ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का शुभारम्भ चाचा नेहरू की पोस्ट से करता हूँ।
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का शुभारम्भ चाचा नेहरू की पोस्ट से करता हूँ।
जरा देखिए तो सही कि 14 नवम्बर को बाल दिवस पर कितने चिट्ठाकारों ने अपनी कल़म चलाई है-
बाल-दिवस पर पं.जवाहरलाल नेहरू को
शत्-शत् नमन! आज से "सरस पायस" पूरी तरह से बच्चों का
आज बाल-दिवस है!
आज से "सरस पायस" पूरी तरह
से बच्चों का है!
अब इस पर प्रकाशित होनेवाली समस्त सामग्री
बच्चों से ही संबंधित हुआ करेगी!
दुनिया के सभी बच्चों को सरस प्यार!
नन्हे पंखों को बाल दिवस की शुभकामना नन्हे पंखों को बाल दिवस की ढेर सारी शुभकामना और आशीर्वाद। आपके संघर्ष से ऊपर वाला भी पिघले और आपको सामान्य बच्चों सी जिन्दगी दे। मेरी प्रार्थना है, हर बच्चा खुशहाल हो, हंसे, खिलखिलाए और वो सब पा ले जो चाहता है।
बचपन की तस्वीर कई मायनों में अलग हो गयी है आज बाल दिवस है। स्कूलों में कार्यक्रम होंगे। एक साल फिर बीत जाएगा। २-३ साल के बच्चे स्कूल जाना शुरू कर रहे हैं। उनसे उनकी जिंदगी छीनी जा रही है। फ्लैट सिस्टम में रहते हुए कोई कम्युनिकेशन सिस्टम नहीं विकसित होता है। बच्चे अपने आप में बड़े हो रहे हैं। हम अपनी कॉलोनियों के इर्द-गिर्द कॉलोनियां बसते देखते हैं। देख रहे हैं कि जहां पहले सात-आठ मैदान थे बच्चों के खेलने के लिए, आज वहां कंक्रीट के जंगल हैं। बच्चों से प्यार जताने की औपचारिकता से ऊपर उठकर सोचनेवाले लोग कम हो गए हैं। बच्चे समय से पहले बड़े हो जा रहे हैं। शोधों में पाया जा रहा है कि बचपन और जवानी की दहलीज के बीच की किशोरावस्था गायब हो जा रही है।
तीन मूर्ति भवन के बगीचे में पेड़-पौधों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर चाचा टहल रहे थे। तीन मूर्ति भवन प्रधानमंत्री का सरकारी निवास था और चाचा नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। पौधों पर छाई बहार से वे निहाल हो ही रहे थे कि उन्हें एक नन्हे बच्चे के बिलखने की आवाज आई। चाचा ने आस-पास देखा तो उन्हें झुरमुट में एक दो माह का बच्चा दिखाई दिया जो दहाड़े मारकर रो रहा था।
"बाल-दिवस" राष्ट्र-नायक पं. नेहरू को शत्-शत् नमन!!
अब नहीं होती बाल सभाएं, केवल एक दिन चाचा नेहरू आते हैं याद आप अपने बचपन को याद कीजिए। बचपन में चले जाईए। स्कूल के वो दिन याद करें, जब हर शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल सभा होती, बाल सभा की तैयारी जोरों से की जाती। याद करें वो नजारा, जब मास्टर जी नाम पुकारते और कविता, कहानी, चुटकुले आदि पढऩे के लिए बाल सभा में बकायदा बुलाते। याद करें उस लम्हे को जब मास्टरजी उन दोस्तों को जबरन बाल सभा में खड़ा कर बुलवाते, कुछ भी कहने के लिए प्रेरित करते...................
बाल दिवस -जेल की कोठरी से पिता द्वारा शिक्षा प्यारे बच्चो , जैसा कि तुम सब जानते हो , आज बाल दिवस है , और छुट्टी भी मतलब (double masti ) दुगना मजा . आज का दिन तो तुम सब को पता है कि चाचा नेहरू के जन्म दिन पर मनाया जाता है , वो बच्चों को बहुत - बहुत प्यार करते थे . प्यार तो नीलम आंटी भी आप सब को...... "बाल-दिवस ऐसे मना!"
बबली (उर्मि चक्रवर्ती)
नेहरू जी का है आज जन्मदिवस,
उनके प्रति श्रद्धा का है मन में निवास,
सभी बच्चों के,
जिनके अटूट प्यार !
उठ जा बाबु आंखी खोल आज बालदिवस पर 36 गढ़ी भाषा में लिखी अपनी एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूं, और साथ ही साथ इसमें प्रयुक्त कुछ विशेष शब्दों के अर्थ भी दे रहा हूँ.
उठ जा बाबु आंखी खोल
होगे बिहनिया हल्ला बोल
फूसमुंहा तैं बासी खाबे
थारी धर के स्कूल जाबे
स्कुल जा के पट्टी फोर
अऊ पेन्सिल ला कसके घोर........
बाल दिवस-विशेष कविता margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;">
आज के बच्चे
कल के नेता
स्कूलों की सफेद ...........दीवारों पर
बाल दिवस १४ नवम्बर अपनी जवानी+अधेडावस्था में भारत की आज़ादी के लिए जंग लड़ कर पहले पी.एम्.बनने वाले जवाहर लाल [चाचा]नेहरू के १२०वे जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जारहाहैशिषणसंस्थाओं में फैंसीड्रेस शो हो रहे हैं कुछ संस्थाओं में माह का दूसरा [१४११२००९]शानिवासरिया अवकाश के कारण एक दिन पहले [१३११२००९]ही बाल दिवस मनायागया केन्द्र [विशेषकर]सरकार के मंत्रालयों ने भारी भरकम विग्यापनछपवा कर नेहरू+केन्द्र सरकार के प्रति कृतघ्नता प्रगट की इसके साथ ही मीडिया में आने के...
आज बाल दिवस है
बच्चों का एक पूरा दिन
आज कुछ लिखना है बच्चों के बारे में
जिसे बड़े पढ़ सकें
कुछ लिखना है बच्चों के लिए 'बुढ़िया कबड्डी' और बचपन के वे अनमोल दिन .....तो आज है बच्चों का दिन यानि बाल दिवस ! तो क्यूँ ना इस दिन बचपन की कुछ बातों को साझा किया जाए एक बेहद दिलअज़ीज़ गीत के साथ। समय के साथ कितना बदल गया है तब और आज का बचपन। तब भी मस्तियाँ और शैतानियाँ होती थीं और आज भी। फर्क आया है इनके तौर तरीकों में, तब के और आज के माहौल में। बचपन की स्मृतियों पर नज़र दौड़ाऊँ तो बहुत सारी बातेंअनायास ही मन में आती हैं।.....
जिसे बच्चे पढ़ सकें।
बाल दिवस पर बाल की खाल
बाल दिवस जिनका बाल दिवस होता ,कैसे बच्चे होते हैं ?खाने के ढाबे पर अब भी ,बरतन बच्चे धोते हैं ||
भूख ,गरीबी ,लाचारी में ,जीवन इनका बीत रहा |
जाने कितने नौनिहाल बस पेट पकड़कर सोते हैं ||
कौन लिख रहा है इन नौनिहालों की तकदीर ?? अगर वास्तव में बच्चे किसी देश का भविष्य है तो भारत का भविष्य अंधकारमय है। भविष्य का भारत अनपढ़, दुर्बल और लाचार है। कोई भी इनका अपहरण, अंग-भंग, यौन शोषण कर सकता है और बंधुआ बना सकता है।........... इन बच्चों का दिवस कब आयेगा भारत देश में
फूल से होते बच्चे प्यारे,
भारत वर्ष के न्यारे-न्यारे,
इन में ही तो भविष्य छिपा है,
होंगें देश के वारे-न्यारे।..........
फरियाद
काली कोट में लाल गुलाब,
चाचा तुमको करते याद,
बाल दिवस हम संग मनायें,
बस इतनी सुन लो फ़रियाद।..........
मुझे चांद चाहिए
उफ़ .... ! रोटी कपडा और मकान का जद्दो-जहद जज़्बात पर भी लगाम लगा देता है। अब देखिये न.... अब देखिये न.... आज सुबह से ही मुझे लग रहा था कि कुछ विशेष
अवसर है.... लेकिन इसके लिए भी फुरसत मे बैठना पड़ा. फिर याद आया..... आइला... ! आज तो चाचा नेहरु का बर्थ-डे है... ! अरे वही बच्चों के प्यारे चाचा पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म-दिवस !! ओये.... ! चाचा नेहरु का जन्म-दिन.... !!! फिर तो आज बाल-दिवस भी है... !! तो चलिए फिर, 'जहां बच्चों का संग, वहाँ बाजे मृदंग !' आज सजाते हैं बालबारी !!!
14 नवम्बर, 2009 की रात्रि 9-30 तक प्रकाशित पोस्ट! यदि किसी की पोस्ट आज की चर्चा में आने से भूलवश् छूट गई हो तो कृपा कर इसे मानवीय भूल समझकर क्षमा करेंगे! आज के लिए इतना ही!
अंत में इतना ही कहूँगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा? अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये......
कल फिर आपकी सेवा में हमारे कोई साथी कुछ और चिट्ठों की चर्चाएँ लेकर उपस्थित होंगे.............................................धन्यवाद! नमस्कार !!
25 comments:
वाकई बहुत ही मनमोहक विशेषांक बनाया है आज का तो आपने... और चित्रों ने तो इसमें रंग भरने जैसा काम किया... दिल से..... आप की मेहनत और लगन को सलाम..
जय हिंद...
ब्लॉगजगत की यह एक विशिष्टता है और इस पर ब्लॉग-परिवार को गर्व भी होना चाहिए..कि किसी खास मुद्दे या अवसर पर यहाँ पर अख़बारों के मुकाबले ज्यादा लेखन और ज्यादा बहस होती है. कई बार तो कई प्रमुख समाचार भी किसी न्यूज चैनेल या अखबार से पहले हमारे ब्लागर भाई उसे प्रस्तुत कर देते हैं..
बाल दिवस ब्लोगिंग को समर्पित यह "चर्चा" अपने आप में इसका प्रमाण है कि ब्लॉगजगत में मुद्दों के लिए कहीं ज्यादा स्पेस, बहस की बेहतर गुन्जाईस और व्यापक संवेदनशीलता है.
सुन्दर व प्रखर चर्चा...
बहुत अच्छा विशेषांक। बधाई।
हमने भी एक प्रयास किया है।
बढ़िया प्रस्तुति ! चर्चा की फोर्मेटिंग कुछ और सही होनी चाहिए और मुझे लगता है यह जिम्मेदारी एडमिनिस्ट्रेटर को उठानी चाहिए | पेज से बाहर जा रहे चित्र कम सही दीखते है | बधाई नए अंक की !!!
चर्चा मोहक रही । शायद पंकज अपनी अतिशय व्यस्तता के कारण कुछ कम ध्यान दे पा रहे हैं, नहीं तो सजावट और कोड्स के तो माहिर हैं वो ।
चर्चा मोहक रही । शायद पंकज अपनी अतिशय व्यस्तता के कारण कुछ कम ध्यान दे पा रहे हैं, नहीं तो सजावट और कोड्स के तो माहिर हैं वो ।
achhi charcha...........
शास्त्री जी हमारी तो दो पोस्ट लगी है "बाल दिवस" पर
बधाई हो।
शास्त्री जी, एक बार फ़िर चर्चा में मेरे ब्लॉग को समलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
अच्छी और सामयिक रही आज की चर्चा,शास्त्री जी बधाई आपको।
बाल दिवस विशेषांक । बढिया संग्रह किया आपने , बाल दिवस पर लिखी गई पोस्टों का । धन्यवाद ।
bal diwas per sampurn charcha yaha par mil gayi...bal diwas ke saare pahluo ko darshati hui...
आज की चर्चा बहुत महत्त्वपूर्ण है!
आपका श्रम सार्थक हुआ!
आज तो अपडेट एडीटर ने बहुत ही परेशान किया।
काफी मसक्कत करने के बाद भी
पोस्टों के बीच का गैप दूर नही हो सका!
bahut hi badhiya visheshank hai.......aapne to bahut hi mehnat ki hai..........sach aap jo bhi kaam karte hain bahut dil se karte hain.......badhayi
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी ऎसा कई बार मेरे साथ भी हुया है, इस का सीधा इलाज आप लेख को एक बार पोस्ट कर दे, फ़िर कुछ पल बाद फ़िर से उसे ठीक करे, लेकिन फ़िर सेव ना करे सीधे ही पोस्ट कर दे, फ़िर यह पोस्ट के बीच का ्गैप नजर नही आये गा,
अच्छी प्रस्तुति तथा चिटठा चर्चा में मेरी कविता
बाल दिवस को स्थान देने के लिए आभार
हिमान्शु जी की बात सौ टका सही है...व्यस्तता अतिशय से भी अतिशयत है..चर्चा रोज देखता हु और कमेन्ट नही कर पा रहा हु ऐसी व्यस्तता है ....लेकिन आज जब कुछ एडमिनिस्ट्रेटर की जिम्मदारी की बात आयी तो मुझे रुकना पडा ...पहली बात तो मै ये बता दू की यहा सभी एडमिनिस्ट्रेटर है.
अब थोडा सा फ़ोटो सुधार कर दिया हु बाकी नही कर पाउगा ...समय की समस्या और गाव के लाईट की मेहरबानी :)
आप सभी को मेरा प्रणाम....
पंकज मिश्रा
सुन्दर व बाल दिवस पर बढ़िया रोचक चर्चा.....बधाई अच्छी चर्चा के लिए...
चाचा नेहरु की यादें अनमोल हैं बच्चों के लिए , उन यादों ने इस चिठ्ठे को मोहक बना दिया
बढ़िया चर्चा !
... प्रभावशाली प्रस्तुति !!!!
अच्छी चर्चा। शुक्रिया।
carcha ma shamil karane ke liye abhar...
बच्चों के प्रति हमारी संवेदनाओं की सुन्दर माला पिरोने के लिए आपको कोटिस: ध्न्यवाद। आप नई सोच के साहूकार हैं। लोगों को एक मंच पर लाने का आपका प्रयास सार्थक है। समीरजी को भी इसमें महारत हासिल है। मयंकजी आपको बधाई।
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