अंक : 73
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
"चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " के डैश-बोर्ड पर आज कोई पोस्ट कतार में नही लगी थी। इसलिए उपस्थिति लगाने के लिए आपकी सेवा मे हाजिर हो गया हूँ!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का आगाज हिन्दी चिट्ठाकारी के अग्र-दूत समीर लाल (उड़न-तश्तरी) की पहली और अद्यतन पोस्ट की चर्चा प्रस्तुत की जा रही है-
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का आगाज हिन्दी चिट्ठाकारी के अग्र-दूत समीर लाल (उड़न-तश्तरी) की पहली और अद्यतन पोस्ट की चर्चा प्रस्तुत की जा रही है-
(उड़न-तश्तरी) की पहली पोस्टः
कई ब्लाग हिंदी मे देख कर मन किया कि मेरा भी एक ब्लाग होना चाहिये. अब लिखूँ क्या...सोचा जहाँ तक मन की उडान जायेगी, वहाँ तक लिखता जाऊँगा और नाम रखा उडन तश्तरी. बस लिखने लगा अपने एक मित्र के बारे मे और लिख रहा था लिख रहा था... मगर ज्यादा ही लम्बा लिख गया, अब तो मेरी लेखनी आपको पढना ही पडेगी.प्रस्तुतकर्ता Udan Tashtari पर 3/02/2006 08:42:00 पूर्वाह्न
(उड़न-तश्तरी) की अद्यतन पोस्टः
मंगलवार, नवंबर 10, 2009
चिट्ठाचर्चा और मैं..
कल रात वापस लौट आये दो दिवसीय मॉन्ट्रियल यात्रा से. कोई विशेष उल्लेखनीय कुछ भी नहीं. चाहें तो कहानी बनायें मगर अभी उद्देश्य कुछ और ही है.
शुक्रवार को मॉन्ट्रियल जाना पड़ा. वही ५.३० घंटे में ६०० किमी पूरा करने की आदत जिसमें आधे घंटे की कॉफी ब्रेक भी ली गई. एक बार आदत हो जाये तो कोई विशेष प्रयास नहीं करने होते. गाड़ी चालन में टोरंटो से मॉन्ट्रियल और वापसी भी आदत का हिस्सा सा ही बन गई है. बिना प्रयास ५.३० घंटे में जाना और उतने ही घंटे में वापस......
अब आज्ञा दीजिये! अंत में इतना ही कहूँगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा? अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये...... कल फिर आपकी सेवा में हमारे कोई साथी मजेदार चर्चाएँ लेकर उपस्थित होंगे............................................. धन्यवाद ....नमस्कार ........... |
23 comments:
हिन्दी चिट्ठाकारी के नरेश समीर लाल जी को बधाई!
समीर लाल जी आपको बहुत बहुत बधाइयाँ!
nice
अरे समीर लाल से शुरू हुए और समीर लाल पर ही खत्म !
हा हा!! ये त मुन्ना भाई एम बी बी एस का कमरा हो गया...शुर हुआ नहीं कि खत्म!!
बस सिर्फ हम!! अकेले कैसे कटेगी हाय यह तन्हाई!!! :)
सुन्दर चर्चा!
ये बहुत बढिया किया शाश्त्रीजी, गैरहाजिरी नही लगने दी. आपने तो वही काम कर दिया कि गणेश जी ने पार्वती जी की परिक्रमा करके धरती की परिक्रमा जीत ली. सही है समीरजी पर शुरु करके वहीं खत्म. यानि संपुर्ण चर्चा कर दी.:) बहुत बधाई.
रामराम.
कौन कहता है जी आप अकेले हैं ...आप तो हमेशा डबले रहते हैं जी ..बधाई लिया जाए
Bahut bahut badhai Sam uncle.. arrrrrrrrrrr sorry Sameer ji... :)
jai Hind
समीर लाल जी को बहुत बहुत बधाइयाँ!
जे तो कोई बात न हुई।
एक से शुरू और उसी पर खत्म!
हम त अब तब्बे आइब जब खाली हमरे चरचा होई, हम का केहू से कम बानीं ?
;)
शास्त्री जी, समीर जी की पहली पोस्ट से परिचित कराने के लिए आपका शुक्रिया, तो क्या ये जनाव शुरू से ही इतना सुन्दर लिखने लगे थे ?
badhai.
शुक्रिया शास्त्री जी .......... समीर भाई की पहली पोस्ट पढ़ कर .........
लघुता में प्रभुता है
उड़नतश्तरी जी की
पहली पोस्ट की दूरी
को लघुता प्रदान की
आभार।
समीर जी आपको बहुत बहुत बधाइयाँ!
badhiya laga...
सबसे बड़े ब्लॉगर की पोस्ट पढवाने के लिए आभार!
SAMEER LAL JI KO BADHAI.
समीर जी शुरूआत से आज तक का सफर आपका प्रेरणा देने वाला है!
समीर भइया!
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
Sameer lal ji !
Aap likhate rahe Aur ham padhate rahen.
congratulation.
Sameer ji ki pahali post padhwayee aap ne.
bahut bahut abhaar.
blogging mein ek lamba aur safal safar tay karne hetu bahut bahut badhaaayeeyan.
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