नमस्कार , पंकज मिश्रा ……….आपके साथ ……..चर्चा हिन्दी चिट्ठो मे ………
शुरुआत , समीर लाल “ समीर “ जी के ब्लाग से ……आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं.. से …
कभी खाली वक्त में वह जड़ों को याद भी करता, फोन लगता उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश में ध्वनि तरंगों के माध्यम से किन्तु ध्वनि तरंगो में वह जुड़ाव कहाँ कि कुछ भी जुड़ सके. न स्पर्श और न गंध. शीघ्र ही वायुमंडल में वह विलुप्त हो जाती और जीवन फिर अपने उसी ढ़र्रे पर चल निकलता.
बच्चे बड़े हुए. अपने अपने काम काजों से लग गये और एक बार फिर वही, अब बच्चे घर से दूर अपने लिए बेहतर विकल्प तलाशते. आश्चर्य होता है सदियों से ऐसा देख कर कि बेहतर विकल्प घर से दूर ही होते हैं अक्सर, न जाने क्यूँ. किस बात के लिए बेहतर विकल्प- क्या रोजगार के लिए, स्वतंत्र जिन्दगी के लिए, नया कुछ जानने के लिए कि बस, एक नया रोमांच.
आगे मीनु खरे जी की कविता "फ़र्क़"
उसे भी पाला गया
मुझे भी पाला गया
उसने भी पढ़ा-लिखा
मैंने भी पढ़ा-लिखा
उसने भी सपने बुने
मैंने भी सपने बुने
उसने भी मेहनत की
मैंने भी मेहनत की
वो भी सफल बना
मैं भी सफल बनी
अब आगे बढते है स्मार्ट इंडियन के साथ और पढते है ... छोटन को उत्पात
बाबा तुलसीदास ने कहा था, "क्षमा बडन को चाहिए, छोटन को उत्पात." इस कथन में मुझे दो बाते दिखती हैं, पहली यह कि उत्पात छोटों का काम है. दूसरी बात यह है कि क्षमा (मांगना और करना दोनों ही) बड़े या शक्तिशाली का स्वभाव होना चाहिए. जब किसी राष्ट्र का सर्वोपरि मृत्युदंड पाए कैदियों को क्षमा करता है तो उसमें "क्षमा बडन को चाहिए" स्पष्ट दिखता है. अपराधी ने राष्ट्रपति के प्रति कोई अपराध नहीं किया था. फिर क्षमा राष्ट्रपति द्वारा क्यों? क्योंकि क्षमा शक्तिशाली ही कर सकता है. "क्षमा वीरस्य भूषणं" से भी यही बात ज़ाहिर होती है. भारतीय संस्कृति में तो एक बंदी छोड़ने का दिन भी होता था जब राजा सुधरे हुए अपराधियों की बाकी की सजा माफ़ कर देते थे.
आईये मिलिए पहली नायिका से .....(नायिका भेद )
आईये आपको सोलह नायिकाओं में से पहली नायिका से मिलवायें ! जरा इस विवरण/दृष्टांत को पढ़ लें -
प्रिय से सहसा यह सुनकर कि वे विदेश जा रहे हैं प्रियतमा सिहर उठी ,चेहरा म्लान हो उठा .उसकी यह स्थिति देख प्रिय ने ढाढस बंधाया , उसे बाहों में भर बोल उठा -
" प्रिये धीरज रखो ,मैं जल्दी ही लौट आऊंगा ''
"प्रिये कहते हुए आपको तनिक भी लज्जा नहीं आती ,मुझे जब मधु ऋतु में यूं छोड़ के जा रहे हैं तो मुझे प्रिये नहीं दुष्टा या वन्या कहिये !"
माँ को इज्जत देनें मे अगर शर्म आती है तो कहीं डुब मरो
हमारे यहाँ या कहिए विश्व भर में हर देश के अन्दर बहुत से जन जाती और धर्म के लोग रहते है। उनका हर क्रिया कलाप एक दुसरे धर्म के पुरक होता है। यहीं इन सबको एक राष्ट्र और एक देश मे बाँधने का काम करता है राष्ट्र गीत या राष्ट्र गान। लेकिन बड़े दुख की बात है हमारे देश में कुछ गलत अवधारणा के लोगो नें राष्ट्र गीत को विवादित कर दिया है। मान लेता हूँ कि राष्ट्रियता जताने के लिए राष्ट्रगान करना आवश्यक नहीं है, लेकिन भला ऐसा हो सकता है क्या ? आप भारत में रहकर पाकिस्तान जिन्दाबाद कहें और फीर कहें कि मैंने भारत मुर्दाबाद नहीं कहा तो कोई विश्वास करेगा क्या ?।
"चीन की सीमा तक जा पाओगे?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
जी हाँ !
यह वो पुल है जो पिछले दो वर्षों से टूटा पड़ा है। सन् 2007 में बरसात में इसका एक छोर 200 मीटर बह गया था। जगबूढ़ा नदी सड़क काटकर पुल से अलग बहने लगी थी। तीन माह तक चम्पावत जिले का सम्बन्ध सारे देश से कट गया था। टनकपुर डिपो कार्यशाला की आधी बसें टनकपुर डिपो में कैद थी तो आधी बसें पुल के इस पार थीं। जिनके लिए नानकमत्ता बस-स्टैण्ड को अस्थायी कार्यशाला बनाना पड़ा था। परन्तु न तो उत्तराखण्ड सरकार के कान पर जूँ रेंगी तथा न ही केन्द्र सरकार ने इसकी कोई सुध ली।
जिन्दगी ज़हीन हो गयी..जिन्दगी ज़हीन हो गयी | न सुनने की बीमारी है ...खामोशियों पे तनहाई आज भारी है, हम ही जाने कैसे रात गुजारी है । कान तरसते रहे सुनने को आवाज, हर आहट पे चौकता ये हर बारी है । मेरे कहते – कहते लब सूख गये, तुझको तो न सुनने की बीमारी है । नजरों को झुका लेगा या मुंह फेरेगा, |
अपने राकेश भाई …..ने अमेरिका से लिखा है कि ….क्या इस रात की कोई सुबह नहीं ?
कब तक हम हिंदी को यूँ ही बेइज्जत होते देखते रहेंगे ?आखिर कब तक हिंदी प्रेमी संघर्ष करते रहेंगे ?
क्या इस रात की कोई सुबह नहीं ?
क्या हिंदी के मरने पर ही संघर्ष समाप्त होंगे ?
हम तो हिंदी की सेवा का संकल्प ले बैठे हैं,
और संकल्प तो अगले जन्म मैं भी साथ जायेगी |
शायद अगले जन्म मैं संघर्ष ना हो, पर सेवा और प्रेम तो रहेगी !
अदा बहन ने लिखा है …..बाहुबली की बेटी....(भाग--२)
जानती थी, मेरे लिए जय से बात करना बहुत जरूरी था, बस मैं मौका देख कर बात करना चाहती थी, अगर बाकी दोनों भाइयों को पता चला तो भ्रात्रिप्रेम जाग उठेगा, वैसे भी एक बॉडी-बिल्डर है दूसरा वेट-लिफ्टर , और इस समय मुझे इन दोनों की आवश्यकता नहीं थी, खाना खाकर सब अपने-अपने कमरे में चले गए, मैंने जय के कमरे का रुख किया, वो मच्छरदानी गिरा कर सोने ही जा रहा था, मुझे देख बैठ गया, मैं भी पलंग पर बैठ गयी, मैं समझ नहीं पारही थी की यह बात शुरू कैसे करूँ, मुझे चुप देख कर जय बोला 'क्या बात है दीदी' ? मैंने कहा बात तो है , अच्छा यह बताओ उमा को कब से जानते हो ? जय का चेहरा कनपट्टी तक लाल हो गया, बोला कौन उमा ? मुझे गुस्सा आ गया, मैंने कहा देखो बेकार बातों के लिए टाइम नहीं है, पता है आज वो घर आई थी, जय को जैसे किसी ने करेंट छुआ दिया हो, उछल कर वो खडा हो गया, यहाँ आई थी ? यहाँ.....? हाँ बाबा यहाँ आई थी और यहाँ से जाना ही नहीं चाहती थी
ब्रेड खाने वाले भाईयो साव्धान!!! ब्रेड में है जहर
भ्रष्टाचार : नासूर बनता एक रोग...
इस देश में बिल्कुल निम्न स्तर से शुरू होकर उच्च से उच्च या कहें कि कई बार सर्वोच्च स्तर तक भ्रष्टाचार की पैठ रही है । इस देश में तो एक पूर्व प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर माना था कि भारत में भ्रष्टाचार का प्रभाव और प्रसार इतना अधिक है कि ..किसी भी सरकारी योजना का महज दो प्रतिशत ही उसके वास्तविक हकदार तक पहुंच पाता है और सारा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाता है । वहीं एक से अधिक बार तो खुद प्रधान मंत्री ही दर्जनों घपलों घोटालों मे संलिप्तता के आरोपी बने । भ्रष्टाचार के संदर्भ में एक अन्य पहलू ये है कि सबसे
आज के अतीत के झरोखे में अमिताभ बच्चन की पोस्ट हिम्मत और चाहत
भारत में मधुमेह - कितना प्यारा नाम है, पर जानलेवा - बढ़ रहा है, और बहुत तेजी से। चिंता होती है कि मेरी भी हालत वैसी ही तो नहीं हो जाएगी जैसी मेरे परिवार के और बुजुर्गों की हुई है। उम्मीद करता हूँ कि कुछ समय निकाल पाऊँगा, कसरत करने के लिए। बीमारी की सबसे बुरी चीज है बेसहारापन की भावना, जो इंसान को नपुंसक और जोशहीन बना के ही छोड़ती है।
रात चाँद की कोशिशें नाकाम हुई
घर-घर सा नहीं लगता तेरे बिना बिस्तर पर रेंगती है हजारों चीटियाँ खा जाएँगी मुझे लगता है तेरे बिना मेरा सूरज तो अब उगता ही नहीं उजियारा नही लगता है तेरे बिना रात चाँद की कोशिशें नाकाम हुई अमावश सा अंधियार है तेरे बिना | क्यों, होता है ये सबशोर शराबा एक तरफ है, एक तरफ खामोशी क्यों? प्रेम मुफ़्त है इस दुनिया में, फिर भी ये कंजूसी क्यों?? |
अब " नजर-ए-इनायत "
अमेरिका कहता है कि अब हम सब हिन्दू है ;….आपने मथुरा और अन्य धार्मिक स्थानों पर गोरी चमड़ी के श्रधालुओ को तो बड़ी मात्र में देखा ही होगा लेकिन यह जानकर आपको भी खुशी होगी कि अमेरिका में लोग तेजी से हिन्दू धर्म की और इसके प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद की महता को समझने लगे है
तो अब चलें ब्लॉगर डैशबोर्ड से गूगल डैशबोर्ड की ओर……अब समय आ गया है कि हम ब्लॉगर डैशबोर्ड की जगह सीधे गूगल डैशबोर्ड पर जाकर ब्लागरी या अन्य संबंधित काम करें। जी हां, गूगल ने नित नए उत्पाद और सेवाएं मुहैया कराने की अपनी कोशिशों को विस्तार देते हुए
क्या भारत में रणजी का सिर्फ मजाक भर ही है ?,,,,,,मै भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चल रहे क्रिकेट की बात नही कर रहा हूँ। मै आज बात करने जा रहा हूँ, मुम्बई और पंजाब के बीच खेले जा रहे रणजी किक्रेट मैच की। मै रणजी की बात कर रहा हूँ
हँस के गुजार दी कभी रो के गुजार दी……..
हँस के गुजार दी कभी रो के गुजार दी जिंदगी हमने तेरे,होके गुजार दी तुझको यकीन हो ना हो , लेकिन है सच यही हमने तो अपनी जिंदगी तुझपर निसार दी इश्क में तूफ़ान आना, लाज़मी, मालूम था कश्ती समंदर में तिरे भरोसे उतार दी चाँद तारों की तमन्ना की नहीं तेरे सिवा
बरसाती मेढक फिर टर्राने लगे……..ये शीर्षक मेरी ग़ज़ल के लिए नहीं मेरे लिए है...क्यूंकि ब्लॉगजगत में मेरा आना जाना बरसाती मेढकों कि तरह ही है ...क्या करें इस खानाबदोश ज़िन्दगी में कभी कभार ही अपने लिए समय चुरा पाते हैं ॥ फिर भी लगता है ये बरसात अगले कुछ महीने चलती रहेगी ... उसके आगे
खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी : (104) रामप्यारी,,,हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज से रामप्यारी शुरु कर रही है "खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी" यानि नो माडरेशन..नथिंग...सबके सामने रहेंगे सारे जवाब..नकल करना हो करिये..नो प्राबलम टू रामप्यारी....
ब्लाग्जगत मे नये चिट्ठे -
शास्त्री "मयंक"
"एक पहल"
"डायरेक्ट्री बनाने के लिए आपका सहयोग मिल रहा है " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मित्रों !
ब्लॉगर्स डायरेक्ट्री बनाने के लिए आपका सहयोग मिल रहा है
चलिये , निकलते है ….कल मिलेगे आपसे शायद हेमन्त भाई ……नही तो मै हु ना !
23 comments:
:)
wah saab wah!
गजबे ठोके हैं जी एकदमे तेदुलकर टाईप ..चौका छक्का लगाके ..
हमेशा की तरह आज भी बेहतरीन चर्चा की है आपने |
हर ब्लाग से चुना आपने गुलाब
आपकी चर्चा है लाजवाब
वन्दे मातरम! यह कैसा धर्म है जो राष्ट्र धर्म के आड़े आए?
बढ़िया
इसी बहाने कुछ और ब्लॉग पोस्ट लिंक मिल गए
बी एस पाबला
अच्छी चर्चा! यहाँ बहुत कुछ उल्लेखनीय मिल गया।
बहुत कुछ समेटती हुई चर्चा । आभार ।
badhiya charcha-aabhar
बहुत खुब भाई, इतने कम स्थान में आपने बहुत कुछ समेट दिया। बहुत-बहुत बधाई
बधाई हो ...
बहुत कुछ चर्चा की है आप ने ।
मयंक जी का प्रयास सराहनीय लगा
aaj to bahut hi badhiya post lagayi hain........badhayi
बहुत सार्थक चर्चा चल रही है, चलाए रखिए।
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परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
बहुत बढ़िया चर्चाएँ हैं।
आपको साधुवाद!
आज उप- चुनाव के चलते कुछ पढ़ नहीं पा रहा हूँ -बस एक नजर देख लिया
आज की इस चर्चा से कईं अच्छे लिंक मिले.....
बढिया रही ये चर्चा!!
इ पोस्ट पर धाँसू चिट्ठों का जवाब नहीं है
और पंकज बाबू तुम्हारा भी कोई जवाब नहीं है ...
सुन्दर समेकित चर्चा !
एक से बढ़ कर एक चिट्ठों की चर्चा किया है |
बहुत मिहनत की है ... चिट्ठों को खंघालने मैं | सुन्दर प्रस्तुति |
सारी पोस्ट्स एक से एक छाँटी आज..वाह
e mail to ja nahin rahi aapko
मेरे चिट्ठे देखें चर्चा योग्य पाएं तो चर्चा करें
http://gazalkbahane.blogspot.com/
http://katha-kavita.blogspot.com/
बढिया चर्चा लेखन !
सुन्दर चर्चा है ..........kaafi mitron से milna हो गया .........
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