नमस्कार , सोमवारी चर्चा मे आपका स्वागत है !
अजय भाई साहब ने सलाह दिया था कि रफ़्तार, जागरण मंच , इडिजी , हिंदी ब्लोग्स से भी चिट्ठे उठा कर चर्चा में लगाएं , बस उसी की शुरुआत करते है आज और आज आपको परिचित कराते है हिन्दुस्तान दैनिक के धुरंधर पत्रकरो के ब्लाग से !
शशि शेखर
प्रधान संपादक, हिन्दुस्तान
एक ऐसा जाम जिसमें आजादख्याली की हाला भरी होगी। एक ऐसा मंच जिस पर उन्मुक्त विचारों के नग्मे गूजेंगे। जिस पर उड़ने के तलबगार पंछियों को बांधने के लिए कोई पिंजरा नहीं होगा। सुबह की उंगलियों में थमा गुनगुनी चाय का कप हो, ऑफिस की व्यस्तताओं में राहत देने वाला कॉफी का मग हो या किसी सुकरात के हाथों में धरा हलाहल का पैमाना, इन्हीं नन्ही प्यालियों में ही तो अक्सर सुकून के या बदलाव के तूफान छुपे होते हैं!
कॉफी हाउस
अरुण कुमार त्रिपाठी
एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान
बातें और कॉफी गरमागरम ही अच्छी लगती हैं। ठंडी हो जाएं तो बेकार हो जाती हैं। पर इन दोनों से भूख मिटती नहीं बल्कि बढ़ती है। इसीलिए लोग कॉफी हाउस में लंबी-लंबी बातें करते हैं और कई -कई कप कॉफी पीते हैं। कभी निंदारस से शुरू होने वाली यह बातें क्रांति पर खत्म होती हैं तो कभी क्रांति से शुरू हो कर हाथापाई तक आ जाती हैं। पर उनका अपना मजा है। टीवी चैनलों ने कॉफी हाउसों को उजाड़ा है हम चाहें तो उन्हें फिर से बसा सकते हैं।
आओ कुछ बात करें
हरजिन्दर
एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान
घटनाएं भी बहुत हैं। समस्याएं भी बहुत हैं। ढेर ढेर से विचार हैं हर घटना और समस्या के लिए। इसलिए हम शुरू कर सकते हैं बातों का एक ऐसा सिलसिला, जो शायद कभी न टूटे
सरे राह
राजेन्द्र धोड़पकर
कार्टूनिस्ट व एसोशिएट एडीटर, हिन्दुस्तान
कुछ जानकारी, ज्यादातर अज्ञान, कुछ गपबाज़ी, कुछ गलत मत-मतांतर, कुछ प्रासंगिक, कुछ अवांतर, तरह-तरह की बातें, फिल्में, राजनीति, खेल, अभिजात और सड़क की संस्कृति। इन सबके बारे में इन बातों के कोई सूत्र और इनका कोई अर्थ हो सकता है कि हो, और न भी तो क्या फर्क पड़ता है
संजय अभिज्ञान
एडिटर (न्यू मीडिया, फीचर्स और रिसर्च), हिन्दुस्तान, दिल्ली
सिर्फ उनके लिए जो थोड़ा सा रूमानी हो जाने को तैयार हों। कुदरत, इंसान और चीजों से मुहब्बतों की बातें। इश्क, जुनून और लगन के सूफियाना किस्से। गजलों, कविताओं, रागों और फिल्मी गानों का नास्टेल्जिया। प्लेबैक सिंगरों, संगीतकारों, फिल्मकारों और कहानीकारों के नाम कुछ लव लेटर। एक महफिल - अपनी और आपकी फुर्सतों की जुगलबंदी के लिए
अकु श्रीवास्तव
सम्प्रति-वरिष्ठ स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान, पटना
कुछ खास। कुछ आम। यानी बातें उस अवाम की, जो जिंदगी की जद्दोजहद के बीच हंसते हुए भी रोता है और रोते हुए भी हंसता है। जाहिर है, उसके हंसने में हजार व्यथाएं हैं, तो रोने में हजार कथाएं। आइए, ऐसे ही ट्रेजडी, कॉमेडी, सटायर और सेंटिमेंट्स के जाने-अनजाने अफसानों से रू-ब-रू होते हैं हमलोग
दिवाकर
उप स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान, लखनऊ
उन दलितों-मुस्लिमों की आवाज़, जिन्हें समाज जानता भी नहीं
नवीन जोशी
एग्जक्यूटिव एडिटर, हिन्दुस्तान, लखनऊ
एक सुवा था, शुक। और एक थी सारंगी। सारंगी ने शुक से कहा-ए सुवा, कोई कहानी सुना न! सुवा ने कहा- क्या कहानी कहूँ सारंगी, निर्बुद्धि राजा के तो किस्से ही किस्से हैं।…तो, आज हमारे देश का भी यही हाल है। क्या प्रजा, क्या राजा और क्या दरबारी, सबके किस्से ही किस्से हैं। अनंत किस्से। तो क्या चिट्ठा कहूँ? मगर कुछ तो कहते रहना होगा न! कहे-सुने बिना गति नहीं
प्रमोद जोशी
गली के नुक्कड़ की ब्रह्मांड यात्रा। दूर तक देखने वाली दूरबीन। इसमें दूर-दूर की बातें ज्यादा हैं, पास की कम। संदर्भ फिर भी अपनी गली का है
ब्लॉग बस्ती के इस बगीचे में आप पाएंगे लेखन की कुछ नई खुशबुएं। नई सोच के कुछ लोग जो घटनाओं पर भंवरों की तरह मंडराएंगे और उनकी गंध आप तक पहुंचाएंगे। मधुमक्खियों के इस दस्ते में सबके पास डंक हैं, लेकिन उनकी चुभन आपके लिए नहीं, समाज के विलेनों के लिए होगी। आपके लिए तो वे बस शहद एकत्र करेंगे. . . । पेश हैं हिंदुस्तान परिवार के कुछ ऐसे उभरते लेखक जो कांटे चुभने पर सिस्टम को नहीं कोसते, बल्कि कलम उठाकर परिवर्तन सुझाने लगते हैं.
15 comments:
ये बहुत उम्दा कार्य किया. इन ब्लॉग्स से भी परिचय कराया. बेहतरीन, आभार. अब जाते हैं लिंक्स पर.
वाह पंकज जी,
आज तो बहुत सारे पत्रकारों से परिचय करवा दिया।
बधाई
बढियां और समर्पित लिख रहे हैं ये लोग
आज का अंक बहुत अच्छा लगा।
ये काम खूब बेहतर किया आपने ! बेहतरीन लिखने वाले लोग हैं यह! आभार इनसे परिचित कराने के लिये ।
आप ने मुग्ध कर दिया। कलेवर की सुरुचि प्रभावित कर गई।
बिल्कुल नई जानकारी दी इस चर्चा अंक द्वारा, बहुत आभार आपका.
रामराम.
वाह .. अच्छी जानकारी !!
achchi jankari aur hatkar likha gaya........aabhar.
बढ़िया जानकारी
राम राम.
वापसी का स्वागत पंकज भाई,मैं इधर बाहर था,अब नियमित मुलाकात होगी .
बहुत अच्छे ब्लाग्स से परिचय कराया आपने.....
देखते हैं...आभार्!!
इन कलमकारों से परिचय करवाने के लिये धन्यवाद ।
आपने बहुत बढ़िया चर्चा की है बिल्कुल नए अंदाज़ के साथ! बहुत सारे महान पत्रकारों से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद!
ahaa..Interesting m !!! Thanks Pankaj ji !
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