अंक : 96
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"" का सादर अभिवादन!
आज "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" की प्रस्तुत हैः-
Hindi Blog Tips विजेट्स की परेशानियां : काम जारी है... - बहुत दिन से ब्लॉग जगत से दूर रहा। इस दौरान सैकड़ों साथियों की मेल और टिप्पणियां मिलीं। समय पर उत्तर नहीं दे पाने का मुझे खेद है। सबसे पहले मैं उन साथियों क...
मनको कुरा आफ्नै मनको कुरा - महिनौं ब्लगबाट हराउनुको कारण के हो ? भन्ने प्रश्नको उत्तर बाहेक यो अबधिमा मैले थुप्रै कुराहरु पत्ता लगाएको छु, जस्तो की, १, ब्लग नलेखी हुँदै हुँदैन भन्ने ...
मनको कुरा आफ्नै मनको कुरा - महिनौं ब्लगबाट हराउनुको कारण के हो ? भन्ने प्रश्नको उत्तर बाहेक यो अबधिमा मैले थुप्रै कुराहरु पत्ता लगाएको छु, जस्तो की, १, ब्लग नलेखी हुँदै हुँदैन भन्ने ...
नारी नारी सशक्तिकरण एक अहम मुद्दा हैं जो फेमिनिस्म की पारंपरिक परिभाषा से बिल्कुल अलग हैं । - नारी सशक्तिकरण एक अहम मुद्दा हैं जो फेमिनिस्म की पारंपरिक परिभाषा से बिल्कुल अलग हैं । पहले उसको समझने की जरुरत हैं , जरुरत हैं की समाज मे स्त्री पुरूष को ...
पुरातत्ववेत्ता ये बकरे और मुर्गे नहीं हैं.. इंसान हैं .. मेरे – तुम्हारे जैसे इंसान - * एक पुरातत्ववेत्ता की डायरी –नौवाँ दिन –चार * किशोर , अशोक ,अजय सब नींद के आगोश में जा चुके थे । मैं जाग रहा था और एकटक तम्बू की छत की ओर देख रहा ...
कवि योगेन्द्र मौदगिल - इस बार एक घनाक्षरी संभालिये साहेब नीचे लिये मोटरसैकल, ऊपर चढ़ाये पैग, छेड़ते हैं लड़कियां पीते-पीते सिगरेट. रोटियों की थाली को तो 'शिट' कह दूर किया,...
तीसरा खंबा मुगल कालीन सर्वोच्च और प्रांतीय न्यायालय : भारत में विधि का इतिहास-8 - *सामान्य प्रशासन* मुगल काल की तीसरी पीढ़ी के शासक अकबर ने मुगल साम्राज्य को स्थायित्व प्रदान किया। इस स्थायित्व का मुख्य कारण तब तक का सब से सुव्यवस्थित प...
विपक्ष में तो अब बस जनता रह गई है, चूसे जाने के लिए.........मीठे है आम कब आम पक गए, कब उन्होंने तोड़ लिए, पत्ता ही नहीं चला.....
विपक्ष में तो अब बस जनता रह गई है, चूसे जाने के लिए.........मीठे है आम कब आम पक गए, कब उन्होंने तोड़ लिए, पत्ता ही नहीं चला.....
लहरें तुम बिन जीना - बहुत सी नई पुरानी किताबों मेंइन्टरनेट पर बिखरे हजारों पन्नो मेंघर की कुछ धूल भरी अलमारियों मेंगिटार के बेसुरे बजते तारों मेंतुम्हारे पहने हुए कुछ कपड़ों में अ..
अंधड़ ! घुन लगी न्याय व्यवस्था और न्यायिक आयोगों का औचित्य ! - *गौर से देखे तो आज हमारी पूरी क़ानून व्यवस्था ही एक जर्जर अवस्था में पहुँच चुकी है । जो अंग्रेजो के काल से चली आ रही जटिल न्यायिक व्यवस्था इस देश में मौजूद ...
योग गुरु बाबा रामदेव का दूसरा रूप (हवाले) बाबा रामदेव योग गुरु हैं, हमारे देश में बड़ा सम्मान है इनका। योग के माध्यम से पुरे देश को एक सूत्र में पिरोने का बीड़ा उठाया जो कि निसंदेह एक सामाजिक कार्य था, परिणाम भी आशातीत आए और बाबा के शिष्यों का रेला बढ़ने लगा और बाबा की लोकप्रियता भी!.....
Foggy memory ! - *यों तो अग्रेजी में हाथ बहुत साफ़ नहीं है ,या यूँ कह लीजिये कि बहुत तंग है ! मगर आज बस, परखने के लिए एक अंगरेजी पोएम लिखी, इसे भी ब्लॉग पर ठेल रहा हूँ आपके ...
योग गुरु बाबा रामदेव का दूसरा रूप (हवाले) बाबा रामदेव योग गुरु हैं, हमारे देश में बड़ा सम्मान है इनका। योग के माध्यम से पुरे देश को एक सूत्र में पिरोने का बीड़ा उठाया जो कि निसंदेह एक सामाजिक कार्य था, परिणाम भी आशातीत आए और बाबा के शिष्यों का रेला बढ़ने लगा और बाबा की लोकप्रियता भी!.....
Foggy memory ! - *यों तो अग्रेजी में हाथ बहुत साफ़ नहीं है ,या यूँ कह लीजिये कि बहुत तंग है ! मगर आज बस, परखने के लिए एक अंगरेजी पोएम लिखी, इसे भी ब्लॉग पर ठेल रहा हूँ आपके ...
समाचार:- एक पहलु यह भी लो मैं लौट आया एक छोटे से ब्रेक के बाद - आपके लिए लाया गुलाब का फूल पहले तो देश में हुए लोकसभा चुनाव की झिक-झिक और उसके बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव की किच-किच के बावजूद दोनों ही चुनाव भले ही...
सारथी एक झूठ जिसे हर कोई सच मानता है!! - चित्र: केरल के राजाओं का सोने का एक सिक्का मेरे पिछले आलेख सोने की चिडिया भारत: सच या गप? में मैं ने प्राचीन भारतीय सिक्कों के आधार पर यह प्रस्ताव रखा था क...
सारथी एक झूठ जिसे हर कोई सच मानता है!! - चित्र: केरल के राजाओं का सोने का एक सिक्का मेरे पिछले आलेख सोने की चिडिया भारत: सच या गप? में मैं ने प्राचीन भारतीय सिक्कों के आधार पर यह प्रस्ताव रखा था क...
Gyanvani मेरी बात ...खालिस गृहिणी वाली - इधर कुछ दिनों से सपने में एक महिला बार बार नजर आ जाती है ...चमचा बेलन हाथ में लिए अपनी लाल लाल आँखों से घूरते उलाहने देती हुई - " बड़ा प्रचार कर रखा है अपन...
लेखक की मृत्यु अनिल कान्त :लेखक मुझे लिखना चाहता था या यूँ कहूँ कि मेरे बारे में लिखना चाहता था. उसने एक कहानी बुननी चाही थी और वो चाहता था कि मैं उसकी कहानी का हिस्सा बनूँ. एक ऐसा हिस्सा जिससे कहानी का नज़रिया बदल जाए. .........
लेखक की मृत्यु अनिल कान्त :लेखक मुझे लिखना चाहता था या यूँ कहूँ कि मेरे बारे में लिखना चाहता था. उसने एक कहानी बुननी चाही थी और वो चाहता था कि मैं उसकी कहानी का हिस्सा बनूँ. एक ऐसा हिस्सा जिससे कहानी का नज़रिया बदल जाए. .........
रचनाकार यशवन्त कोठारी का व्यंग्य : दफ़्तर में लंच - [image: yashwant kothari[2]] यदि कहीं दफ्तर है तो दफ्तर में लंच अवश्य है। बल्कि यों कहा जाना चाहिए कि दफ्तर काल में लंच स्वर्णिम काल होता है। वास्...
SPANDAN उछ्लूं लपकूं और छू लूँ -
SPANDAN उछ्लूं लपकूं और छू लूँ -
उछ्लूं लपक के छू लूं बस ये ही अरमान है।
बना के इंद्रधनुष को अपनी उमंगों का झूला ,
बैठूं और जा पहुंचूं चाँद के घर...
-कल अपनी पोस्ट पर कुछ चित्र लगाये थे जो हमें मेल के द्वारा मिले थे।
क्या सत्य है और क्या असत्य यह आकलन उन्हें करना है जो उनमें सत्य-असत्य को खोजने की कोशिश ...आज भी अनाड़ी हैं ब्लॉग के मामले में - *ब्लाग पर आये हुए डेढ़ वर्ष से ज्यादा होने को आया है, तीन सौ से ऊपर पोस्ट अपने इसी ब्लाग पर लगा चुके हैं। इसके अतिरिक्त दूसरे सामुदायिक ब्लाग के अलावा भी अप...
मेरी रचनाएँ !!!!!!!!!!!!!!!! अबे! साले, हंस क्यूँ रहा है? - *एक और बड़ा अच्छा वाक़या याद आया है। बात उन दिनों की है जब मैं दसवीं क्लास में पढता था..... हमारे एक इतिहास के टीचर हुआ करते थे.... उनका नाम तो याद नही आ...
तुमसे मिलने के बाद
तुमसे मिलने के बाद
तुमसे मिलना कई अनबुझे सवालों का जवाब था
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
आँख के आंसू कैसे सपनो में बदलते हैं..........
तुमसे मिलने के बाद मैंने जाना
आँख के आंसू कैसे सपनो में बदलते हैं..........
simte lamhen ek safar tanhaa..2( antim) - रही तलाश इक दिए की, ता-उम्र इक शमा को, कभी उजाले इतने तेज़ थे की , दिए दिखायी ना दिए, या मंज़िले जानिब अंधेरे थे, दिए जलाये ना दिए गए..... मै क्या कहूँ,की, ...
Alag sa आयोडीन नमक जरूरी है क्या ? - सवाल बहुत देर से उठ रहा है। पर है सोचने लायक। सदियों से साधारण नमक खाते-खाते, क्या सचमुच ही हमें अब आयोडीन की जरूरत आन पड़ी थी? या यह सब एक सोची समझी साजिश...
स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा.....
जीवन की राहों में, बहुत संघर्ष हमने झेला है…. मेरी कविता… विवेक जीवन की राहों में, बहुत संघर्ष हमने झेला है, सूरज की गरमी में, पांवों के छालों को हमने सहा है,...........
स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा.....
जीवन की राहों में, बहुत संघर्ष हमने झेला है…. मेरी कविता… विवेक जीवन की राहों में, बहुत संघर्ष हमने झेला है, सूरज की गरमी में, पांवों के छालों को हमने सहा है,...........
दाल रोटी चावल आलू के पापड़ के समोसे - आलू के पापडछुकी हुई हरी मटरबारीक कटा हरा धनियाबारीक कटी हरी मिर्चछुकी मटर मे से पानी बिल्कुल निकाल दे और इस मे बारीक कटी हरी मिर्च और धनिया मिला कर मेष कर ल...
ये दुनिया है.... शिक्षा को रोज़गार से जोड़ना होगा... - आज गली गली में स्कूल कालेज खुल गए है..सरकार की प्रोत्साहन नीति के चलते शिक्षा का खूब प्रचार प्रसार हो रहा है.लेकिन क्या ये शिक्षा रोजगार दिलाने में सक्ष...
Science Bloggers Association of India भीड़ है कयामत की फिर भी हम अकेले हैं - हेडिंग पढ़कर जरूर आप सोचेंगे कि भला विज्ञान सम्बन्धित ब्लोग का भीड़ या अकेलेपन से क्या काम? कहीं ये अवधिया पगला तो नहीं गया है जो विज्ञान में जबरन शेर-ओ-शायरी ...
कथा चक्र क्या आपने ‘नया ज्ञानोदय’ का प्रेम महाविशेषांक 05 पढ़ा है? -पत्रिका-नया ज्ञानोदय, अंक-नवम्बर.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-रवीन्द्र कालिया, पृष्ठ-144, मूल्य-35रू इस अंक का मूल्य., (वार्षिक 300रू.), सम्पर्क-भारतीय ज्ञानपी...
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे.. - आज मुझे भूलने के बाद, जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ उनके तस...
स्वप्न मेरे................न्याय की आशा यहाँ परिहास है - इस व्यवस्था पर नहीं विशवास है न्याय की आशा यहाँ परिहास है कल जहां दंगा हुवा था नगर में गिद्ध चील पुलिस का निवास है बस उसी का नाम है इस जगत में अर्थ शक...
भारतीय नागरिक - Indian Citizen इस कुर्बानी की परम्परा को क्यों नहीं रोका जाता. - अभी बकरीद थी, करोड़ों की संख्या में जानवर काट दिये गये। कुर्बानी का मतलब है त्याग, लेकिन किसका एक निर्दोष जानवर का. लोगों के खाने पीने के पीछे अनेकों तर्क ...
अब आज्ञा दीजिए!
कल शायद पंकज मिश्रा चर्चा करेंगे!
18 comments:
nice
चर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार ...!!
अच्छी चर्चा .. छूटे हुए कई लिंक्स मिले .. धन्यवाद !!
धन्यवाद डॉ.शास्त्री , बहुत अच्छा रहा यह चर्चा ..सारगर्भित ।
बहुत उम्दा संकलन विभिन्न चिट्ठों का...आनन्द आया देख.
श्रम साध्य चर्चा है। इस चर्चा के लिए आभार!
अच्छी चर्चा,आभार
चर्चा बेहतर है । पंकज का इंतजार है । आभार ।
अच्छी चर्चा
कभी - कभी चर्चा में कुछ लोगों
को न देख कर भी मजा आता है ...
...... जिसकी जितनी समझ , वह उतना ही तो लिखेगा :)
अच्छी चर्चा,बहुत आभार !
बहुत बढ़िया चर्चा आभार.....
अच्छी चर्चा चली
सुंदर चर्चा...
जय हिंद...
bahu hi badhiya charcha.
बहुत बढिया,
रामराम.
अच्छी चर्चा !
चर्चा अच्छी रही, कई काम के आलेख नजर आ गये, बहुतों को प्रोत्साहन मिला.
एक सुझाव:
आलेख की सज्जा (लेआऊट) कुछ और बेहतर होना चाहिये. चूंकि सज्जा थीम से जुडी है, अत: जांच कर देखें कि कौन सी थीम हिन्दी में अच्छी सज्जा प्रदान करती है.
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.IndianCoins.Org
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