नमस्कार , चर्चाहिंदी चिट्ठो के इस अंक के साथ मै पंकज मिश्रा ......पिछले सप्ताह आपको बताया था कि इस सप्ताह हमारे अतिथि पोस्ट की शुरुआत श्री ताउजी करेगे लेकिन इसी समय अहमदाबाद में गधा सम्मलेन होरहा है .....और ताउजी वहा चले गए है लाइव रिपोर्टिंग के लिए अतः इस सप्ताह का अतिथि पोस्ट कैंसिल हो गया है .....आप हर रोज गधा सम्मलेन की आँखों देखा हाल पढ़ सकते है ताउजी के ब्लॉग पर ....
अब चर्चा की शुरुआत भी ताउजी के ही ब्लॉग से…….बाबा कायलदास प्रवचनम : खूंटे पै सम्मेलनम…………………….
एक भाषा के भग्नावशेष
कहते हैं कि कुछ ही सालों में दुनिया भर में केवल आठ दस भाषायें बचेगी. ये मेंडारिन (चीनी), अंगरेजी, स्पेनिश, बांग्ला, हिंदी, पुर्तगाली, रूसी और जापानी आदि हैं। इनमें भी अंगरेजी तो सबके सिर पर सवार है ही. कुछ लोग कहते हैं कि इसमें बुरा क्या है, जितनी कम भाषायें उतना अच्छा संवाद. पर भाषा क्या केवल संवाद है ? भाषा संस्कृति भी है और इतिहास भी. जब कोई बज्जिका बोलता है तो वह बज्जि संघ की लोकतांत्रिक पम्पराओं को, आम्रपली के इतिहास को आगे बढा रहा होता है. जब कोई बनारस के घाट पर सुबह सुबह संस्कृत के वही मंत्र उच्चारित ( भले ही बिना उन्हें समझे, हाँ! समझने लगे तो फिर कहना ही क्या! ) करता है जो तीन हजार पहले उसके पूर्वज करते थे तो वह इतिहास के गौरवशाली पन्ने पलटता है और भाषाओं के उद्घाटित न होने से इतिहास के खो जाने का भय नहीं होता. एक भाषा की मौत के साथ वहाँ के जीवन की विशिष्टता और सांस्कृतिक धरोहरें भी काल कलवित हो जाती है. इजिप्ट का उदारहण देखे, वहाँ की भाषा के साथ वहाँ का इतिहास भी सहारा के रेत में खो गया |
हासिल..मैं पूछता हूँ जिन्दगी से | ज़िन्दगीकि सी ने ख्वाब भी बनाया |
जिन्दगी के रंग पर पढिये ये कैसे माओवादी हैं जो राजधानी एक्सप्रेस में रोटी और कंबल लूटते हैं
बुधवार की सुबह से ही खबरें आ रही हैं कि दिल्ली की केंद्र सरकार उच्च स्तरीय बैठक कर रही है। चिदंबरम साब पहले ही सेना और अर्धसैनिक बलों के माध्यम से लड़ाई लड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह से सरकार गरीबों पर गोलियां चलाकर गरीबी खत्म कर पाती है। और किस हद तक। सवाल यह भी है कि जिन आदिवासी इलाकों में आजतक सड़कें, रेल, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, पुलिस व्यवस्था बहाल नहीं की जा सकी, वहां अब सरकार सेना को कैसे पहुंचाती है और इन इलाकों के लोगों के ऊपर गोलियां चलवाकर किस तरह से हिंसक आंदोलन को खत्म करती है।
दिखने वाली शायरी ताऊ के लिये (Visual Shayari Taau ke liye)
जी.के. अवधिया ----
अधिकतर व्यक्तियों के मृत्यु निकट अनुभव निम्न क्रम में पाये गये हैं। |
मृत्यु निकट अनुभव……………………….
आज बच्चन जी की एक और कविता -तब रोक न पाया मैं आँसू !
तब रोक न पाया मैं आंसू ! जिसके पीछे पागल होकर मैं दौड़ा अपने जीवन भर , अब मृगजल में परिवर्तित हो मुझपर मेरा अरमान हंसा तब रोक न पाया मैं आंसू ! जिसमें अपने प्राणों को भर कर देना चाहा अजर अमर , जब विस्मृति के पीछे छिपकर मुझ पर मेरा वह गान हंसा तब रोक न पाया मैं आँसू |
बिछोह की पीडा़ का टोटल रिकॊल - मदन मोहन का संगीत
दूसरा गीत है, मुझे याद करने वाले, तेरे साथ साथ हूं मैं - जो फ़िल्म रिश्ते नाते के लिये मदनजी नें ही सुरों से संवारा है. ना जाने क्यों , हसरत जी का लिखा हुआ ये गाना संवेदनाओं के सभी बंधन तोड गया.ये गाना भी लताजी नें ही गाया है, और इसमें भी मुझे जयकिशन जी के कहीं कहीं दर्शन होते हैं(शायद आम्रपाली का गीत तुम्हे याद करते करते कुछ इसी जोनर का है)वैसे लताजी के बारे में बार बार क्या कहना? उनके अलावा और कोई ये गीत गा सकेगा - इतनी पीडा़ , उद्वेग और विरह की टीस की इतनी गहरी अभिव्यक्ति के साथ- यह संभव ही नहीं.और हसरत जी के बोल - एक एक शब्दों पर गौर करें और आहें भरने का हिसाब नहीं रख पायेंगे आप.
गज़ल सुनहरे हर्फों को दिल पर मेरे आकर सजाये कौन | लिखना हमारे होने का अहसास दिलाता है....ये किसके लिए लिखती हो ? |
उबुन्टू लिनक्स : मोबाइल फ़ोन से इन्टरनेट कैसे जोड़े
उबुन्टू इंस्टाल करने के बाद ब्रोडबैंड इन्टरनेट बिना किसी कॉन्फिगरेशन के चालू हो जाता है लेकिन यदि आप अपने मोबाइल से लिनक्स में इन्टरनेट चलाना चाहते है तो थोडी सी कॉन्फिगरेशन करनी पड़ेगी जबकि विण्डो एक्सपी में संबंधित मोबाइल का पीसी सोफ्टवेयर इंस्टाल करना पड़ता है | लिनक्स में यह बहुत आसान है
नखरेवाली
दिल फिर मचलने लगा |
आइये इन्हें पहचानें (अविनाश वाचस्पति)
हाँकोगे तो हाँफोगे
विवाह के तुरन्त बाद ही मुझे एक विशेष सलाह दी गयी: गूढ़ मन्त्र समझ में आने में समय लगता है| हर बार विचार करने में एक नया आयाम सामने आता है। कुछ मन्त्र तो सिद्ध करने में जीवन निकल जाते हैं। |
आज तबियत नासाज होने की वजह से बाकी के कालम की चर्चानही कर पा रहा हु .....माफी
नमस्ते
26 comments:
हमेशा की तरह शानदार चर्चा :)
बहुत उम्दा चर्चा...बस, हमारे आलेख के पहले आ गई वरना हम तो होते न यहाँ. :)
आप की चर्चा के माध्यम से ब्लॉगरी की विविधता और समृद्धि के जांने कितने आयाम एक साथ दिख जाते हैं। आभार।
तबियत नासाज न कराइए। थोड़ा ठहर कर चर्चा करिए - एक दिन के अंतराल पर ही सही। हमलोग तब भी लाभांवित होंगे। ऐसी भी क्या जल्दी है!
शानदार चर्चा
बहुत मनोहारी और सुंदर चर्चा की आपने. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
-ताऊ
(अहमदाबाद गधा सम्मेलन से)
मनोहारी सुंदर चर्चा.
खुंटे पर चर्चा रही शानदार-जानदार-आभार
ये तो गलत है भाई. अभी अलाहाबद में भी कुछ ऐसा ही सन्मेलन हुआ था. ताऊ को उसकी भी रिपोर्टिंग करनी चहिये थी.
चलो, वो कमी यहां पूरी हो जायेगी.
तबीयत का साज ठीक से बजाया कीजिए
सारा समय ब्लॉगिंग पर ही न बिताया कीजिए
हो जाएं नाराज जिनकी न हुई हो चिट्ठा चर्चा आज
पर अपने कंप्यूटर और इंटरनेट पर रहम खाया कीजिए।
चर्चा हिंदी चिठ्ठों की में संगीतपर भी चर्चा देखकर खुशी हुई.
धन्यवाद के पात्र है आप.आपका ये बढियां कंसेप्ट, जहां एक ही जगह इतना सारा, विविध रंगों मे रंगी हुई दुनिया के दर्शन होते हैं.लिंक के कारण हमें वहां पहुंचने के लिये मशक्कत से भी बच जाते हैं.
पंकज जी आपका काम तो इस हफ्ते बहुत ही रहा...पर फिर भी गुणवत्ता पर आंच नहीं आने दी आपने...बधाई....
bahut hi sundar charcha rahi............badhayi.
kai rachnayein to bahut hi badhiya rahi.
पंकज भाई वाकई में मजेदार थी यह चर्चा ।
वाह भाई वाह ..... आज की चर्चा तो सारे रिकॉर्ड तोड़ गयी .......... मज़ा आ गया ..........
पंकज, घोडे बेच के तो लोग सोते हैं मगर क्या गधे बेच कर ताऊ भी सो गए ? उन्हें जगाईए न जल्दी !
आज की चर्चा तो घणी मजेदार रही......बिल्कुल ताऊ की तरह :)
jaldi thik ho jaiye.......warna meri kalam charchit nahi hogi........
वाह, हांकने/हांफने का मन्त्र प्रवीण ने दिया और फोटो मेरी चिपक गयी!
badhiya charcha..
baal katwa kar savera karne ka iraada to nek hai... tau ji!!!!
Pankaj bhai aaj chittha charcha to behterin thi hi us par wo ubantu wala link de kar aapne badi kripa ki !!
waise aap bhi to bada technical gyaan rakhte hain....
main ubantu install karna chahta hoon kuch to jaankari doge na ji?
वाह, फिर एक खूबसूरत चर्चा के लिये बधाई, तबियत को क्या हुआ पंकज साहब, अब कैसी है?
स्वास्थ्य के लिये शुभकामनाएं!
काबिले तारीफ़ चर्चा!
बहुत अच्छी चर्चा है बधाई
बहुत अच्छी चर्चा है...
हमतो तबियत से दिल का साज बजाते हैं
ब्लॉग्गिंग में जीते हैं ब्लॉग्गिंग में मर जाते हैं
पंकज बाबू पोस्ट पर घनी जुल्फों के बादल छाये हैं
बड़ी मुश्किल से बचते-बचते टिपण्णी देने आये हैं....
चर्चा में आये सभी चिट्ठाकारों को बधाई।
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