अंक-53 प्रस्तुतकर्ता-पंकज मिश्र
नमस्कार , चर्चा हिन्दी चिट्ठो के इस अंक में मै आप सब का स्वागत करता हु , और आप सबकाआभार व्यक्त करता हु आपाने हमारे इस चिट्ठो को इतना सराहा है , और धन्यवाद ज्ञापित करता हु हमारे चर्चा परिवार के सभी सदस्यों को आपके अथक परिश्रम के लिए ............
चलते है चर्चा की तरफ , चर्चा में सबसे पहले बात करते है समीर लाल "समीर " जी के पोस्ट मारो...मारो!!!!
चलिए आगे बढ़ते है साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के साथ .........
जिसपे है दुनिया को नाज़ - उसका है जन्मदिन आज (26) आसमान में जगमगाते सितारे हमेशा से ही मानव के कौतूहल का केन्द्र रहे हैं। विज्ञान ने हमेशा इनके राज़ खोलने की कोशिश की है। साथ ही ज्योतिष जैसी विधाओं ने मानव जीवन पर इनके प्रभाव के बारे में बहुत कुछ कहा है। विज्ञान ने हमें बताया है कि अत्यन्त लघु दिखने वाले ये तारे सूर्य से भी बहुत ज्यादा गर्म और विशाल पिंड हैं। इन्हीं तारों के बारे में महान वैज्ञानिक सुब्रह्मनियम चंद्रशेखर ने कुछ ऐसी अनोखी बातें बताईं कि नोबुल पुरस्कार अनायास ही उनकी झोली में आ गिरा। |
दर्पण शाह "दर्शन " भाई चैटिंग किये और अब उसके ऊपर एक लघु कथा प्रस्तुत किये है , आप भी पढ़ लीजिये , पसंद आयेगा !
शुभम आर्य , एक ऐसा नाम जो कि पहेलियाँ बुझाने में नंबर एक पर आता है ...कल भी ताऊ पहेली के विजेता शुभम आर्य रहे , और ताउजी डाट काम के पहेलीविजेता भी शुभम
शिद्दत से जरूरत है. शुभकामनाओं की ...
आर्य रहे ....बधाई शुभम आर्य जी , आपको हमारी तरफ से
ताऊ पहेली - 44 विजेता श्री शुभम आर्य, आज के विजेता शुभम आर्य (86)
गजल,कविताऔर काब्य पाठ
अपनी ज़ुल्फों को सितारों के हवाले कर दो अब्दुल हमीद अदम | और जो धर्मगुरु जोर-शोर से दावा करते है कि | हाँ, विनय जी |
पंकज जी है और बता रहे है की कैसे उन्होंने बुद्ध से मुलाकात किया .... आप भी पढिये………
राजू ओझा बता रहे है मुंशी प्रेमचंद की कहानियो की बात……'तंदुरुस्ती गुरू'
देव बाबा का प्रवचन
भाई-दूजः बहन के निश्छल प्यार का प्रतीकपौराणिक कथाओं के यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। एक बार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आये तो अचानक अपने भाई को अपने घर देख यमुना ने बड़े प्यार और जतन से से उनका स्वागत किया और कई तरह व्यंजन बना कर उन्हें भोजन करवाया और खुद ने उपवास रखा, अपनी बहन की इस श्रध्दा से यमराज प्रसन्न हुए और उसे वचन दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन को स्नेह से मिलेगा उसके घर भोजन करेगा उसको यम का भय नहीं रहेगा। इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करती है। अपने भाई को विजय तिलक लगाती है ताकि वह किसी भी तरह के संकटों का सामना कर सके। |
अली की पोस्ट पढिये इन्होने लिखा है टोपी...दाढ़ी...लुंगी...तिलक...नारियल...आदि ...
बेहद खूबसूरत मुल्क के बेहद खूबसूरत वाशिंदों पर गर्व करते करते कई बार लगता है कि जैसे ये खूबसूरती महज़ छद्म आवरण सी है वरना धनिये में लीद , दूध में केमिकल्स , मावे में..... , नकली दवाइयां ,जहरीली शराब ! पैसे के लिए और ना जाने क्या क्या पाप कर्म ! इंसानियत के कातिल और हैवानियत के नग्न नर्तक के सिवा दूसरा और कौन सा विशेषण जोड़ा जा सकता है हमारे जैसे घटिया नागरिकों के नाम के आगे ? चीन हमसे बाद में आजाद हुआ , जापान ध्वस्त होकर जी उठा , जर्मनी टूट कर एकजुट हुआ ....
गजल,कविताऔर काब्य पाठ
दोस्त को कुछ भी कह ले मगर | बीज बनाये पेड़ को पेड़ बनाये बीज। | "उदास था कल वो नीम का पेड़ !"कल तुम्हारे घर के करीब से गुजरा था |
जिंदगी कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है
मैं ‘बेचारा’ कहलाना नहीं चाहता। इस शब्द से मुझे नफरत है। लोग कहते हैं कि मजबूर की मदद करो। मुझे लगता है कोई मजबूर नहीं। सब हालातों के हाथ कठपुथली हैं। इस हिसाब से सारा संसार किसी न किसी मौके बेचारा है। फिर मैं भी एक बेचारे से कम नहीं, लेकिन मैं खुद को बेचारा नहीं कहना चाहता। मैं हौंसले से जीवन की सच्चाई का मुकाबला करना चाहता हूं। पर यह कठिन लगता है। मैं अपनों से बहुत दूर हो कर भी उनके पास हूं, पर उनकी याद के सहारे धुंधले पड़ गए हैं। मेरा संसार रुका हुआ सा हो गया है, उधड़ा हुआ सा हो गया है। एक अजीब सी कशमकश फिर से उभरी है। शायद उभरती रहेगी टीस बनकर।
शरद कोकाश जी ने दिया है एक जानकारी लेकिन छुट्टी बीतने के बाद , अगले छुट्टी में याद रहेगा मुँह ढाँककर सो जाने के लिये नहीं आती हैं छुट्टियाँ ।
तेल की बून्द बनकर आती हैं छुट्टियाँ गाँव में बीमार माँ की आँखों में जीने की अंतिम आस बनकर उतर आती हैं छुट्टियाँ |
आज नारी ब्लॉग पर भी १०० फालोवर हो गए बधाई हो
१०० फोलोअर
दिनेशराय द्विवेदी जी का लेख शिद्दत से जरूरत है. शुभकामनाओं की ...
महेंद्र मिश्रा जी ने प्रकाश डाला है हमारे सबसे प्रिय कथाकार पर -मुंशी प्रेमचंद : धन और प्रतिष्ठा की अपेक्षा मुझे देश भक्ति अधिक प्यारी है
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर सर मालकम ने मुंशी प्रेमचंद को अपनी और मिलाने के लिए एक चाल चली . अंग्रेजो के जमाने में राय साहब का खिताब सबसे बड़ा राजकीय सम्मान माना जाता था . कई विद्वान प्रतिभावान जिनका मनोबल कमजोर था इस खिताब को पाने को अपना सम्मान समझते थे . मुंशी प्रेमचंद को यह समझते देर न लगी की उन्हें यह खिताब क्यों दिया जा रहा है . एक अंग्रेज द्वारा राय साहब का खिताब और भारी रकम श्री मुंशी प्रेमचंद के घर यह कहकर पहुंचा दी गई की माननीय गवर्नर द्वारा उनकी रचनाओं से प्रभावित होकर यह उपहार भेजा गया है . उस समय मुंशी प्रेमचंद घर पर नहीं थे . घर पहुँचने पर मुंशी प्रेमचंद जी को इस बात की जानकारी मिली . उनकी पत्नी ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की आर्थिक विपन्नता के समय यह खिताब और यह राशिः बड़ा सहारा है . |
गजल,कविताऔर काब्य पाठ
ओबामा और गोवर्धन ब्राउन ने मनाई दीवाली
दीवाली की खुशियाँ ,प्रदूषण और ब्लॉग ट्रेफिक
कुत्ते या आदमी : एक कविता
कुछ लोग कुत्ते बना दिए जाते हैं कुछ लोग कुत्ते बन जाते हैं कुछ लोग कुत्ते पैदा होते हैं इसे इतर नहीं होते उनके होते तो हैं दो हाथ व दो पैर लेकिन दूसरों के जूठे, थूक-खखार व किए हुए उल्टी चाटने में मजा आता है |
अब मैं लौट आई हूँ. लविज़ा
मम्मी कहती हैं, ‘लवी जब से पैदा हुई है, हर महीने इनका ट्रेन में जाना जरूरी हो गया है. कोई भी महिना ऐसा नहीं गया की हम ट्रेन में नहीं गए.’ क्या करूँ जाना तो पड़ता है ना
…और मैं तो ट्रेन में बिलकुल कम्फर्टेबल भी रहती हूँ जरा भी परेशान नहीं करती. और अपनी सीट पर बैठने से ज्यादा मज़ा दुसरे यात्रियों की सीट पर धमाल मचने में
प्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुले नहीं रहे ! नमन ! श्रद्धांजलि.
मैं मुले जी से १९८८ में इलाहाबाद में आयोजित एक विज्ञान संगोष्ठी के समय पहली बार मिला था -धीर गंभीर व्यक्तित्व , बहु विज्ञ ,बहु पठित -मैं नत मस्तक था ! उनकी एक अभिलाषा थी साईंस फिक्शन को आगे बढ़ाने की क्योंकि वे खुद इस दिशा में अपरिहार्य कारणों से योगदान नहीं कर पाए -उनकी प्रेरणा ने मुझे इस उपेक्षित विधा की ओर और भी मनोयोग से लग जाने को प्रेरित किया ! उनके अनुगामी दिल्ली के विज्ञान लेखकों ने उनसे ईर्ष्या भाव भी रखा जबकि वे पूरी तरह निश्च्छल |
अब दीजिये इजाजत ,
, नमस्कार
21 comments:
सुन्दर और संतुलित चर्चा
aapka prayas bhagaratih prayas hai aur main ye baar baar kahoonga...
nice
very nice and informative
वाह .. बहुत बढिया !!
पंकज मिश्र जी!
"चर्चा हिन्दी चिट्ठो की" व्यापकता के साथ-साथ लोकप्रियता की ओर अग्रसर होती जा रही है। आपका श्रम सार्थक हो रहा है।
बधाई!
बहुत सुन्दर ...व्यापक... फिर भी संतुलित ...चिटठा चर्चा
बधाई ..!!
सुघर चर्चा करे हच गा संगवारी
सार्थक चर्चा
लाजवाब चर्चा, शुभकामनाएं.
रामराम.
बढ़िया श्रमसाध्य चर्चा. मेहनत रंग ला रही/ लाएगी.
विविध आयाम लिये बेहतर चर्चा ।
आभार..!
आज तो चर्चा की दीपावली है ब्लाग दीयों की तरह जगमगा रहे हैं बधाई
अच्छी चर्चा है .......... बहुत से ब्लोगेर्स के बारे में जानकारी मिल गयी ..........
acchi charcha...
godiyal ji ke blog tak pahunchane ke liye shukriya.. हाँ, अगर कही इंसानों की तादात में इजाफा हुआ हो तो
बताना, हम तो बस इतनी सी बात से ही ताल्लुक रखते है !!
charcha hai charcha lo
aur ham daud daud kar tipanni dene aa hi jaayenge..
दिन पर दिन और निखरती जा रही आपकी यह चिट्ठा चर्चा..बहुत बढ़िया ढंग से प्रस्तुत करते हैं आप चिट्ठा चर्चा को..जितनी तारीफ की जाए कम है एक सराहनीय प्रयास पंकज जी बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत अच्छे पंकज ,सारे महत्वपूर्ण विषयों को समेटती हुई आज की यह चर्चा महत्वपूर्ण रही । सिर्फ गुणाकर मूले जी के निधन का समाचार व्यथित कर गया । हम सभी की ओर से श्रद्धांजलि - शरद कोकास
पंकज जी इस चर्चा को हमने देर से देखा सो अब लिख रहे हैं...आपका अंदाज दिखता है इसमे यत्र-तत्र-सर्वत्र...
मैं कौन सा गीत सुनाऊं, क्या गाऊं
जो बस जाऊं तेरे चिट्ठा-चर्चा में...
जय हिंद...
प्रिय पंकज ,
लिंक का देर से पता चला अब क्या टिप्पणी दूं , फिलहाल पसंद का चटका लगाकर जा रहा हूँ इसे ही टिप्पणी समझियेगा !
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