नमस्कार , "चर्चा हिन्दी चिट्ठो की " के इस अंक में मै पंकज कुमार मिश्रा आप सबका तहे दिल से स्वागत करता हु , अभिनन्दन करता हु और आप लोगो की लम्बी ब्लागिंग यात्रा
की कामना करता हु ....
चर्चा का आज का ये अंक समर्पित है हमारे ब्लागजगत के महान व्यक्तित्व के धनी श्री समीर लाल "समीर " जी को ....
चलिए सबसे पहले चलते है चर्चा के पहले पोस्ट पर , ये पोस्ट है श्री मान शरद कोकस साहब जी की और इन्होने लिखा है कि -पैसे से क्या क्या तुम यहाँ खरीदोगे ...?
इनके अनुसार -सुबह देखा तो सारे अखबार विज्ञापनों से भरे हुए हैं । पुष्य नक्षत्र में दिनभर खरीदारी कीजिये ,सोना,चान्दी,हीरा,मूंगा,नीलम,ज्वेलरी,एलेक्ट्रोनिक सामान ,टीवी फ्रिज,कार,बाइक ,ज़मीन-ज़ायदाद। ऐसा कहा जा रहा है कि इस दिन यह सब खरीदने से घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी इसलिये लोग बिना ज़रूरत भी अनाप – शनाप गैरज़रूरी सामान खरीद रहे है । और कुछ इसलिये भी कि उन्हे ज़रूरत का अहसास दिलाया जा रहा है । अरे ..आपके घर में यह नये तरह का टीवी नहीं है ? कैसे आधुनिक हैं आप ? अरे आप अभी तक पुराने किस्म की ज्वेलरी पहन रही हैं ,आपको शर्म नहीं आती ? क्या भाईसाहब अभी तक वही पुराना स्कूटर ?
सही है शरद जी आजकल जो दीखता है वही बिकता है के तर्ज पर विज्ञापन हो रहा है...
अब चलते है चर्चा के दुसरे पहलू पर , बात करते है ब्लागजगत में चल रहे संक्रमण के बारे में अजय झा जी के साथ .. अजय झा जी ने एक सकारात्मक मुदा उठाया है , और मै उनका समर्थन करता हु . ब्लागिंग में हास्य परिहास हो सकता है वो भी एक परिधी के अर्न्तगत और अगर हम उसके ऊपर जाने की कोशीश करते है तो वाद विवाद होना लाजिमी है ...
धान के देश के अवधिया जी को चिंता है हिन्दी ब्लागिंग से कमाई ना होने की , उन्होंने अपनी व्यथा कुछ यु व्यक्त की -
हम तो नेट के संसार में आए थे कुछ कमाई करने के उद्देश्य से। हमने सुन रखा था कि नेट से भी कमाई की जाती है इसलिए सन् 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद हम लग गए इसी चक्कर में। बहुत शोध किया, डोमेननेम रजिस्टर कराया, होस्टिंग सेवा ले ली और कुछ अंग्रेजी लेख डाल कर खोल दिया अपना वेबसाइट। कुछ अंग्रेजी ब्लॉग्स भी बना लिया। एडसेंस पब्लिशर बन गये। बहुत सारे एफिलियेट लिंक्स डाल दिया अपने वेबसाइट्स में
अवधिया जी धीरज रखिये , गूगल के घर देर है अंधेर नहीं :)
अब आगे है मिथिलेश दुबे , आजकल ये दोस्त ब्लॉगर के खान पान पर बहुत ध्यान दे रहे है , पहले जलेबी , फिर समोसे और आज चाय और चटनी
दिव्य प्रकाश पर है श्री मान विनय बिहारी सिंह जी और बता रहे है एक अनोखी बात-दो साल का बच्चा अद्भुत रूप से मेधावी
और एक नयी अद्भूत बात दुनाली ब्लॉग पर सबसे लम्बे नाखून
महफूज अली साहब बता रहे है ओ.के. (O.K.) को अंग्रेज़ी व्याकरण में संज्ञा (NOUN) के रूप में 1841 में दस्तावेज़ी रूप से दर्ज किया गया, विशेषण (VERB) के रूप में 1888 में और INTERJECTION के रूप में आधिकारिक रूप से सन 1890 में दर्ज किया गया.
कर रही थी मैं उसका इंतज़ार | दर बाहर कोई भेद ना रहा .कवि योगिन्द्र जी | रंजना [रंजू भाटिया] |
टकराकर वापस आती | मैं उसे अंतर तक समा लेती हूँ, ज्योत्सना जी | कुर्सी के सापेक्ष मीनू खरे | हे माधव !! अदा |
"ये ब्लोगिंग में लाठी-बल्लम...?"
ये इतना घमासान क्यूँ....? किसको साबित करना चाहते हैं..? किसके बरक्श....? ये कौनसी मिसाल आप सब बना रहे हैं..? सब, सब पर फिकरे कस रहे हैं. आये थे, कुछ बांटने, ब्लॉग लिखने, कुछ सीखने, कुछ बताने,...., ये क्या करने लगे...? ये बार-बार ब्लोगिंग को गोधरा बनाने पर क्यूँ आमादा हैं, कुछ लोग. कोई ऐसी तो नयी बात नहीं कह रहे...धर्मों से जुड़ी ऐसी घृणित बातें तो पहले भी विकृत मन वाले कह गए हैं, इसमे इतना श्रम क्यूँ लगा रहे हैं...शर्म नहीं आती जब एक ब्लॉगर अपनी प्रोफाइल ही डीलीट कर लेता है. सबसे आधुनिक माने जाने वाले माध्यम पर भी आखिरकार हम एक डेमोक्रेटिक स्पेस नहीं ही रच पाए. क्या कहेगा कोई, "ये हिन्दी वाले...."
उस घर में, | धर्म जो आतंक की बिजली गिराता हो निर्मला कपिला जी | जीवन का एक-एक पल हेमन्त भाई |
हिमान्शु भाई -मैं सोच रहा हूँ, तुमने उस क्षण को जी लिया…. फिर चल पड़े । मैंने उस क्षण को पकड़ लिया…. अटक गया । उस विशेष काल को विराट-काल से घुला-मिला दिया तुमने, मैंने उसे बाँध लेने की कोशिश की । क्या मैं समझता न था कि मनुष्य घड़ियों से कब बँधा है ? घड़ियाँ हमेशा कुहुकती रही हैं, हँसती रहीं हैं उस पर । यद्यपि हम दोनों ने उस क्षण को विराट से लय कर देना चाहा, शाश्वत बना देना चाहा….तुमने उस क्षण-विशेष को सततता के सौन्दर्य में परखा…मैंने उस क्षण-विशेष की साधना से उसे ही सतत बना देना चाहा ।
संगीता पुरी जी -
11-12 अक्तूबर के मंगल चंद्र युति का युवा वर्ग पर प्रभाव ??
लेकिन आज का आलेख आज के ही मुख्य बात पर है , वह यह कि अभी यानि 12 अक्तूबर 2009 को 5:30 सुबह खास शक्ति वाले मंगल की अष्टमी के आसपास की शक्ति वाले चंद्र के साथ युति बन रही है। मंगल और चंद्र की इस स्थिति का उदय कल ही भारत के विभिन्न भागों में 11 बजे रात्रि के बाद हो चुका है और आज भोर में जबतक सूर्य का प्रकाश आसमान में फैल कर इन्हें धुंधला न कर दे , इसे मध्य आकाश में बिल्कुल साथ साथ देखा जा सकता है। ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ की दृष्टि से ऐसा योग मंगल को महत्वपूर्ण बनाता है , जिसके कारण इन दो दिनों में लोग , खासकर युवा वर्ग विशेष प्रकार की उपलब्धियों और कार्यक्रमों से संयुक्त होते हैं।
बचपन में, मेले से, लाया था एक मिट्टी की गुल्लकरोज डालता था कुछ सिक्के, भरता था छोटी सी गुल्लक
भरते-भरते पैसे, जाने कब खाली कर दी उम्र की गुल्लक
कहते हैं सिकुड़ के माउस बराबर रह गयी है बेचारी दुनिया
इंटरनेट, केबल, मोबाइल्स ने खत्म कर दी हैं सारी दूरियाँ
हाँ, तेरा दिल ही छूट गया होगा शायद, नेटवर्क कवरेज से बाहर
आज हमारे दो पुराने ब्लागर ने नये चिट्ठे खोले है -
पहला है हमारे श्रद्धेय श्री पन्कज सुबीर जी का -
शिवना प्रकाशन (http://shivnaprakashan.blogspot.com/)
चिट्ठाकार: पंकज सुबीर
दुसरा है हमारे बडे भाई अजय झा जी का
आज का मुद्दा (http://aajkamudda.blogspot.com/)
चिट्ठाकार: अजय कुमार झा
अब आज का नमस्कार ,
26 comments:
धन्य हुए आपकी यह समर्पित पोस्ट देख कर. बहुत आभार इस उम्दा चर्चा के लिए.
चर्चा सुन्दर रही । दो नये चिट्ठे भी आये, इस सूचना का आभार । चर्चा का फॉर्मेट भी निखर रहा है ।
Pehla comment mera....
Pehla comment Mera....
..Badhiya Pankaj bhai....
...Diwali aa rahi hai...
Aur kuch naye dost ban rahe hain....
....aur kya chahiye?
samir ji ko samrpit badhiaya charcha ! aabhar !
इन्द्रधनुष बन उभरती चर्चा !
वाह, पंकज जी बहुत सुंदर प्रस्तुति चिट्ठा चर्चा...
धन्यवाद!!!
सबसे पहले समीर जी को नमस्कार और बधाई.निर्मला कपिला जी, दरपन जी और श्रीश प्रखर जी की रचनाएँ विशेष तौर पर अच्छी लगीं. महफ़ूज़ जी की पोस्ट भी ok लगी.
प्रस्तुति रोचक लगा........
आज की प्रस्तुति रोचक लगी .....धन्यवाद !
बहुत खुब पंकज जी। इस लाजवाब चिट्ठा चर्चा के लिए बहुत-बहुत आभार.........,,,,,,,,,,
आभारी हूँ पंकज जी का..ईमानदारी से कहूं तो मुझे तो सहसा विश्वास नहीं हुआ..ब्लोगिंग का पहला पुरस्कार है ये तो मेरे लिए...आभार...
पंकज जी मैं तो पहले ही जानता था.कि आप इसे बखूबी निखारेंगे..देखिये अब विशेषज्ञता बढती जा रही है..जारी रखें..शुभकामनायें
चिट्ठों के लिंक्स और उद्धरण के साथ चिट्ठाकार का चित्र सचमुच चर्चा और और प्रभावशाली बना देता है।
बेहतरीन चर्चा के लिए धन्यवाद!
bahut बडिया होती जा रही है चिठा चर्चा बधाई हो।
shubhkamnayen
समीरलाल जी, शरद कोकास, अजय झा, अवधिया जी, मिथले दूबे, महफूज अली, रंजू भाटिया, अदा जी, निर्मला कपिला, हिमांशु जी,
हेमंत जी, संगीता पुरी जी,अपूर्व जी और डॉ.आशुतोष शुक्ल जी आदि सबको बधाई।
पंकज मिश्र जी को धन्यवाद!
बढ़िया चर्चा। सुन्दर!
पंकज बाबू,
बहुत मनोहारी, सुखारी है चिटठा चर्चा तुम्हारी.....
बहुत सुन्दर चर्चा जिसको अच्छी जो अच्छा लगे वही पढ़ लो भाई वाह !!
SUNDAR CHARCHA HAI ......
इतनी चर्चा एक साथ? भाई पूरा डाइजेस्ट हो गया यह तो..आपका अथक परिश्रम झलकता है आपकी चर्चा के विस्तृत फ़लक से..बधाई..और शुभकामनाएं..दीवाली की भी एड्वांस मे :-)
बेहतरीन चर्चा !!
बढिया रही आज की चर्चा।
सुन्दर और मनोहारी चर्चा !
बहुत बढ़िया लगी यह चर्चा शुक्रिया
समर्पण के लिये सही व्यक्तित्व है समीर जी का इस प्रस्तुतिकरण हेतु धन्यवाद और बधाई ।
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