Thursday, November 19, 2009

"कुछ दिनों से मेरे अंतर का कवि कुछ नाराज़ है." (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)



अंक : 81
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " की शुरूआत करते है-

तुम्हारे लिए - कुछ दिनों से मेरे अंतर का कवि कुछ नाराज़ है. कुछ लिखा ही नहीं जा रहा था ...पर मेरा शत शत नमन इस नेट की दुनिया को जिसने कुछ ऐसे हमदर्द और दोस्त मुझे दिए हैं ..







हिन्दी साहित्य मंच" कविता प्रतियोगिता सूचना "---- भाग लें और जीतें इनाम---- - हिन्दी साहित्य मंच "तृतीय कविता प्रतियोगिता" दिसंबर माह से शुरु हो रही है। इस कविता प्रतियोगिता के लिए किसी विषय का निर्धारण नहीं किया गया है अतः साहित्यप्...







आज तबियत थोड़ी नासाज़ है.... बहुत हरारत सी हो रही है... 
किसी काम में मन नहीं लग रहा है.. चिडचिडाहट सी भी हो रही है... 
शायद वाइरल में ऐसा ही होता ...
कल ही ललित शर्मा की भैंस की पाडी (केडी या भैंस की काटडी) खो गई और बेचारे परेशान होते रहे ढूंढ ढूंढ कर. 
इसी चक्कर मे रामप्यारी का सवाल भी चूक गये. वर्ना प...










नन्हामन - बाल-कहानी प्रतियोगिता -भाग ३ नन्हामन - बाल-कहानी प्रतियोगिता -भाग ३ नमस्कार , नन्हामन फ़िर से आपके लिए लेकर आया है बाल-रचना प्रतियोगिता - भाग ३ । बाल रचना प्रतियोगिता भाग-३ में आमंत्रित ...



नन्हे पंखों संग मुस्कुराया चांद शब्द बहुत कुछ नहीं करते पर इनका स्पंदन अंतरिक्ष में होता है और उसकी सार्थक प्रतिक्रिया धरती पर भी होती है। सेरिब्रल पाल्सी, प्रिजोरिया, मस्कुलर डिस्ट्रोफी...
SADA देवता पे चढ़ाया न जाएगा ... कल वो बच्‍चा था बहल गया था बातों से आज उसकी सोच को बहलाया न जाएगा । कलियां खिलने से पहले मुर्झा गई हैं अब, यूं इनको किसी देवता पे चढ़ाया न जाएगा । मेरे...








कलाओं पर कैसा पहरा... आर्ट और न्यूड... दोनों के रिश्ते पर तमाम बार सवाल उठते हैं और यदि 
फीमेल आर्टिस्ट न्यूड पेंट करें तो जैसे बवंडर ही मच जाता है. लेकिन कोई समझना नहीं चाहता की...
स्वप्न(dream)आशिक हूँ मैं इश्क-ए-हकीकी आशिक हूँ मैं इश्क-ए-हकीकी जिसमें लगती दुनिया फीकी किसी को लगती माया जैसी किसी को लगती स्वप्न सरीखी आशिक हूँ मैं...................... कोई कहता सत्य यही है ...
मनोरमा विकास की गंगा देश के किसी भाग में चुनाव की घोषणा हुई कि नहीं विभिन्न राजनैतिक दलों की... 
पहले चित्र में एक गरीब का रैन बसेरा देखिये जो दिन भर मजदूरी करने के बाद रात्रि यहाँ गुजारता है। 
इस में देखिये कि किस तरह आधी सड़क तो अतिक्रमण कर घ...

मेरी नई किताबें.. बाबा के साथ सुबह अखबार पढ़ता था तो मेरे मतलब का कुछ नहीं होता था.. 
ज्यादा से ज्यादा कुछ कार और कभी कभी "काऊ" मेरी काऊ मतलब सारे चौपाया जानवर.. ऐसे बोरिंग ...
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सम्पादकीय हमारा "बाल सजग" अच्छे से चल रहा है, 
और आगे बढ़ते जा रहा है। 
जिस तरह से एकपौधे का बीज अंकुरित होकर विकसित होत है... 
आज देश में प्रद्योगकी के साथ साथ...







पत्रिका-अहल्या, अंक-सितम्बर.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-श्रीमती आशा देवी सोमाणी, 
पृष्ठ-64, मूल्य-20रू.(वार्षिक-225रू.), सम्पर्क-14-1-498ए, ज्ञानबाग रोड़, पान म...







 *आज* कुछ बातें आम की हो जाये । गाँव में अब आम के ज्यादातर पौधे हर साल नहीं फलते है । इसका कारण *पर्यावरण प्रदूषण* है या फिर जलवायु परिवर्तन ? या यह एक ...







तेलुगु लघुकथाएँ ‘जनगाथा’ के इस अंक में प्रस्तुत हैं मूल तेलुगु से श्रीमती पारनन्दि निर्मला द्वारा हिन्दी में अनूदित कुछ लघुकथाएँ। इनका भाषा संपादन मेरे द्वारा किया गया ...
simte lamhen



Ek safar tanhaa.. एक लम्बा तनहा सफ़र...जहाँ दूर दूरतक छाया नही...मानो रेगिस्तान हो..मील के पत्थर कहाँ खोजूँ? बरसों मिला नही...यही पता नही की, कितना दूर निकल आयी हूँ..सरपे धू...



अब सभी समझ पाएंगे काग की भाषा! पशु-पक्षियों की बोली में भी कोई न कोई संदेश छिपा होता है। प्राचीन काल में लोग पशु-पक्षियों की भाषा पर भविष्यवाणी करते थे जो सटीक बैठती थी। ऐसी ही एक हस्तल...
पृथ्वी पर एक जगह' को मंडलोई सम्मान / शिरीष कुमार मौर्य को बधाई ! - युवा कवि शिरीष कुमार मौर्य के कविता संग्रह 'पृथ्वी पर एक जगह' को प्रतिष्ठित लक्षमण प्रसाद मंडलोई सम्मान देने की घोषणा की गई है और यह खबर बहुत प्रमुखता से...








अंत में इतना ही कहूँगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा? अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये......
कल फिर आपकी सेवा में हमारे कोई साथी कुछ और चिट्ठों की चर्चाएँ लेकर उपस्थित होंगे...........................अब आज्ञा दीजिये! नमस्कार !!







22 comments:

दीपक 'मशाल' said...

Hamesha ki tarah sadabahaar aur ekdam taaze akhbaar ki tarah... :)
Jai Hind...

अजय कुमार झा said...

शास्त्री जी बहुत ही सुंदर और उम्दा चर्चा रही ..सुबह सुबह इसके साथ कई ब्लोगपोस्ट के दर्शन कर आया ॥

अनूप शुक्ल said...

शास्त्रीजी की जय।

मनोज कुमार said...

ज़ाल-जगत के हिन्दी-चिट्ठा-चर्चाकार डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

Gyan Darpan said...

हमेशा की तरह आज भी बेहतरीन रहा यह चर्चा अंक :)

Udan Tashtari said...

जय हो भई...सटीक और विस्तृत चर्चा रही फिर...जारी रहिये नियमित!!

Arvind Mishra said...

चर्चित होती चर्चा

श्यामल सुमन said...

कई ब्लाग के एक साथ दर्शन हो गए शास्त्री जी। अच्छा प्रयास आपका।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Himanshu Pandey said...

बेहद संतुलित चर्चा । नियमितता की शुभकामनायें । आभार ।

Anil Pusadkar said...

बहुत बढिया चर्चा रही शास्त्री जी,बधाई आपको।

निर्मला कपिला said...

छोटी सी चर्चा ? धन्यवाद्

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत बढिया चर्चा रही शास्त्री जी !

संगीता पुरी said...

अच्‍छी रु्तार पकड ली है इस चिट्ठा चर्चा ने भी !!

Ambarish said...

acchi lagi charcha... formatting better ho sakti thi....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बढिया रही चर्चा....

vandana gupta said...

bahut hi badhiya aur sarthak charcha rahi.

शिवम् मिश्रा said...

आपकी नियमितता को नमन !
एक बार फिर आपकी चर्चा का हिस्सा बन इतरा रहा हूँ !
बहुत बहुत धन्यवाद !

Arshia Ali said...

बहुत खूबसूरत है ये चर्चानामा, हमेशा इसे चलाते रहें।
------------------
11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?

siddheshwar singh said...

बहुत बढ़िया साहब !
शुक्रिया !
और बधाई एक उम्दा काम की निरन्तरता के लिए.

रश्मि प्रभा... said...

उत्तम

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

आदाब जनाब,
चर्चा में नया क्या है, ये जानने के लिये इसे
अपने ब्लाग पर लगा लिया है..
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

शरद कोकास said...

शास्त्री जी प्रणाम !!!

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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