम और फ़िरोज़ जैसे पात्र राम लक्षमण और सीता की भूमिका में मिल जाएगे तो दूसरी तरफ सरदार पंछी , महेंद्र, और रामकृष्ण जैसे लोगो को मुहर्रम के महीने में नौहा ,मातम तथा ताज़िया दारी करते देखा जासकता .करीब ४५ लाख की आबादी वाले इस जिले में मुस्लिमो की भी अच्छी खासी तादात है । लेकिन धर्म- सम्प्रदाय जैसी संकीर्ण भावनाओं से अछूते इस जिले की आबो हवा कुछ ऐसी है कि होली ,दिवाली ईद और मुहर्रम जैसे पर्व पर हर कोई एक दुसरे की खुसी और गम को बाटने में नहीं चूकता

चलिये बहुत हो गया जनपद की बात चलते है वीवेक रस्तोगी जी के पास देखते है कार्टून प्यार पहली नजर का – एक कार्टून - (Love at 1st Sight….)

image My Photo

सच्चा शरणम्  पर हिमान्शु भाई छाये हुए है और रहेगे भी करुणावतार बुद्ध – 8   जारी है …जय हो भाई !!!image

मनुष्य की बुद्धि बहुत थोड़ी दूर तक देख सकती है । जीवन की अखिल योजना परमात्मा के हाथ है । उसी को पूरी ज्यामिती का पता है । हमारे सम्पूर्ण जीवन के पूर्ण चक्कर को वह, केवल वही देख सकता है । पता नहीं कितने युगों से किस-किस रूप में हमारे जीवन की धारा बहती चली आ रही है । पता नहीं कैसे कैसे  व्यतिरेक, विषमता, बाधा, दुख, आनंद, पुलक आदि में प्रवहित होती चली जा रही है और अनंत अंबुधि के वक्षस्थल में अपने को लय करके अपने स्रोत में सुख से सो जायेगी । हमारे इस जन्म के पहले भी तो हमारा जीवन-प्रवाह था और मृत्यु के अनंतर भी तो वह बना रहेगा । क्या उसे हम समग्र रूप में देख सकते हैं ? हमारा देखना अधूरा है, अपूर्ण है, अस्त-व्यस्त है, खंडित है, विकृत है । अतः ’क्या’, ’कैसे’, ’क्यों’ की हम व्यर्थ चिन्ता करके व्यग्र क्यों हों ? भविष्य को जिसने रचा है, वही उसकी सँभाल भी करेगा । तुम जिस गोरखधंधे में उलझे हो, जिस उलझन को सुलझाना चाहते हो उसमें और उलझना, सिर खपाना बच्चों-सी मूर्खता नहीं तो और क्या है !

हिमान्शु भाई आज तो नही पिच…………ना :)

भारतीय नागरिक की बात सुनिये और बताईये अगर आदमी बीमार न पड़ता तो क्या होता ??

समयचक्र   महेन्द्र मिश्रा जी है और   पहले किसी का सम्मान करना सीखो फिर खुद सम्मान पाने की आस करो ?   सही कह गयी आप !  गये नही है जी :)

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (156) : आयोजक उडनतश्तरी   १५६ कडी हो गयी ..ताऊजी बधाई लिजिये !!!

एक आलसी का चिट्ठा है और मै भी आलसी नम्बर एक ..दो दिन बाद छाप रहा हु..अपणे गिरिजेश राव साहब  है और बता रहे है बाउ और मरा हुआ सिध्धर -1 : लंठ महाचर्चा

नाटी शरीर में जैसे मास और पानी ही बचे थे। भूख के मारे बोलने की कोशिश भी फुसफुसाहट थी और साँस जैसे धौंकनी। बेरिया की अजिया सासु लाठी ठेकते गुड़ का रस अपने नाती के हाथ में थमाए उसके पास आई। रस पीने के बाद परबतिया के माई की इन्द्रियों ने काम करना शुरू किया और फिर बैस्कोप के माफिक गए जमाने की घटनाएँ एक एक कर आती चली गईं... मन जुड़ा गया। अपने गाँव जवार में आखिर वह पहुँच ही गई थी !बाउ के मामा को देखते ही बनमानुख याद आया। याद आई वह करिखही रात और फिर जीवधन बाबू के पैर पकड़ वह पुक्का फाड़ रो पड़ी। आवाज नहीं, हाँफ, सिसकी और विलाप का अजीब मिश्रण पूरी शरीर के मास परतों में हिचकोले खा रहा था।

जी के अवधिया जी है ….धान के देश मे नारीपोल याने कि अद्भुत वृक्ष जिसमें नारी फलते हैं

  अवधिया जी कह रहे है क्या वास्तव में ईश्वर ने ऐसी विचित्र रचना की है या फिर यह कम्प्यूटर से जोड़ तोड़ कर बनाया गया चित्र है? चित्र में पेड़ के पत्तों को देखने से लगता है कि यह कदम्ब का पेड़ है।

और बाकी सबकी राय क्या है नीचे पढिये

ललित शर्मा said...

अवधिया जी जोहार ले,
पहिली घलो देख डारे हंव बबा। बने दिखथे।

संगीता पुरी said...

विश्‍वास नहीं होता !!
यदि ऐसे फल दुनिया में होते .. तो कभी तो चर्चा हुई होती .. मुझे तो कंप्‍यूटर द्वारा छेड छाड कर बनाया गया लगता है .. पर स्‍थान भी दे दिया है उन्‍होने .. जहां ये फल होते हैं!!

राज भाटिय़ा said...

नही हूबाहु नही हो सकते, जरुर यह किसी की शरारत है,

खुशदीप सहगल said...

अवधिया जी,
आदम-हव्वा के सेब खाने का ही नतीजा आज तक दुनिया भुगत रही है...और आप ये नए फल और ले आए हैं...वैसे मानना पड़ेगा जिसके दिमाग की भी उपज है, है बड़ा क्रिएटिव...उसे तो एड वर्ल्ड में होना चाहिए...
जय हिंद...

Udan Tashtari said...

इसके बारे में काफी पढ़ा था..शरारत मात्र है.

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...

शरारती सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नहीं पाए जाते :)

 

Suman said...

nice 

संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari said...

ऐसी ही एक जानकारी कुछ दिनों पहले दैनिक भास्कर के मुख्य पृष्ट में प्रकाशित हुआ था. अजब प्रेम की गजब कहानी है यह. आपने नेट में इसे ढूंढ निकाला, आपके खोजी मन को प्रणाम.

Tarkeshwar Giri said...

आवधिया जी आपको सबसे पहले नव वर्ष की बधाई ,
खुद तो कभी आप अवध गए नहीं और हमें घुमा दिया आपने बैंकाक । वैसे आप की जानकारी के लिए बता दूँ की ये सिर्फ कम्पयूटर जी का ही कमाल है, क्योंकि जो नारी फल आपने दिखायें हैं उनमे नारी के हाथ की मुद्रा अलग-अलग है।

डॉ टी एस दराल said...

अच्छी शरारत है।
कंप्यूटर का कमाल है।

प्रवीण शाह said...

.
.आदरणीय अवधिया जी,
यह किसी की खूबसूरत शरारत ही है...
विस्तार से इस बारे में जानने के लिये यहाँ पर देख सकते हैं।
आभार!

ज्ञानदत्त पाण्डेय G.D. Pandey said...

इण्टरनेटीय वृक्ष! :-)

 

 

दीजिये  इजाजत……. नमस्कार

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