नमस्कार,,,,
चर्चा हिन्दी चिट्ठो के इस अंक में मै पंकज मिश्र ......
आज बारी थी हेमंत भाई की लेकिन पता नहीं जबसे इलाहाबाद से वापस आये है ....उनका इन्टरनेट कनेक्शन ही खराब पडा है .........हेमंत जी और हिमांशु जी को इलाहाब में पता नहीं किस परेशान आत्मा की नजर लगी है कि जबसे आये है .......न तो चर्चा कर पाए है और ना ही अपने ब्लॉग पर एक भी पोस्ट ठेल पाए है ............इश्वर से प्राथना है उनका इन्टरनेट कनेक्शन जल्दी ठीक हो जाए .......
चलिए चर्चा की शुरुआत करते है मीनू खरे जी के ब्लॉग से
बेगम अख्तर की गाई चुनिन्दा बेहतरीन ग़ज़लें
देश की सबसे भीषण आग जयपुर में आर इसके बारे में बता रही वाणी गीत 500 करोड़ की रही देव दिवाली ...देश की सबसे भीषण आग
पी.सी.गोदियाल"फाड़ दिया सालों ने !"याद है, जब तुम | वन्दनास्वीकार करूँ मैं भी तुमकोअंगीकार किया जब तुमने
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डा. अरविंद मिश्रा एक स्नेह सम्बन्ध का दुखद अंत !
रामप्यारी का सवाल - 98
रामप्यारी नजर आयी है इस फैंसी ड्रेस में ताऊ पहेली 46 पर आप यहाँ से जाइए
राजकुमार ग्वालानी ने बताया है बिल गेट्स एंड कंपनी को उनकी औकात विंडोज -7 की औकात अब 20 रुपए
अपने देश में किसी भी साफ्टवेयर की नकल कितनी तेजी से होती है इसका एक नमूना फिर से सामने आया है विंडोज-7 के रूप में। इस साफ्टवेयर के बाजार |
लो जी मजनू लिख लो शायरी दिखने वाली शायरी मजनूँ के लिये (Visual Shayari Majanu ke liye)
याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में, | "एक मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
आँखें कभी छला करती हैं,
गैरों को अपना कर लेती- जब भी चश्म मिला करती हैं।। |
ये किसी मंदिर,धर्मस्थान या तीर्थस्थल का प्रवेश द्वार नही है,प्रेस क्लब है प्रेस क्लब्।
एक गोत्र में प्यार और फिर शादी करने पर सजा-ए-मौत
एक बार फिर इंसानियत को बदनाम करते हुए एक गोत्र में प्यार और फिर शादी करने पर लड़की के घर वालों ने कपल्स को ऐसी सजा दी है कि सुनने वाले भी सिहर जाएं। मामला कहीं दूर का नहीं भारत की राजधानी के नरेला इलाके का है। प्रेमी जोड़े के घर से भागकर शादी करने के बाद लड़की के घरवालों ने बहाने से दोनों को वापस बुलाया। इसके बाद लड़के की हत्या कर दी और युवती को घर में बंधक बनाए रखकर कुछ रिश्तेदारों ने बलात्कार भी किया। किसी तरह लड़की अपने परिवार वालों के चंगुल से भागने में सफल रही और नरेला थाने में आकर इसकी खबर दी। इसके बाद सोनीपत की नहर से युवक की लाश निकालकर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। लड़की के पिता और नाबालिग भाई समेत पांच मुलजिमों को गिरफ्तार किया गया है।
महापुरुषों के सदविचार ....जो युद्ध की सी तत्परता व्यक्त नहीं करता है वह हार जाता है.
० जब तक तुम स्वयं अपना उद्धार करने के कमर कसकर खड़े नहीं होंगे तब तक करोडो ईसा मुहम्मद बुद्ध या राम मिलकर भी आपकी रत्ती भर मिलकर सहायता
नहीं कर सकते . इसीलिए दूसरो की और मत ताको अपनी सहायता आप करो .
० कर्तव्यपालन करते हुए मौत मिलना मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सफलता और सार्थकता मानी गई है .
नौकरी में सफलता के सूत्र- जरुर पढिये बड़े काम के हैं
...मत बनाना मेरा बुत, मेरी मौत के बाद....
मैं हमेशा चलना चाहता हूँ, बोलते रहना चाहता हूँ, मत बनाना मेरा बुत, |
ग़ज़ल/यार नहीं जो काम न आए यार नहीं जो काम न आए। |
काफी दिनों से एक बात बराबर मन मे हैं सो आज आप लोग के सामने एक प्रश्न के रूप मे दे रही हूँ ।
जब हमारा जन्म होता हैं किसी घर मे और हम वहाँ रहते हैं तो ये क्यूँ कहा जाता हैं " अपने माँ - पिता के घर मे रह रहे हो " अगर हमारी बात पसंद नहीं हैं तो निकल जाओ । क्या किसी घर मे जन्म ले लेने मात्र से ही हम उस घर के " नैचुरल सिटिज़न " नहीं हो जाते हैं ? फिर वो माता - पिता का घर क्यूँ कहलाता हैं । ये बात पुत्र और पुत्री दोनों के सम्बन्ध मे लागू होती हैं और निरंतर सुनाई देती हैं ।
जहाँ भी शादी के बाद अगर बेटा माँ -पिता सब साथ रह रहे होते हैं तो सब यही कहते हैं " अरे आप बडे भाग्यवान हैं आप का बेटा आप के साथ रह रहा हैं " और अगर किसी वजह से लड़का और बहु की रसोई अलग हैं तो सुनाई देता हैं " रह आप के घर मे रहे हैं और खाना अलग पकाते हैं ""
"ब्लॉगिंग सिर्फ नेट तक ही सीमित नही है!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
आज के अतीत के झरोखे में जानिए सामूहिक गरियाने की गणित, लाभ व उपयोग राजीव कानपुर,
हाल ही में एक बंधु ने हम पर मज़ाकिया आरोप लगाया कि हम अपने कुछ साथियों को गरियाये रहे। उस समूह के हम स्वयं भी जबरिया सदस्य हैं। सही बात तो यह है कि हमने वास्तव में गरियाया तो नहीँ ही था, पर जब इस पर कुछ ध्यान गया, विचार-मंथन किया तो कुछ विचार अमूल्य रत्न की भाँति मिले। कुछ-कुछ वैसे ही - जैसे कि दूघ के मंथन से मक्खन या जैसे देवासुर समुद्र मंथन होने पर, पहले हलाहल व उसके बाद अलभ्य रत्न मिले थे। |
टीप के ऊपर टिप्पा, कर लो लारा लप्पा..
अजय झा जी की टिप्पणी चर्चा
देखिये जी ई बात देखा जाए....हमरे चच्चा तो मालिक हैं ...हम सेवक भतीजा हैं उनके...चचा जईसन धांसू-फ़ांसू, और ठांसू चर्चा ..ऊ भी सचित्र अमर कथाएं टाईप ..हमरे बस का बात नहीं था ....मुदा जब आप लोगन को ठोक ठोक के टीपते देखे ..तो सोचे काहे नहीं ई को नए अंदाज ..लपेट दिया जाए.....आप लोगन तो टीप के निकल लिये...मुदा कहां जी....हम का कहते हैं उसके बाद ...उहो तो सुनते जाईये न....देखिये देखिये..गोसियाईयेगा नहीं...अरे ठिठोली किये हैं जी ..
अब " नजर-ए-इनायत "
दिल तो क्या चीज़ है जान से जाएँगे- नुसरत ऐसा बनना सवारना मुबारक तुम्हें, कम से कम इतना कहना हमारा करो, चाँद शरमाएगा चांदनी रात में, यूँ न जुल्फों को अपनी संवारा करो । यह तबस्सुम यह आरिज़ यह रोशन जबीं, यह अदा यह निगाहें बवालों सी रातें फ़सादों से दिन हैं, बवालों सी रातें जवानी की सरकश मिसालों सी रातें अदद नौकरी की फ़िकर मे कटा दिन कटें कैसे, भूँखे सवालों सी रातें उजालों मे झुलसे नजर के शज़र जब बनी हम-सफ़र, हमखयालों सी रातें खिलता अगर तेरी कुर्बत का चंदा निखर जातीं दिन के उजालों सी राते इलाहाबादी चिक्-चिक् का मतलब ! पिछले कई दिनो से जारी इलाहाबादी चिक-चिक बंद होने का नाम नही ले रही है। इलाहाबाद में सम्पन्न हुई ब्लागर मीट के बाद से शामिल होने वाले भी और न शामिल होने वाले लिखने पढने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। कहने वाले कुछ भी कहे किन्तु यर्थात से मुँह नही |
ब्लाग्जगत मे नये चिट्ठे -
अपने खेतों की सुध लो प्रवासियों
यूं तो प्रदेश का उद्यान विभाग राज्य बनने के बाद से मृत पड़ा हुआ है लेकिन अब प्रदेश में हार्टीकल्चर को नया चेहरा देने के लिए सरकार प्रवासी उद्यान योजना लाने पर विचार कर रही है । इस योजना पर अगले दस सालों में 81 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है ।
उत्तराखंड का उद्यान विभाग राज्य के उन विभागों में शामिल है जो अफसरशाही के जनविरोधी रवैये के कारण अंतिम सांसे गिन रहा है । लगभग 3500 कर्मचारियों और अफसरों के इस विभाग के पास हालांकि प्रदेश में बागवानी क्रांति करने का जिम्मा है लेकिन विभागीय मंत्रियों और विभागीय अफसरों ने बागवानी विकास के बजाय फाइलों में बाग उपजाए और राज्य और केंद्र सरकार का करोड़ों रुपये बागवानी विकास के नाम पर डकारते रहे । वह भी तब जब पड़ोसी राज्य हिमाचल में बागवानी ने आम लोगों के जीवन स्तर में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया । हिमाचल में समृद्धि का जो रुख आज चमक रहा है वह बागवानी का ही करिश्मा है ।
अब दीजिये इजाजत
नमस्कार