नमस्कार, पंकज मिश्रा आपके साथ ….
आज चर्चा कम ही होगी क्युकि आज बात होगी जल्द ही होने वाले सीरियल ब्लास्ट के सन्दर्भ मे…आपको आज की यह चर्चा पढकर यह पता चल जायेगा कि यह सब जरूरी क्यु हुआ…हमारे यहा बडें बुजुर्ग हमेशा यह कहते थे कि बेटा पंकज अगर किसी का मजाक ऊडाऒगे तो एक दिन ऐसा भी आयेगा कि तुम्हारा भी कोई मजाक उडायेगा….और मै उस समय इस बात को नही मानता था …लेकिन आज ब्लाग जगत मे सब कुछ घटित होते देख रहा हु ….कल तक जो सुबह-सबेरे दुसरे का मौज लेते फ़िरते थे आज खुद चौराहे पर अपने आप को अकेला खडा पा रहे है ..हलांकि कोई दुसरा उनके जैसा मौजु नही है अतः श्रीमान जी की खैर थी …है नही बोलूगा क्युकि …ये भी नही कहुगा कि जमाना बदल गया …अरे श्रीमान जमाना भी कब का बदल चुका है और हम सब जो कि आप के निगाह मे एक मौज लेने कि वस्तु थे आलरेडी बदल चुके थे …कसूर था तो शयद आपके चस्मे के नम्बर का जो आप हमको पहचान नही पाये …..और सीरफ़ अपने छोटुआ को ही बडका टेक्नीशीयन समझने की भूल करते है और अपने दुसरके चेलवा के ही सबसे बडा कवि और लेखक मानने की भूल किये बैठे है…
चलिये छोडिये..अगर हमारी जगह आप लिखते ना तो अब तक आज और काल की सारी टिप्पणी जो किसि और बेचारे के नाम होती तो छाप कर मौज लेते और अन्तवा मे एक लाइन और लिख देते कि चलिये मै तो लिख दिया आप बाचिये हम तो चले दफ़्तर ….सोच रहा हु आपसे एक बात पुछु कि का जरुरी होता है का कि हर रोज दफ़्तर जाने से पहिले केहु एक के नन्गा करब बताव बबुआ…..तुम्हही से पुछत बानी….
अगर रोज नन्गा ना किये होत त आज ई बम ब्लास्ट होवे का तैयारी ना भईल होत ए बबुआ..
ललीत शर्मा जी शायद ही कही से शिकायत कभी मिली हो कि शर्मा जी ने किसी की किसी प्रकार की हानी की हो लेकिन आज वो भी कहने पर मजबूर हो गये कि ….
"छेड़ने पर मूक भी वाचाल हो जाता है दोस्त
टुटने पर आईना भी काल हो जाता है दोस्त
मत करो तुम आदमी के खुन का इतना हवन
जलने पर काला कोयला लाल हो जाता है दोस्त"
अरविन्द मिश्रा जी को कहा जा रहा है कि आप जल्दबाजी मे रहते है अरे बबुआ आपके लेखनी पढके तो हमे ऐसा लगत है कि आप सकुटर स्टार्ट करके फ़िर लिखने आते हो ईतनी जल्द्बाजी मे रहते हो आते ही या तो जाते जाते किसि एक को तो परेशान करके ही जाते हो दिन भर के लिये ….खूद तो दफ़्तर और हम ससुर परेशान आपसे और उसके बाद आपके चेलवन के कमेन्टवा से ….
चलिये चर्चा कर ही लेते है शुरुआत राजकुमार ग्वालानी जी के ब्लाग राज्तन्त्र से …..ग्वालानी जी तैयारी कर रहे है सीरियल ब्लास्ट की और आज से शुरु हुई है मैराथन बैठक शरद कोकाश जी के निवास स्थान पर ……वाह भाई गजब का शौर्य दिखाया आप सबने जो ब्लास्ट की बात उजागर कर दी वरना आज तक तो यही हुआ था हमे तो तब पता चलता था जब ब्लाश्ट हो भी जाता था और दो चार लोग घायल भी हो जाते थे …..ग्वालानी जी मुबारक हो ईस ब्लास्ट मे मै और लगभग सभी ब्लागर आपके साथ है जो नही है वो भी जल्द ही हो जायेगे ऐसा मेरा विश्वास है…..
भिलाई में ब्लागरों की मैराथन बैठक के बाद अब सीरियल ब्लास्ट की तैयारी
भिलाई में अचानक छत्तीसगढ़ के ब्लागरों की एक आकस्मिक चिंतन बैठक हुई। इस लंबी आठ घंटे से ज्यादा समय तक चली मैराथन बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर लंबी चर्चा चली। 12 बजे शरद कोकास के निवास में प्रारंभ हुई यह बैठक रात 8 बजे तक चली। इस बैठक में जो फैसले किए गए हैं वो हंगामाखेज है जो सीरियल ब्लास्ट के रूप में सामने आएंगे। फिलहाल करना होगा इन ब्लास्टों के लिए सबको थोड़ा सा इंतजार। लेकिन इतना जान ले कि इस बैठक में करीब एक दर्जन ब्लागर शामिल हुए लेकिन जिन मुद्दों पर चर्चा चली उन मुद्दों पर देश के साथ विदेशी ब्लागरों से भी चर्चा कर सहमति ले ली गई है कि कैसे-कैसे सीरियल ब्लास्ट करने हैं।
अब फ़िर से बात सन्दर्भ की ….कल ही एक जगह बताया गया था कि टिप्प्णियो की ऐसी लेन देन है कि नमस्कार और प्रति-नमस्कार चल रहा है जो कि उन महाशय की निगाह मे गलत था लेकिन उसी ब्लाग पर सोने से पहले अब मै सोने जा रहा हु ऐसी भी टिप्पणी आयी …अब आप इसको क्या कहेगे ?जय हो!!!!!!
दुसरी चर्चा मे गिरिजेश राव जी है और लिख रहे है कविता मेरे राम ...
मेरे राम तुम कसौटी नायक हो। तुम सार्वकालिक अभागे हो। मेरे सामने जाने कितने बाली हैं आधी क्या पूरी ताकत हर...
पूरी कविता आप हमारे साहब जी के ब्लाग पर ही पढिये ऐसा मेरा अनुरोध है…..
६ दिसम्बर अयोध्या काला दिवस को लेकर कुछ पोस्ट लिखी गयी है दो का लिन्क मै यहा दे रहा हु…..
शास्त्री जी ने लिखा है ……"गन्दी सियासत का दिन, 6-दिसम्बर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
और सुमन जी ने लिखा है ….कलंक दिवस है आज
अब फ़िर बात सन्दर्भ की ….
अब अन्त मे मै सिर्फ़ आप सबसे एक ही प्रश्न कर रहा हु ….क्या ब्लागिन्ग मे जो दीमक लगा है और आप सब जान रहे हो कि दीमक कौन है उसको रखना जरूरी है? क्या उसका बहिस्कार करने के बाद आपका और आपके ब्लाग का रैन्क घट जायेगा .इस बात से आप डरते हो?
नही ना तो उन सबका बहिस्कार करिये जिन्हे बच्चो के ब्लाग…..मनोरन्जक ब्लाग और बिना मौज के लिखने वाले के ब्लाग से नफ़रत है और जिनको हमारे स्थानीय भाषा से तकलीफ़ है और जो आपसे उमर मे छोटे होते हुए भी आपकी मटियापलीद करने मे सबसे आगे है..
ऐसे लोग जो आपको सुबह शाम देर रात कभी भी बेईज्जत करने से नही चुकते …जय हिन्द..जय भारत..जय ब्लागिन्ग
पंकज मिश्रा
17 comments:
छोटी तो है , मगर काम की । कुछ बेहतर लिंक मिले ।
यहाँ ब्लॉग जगत में हड़काना-डरना कैसा है ?
बहुत सस्पेंस है इस चर्चा में!
पंकज जी!
चर्चा छोटी है परन्तु कारगर है!
शायद आपकी कुछ विवशताएँ-व्यस्तताएँ रही होंगी!
"नही ना तो उन सबका बहिस्कार करिये जिन्हे बच्चो के ब्लाग…..मनोरन्जक ब्लाग और बिना मौज के लिखने वाले के ब्लाग से नफ़रत है और जिनको हमारे स्थानीय भाषा से तकलीफ़ है और जो आपसे उमर मे छोटे होते हुए भी आपकी मटियापलीद करने मे सबसे आगे है.."
@ सही कहा आपने ! ऐसे लोगों का बहिष्कार करना ही सबसे बढ़िया कदम है | जब इन्हें कोई पढने नहीं आएगा तब ये अपने आप छटपटाते रहेंगे | मुझे तो उन लोगों से नफरत सी हो गई है जो आपसी विवादों को चर्चाओं में घसीट कर पोस्ट पर पोस्ट ठेले जा रहे है |
"अब अन्त मे मै सिर्फ़ आप सबसे एक ही प्रश्न कर रहा हु ….क्या ब्लागिन्ग मे जो दीमक लगा है और आप सब जान रहे हो कि दीमक कौन है उसको रखना जरूरी है? क्या उसका बहिस्कार करने के बाद आपका और आपके ब्लाग का रैन्क घट जायेगा .इस बात से आप डरते हो?"
@ इन दीमकों की धीरे धीरे अब पहचान हो गई है इन्हें यहाँ रखने की कोई जरुरत नहीं है ये ब्लॉग जगत की जरुरत नहीं है ,ब्लॉग जगत इनकी जरुरत है | इनके बहिष्कार करने से न तो हमारे ब्लॉग पर आने वाले पाठकों की संख्या पर असर पढ़ेगा और ना ही ये हमारे ब्लॉग की पेज रेंक को प्रभावित करने की हेसियत रखते | अत: में तो ऐसे लोगों का बहिष्कार ही करूँगा ||
छोटुआ को ही बडका टेक्नीशीयन समझने की भूल करते है और अपने दुसरके चेलवा के ही सबसे बडा कवि और लेखक मानने की भूल किये बैठे है
@ इन्हें थोड़ी सी इज्जत क्या मिल गई ये इन छोटुआ और बड़का के साथ अपने आपको भी स्वयम्भू समझने लग गए और इनके चक्कर में जो कुछ थोड़ी मिली वो भी इन्होने गँवा दी |
अब इससे पहले की दीमक सारे ब्लाग जगत को चौपट कर जाए उस दीमक को ही बाहर कर देना समझदारी है। या फिर उस दीमक पर बहिष्कार का मिट्टी तेल डाल कर उसका अंत कर दिया जाए। न रहेगा दीमक न होंगे ब्लाग चौपट। रहा सवाल रेटिंग का तो वैसे भी रेटिंग को लेकर लगातार तकनीकी समस्या के नाम पर कब से कुछ न कुछ गड़बड़ चल ही रही है। हमने तो बार-बार इसके सबूत दिए हैं, फिर भी कुछ नहीं होता है। कल ही हमारी पोस्ट की दो ब्लागों में चर्चा के बाद उसको हमारे हवाले की प्रविष्ठियां में जोड़ा नहीं गया, यह लगातार काफी समय से चल रहा है। ऐसे में रेटिंग की परवाह करने का मतलब क्या है। वैसे भी जब सीरियल ब्लास्ट प्रारंभ होंगे तो सारे झझटों से सभी ब्लागरों को मुक्ति मिल जाएगी। बस थोड़ा का इंतजार करें, टेलर दिखाया है फिल्म अब बाकी है मेरे दोस्त।
अच्छे लिंक मिले ...बहुत आभार ...!!
सुपर रिन की धुलाई.....झ्क्क सफ़ेद .....बार बार ...लगातार..॥
वाह पंकज भाई ....यार आप गुम मत हुआ करो ....इत्ती दूर जा के बैठे हो कि ....फ़ोंन भी हांफ़ने लगता है ......हा हा हा
बढिया रहा आज का अंक ..
ब्लॉगर का ब्लॉगर से हो भाईचारा
यही पैग़ाम हमारा, यही पैग़ाम हमारा...
जय हिंद...
खुशदीप सही कह रहे हैं।
सूक्ष्म मगर सलेक्टिव ब्लॉग चर्चा अच्छी थी, पंकज जी !
इस बार की चर्चा वाकई सांकेतिक है। विशेषकर अरविंद जी के सम्बंध में टिप्पणी का आशय समझ में नहीं आया।
पंकज जी आपके आते ही एक सार्थक बहस शुरू हो गयी है जिसकी बहुत जरूरत थी। कुछ बातें मैं भी नहीं समझ पाई अगली पोस्ट मे शायद खुलासा हो शुभकामनायें । चर्चा से अच्छे लिन्क मिले
बहुत गहरी बात बस संकेत में ही कह गये आप ......... पूरी पोस्ट लिख कर बताएँ ...........
वैसे ये सच है इस दीमग को अपने आप ही गल जाने देना चाहिए ............
कुछ कुछ समझने की कोशिश कर रहा हूँ . मै आपके साथ हूँ ....अच्छी सांकेतिक विचारणीय चर्चा .
वैसे थोडा बहुत तो समझ रहे हैं..बाकी भी समझ में आ ही जाएगा :)
बढिया चर्चा!
बढ़ियां जी ।
अच्छा अंदाज चर्चा का पंकज जी!
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