अंक : 59
प्रस्तुतकर्ता : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठो की " का प्रारम्भ मैं दिल्ली के एक नये ब्लागर सुशील जी के ब्लॉग "हम तो कागज़ मुडे हुए हैं ............." से पोस्ट से करता हूँ…..
बड़ी दिलकश लगती है ये लाइन ...हमसाथ-साथ
गुनगुनाने भी लगते हैं । ज़रागुनगुनाने की बजाय आज इस पर गौरकरें ...आख़िर एक और मौका मिला है;जब देशभक्ति की उमंगे हिलोरें ले रही हैं। साथ- साथ चलते हमअलग-अलग नही चलने लगे हैं? अभी कुछ ही दिनों पहले देशकी राजधानी के उस इलाके का वाकया है, जहाँ देश के सबसेशिक्षित और आगे देश का प्रशासन सँभालने जा रहे युवाओं काहुजूम रहता है । बात शुरू हुयी दिल्ली के 'स्थानीय निवासी"(जब की दिल्ली में सब बाहर से ही आयें हैं ...) एक सरदारजी और "बाहर" (सुविधा के लिए बिहार पढ़ लें ) से आए एकयुवा से ।
ग्रेटर-नोएडा के एक और नये ब्लॉगर हैं श्री शेष नारायण सिंहः देखिए अपने ब्लॉग "जंतर-मंतर" में ये क्या लिखते हैं-
अमरीका अब भारत को एशिया में अपना सामरिक सहयोगी बनाने के चक्कर में है .उनकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि भारत के साथ जो परमाणु समझौता हुआ है वह एक सामरिक संधि की दिशा में अहम् क़दम है . जब परमाणु समझौते पर वामपंथियों और केंद्र सरकार के बीच लफडा चल रहा था तो बार बार यह कहा गया था कि अमरीका की मंशा है कि भारत को इस इलाके में अपना सैन्य सहयोगी घोषित कर दे लेकिन सरकार में मौजूद पार्टियां और कांग्रेस के सभी नेता कहते फिर रहे थे कि ऐसी कोई बात नहीं है .लेकिन अब बात खुलने लगी है . अगर ऐसा हो गया तो जवाहरलाल नेहरु का वह सपना हमेशा के लिए दफ़न हो जाएगा जिसमें उन्होंने भारत को एक गुट निरपेक्ष देश के रूप में विश्व मंच पर स्थापित करने की कोशिश की थी.......................................... |
इलाहाबाद सम्मलेन की खरी बातें गिरिजेश राव के द्बारा-इलाहाबाद से 'इ' गायब, भाग –1
यदि आपको बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री और सभी के लिए गीत,कथा और मनभावन चित्र देखने हों तो आप श्री रावेंद्रकुमार रवि के ब्लॉग "सरस पायस" का भी अवलोकन करें।
है मज़ाकिया, हमें चिढ़ाए!
जल्दी उसका नाम बताओ,
जो सरकस में हमें हँसाए!
अगर आपको शुद्ध हिन्दी के दिग्दर्शन करने हैं तो "हिंदी का शृंगार" अवश्य देखें।
(श्रीमती वन्दना गुप्ता)कभी कभी |
अब पी.सी.गोदियाल जी की लेखनी का भी ज़ायज़ा लें-
पाले रखी थी ख्वाईशे बहुत, कहने को कोई हमारा भी हो |
बेकार की बकवास
बहुत कुछ सोचा बहुत कुछ समझा अब करने का समय आ ही गया, लेट ही सही.
और मसिजीवी जी क्या कह रहे हैं
इलाहाबाद...कुर्सियॉं औंधा दी गई हैं, पोडियम दबे पड़े हैं
मुंबई-ठाकरे और छट पूजा
ठाकरे परिवार को मुंबई और मुंबई (महारास्ट्रको लोगो ने मिल कर ठग लिया, आखिर महारास्ट्र के लोगो ने दिखा दिया की सिर्फ़ मराठी मानुस का नारा लगाने से कम नही चलने वाला पुरा का पुरा महारास्ट्र बोलना जरुरी है। महारास्ट्र मैं कांग्रेस की जीत में सबसे बड़ा योगदान उत्तरभारतीय लोगो का है, इस जीत से ठाकरे परिवार को ये समझ जाना चाहिए की अगर राजनीती करनी है तो सब को साथ लेकर के चलना जरुरी हैं , अकेले चना भाड़ नही फोड़ता है , महारास्ट्र में अगर सरकार बनानी है तो उत्तरभारतीय लोगो को अपने साथ ले कर चलना ही पड़ेगा। |
जी.के.अवधिया जी की भी सुनें-अब मरने वाले की बुराई कैसे करें ...
चाँद तारा का निशान हिन्दुस्तान में कैसे आया?सप्ताह दीपावली का पर्व था. हर तरफ चहल पहल थी तो कल छठ का पर्व था....तो एक और ब्लागिंग जगत में इलाहाबाद में ब्लागिंग मीट के सन्दर्भ में काफी चर्चाये थी . क्या हुआ अब पढ़ रहा हूँ और निष्कर्ष खोजने की कोशिश कर रहा हूँ . विगत सप्ताह मुझे आदरणीय ताउजी, अनिल पुसदकर जी और अविनाश वाचस्पति से मोबाइल पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ . आप सभी ब्लॉगर भाइओ के विचार जानकर अत्यंत हर्ष का अनुभव किया की ब्लागरो के दिलो में आपसी समझ बूझ और भाई चारे की भावना समाहित रहती है. भाई सभी जगहों पर ब्लागर्स मीट आयोजित हो रहे है तो मेरे दिमाग में भी एक बिंदु आया है की क्यों न विश्व प्रसिद्द दर्शनीय स्थान भेडाघाट जबलपुर में देशभर के ब्लागरो का सेमीनार और मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जाए
महफूज़ अली अकेला होता हूँ, तुम पास आकर दबे पाँव चूम कर मेरे गालों को, मुझे चौंका देती हो, मैं ठगा सा, तुम्हें निहारता हूँ, तुम्हारी बाहों में, मदहोश हो कर खो जाता हूँ. | ऊदा देवी :- अन्तिम भाग लो क सं घ र्ष ! इससे यह तात्पर्य नहीं लेना चाहिए कि ऊदा देवी का शौर्य और पराक्रम 1857 के महाविद्रोह की केन्द्रीय चेतना से सम्बद्ध नहीं था, यह कि उनकी शहादत मुक्ति के विराट स्वप्न को साकार करने की दिशा में दी गयी आहुति नही... |
"रामप्यारी का सवाल - 93"
सवाल है : ये दो मीनार जैसी क्या चीज हैं? बताईये |
अरविंद मिश्रा जी की रिपोर्ट-ब्लागर उवाच -प्रयाग की चिट्ठाकारिता संगोष्ठी
अब बारी अतीत के झरोखे की
हमारे आज के मेहमान है विनोद कुमार पाण्डेय जी , उनकी हाल ही में प्रकाशित एक हास्य कविता-बेटे की शादी में अनोखे लाल जी का हंगामा
दो एकम् दो, दो दुनी चार, जल्दी से आ जाता फिर से सोमवार
सुनिए नीलम मिश्रा की आवाज में अनिल चड्डा की सीख इन पहाडों के माध्यम से और दीजिये अपनी बहुमूल्य
पर सच्ची टिप्पणी कि आपको यह छोटा सा प्रयास कैसा लगा?
अब नुक्कड़ को भी देखिए-
सवाल आपसे हैं, उनसे नहीं जो सवाल पैदा कर रहे हैं।
कल मुम्बई में अफरा-तफरी मच गई। मध्य-रेल अचानक ठप्प हो गई। सुबह के उस समय यह सब हुआ जब लाखों लोग अपने कार्यस्थल की ओर रवाना होते हैं। एक निर्माणाधीन पुराना पाईपलाइन वाला पुल टूट कर लोकल ट्रेन पर गिर जाता है, हाहाकार मच जाता है। मचे भी क्यों नहीं आखिर ट्रेन हादसे मे मौत भी हुई और घायल भी हुए। ऐसा लगा मानों किसी परिवार के मुख्य व्यक्ति को हार्ट अटैक आया और परिवार वालों में भगदड मच गई। .......... |
अब एक मनीषी चिट्ठाकार
उजाले के
कितने - कितने नाम हो सकते हैं !
जैसे -
इसे रोशनी कहा जा सकता है
और प्रकाश भी..
एक अकेले शब्द के
सर्वश्रेष्ठ होने की जंग कितनी सही?
आदमी सर्वश्रेष्ठ होने की जंग लड़ता रहता है। धीमे-धीमे। सर्वश्रेष्ठ यानी शिखर को छूने की तमन्ना। लेकिन मैं सर्वश्रेष्ठ होने की जंग में नहीं पड़ना त चाहता हूं। क्योंकि इस लड़ाई में सिर्फ नुकसान ही है। इतना तनाव लेकर हम क्या करेंगे। कुछ लोग सर्वश्रेष्ठ होने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। क्रिटिकल होते हैं। आलोचनाओं में उनसे कोई नहीं सकता। आदमी रचनात्मकता के कामों में भी प्रतियोगिता करता है। प्रतिभागियों में गुण-दोष ढूंढ़ता है, लेकिन क्या ऐसा करना संभव है, हर समय। जब आप कोई सकारात्मक काम करते हैं
श्रीमती शारदा अरोरा जी जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं | बबली दे ख रही थी मैं उसे छुपके छुपके, दिल चुराया उसने मेरा चुपके चुपके, खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम, उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम |
अब " नजर-ए-इनायत "
गांधी जी पर विशेष लेख 3--माहात्मा गांधी के आर्थिक विचार नागेन्द्र प्रसाद दो अक्तूबर 1869 को उस महापुरुष का जन्म पोरबन्दर में हुआ , जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीर से मुक्त कर आजाद कराया। इनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत DDLJ:अच्छा है कि 'राज' हमारी यादों में जिंदा एक फिल्म किरदार है-डीडीएलजे से जुड़ी मेरी यादें कुछ अलग सी हैं. इनमे वह किशोरावस्था वाला अनुभव नहीं है,क्यूंकि मैं वह दहलीज़ पार कर गृहस्थ जीवन में कदम रख चुकी थी.शादी के बाद फिल्में देखना बंद सा हो गया था. दिल्ली में उन दिनों थियेटर जाने का रिवाज़ भी नहीं था वर्तमान के सिरे-कुल् लू (हिमाचल प्रदेश) से ए क पत्रिका शुरू हुई है , असिक् नी। सपांदकों को मैंने प्रतिक्रिया लिखी। इधर कथादेश में बद्रीनारायण का साहित् य का वर्तमान लेख छपा। बात को आगे बढ़ाने के लिए मैंने यह पत्र कथादेश को भेजा जो क्योंकि गांधी ओबामा नहीं हो सकते-यह बहस बेतुकी है। कि ओबामा को शांति का नोबेल मिला गया गांधी को क्यों नहीं मिला? मेरा सवाल है कि गांधी को नोबेल क्यों मिलना चाहिए? गांधी ने ऐसा क्या कर दिया कि नोबेल पर हक उनका बनता है भेड़ की तरह आये पर बकरे न बने-हास्य व्यंग्य (bhed aur bakre-hasya vyangya)बुद्धिजीवियों का सम्मेलन हो रहा था। अनेक प्रकार के बुद्धिजीवियों को उसमें आमंत्रण दिया गया। यह सम्मेलन एक ऐसे बुद्धिजीवी की देखरेख में हो रहा था जिन्होंने तमाम तरह की किताबें लिखी और जिनको अकादमिक संगठनों के पुस्तकालय खरीदकर अपने यहां सजाते रहे। आम |
ब्लागजगत में नए चिट्ठे
अब दीजिये इजाजत , अंत में इतना ही कहुगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये......कल आपसे मुखातिब होगे पंकज मिश्रा ....... |
29 comments:
रोचक .सुरिचिपूर्ण और विविधतापूर्ण -बहुत आभार !
बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा !
मुझे लगता है कि यह बहुत ही श्रमसाध्य काम है.इसके माध्यम से उम्दा पोस्टस को एक ही स्थान से देखा _ पढ़ा जा दकता है!
शुक्रिया और बधाई ! शास्त्री जी और पूरी टीम को !
चर्चा मे जाज्वल्यमान सभी सितारों को बहुत-बहुत बधाई!
बहुत बढ़िया चर्चा !
बहुत अच्छी चर्चा।
shashtri ji,
bahut acchi rahi aapki charcha,
बहुत बढ़िया चर्चा !
चकाचक रही चर्चा-छूटा न कोई पर्चा
सच में बहुत सुन्दर शास्त्री जी, दिल गद-गद हुआ आपकी विश्लेष्णात्मक शैले देख !
behterin hamesha ki tarah !!
बड़ा परिश्रम करते हैं आप। सागर से मोती निकालना कोई हँसी मजाक तो नहीं। बधाई।
बहुत बढ़िया चर्चा !
सुशील जी वाली पोस्ट बहुत अच्छी लगी, मयंक जी सार्थक चर्चा.....बधाई हो....
बढिया रही चर्चा, शास्त्री जी।
वाह शाश्त्रीजी आप तो कविता की तरह चर्चा भी बडे रोचक ढंग से करते हैं. बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको. आपकी अगली चर्चा का इंतजार रहेगा.
रामराम.
sundar charcha... lahabad!!! accha hai...
बढिया रही चर्चा....
dilkash charcha
चर्चा बहुत अच्छी रही। बहुत से ब्लाग कई दिन से पडढ नहीं पाई थी धन्यवाद्
good
गजब की चर्चा की है, सटीक टिप्पणियों के साथ।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
अच्छी और रीली सुरीली चर्चा
मस्त कर गई
इतने चिट्ठे पढ़ने पढ़े
पस्त कर गई।
sundar charcha है shashtri जी ..........
बहुत बढ़िया चर्चा .....आभार
अब तक यहाँ हुई चर्चाओं में से एक अविस्मरणीय चर्चा,
जिसमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखा गया है!
शास्त्री जी, आपके लेखन की एक अलग ही शैली
यहाँ भी दिखाई दे रही है,
जिसमें रोचकता और प्रवाह दोनों का आनंद मिल रहा है!
चिट्ठों के चयन में परदर्शिता की झलक
साफ-साफ दृष्टिगोचर हो रही है!
एक अनुरोध है - शास्त्री जी!
आगामी किसी चर्चा में उन समस्त चिट्ठों की चर्चा कीजिए,
जिनमें बच्चों के लिए उपयोगी
और
रोचक सामग्री प्रकाशित की जाती है!
मेरे विचार से यह एक अति महत्त्वपूर्ण चर्चा रहेगी -
अंतरजाल के पाठकों के लिए!
बेहतरीन चर्चा के लिये बधाई..पिछले कुछ दिन इधर-उधर रहने की वजह से ब्लॉग से जो रिद्म टूटी..उसे वापस पाने के लिये आपकी चर्चा के पिछले कुछ अंक खंगालना सबसे मुफ़ीद लगा..शुक्रिया!!
बढिया चर्चा ..एक नये ब्लॉगर को हमने हिदायत भी दे दी ।
बहुत ही बढिया चर्चा रही…………………हर तरह की सामग्री उपलब्ध रही…………………हर किसी की रुची के विषय प्रस्तुत हैं …………………आपकी मेहनत और लगन साफ़ दिखायी दे रही है………………………धन्यवाद्।
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