अंक : 60
प्रस्तुतकर्ता : पंकज मिश्रा
नमस्कार , पंकज मिश्रा आपके साथ ....आपके चिट्ठो को लेकर ...
आपके मिले प्यार का कायल हो गया हु .....कायल से ही ध्यान आया कि अपने समीर साहब जी ने भी कुछ ऐसा ही लिखा है कायलियत के कायल- कैसे कैसे घायल?!!....
वैसे समीर जी एक बात बताऊ ...मै तो आपके लेखनी और व्यहार का कायल हु....हु भी क्यों ना ?अब देखिये ना आप शीर्ष ब्लॉगर हो लेकिन ज्यादा दिन तो मुझे नहीं हुआ है ब्लागजगत में लेकिन जब से आया हु आपकोकिसी का दिल दुखाते नहीं देखा ....बस इसी बात का तो कायल हु..........नहीं तो आप तो ऐसे हो कि अपने लिखने से अच्छे -अच्छो को घायलकर सकते हो ...हां ये अलग बात है कि आज तक किसी कोकिये नहीं हो ............
समीर जी ने लिखा है-----
अब मौलिकता पर भी कायल सिर्फ शुद्ध मौलिकता की वजह से नहीं बल्कि इसलिये कि वैसी मौलिकता और कहीं कम से कम उन्होंने नहीं देखी. कायल होने की और करने की स्वतंत्रता सभी को हासिल है. जहाँ आप अपनी सूक्ष्म दृष्टि या बुद्धि की कुशाग्रता की वजह से कुछ आंक कर कायल हो सकते हैं, वहीं आप अपने दृष्टि दोष के कारण या मूढ़ता की वजह से भी कायल हो सकते है.
मैं यह कतई सिद्ध करने की कोशिश में नहीं हूँ कि कायलता का कोई महत्व नहीं है. बहुत महत्वपूर्ण है किसी बात का कायल हो जाना या किसी को कायल कर देना किन्तु मेरा उद्देश्य मात्र यह है कि कायल होने या करने की महत्ता आंकते समय ये जरुर देख और परख लें कि कौन, किस बात पर, किससे और किसलिये कायल हुआ.
और साथ में ये सुरक्षा कवच---
यह आलेख मात्र हास्य विनोद के लिए लिखा गया है. कोई भी कायल व्यक्ति इसे अपने पर कटाक्ष न मानें और इसे पढ़कर मुझ पर कायल होने का मन हो आये तो व्यंग्यकारी की बजाय विनोदप्रियता टॉपिक के अंतर्गत कायल हों. |
साथियों , कैसा लगेगा आपको जब घर में दो - दो आयोजन हों और पता चले कि आपकी गैस चोरी हो गयी हो..शेफाली पांडे
पी सी गोदियाल जी ने लिखा है एक ........लघु कथा- वह एक नर्स थी !
कविता
गूढ़ प्रेम लखी परे न काहूकठिन है ढूंढ़ लेना | प्रभु मुझे शकुनी सा मामा देनाप्रभु मुझे शकुनी सा मामा देना और मंथरा सी दासी |
कपिला जी ने बेहद भावपूर्ण कहानी लिखी है ...आप यहाँ से पढ़ सकते है
सुनार के सामने बैठी हूं । भारी मन से गहनों की पोटली पर्स मे से निकाल कर कुछ देर हाथ में पकड़े रखती हूं । मन में बहुत कुछ उमड़ घमुड़ कर बाहर आने को आतुर है । कितन प्यार था इन जेवरों से । जब कभी किसी शादी व्याह पर पहनती तो देखने वाले देखते रह जाते । किसी राजकुमारी से कम नही लगती थी । खास कर लड़ियों वाला हार कालर सेट पहन कर गले से छाती तक सारा झिलमला उठता । मुझे इन्तजार रहता कि कब कोई शादी व्याह हो तो सारे जेवर पहून । मगर आज ये जेवर मेरे हाथ से निकले जा रहे थे । दिल में टीस उठती है ----- दबा लेती हू
गिरीश पंकज जी को तलाश भ्रष्ट लोगों की- -------
अरे-अरे, कहाँ चल दिए. उमरे अखबार दैनिक खंडन को इन्टव्यू तो देते जाइये. क्या आपको पता है कि अपने देश में सिर्फ आठ करोड़ लोग भ्रष्ट हैं!'' नेता परसादीराम जी से मैंने पूछा 'इस आठ करोड़ में कम से कम मैं तो बिलकुल ही शामिल नहीं हूँ.'' नेताजी फौरन मुसकराते हुए बोले, 'सचमुच, आज देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। मैं चाहता हूँ कि देश इससे ऊपर उठे।'' 'आठ करोड़ में भी आप शामिल नहीं हैं, यह आश्चर्यजनक सत्य है।'' मैंने तनिक मुसकराते हुए कहा |
कविता
"मजबूर हो गये हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")श्रृंगार-ठाठ सारे, करने लगे किनारे, महलों में रहने वाले, मजदूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
थे जो कभी सरल से, अब बन गये गरल से, जो थे कभी सलोने, बे-नूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। | Heaven in the earth....
अपनी सबसे प्रिय चीज़ें.... नहीं नहीं , एक माचिस की डिब्बी, २ सिगरेट. |
लो जी ये भी सुन लो---जलेबी या पान खिलाकर प्रेमिका को भगा ले जाओ
गौण्ड समाज में यदि कोई नौजवान किसी कन्या को पान का बीड़ा या जलेबी दे तो इसका मतलब है कि वह लड़की को अपना प्रणय प्रस्ताव भेज रहा है और अगर लड़की उसे खा ले तो समझ लेना चाहिए कि लड़की ने उस प्रणय निवेदन को स्वीकार कर लिया है। प्रेम की भाषा समझने के बाद लड़के को उस लड़की को भगा ले जाना होता है और फिर बज उठती है शहनाई।
एक बार भाग जाने के बाद ऐसे प्रेमी युगल को दोनों पक्षों के परिवारजनों की स्वीकृति मिलना लाजिमी होता है
ताऊ पहेली के नतीजे आ चुके है ...विजेता है ....
उडनतश्तरी की फ़िर हेट्रिक (93) | ताऊ पहेली - 45 के विजेता स्मार्ट इंडियन |
इ ल्यो आ गए टिप्पू चच्चा अपनी टिप्पणियों की चर्चा लेकर ....आप यहाँ से जरूर जाइए चच्चा के ब्लॉग पर
नंगई की हदें पार : आईला भईल कायलात ऊ बोला नाही..चच्चा ऊ क्या है कि आज कुश खुद से ही कुश “मगरुरवा“ बन गईल है….हम कहा – अरे ऊ त दूसर लोगों का इज्जत खराब करने वाला बेशर्म जाहिल है…कभी कुंवारे बन कर लोगों को बेवकूफ़ियाता है..त कभी कुछ…रोज त जी टाक मा नया नया ऊल जलूल नाम धरकर आपन बची खुची इज्जत भी खराब करवाय लिया.. पर तू क्यों बेशर्म की पदवी ले रहा है खुद से ही? त रोहित बोला – चच्चा आजकल त ई फ़ैशन हुइ गवा…बेशर्म…मगरुरवा…नालायक… कुंवारा…और भिखारी…यानि जी टाकवा मा टांक दो…जो भी बनना हो..इससे बडा इंप्रेशन बढत है… |
अब बारी अतीत के झरोखे की
आज की हमारी पोस्ट है मुंबई चौपाल से
चौपाल में बैसाखी के साथ जलियाँवाला बाग की याद
तो चलो चौपाल की शुरुआत हुई और बैसाखी का रंग चैपाल में खूब जमा, मगर हम इस चौपाल का पूरा हाल आपको नहीं बता पाएंगे क्योंकि थोडी देर के लिए हमें एक रेकॉर्डिंग में जाना पड़ा और चौपाल की राजधानी एक्सप्रेस अपनी गति से बगैर रुके अपनी गति से चलती रही। फिर भी जो भी हमारे कानों और आँखों के हिस्से में आया उसे आप तक पहुँचा रहे हैं। चौपाल की शुरुआत हुई पुष्पा राव द्वारा प्रस्तुत अमीर खुसरो की कृष्ण पर लिखी रचना से। मुँह से बोलो ना बोल, मेरी सुन या अल्ला सुन मैं तो तोहे ना छोडूंगी रे सांवरे, मौरी सास ननंदिया फिरतौ फिरे मौसे फिरे क्यूं जाए सांवरे, मैं भी तो आई तौरी छाँव रे रही लाज शरम की बात कहाँ, जब प्रेम के फांदे दियो पाँव रे मौसे बोलो न बोल…. (यह बता देना उचित होगा कि सूफी पंरपरा में भक्त अपने आपको ईश्वर की प्रेमिका समझता है, इसीलिए सूफी गीतों के रचयिता भले ही पुरुष हों वे अपने आपको स्त्री के रूप में ही प्रस्तुत करते हैं) |
ज्ञान दर्पण पर है रतन सिंह शेखावत लेकर मैनेजर ताऊ और तीन लिफाफे
मेनेजर ताऊ ने सेठ के छोरे को खूब समझाया कि ये हिंदुस्तान है यहाँ सफल होने के लिए सिर्फ पढाई से काम नहीं चलता " पढाई के साथ गुणाई भी चाहिए जो विदेशों में नहीं सिर्फ ताऊ प्रबंधन विश्वविद्यालय में ही मिलती है जिसका पास आउट मै हूँ इसलिए मेरा कहना मान वर्ना इन चमचो के कहने से चलेगा तो तेरी ये कम्पनी एक दिन बंद हो जायेगी |
"ब्लॉगर मीट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" के निवास पर एक ब्लॉगर-मीट का आयोजन किया गया। जिसमे "ब्लागिंग का भविष्य" पर व्यापक चर्चा की गयी। चर्चा का प्रारम्भ खटीमा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष और "कर्मनाशा" नाम से ब्लॉग चलाने वाले डॉ.सिद्धेश्वर सिंह ने किया। इनके सुर में सुर मिलाते हुए राष्ट्रपति पद से अलंकृत "सरस पायस" के ब्लॉगर रावेंद्रकुमार रवि ने कहा कि हम लोग दस हजार रुपये प्रति वर्ष व्यय नेट पर व्यय करते हैं। इतना खर्च करके तो हम लोग एक बढ़िया लाइब्रेरी सजा सकते हैं
अब " नजर-ए-इनायत "
मौजू के जोग मौज करो......एक वर्कशाप में एक महिला ढीले ढाले कपडे पहिनाकर गई . वर्कशाप में एक कामगार ने उस महिला से कहा - मैडम इस वर्कशाप में ढीले ढले कपडे पहिनाकर आना माना है .ढीले कपडो का मशीनों से फंस जाने का डर रहता है . अब तो इंतजार बंद करो-आपका इंतजार करते, घंटे बीत गये, ये घंटे ऐसे लगते जैसे सदिया बीत गई। आपका इंतजार करते, ऑखे थक गई, ये आखे ऐसी लगती जैसे रात भर सोई नही । आपका इंतजार करते, दिल भी हार गया दिल भी कहता है अब तो इंतजार बंद करो बच्चन सिंह और बहू की विदा--एक बार की बात है कि गाँव में रहने वाले बच्चन सिंह की नयी नयी शादी हुई. शादी के कुछ दिनों बाद जो है अपनी बहू को लिवाने के लिए उनकी ससुराल से खबर आई. अब जो है बच्चन सिंह जो कि बहुत खाते थे, उनको उनकी अम्मा ने सख्त हिदायत दी कि देख बच्चू तू यहाँ तो बहुत तुम लिखो पापा...पिछले 4-5 महीने से कुछ भी लिखने का वक्त नहीं मिला, हिम्मत भी नहीं थी...बिटिया ने इतनी ताकत दी कि फिर कम से कम कुछ तो लिखने का मन किया...लाइनें अब आपके सामने हैं- एक रोज शिवी हाथ में पेंसिल लेकर आई दूसरे हाथ में एक पैड भी था बोली- पापा लिखो,
इस धनतेरस पर अपनी अम्मा जी के लिए नया टी0वी0 हम भाइयों ने खरीदा। हमारे कमरे में और हमारे छोटे भाई के कमरे में अपना-अपना टी0वी0 है। अम्मा जी अपने मनपसंद कार्यक्रम अपनी दोनों बहुओं के साथ बैठ कर देख लेतीं। सुबह के समय को छोड़ कर अन्य किसी समय में कार्यक दोस्तीआज मैंने अपने भगवान जी पर एक एहसान किया मन में फुदक आयी एक अनरगल इच्छा को भगवान जी से बिना कहे मन ही में खुरच खुरच कर , खिरच खिरच कर खत्म कर दिया ! शाम को रोज की बात चीत में यह सब उनसे कह खुश हुआ । रोज की तरह वे भी कुछ बोले नहीं बस थोड़ा सा
देश में हर साल चार लाख बच्चों को निगल जाता है निमोनिया चुनिन्दा तथ्यों को लिखने का रिवाज़ हैहम कितने ईमानदार होते हैं अक्सर...बायोडाटा, अपना प्रोफाइल और अन्या जानकारियां देते वक्त...। विस्वावा शिम्बोर्स्का की यह कविता यूं ही तो याद नहीं आ गई न...। खै़र पढि़ए, अनुवाद अशोक पांडे का है, हां वही कबाड़ख़ाना वाले। बायोडाटा लिखना क्या किया जाना बापू और राजनीतिडॉ 0 गिरिधारी राम गौंझू ‘‘ गिरिराज ’’ महामना विश्व वन्दय महात्मा गांधी का जीवन ही विश्व मानव के लिए एक महान संदेश है। बापू ने जीवन भर सत्य का अन्वेषण किया तथा तत्कालीन समय में जो सत्य प्रतीत हुआ उसी का पालन अपने जीवन में प्रयोग किया। विज्ञान कथा के इतिहास का वह चिर स्मरणीय वार्तालाप ....डॉ अरविन्द दुबे एक अच्छे विज्ञान कथाकार हैं उन्होंने यहाँ एक भावपूर्ण आलेख लिखा है और एक वयोवृद्ध (?) विज्ञान कथाकार की चुटकी लेना नहीं चूके हैं जिसने विज्ञान कथाये लिखनी बहुत कम कर दी हैं ! यह पढ़कर मुझे एक वृत्तांत की याद …….. ......और अब बची खुची भी ! चिट्ठाकारी की दुनिया की एक अर्ध दिवसीय रिपोर्ट !दूसरे दिन का सत्र तो शुरू होना था १०.३० पर मगर शुरू हो पाया ११.३० बजे ! प्रियंकर जी सत्र अध्यक्ष बने ! वक्ता ,मसिजीवी ,गिरिजेश राव ,विनीत ,हेमंत कुमार ,हिमांशु और मैं !संचालक रहे इरफान ! यह सत्र अध्यक्षीय अनुशासन और कुशल संचालन से देर से शुरू होने मैंने भी अनगिनित गलतियाँ की हैं।कई काम ऐसे होते हैं जिन्हें करने से पहले ही हमें पता होता है कि कुछ न कुछ गलती तो होगी ही। किन्तु फिर भी वह काम कर ही डालते हैं,क्योंकि यदि गलती के भय से काम करना छोड़ बैलों का त्योहार..!दरअसल यह मनुष्यों का नहीं बैलों का त्योहार है।
खर्चा उठाने को तैयार हो तो विजेता घोषित किया जायेगा ब्लॉग श्री , ब्लॉग भूषण ,ब्लॉग विभूषण और ब्लॉग रत्नब्लागर बनते हो इलाहाबाद से बुलावा आया नहीं और हमें कह रहे हो ब्लॉग लिखता हूँ . भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा ब्लॉग . पता चल गई अपनी औकात खाली टाइम खोटी करते हो . ऐसी कुछ आवाज़ कई लोगो के अंदर से निकल रही होगी शायद वन के लिये प्रस्थान - अयोध्याकाण्ड (10)जैसे कि महाराज ने आज्ञा दी थी, सुमन्त रथ ले आये। राम, सीता और लक्ष्मण ने वहाँ पर उपस्थित परिजनों तथा जनसमुदाय का यथोचित अभिवादन किया और रथ पर बैठकर चलने को उद्यत हुये। सुमन्त के द्वारा रथ हाँकना आरम्भ करते ही अयोध्या के लाखों नागरिकों ने 'हा राम |
ब्लागजगत में नए चिट्ठे
समाज का सच
नक्सली देश के सबसे बड़े फिरौती माफियाओं में से एक हैं,
25 साल तक उग्रवाद से जूझते असम में अपनी जिम्मेदारियां निभाने के बाद 1984 में गिल को पंजाब का जिम्मा सौंपा गया था. उनके सामने बड़े मुश्किल हालात थे. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद एके-47 लेकर चलने वाले खाड़कुओं (उग्रवादी) की संख्या में बढ़ोतरी ही हुई थी और पंजाब का उग्रवाद पूरे भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर असर डाल रहा था. ऐसे में गिल ने आईजी का पद संभाला. चार साल बाद ही उन्हें राज्य का शीर्ष पुलिस अधिकारी बना दिया गया. ऊंची कद-काठी के इस सरदार ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला और उस पुलिस बल में एक नई जान फूंक दी जो न सिर्फ उग्रवादियों से घबराया हुआ था बल्कि उनसे कुछ-कुछ सहानुभूति भी रखता था. गिल के नेतृत्व में पंजाब पुलिस ने उग्रवादियों के छक्के छुड़ा दिए. जल्द ही उग्रवादियों ने वही पुराना पैंतरा खेला और दूसरी लड़ाई के लिए स्वर्ण मंदिर के भीतर छिप गए.
जैसे मौत एक ख्याल है वैसे जिंदगी एक ख्याल है, न सुख है न दुःख है न दीन है न दुनिया, सिर्फ मैं हूँ, मैं हूँ, सिर्फ मैं | " ये पंक्तियाँ हिंदी फिल्म गाइड से ली हुई है, फिल्म में तो वैसे बहुत कुछ है, पर मुझे सबसे ज्यादा यही पसंद आती है | कृष्ण, कौन है ये, एक नाम, या कोई भगवान, या कोई विचारक, जिसके विचार सारी दुनिया में चर्चित है| सबका अपना अपना मानना है, मैंने कृष्ण को कई रूप में देखा है, नहीं नहीं इसका मतलब ये नहीं की मैंने उन्हें वास्तविक्ता में देखा है, मैंने उन्हें भारत में कई पहलुओं में देखा है | कोई उनको भगवान मानके पूजता है तो कोई अपना अब कुछ मान के, कोई उनके विचारों को पत्थर की लकीर मानता है तो कोई उन्हें मार्गदर्शक कहता है| कहते है की उनके करोड़ नाम है, पता तो मुझे भी नहीं है, परन्तु मेरे लिए कृष्ण एक विचार है | जिसके बारे में जितना चिंतन करो उतना कम है | मैं कई बार सोचता हूँ,
चर्चा का ये अंक समाप्त करने की दीजिये इजाजत
नमस्कार
27 comments:
पूरी ज्ञान की पोटली है ये चर्चा.....पंकज जी को बधाइयाँ...
अच्छा सयोंजन है -परिश्रम से किया हुआ !
वाह...वाह मिश्रा जी!
हमारा जूता और आपका पैर।
बढ़िया शीर्षक लगाया है चर्चा का!
कमाल है!
रात को 11 बजे हमने पोस्ट लगाई
और
आपने इतनी अद्यतन पोस्ट को भी उठा लिया।
भई हमें तो चर्चा करने के लिए सुबह से ही तैयारी करनी पड़ती है।
मगर आप तो रात में 11 के बाद ही यह सब करते हैं।
क्योंकि रात 10 बजे तक तो
इस चर्चा के लिए एडिट-पोस्ट में कुछ था ही नही।
आपके श्रम को नमन!
बढ़िया और विस्तृत चर्चा |
बहुत लाजवाब और शानदार चर्चा. आपकी अथक मेहनत का परिणाम दिखने लगा है, रौनक बढती जा रही है.
रामराम.
डूब के लिखते हो भई चिट्ठा चर्चा....भले लाईव न हो तब पर भी सब की आवाज सी है... :)
ऐसे ही जारी रहो...कायल करना उद्देश्य नहीं था..मगर तुम्हारा स्नेह ही ऐसा है कि क्या कहे..बस, बनाये रखो. और अब अपने आप को नया कहना बंद करो...तुम्हारी वजह से मुख्य धारा वाले नये टाईप लगने लगे हैं...क्या प्रताप है कि सब पानी भरें...हा हा...जारी रहो...
असीम खुशी होती है यह साहसी आयाम देख.
लाजवाब रही ये चिटठा चर्चा भी ...!!
बढ़िया।
लगन से तैयार चर्चा सराहनीय
बी एस पाबला
कुछ अच्छी कड़ियाँ पढ़ने को मिल गईं ।
भई हमें तो चर्चा करने के लिए सुबह से ही तैयारी करनी पड़ती है।
मगर आप तो रात में 11 के बाद ही यह सब करते हैं।
क्योंकि रात 10 बजे तक तो
इस चर्चा के लिए एडिट-पोस्ट में कुछ था ही नही।
आपके श्रम को नमन!
sahi hai bahi !!Sahi kaha Daactr sa'ab ne
aur ye wala comment
आपकी अथक मेहनत का परिणाम दिखने लगा है, रौनक बढती जा रही है.
Main akela hi chala tha....
jaake link dekhta hoon abhi...
मेहनत के साथ की गई चर्चा . आपकी मेहनत एक दिन जरुर रंग लायेगी. शुभकामनाओ के साथ.
bahut achchi lagi yeh charcha.... shaandaar........
लगन से तैयार की गई चिट्ठाचर्चा
पंकज जी, सर्वप्रथम आपका हार्दिक शुक्रिया कि आपने मेरी कथा को अपनी चर्चा में अहमियत दी ! और उसके बाद एक और सुन्दर चर्चा के लिए बधाई !
बहुत ही सुन्दर संयोजन, बधाई ।
बहुत बडिया है आज की चर्चा। पंकज जी आपके प्रिश्रम की दाद देनी पडेगी। धन्यवाद और शुभकामनायें
बधाई इस लाजवाब चिट्ठा चर्चा के लिए....एकदम बढिया!!
kayal to ham bhi aapki kayaliyat ke ho gaye hain.. aur to aur aaj bhrasht logon (gireesh ji!!) se bhi pahli dafa mulakat hui... aapki mehnat ko salaam..
आपने बडी ही खुबसूरती से चिठ्ठा चर्चा को प्रस्तुत करी है ......कुछ नये लोगो से रुबरु कर वाने के लिये.......बधाई!
Pankaj जी .. आज तो कई नए नए chitthon से mulaakat हो गयी ......... achhee है charcha ........
बहुत सुंदर चर्चा किया आपने .. बधाई !!
अत्यन्त शानदार चर्चा!
एक साथ सारे अच्छे लिंक्स मिल गए, धन्यवाद!
laajawaab charcha ...
दर्शनीय और पठनीय चर्चा के लिये बधाई नये ब्लॉगर्स का स्वागत ।
वाह पंकज जी..आज बड़ा लाइट-मूड रहा शामिल चिट्ठों का..और चर्चा का भी!!
ACHCHHAA LAGA LAGE RAHIYE
इस लगन श्रद्धा पे हैरान हो जाता हूं। चर्चा पे की गयी मेहनत साफ दिख रही है।
बहुत खूब!
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