नमस्कार ,
मै पंकज मिश्रा आप सबका स्वागत करता हु अपने इस चर्चा ब्लॉग पर ..चर्चा में समय कम दे पा रहा हु क्युकी नौकरी पर समय ज्यादे दे रहा हु . खैर कोई बात नहीं दोनों की जरुरत के हिसाब से समयानुकूल मैनेज किया जाएगा !
चलिए चर्चा की तरफ चलते है .
आज ललित शर्मा का जनमदिन है
रविवार को हमारे चर्चा परिवार के सदस्य श्री ललित शर्मा जी का जन्मदिन था ,शर्मा जी आपको हमारी तरफ से जन्मदिवस की ढेरो सारी शुभकामनाये ! ब्लॉग जगत के बाकी लोगो की तरफ से भी आपको शुभकामनाये मिली जिसके बारे में जी के अवधिया जी ने अपने ब्लॉग पर प्रकाश डाला है !
जी के अवधिया जी ने बताया है कि केक नहीं काट रहे ललित जी आज अपने जन्म दिन पर..
हमारे छत्तीसगढ़ में किसी के जन्मदिन मनाने के लिये आँगन में चौक पूरा (रंगोली डाला) जाता था, सोहारी-बरा (पूड़ी और बड़ा) बनाये जाते थे। बड़े उड़द दाल के होते थे, हाँ स्वाद बढ़ाने के लिये थोड़ा सा मूँगदाल भी मिला दिया जाता था। सगे-सम्बन्धियों तथा मित्र-परिचितों को निमन्त्रित किया जाता था। जिसका जन्मदिन होता था उसे टीका-रोली आदि लगाकर उसकी आरती उतारी जाती थी। वह स्वयं अपने से बड़ों के पैर छूता था और उससे कम उम्र वाले उसके पैर छूते थे। फिर प्रेम के साथ खा-पीकर खुशी-खुशी सभी विदा लेते थे। न कोई भेटं न कोई उपहार, भेंट-उपहार की प्रथा ही नहीं थी।
और दूसरी तरफ सुमन जी ने लोकसंघर्ष पर आज बताया है कि भगत सिंह के वैचारिक शत्रु
1930 में जब भगत सिंह जेल में थे, और उन्हें फाँसी लगना लगभग तय था, उन्होंने एक पुस्तिका लिखी, “मैं नास्तिक क्यों हूँ।” यह पुस्तिका कई बार छापी गयी है और खूब पढ़ी गयी है। इसके 1970 के संस्करण की भूमिका में इतिहासकार विपिन चंद्र ने लिखा है कि 1925 और 1928 के बीच भगत सिंह ने बहुत गहन और विस्तृत अध्ययन किया। उन्होंने जो पढ़ा, उसमें रूसी क्रांति और सोवियत यूनियन के विकास संबंधी साहित्य प्रमुख था। उन दिनों इस तरह की किताबें जुटाना और पढ़ना केवल कठिन ही नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी काम था। भगत सिंह ने अपने अन्य क्रांतिकारी नौजवान साथियों को भी पढ़ने की आदत लगायी और उन्हें सुलझे तरीके से विचार करना सिखाया।
अनिल पुसादकर जी ने सवाल किया है कि क्या आत्महत्या ही सारी समस्याओं का हल है?
और लिखते है कि
खैर इस बारे मे बहुत सी बातें पहले हुई होंगी और शायद होती ही रहेंगी तब-तक़,जब तक़ हम अपने बच्चों को उस स्थिती मे जाने के लिये ढकेलते रहेंगे।पता नही क्यों हम अपने बच्चों से ज़रूरत से ज्यादा अपेक्षा करने लगते हैं?क्यों हम उनसे हमेशा बेहतर और उससे भी बेहतर की उम्मीद करते हैं?मेरे भी घर मे दो बहुत ही छोटी क्लास के छात्र हैं।उनमे से एक क्लास थ्री की स्टूडेंट है मेरी भतीजी युति और दूसरा पी पी यानी के जी टू का स्टूडेंट है हर्षू।दोनो की ही मम्मी परीक्षा के समय बेहद तनाव मे रहती है और बच्चों को रिज़ल्ट खराब आया तो देखना,ये नही मिलेगा,वो नही मिलेगा कहकर धमकाते रहती है।मैने कई बार उन लोगों से कहा कि तुम लोग अपने मार्क्स बताओ फ़िर उनसे कुछ कहो।इस बात पर वे मेरे सामने तो कुछ नही कहती लेकिन बाद मे बच्चों को फ़िर से धमकी मिल जाती है बाबा को बताया ना तो देखना।
पी सी गोदियाल जी ने गजब की कविता लिख मारी है आप भी पढ़िए साठ साल मे अकल न आई.....!
महलों के सुख भोग रहे, हाथों मे जाम ठसे हुए है । सडकों की बदहाली से, लोग जाम मे फंसे हुए है ।।लूट-खसौट उद्देश्य रह गया, आज हर जन-नेता का।तथ्य को तोड-मरोडना, काम ये कानून के बेता का ॥धर्म-समाज मे हवा दे रहे, ये बे-फजूल के पंगो को । साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ॥कत्ल-हिंसा,बलात्कार-व्यभिचार,इनका यही लेखा है।आजादी के इस कालखंड मे,देश ने क्या नही देखा है ।।
शरद कोकाश जी ने बताया है कि मेहनतकश जंग लड़कियों को सिखाती है इंतज़ार करना
गिरिजेश राव भईया का कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा है फिर भी लिख दिए है यहाँ लिखने का मन कर रहा है पर समय की कमी बहुते खल रही है , फिर भी गिरिजेश जी ने लिखा है कि कुछ लिखना है लेकिन मन नहीं बन रहा इसलिए यह लिख दिया :)
यह सारी बकवास इसलिए कर रहा हूँ कि रविवार है। मन नहीं लग रहा और जो लिखना है वह इतनी दक्षता की माँग कर रहा है कि कँपकँपी छूट रही है। ब्लॉग जगत के महारथी, अतिरथी, सारथी, रथविरती, व्रती, पैदल ... वगैरह सबने टिप्पणियों पर कुछ न कुछ अवश्य लिखा है। मुझे लगा कि मेरा यह संस्कार तो अभी तक हुआ ही नहीं ! इसलिए सम्पूर्ण ब्लॉगर बनने की दिशा में एक और पग बढ़ाते हुए यह लेख लिख रहा हूँ।
उपर जो लिखा है वह इसलिए लिख पाया कि परोक्ष रूप से मुफ्त प्लेटफॉर्म उपलब्ध है। अगर इस काम के लिए पैसे अंटी से निकलते प्रत्यक्ष दिखते तो शायद न लिखता, संयम रखता। मुफ्त के प्लेटफॉर्म पर मुफ्त की सलाह देना अपराध नहीं एक कर्तव्य है - उसे मानने वाले की अंटी से हजारो नोट निकल जाँय तो भी।
खुशदीप जी के ब्लॉग पर दो सौ पोस्ट पुरी हो गयी है आज - चलिए बधाई दे रहे है आपको मेरी डबल सेंचुरी और भगवान लापता...खुशदीप
इस दौरान जो मैंने आपका बेशुमार प्यार कमाया, वही सबसे बड़ी पूंजी है...इस दौरान मेरे आइकन्स समेत बड़ों ने मेरा हौसला बढ़ाया, सुझाव दिए...रास्ता दिखाया...वहीं हमउम्र साथियों और छोटे भाई-बहनों ने भी मुझे भरपूर प्यार दिया...मैं किसी एक का नाम नहीं लेना चाहूंगा...सभी मेरे लिए सम्मानित हैं...हां गुरुदेव समीर लाल समीर का नाम इसलिए लूंगा कि उन्होंने ब्लॉगिंग के रास्ते पर पहले दिन से उंगली पकड़ कर चलना सिखाया...
अजय भाई का मुदा - मालावती की माला से भी गंदा है ये ...इन पर भी थू थू थू
खबर है कि पंजाब में सड रहा है सैकडों करोड का गेहूं । खबर ये है कि अब जबकि इस गेहूं की नई फ़सल भी लगभग तैयार है तो पता चला है कि पिछले दो सालों से तैयार और जमा गेहूं जो लाखों मीट्रिक टन है ॥वो अब सडने लगा है ...कारण भी तो सुनते जाईये ..उसे रखने के लिए सरकारों के पास जगह नहीं है ।गोदाम नहीं है ..वाह जिस देश में लाखों लोगों का पेट खाली है उस देश की सरकार के पास अनाज रखने के लिए जगह नहीं है और हालत ये है कि अब वो सडने के कगार पर है ।
और अंत में एक जरुरी सूचना -
बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना : ताऊ रामपुरिया
माननीय ब्लागर बंधुओं, आप सभी को गुडी पडवा (नव वर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएं.
नववर्ष के शुभारंभ के पावन अवसर पर हास्य व्यंग के लिये आज ताऊ डाट इन की तरफ़ से बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना की घोषणा करते हुये हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही हैं.
इस सम्मान का उद्देश्य ब्लाग जगत में हास्य व्यंग के लेखन को प्रोत्साहन देना और हास्य व्यंग्यकारों को सम्मानित करना है. हम जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज की सुदृढ़ता के लिए ऐसे लेखन का बहुत महत्व है. इसके लिये समस्त सूचनाएं इस प्रकार हैं.
सम्मान के बारे में:-
1. बैशाखनंदन स्वर्ण सम्मान - 2010 (एक पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 5,100/= (पांच हजार एक सौ रुपिये)
एवम प्रमाण पत्र
यह पुरस्कार चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना को दिया जायेगा.
2. बैशाखनंदन रजत सम्मान - 2010 ( पांच पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 500/= (पांच सौ रुपये) प्रत्येकएवम प्रमाण पत्र
3. बैशाखनंदन कांस्य सम्मान - 2010 (ग्यारह पुरस्कार)
सभी को सुश्री सीमा गुप्ता की नई प्रकाशित पुस्तक "विरह के रंग" की एक प्रति -एवम प्रमाणपत्र
( यह चर्चा आफिस के पी सी से कर रहा हु अतः फोटो नहीं लगाया हु )
धन्यवाद !
Sunday, March 21, 2010
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bahut badhiya charcha rahi aapki..
badhaii..
बेशक छोटी लेकिन फिर भी उतनी ही बढिया रही चर्चा!!
धन्यवाद्!!
बहुत सुंदर !!
चर्चा तो बढियां है
achhee rhee bhai.
achhee rhee bhai.
सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
बेहतरीन चर्चा ऑफिस पी सी से..मजा आया.
धन्यवाद पंकज भाई,
बहुत बढिया चर्चा।
आभार
बहुत बढिया चर्चा पंकज भाई।आपके हिस्से का बरा मैं खा लूंगा ललित से।
nice
बहुत बढिया.
रामराम.
बढिया चर्चा पंकज जी. ताऊ जी के पुरस्कार विवरण पसन्द आए.
चर्चा रंग में वापस आई, यही मस्त अंदाज़ बना रहे,
वैसे भईये, एक सलाह भी है आफिस में ब्लॉगिंग के चक्कर से बचे ही रहो तो अच्छा है...
जय हिंद...
बढिया चर्चा पंकज जी !
सुन्दर चर्चा...
आभार।
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