नमस्कार …..पंकज मिश्रा आपके साथ …..
पानी की समस्या महारास्ट्र के मुम्बई शहर मे मुह फ़ाड कर फ़ैल गयी है ..वैसे भी अगर आप साफ़ सुथरा पानी पीना चाहते है तो आपको प्रति लिटर १२ से लेकर १५ रुपये तक चुकाने पडते है..लेकिन ऐसे समय के बावजूद भी हम आप सभी लोग लगभग हजारो लिटर पानी रोज बर्बाद करते है..और जब यात्रा मे होते है तो वही पानी …के लिये पैसे चुकाते है..पानी हम सबके लिये जरुरी है इसे कम से कम खर्चे और आने वाले समय मे होने वाले जल-संकठ से उबरे…धन्यवाद-----
पंकज मिश्रा…
अब चर्चा की शुरुआत करते है ..पहली पोस्ट मिश्रा जी की है रचना त्रिपाठी का रचना लोक -चिट्ठाकार चर्चा
मैं कृतित्व से बढ़कर किसी भी रचनाकार के व्यक्तित्व को सर माथे रखता हूँ (लोग लुगाई नोट कर लें ताकि सनद रहे ) और तिस पर यदि कृतित्व भी बेहतर हो जाय तो फिर पूंछना ही क्या ? सोने में सुगंध ! कुछ ऐसी ही हैं मेरी प्रिय चिट्ठाकार सुश्री रचना त्रिपाठी .अब उन्हें कितने विशेषणों से नवाजू -कुछ धर्मसंकट समुपस्थित हैं -एक तो अनुज की भार्या और दूसरे नारी!यहाँ ब्लागजगत में ऐसे लोग भरे पड़े हैं कि सहज ही व्यक्त बातों को भी औचित्य -अनौचित्य ,शील अश्लील के बटखरे से तौलने लगते हैं! मगर अपनी बात तो कहूँगा ही और कुछ अनुज से उनके ही प्रदत्त अधिकार/लिबर्टी का सदुपयोग करते हुए! रचना त्रिपाठी का व्यक्तित्व पहले . वे मेरे घर भी आ चुकी हैं -यूं कहिये की मेरे घर को त्रिपाठी दम्पति आकर धन्य कर चुके हैं ! ऐसा पता नहीं क्या हुआ कि वह शुभागमन रिपोर्ट आप तक नहीं पहुँच सकी -आज शायद कुछ भरपाई हो पाए ! उन्हें देखकर तो मुझे भी तुलसी बाबा का सा वही अनिश्चय /असमंजस सहसा हो आया -....सब उपमा कवि रहे जुठारी केहिं पटतरौ विदेह कुमारी . ....और बस उसी झलक की ललक में हिन्दुस्तानी अकेडमी के हाल के उस भव्य उदघाटन सत्र में मैंने उसी छवि को एक बार देख लेने की आस में जब निगाहें उठाई थीं तो कुछ ऐसी ही प्रत्याशा थी -रंग भूमि जब सिय पगधारी देख रूप मोहे नर नारी ...मगर घोर निराशा ही हाथ लगी ! आखिर उस समारोह में क्यों मेरा यह प्रिय ब्लॉगर अनुपस्थित हो रहा था ? किसके पास जवाब है इसका ? क्या यह कोई षड्यंत्र था ? या थी एक बेचारी गृहणी की कोई अकथ विवशता ?
ताऊ डाट इन से ….आजकल पिछले जन्म की बातें जानने का दौर टी.वी सीरियल पर चल रहा था लेकिन अब ब्लागर भी पिछे नही है …खुशदीप सहगल , रतन सिंह शेखावत के साथ मे ताऊ रामपुरिया जी लेकर "राज ब्लागर के पिछले जन्म के" खुशदीप ने फ़ंसाया ताऊ को…
शुक्रवार को शाम को हम रतनसिंह जी शेखावत के साथ घर के बरामदे में बैठे बैठे हुक्का पी रहे थे कि भतिजे खुशदीप सहगल का फ़ोन आया . बोले - ताऊ रामराम,
अब खुशदीप बीच मे ही बोला - डाक्टर साब ..ये ताऊ बावली बूच है. इसको मैं ही सम्मोहित करुंगा. ये मेरी भाषा ही समझता है. सो अब ताऊ को सम्मोहित करने का काम खुशदीप ने संभाल लिया.
खुशदीप ने आदेश देने शुरु किये ...मैं करता रहा.....आखिर वो मुझे...मेरे बचपन के एक साल की अवस्था मे लौटा लेगया....और बोला - ताऊ अब तुम अपने पिछले जन्म मे लौटो...लौटो...कहां हो तुम?
मैं बोला - भाई..ये मैं तो जंगल मे आगया....मैं ...मैं...ये कहां आगया?
खुशदीप बोला - हां अब तुम कौन हो...?
मैं बोला - मैं...मैं सियार हूं....सियार....
खुशदीप ने पूछा - कौन सियार?
मैं बोला - अरे जानते नही क्या? मैं हूं जंगल का एक्स नेता सरपंच...और ब्लागर यानि कि झंडू नेता..
आगे चलते है महेन्द्र मिश्रा जी के पास और सुनते है …..ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती....
काश इस सुहाने मौसम में तुम आ जाती
ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती.
*
तेरी आँखों से एक मुद्दत से नहीं पी है
तेरी अंगड़ाई देखें बरसों गुजर गए है.
*
मेरी ये जिंदगी तेरे वगैर गुजर रही है
मेरी परछाई मुझे ही अब डराने लगी है
महाशक्ती की बात का जवाब दिया जाये अमिताभ बच्चन और रेखा कब होगे साथ साथ
अमिताभ-रेखा की अन्तिम फिल्म सिलसिला को कौन भूल सकता है, इस फिल्म के सभी गाने सदाबहार थे किन्तु देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए गाना आज भी युवाओ के साथ-साथ प्रौढ़ो को भी मद्मस्त कर देता है, तो अमिताभ की आवाज़ में गाया गया रंग बरसे भींगे चुनरवाली गाना होली के पर्व पर सर्वाधिक पंसद किये जाने वाले गीतो में से एक होना है। अमिताभ और रेखा के बीच यह अन्तिम फिल्म थी। इस फिल्म की कहानी ने अमिताभ और रेखा के प्रेम को ऐसी हवा दी कि दोनो ने अपने चाहने वालो को ऐसा अभिशाप दिया कि आज भी उनके चाहने वाले इस सदमे से बाहर नही निकल पाये, वह था फिर दोबारा एक साथ काम न करने का।
सन्गीता पुरी जी बता रही है आसमान में कन्या राशि में शनि : किसी के लिए खुशी , किसी के लिए गम !!
सितम्बर 2009 के मध्य में जब शनि ग्रह ने कन्या राशि में कदम रखा था , तब से ही ज्योतिषियों ने इसके शुभ और अशुभ फलाफल की चर्चा शुरू कर दी है , पर 'गत्यात्मक ज्योतिष'में अभी तक इसके प्रभाव को खास न देखते हुए कोई चर्चा नहीं की गयी थी। पर इस महीने ….
अरविन्द मिश्रा जी हमारे डा. साहब बता रहे है महफूज भाई आखिर क्यों न हों एक्सोलोटल ..इतने क्यूट जो लगते हैं ...जवाब पहेली का,जीत भूत भगावन भैया की !
भूत भगावन भाई (Ghost Buster ) ने फिर बाजी मार ली है! सही उत्तर था ऐक्झोलोटल लार्वा -यह एक उभयचर(मेढक वर्ग) जंतु एम्बायोस्टोमा का लारवल यानि भ्रूणीय अविकसित रूप है मगर मजे /हैरत की बात यह है कि यह खुद भ्रूणीय अवस्था में होने के बावजूद भी प्रजनन कर लेता है और बच्चे पैदा करता है! यानि कि बच्चे का बच्चा! एक समय था जब इसके अडल्ट /वयस्क रूप -एम्बायोस्तोमा और एक्क्सोलोटल को दो अलग अलग जीव मना जाता था मगर किसी एक्वेरियम वाले ने एक दिन अचानक और अप्रत्याशित यह देखा कि एक एक्वेरियम जिसमें दवा के रूप में कुछ आयोडीन डाला जा रहा था में कुछ नए भयावह सी छिपकलियाँ गोते लगा रही हैं!आखिर माजरा क्या है - खोजबीन शुरू हुई! ..पता चला कि आयोडीन देने पार एक्सोलोटल लार्वा ही एम्बायोस्तोमा में बदल गए थे...एक नई बात उजागर हो गयी थी कि ये अलग अलग जीव नहीं हैं बल्कि एक भ्रूण है दूसरा उसका विकसित रूप! मगर आश्चर्य यह कि यह पहला ऐसा भ्रूण था जो स्वयं अडल्ट भी होकर बाकायदा प्रजनन कर रहा था -शायद विकास की महायात्रा में इन जीवों को आयोडीन न मिलने से इनका अग्रिम विकास रूक गया हो और वही लारवल रूप स्थाई भी बन गया हो!
हिन्दी ब्लाग टिप्स पर आशिष खन्डेलवाल जी बता रहे है Update your templates - इस संदेश का क्या मतलब है?,,,
इन्हें अपडेट करने के लिए आपको यहां क्लिक करना होगा। इसके बाद अपने उसी यूजरनेम-पासवर्ड से लॉग-इन करना होगा, जिसका इस्तेमाल आप अपने ब्लॉगर अकाउंट के संचालन में करते हैं। इसके बाद आप ब्लॉगर हैल्प के इस लिंक की मदद लीजिए औऱ अपनी फाइल्स को चुटकियों में अपडेट कर लीजिए।
लालित जी बता रहे है आज सुबह एक एलियन से फोन पर मेरी बात चीत !!! सत्य घटना
अब मैं चक्कर में पड़ गया और मेरी तो पुतली घूम गई के आज तो भाई एलियन का फोन आ गया, और अब इनकी निगाह मेरे गांव पर पड़ गई, एकाध दिन में यु ऍफ़ ओ (उड़न तश्तरी)यहीं उतरने वाला. अब क्या होगा? बस अब तो वाट लग गई.
दिसम्बर 2012 का महाप्रलय तो मेरे लिए 16 दिसंबर 2009 में ही आ गया. कुछ दिन और जी लेते दोस्तों के साथ खा पी के मौज मना लेते, भले ही फिर चाहे कुछ भी हो जाये. ऐसे सोच रहा था.
तभी फोन में आवाज आई "पहचाना"?
अब मैं पहचानने की कोशिश करने लगा कि "ये तो भाई कोई जानकर आदमी है. जो मौज ले रहा है. ऐसी स्थिति में कह भी नहीं सकता था कि नहीं पहचान पाया यार जरा नाम तो बताओ?
फिर उधर से आवाज आई "ललित भाई मैं समीर लाल बोल रहा हूँ."
हिमान्शु जी बता रहे है मुरली तेरा मुरलीधर 40
बिना अश्रु सच्चे प्रियतम तक पहुँचा ही है क्या मधुकर
सच्चा रस से पावन भावन और न कोई रस निर्झर
ठिठक न तू तो गोपीवल्लभ की गोपिका विकल बौरी
टेर रहा है अमर्यादिता मुरली तेरा मुरलीधर।।218।
महेन्द्र मिश्र से मोबाइल पर हुई बात-ऐसा लगा सामने हो गई मुलाकात
मोबाइल पर हुई बात को जैसे ही मिश्र जी ने मुलाकात कहा तो हमें उनकी यह बात जहां भा गई, वहीं उनसे यहां कोई करीब 8 मिनट की बा त में हमें लगा कि वास्तव में हम मिश्र जी से बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारी उनसे आमने-सामने मुलाकात हो रही है।
वास्तव में यही तो अपनी ब्लाग बिरादरी का प्यार और स्नेह है जो दो अंजान व्यक्तियों को जोड़ देता है और ऐेसा लगता ही नहीं है कि हम पहली बार बात कर रहे हैं,या मिल रहे हैं।
मिश्र जी ने हमें जबलपुर आने का निमंत्रण दिया। हमने उनसे कहा कि कोशिश करेंगे, वैसे जबलपुर गए हमें 20 साल से भी ज्यादा समय हो गया है। एक समय हम जबलपुर बहुत जाते थे, व्यापार के सिलसिले में। ये बातें फिर कभी ।
मैडम, दूसरा नोट दीजिए।.....घुघूती बासूती
यदि एक ही नोट लेकर गई होतीं तो क्या होता? सामान वापिस दे देतीं। उससे भी बुरा होता यदि किसी रेस्टॉरेन्ट में खाना खा चुकी होतीं और वही इकलौता नोट होता तब क्या करतीं? नोट तो आप स्वयं बनाती नहीं। वे तो आपको अधिकतर बैंक से ही प्राप्त होते हैं। नौकरी पेशा लोगों का तो वेतन बैंक में ही जाता है और आप अधिकतर ए टी एम से नोट प्राप्त करती हैं। बैंक जाकर भी लें तो वहाँ खड़े होकर एक एक नोट को तो ट्यूबलाइट की तरफ करके असली है या नकली देखने से रहीं। और जो नोट किसी एक विक्रेता ने लेने से मना कर दिया उसे भी आप घर पर तो रखेंगी नहीं। वह विक्रेता भी कौन सा नोट पहचानने की मशीन है? वह भी तो शायद नकली नोटों के भय से यूँ ही सहमा हुआ कुछ अधिक ही चौंकन्ना तो नहीं हो रहा? यह सोच आप वह नोट किसी और विक्रेता को पकड़ा ही देंगी। सो ये नकली नोट हमारी अर्थव्यवस्था में प्रवाहित होते रहते होंगे।
लो जी हो गयी बात दैनिक जागरण में ज्ञान दर्पण का लेख
दैनिक जागरण के १३ दिसम्बर २००९ रविवारीय अंक के फ़ूड यात्रा कालम में ज्ञान दर्पण पर जोधपुर के मिर्ची बड़ों पर लिखे लेख को जगह दी गयी | इससे पहले भी अगस्त में ज्ञान दर्पण के लेख जहाँ मन्नत मांगी जाती है मोटर साईकल से दैनिक जागरण प्रकाशित किया गया था |मजेदार और काम के लेख ताऊ डॉट इन: "राज ब्लागर के पिछले जन्म के" खुशदीप ने फ़ंसाया
हमारे जन्म दिन के अवसर पर पाबला जी के ब्लाग पर आप महानुभावो ने हमे शुभकामनाये दी ..मै सबको दिल से धन्यवाद देता हु …पंकज
अब आज के लिये इतना ही बकिया कल शास्त्री जी के द्वारा…..नमस्कार
23 comments:
बढ़िया चर्चा!
कल की चर्चा इस ब्लाग के आराम फरमा रहे सदस्यों में से ही
कोई करेंगे। अभी मुझे भी इकोड़े विश्राम की दरकार है जी!
बड़ा तेज चैनेल है जी यह ..कल रात ११ बजे तक चिट्ठाकार चर्चाकी और आज अल्लसुबह यहाँ मौजूद ! जुग जुग जियो माटी के लाल .....
बढ़िया चर्चा!
जन्म दिन की तो हम यहाँ भी शुभकामनाएँ दे देता हूँ.
बेहतरीन चर्चा के लिए बधाई भी.
कुछ लिंक छूट गये थे जरुरी..यहीं से मिले...आभार करता चलूँ!!
बहुत बडिया रही चर्चा धन्यवाद और शुभकामनायें
लाजवाब चर्चा- नहीं छोड़ा कोई पर्चा
वाह वाह !
एक और सुन्दर चर्चा पंकज जी !
शानदार चर्चा चल रही है, चलाते रहिए।
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महफ़ज़ भाई आखिर क्यों न हों एक्सों...
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
बहुत लाजवाब चर्चा.
रामराम.
सुन्दर चर्चा पंकज जी
चर्चा पुराने रंगत मे लौट आयी है..सुंदर..मुझे ये अंदाज अच्छा लगा. अच्छे लिक्स हैं..आभार..
बेहद खूबसूरत चर्चा । आभार ।
सुन्दर चर्चा पंकज जी ..... आपको जनम दिन की मुबारक ......... देरी से आने की क्षमा ........
बेहतरीन चर्चा ..... और जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ .........
सुन्दर चर्चा !!!!!!
बेहतरीन चर्चा के लिए बधाई!!!
वाह पंकज भाई ,
सुंदर चर्चा जी बहुत खूब ...
हमेशा की तरह आज भी लाजबाब चर्चा :)
सच इस बेहतर प्रयास का कोई जवाब नही
पंकज जी कोई कसर नही छोड़ते है आप बेहतरीन पोस्ट को प्रस्तुत करने में..यह प्रयास भी लाज़वाब..धन्यवाद
बहुत अच्छा पंकज जी, आपने ज्यादा तर को एक साथ समेट लिया
I don't know, how to write Hindi, in system but i would like to say this is great write up here and truly i enjoyed this write up.
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