अंक : 80 आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " शरूआत 'कश्ती का खामोश सफर है ' से करते हैं- 'कश्ती का खामोश सफर है ' यह एक पुराना युगल गीत है.जिसे गायक कलाकार किशोर कुमार के साथ सुधा मल्होत्रा ने फ़िल्म 'गर्ल फ्रेंड 'के लिए गाया था.इस गीत को किस पर फिल्माया गया है यह तो नहीं मालूम । इस गीत के बारे में विस्तार से आप दिलीप कवठेकर जी की इस पोस्ट में पढ़ सकते हैं। दिलीप जी जो एक बहुतही अच्छे गायक हैं,उन्होंने इस गीत का karaoke ट्रैक ख़ुद तैयार किया है और उनके साथ इस युगल गीत में मैं ने अपना स्वर दिया है। आप उनके अन्य गीत उनके इस ब्लॉग पर सुन सकते हैं. इस गाने के बोल क्या हैं और क्या मूड है आप ख़ुद ही सुन लिजीये. जाने अन्जाने, कब न जाने प्रीत -प्यार के बहाने.. मेरे दिल पर तुम ने लिख दी प्यार की एक अमिट दास्तान.. उस नज़्म के लिखे शब्द अक्सर तन्हाई में मेरी.. मुझे तेरे प्रेम का राग सुनाते हैं..... वंदना बंद न कीजिए। आप राणा बरें न बनें, खुद को जयचंद न कीजिए।.. हिन्दी की नयी कविता में बच्चन के योगदान की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी वह नहीं हुई.जबकि गीतात्मकता और छंद को छोड़कर नयी कविता के सारे आधार वही थे, जो बच्चन की कविता के कविताओं के केन्द्रीय तत्व थे. नयी कविता, जिसने भारतीय कविता के मूल स्वभाव को बदल दिया में अनुभूति की प्रामाणिकता पर अधिक बल दिया गया और युग-सत्य और व्यक्ति सत्य के अन्तर्सम्बंध को सहज स्वीकार ही नहीं किया गया बल्कि स्थापित भी किया गया.यहां युग की व्यंजना व्यक्ति द्वारा अनुभूत थी. यहां व्यक्ति और समाज दोनों दो इकाइयां न थीं.अपने सहज उद्गारों को प्रकट करने के लिए शास्त्रीय भाषा के बदले बोल-चाल की भाषा प्रचलन में आयी.हालांकि सुसंस्कृत भाषा से इसका परहेज न था.... लालिमा शर्मकी छा जाती है अब भीकितना खुबसूरत होगा वो पल जब मेरा दिल भी धड़का होगा ..... बस वो शर्मीले पलमें इस खूबसूरतीको महसूस न कर पाए हम ...... वो एक धड़कन चुक गए थे हम जब दीदार हुआ आपका .... चार महीने तक ताजा बना रहेगा यह सेवइस लोकप्रिय कहावत पर भरोसा करनेवाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने सेव की ऐसी किस्म का विकास किया है, जो लंबे समय तक ताजा रह सकेगा। खास बात यह है कि यह किस्म जैव संवर्धित (Genetically Modified) न होकर परंपरागत तरीके से तैयार है।............ अपने ही लय में तेरा लय मिला मिला गाता मधुकर अक्षत जागृति कवच पिन्हा कर गुरु अभियान चयन निर्झर तुमको निज अनन्त वैभव की सर्वस्वामिनी बना बना टेर रहा है भूतिभूषणा मुरली तेरा मुरलीधर।।171।।............ कुमाउँनी चेली आजकल ज़रा बीमार हूँ - *इधर बहुत दिनों बाद बाज़ार जाना हुआ| जब से लौट कर आई हूँ, सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है| सीने में भारीपन सा महसूस होता है, हर समय किसी अनहोनी की आशंक... मुक्ताकाश....साहित्याकाश के शब्द-शिल्पी : बेनीपुरी - [तीसरी किस्त] पटना के श्रीकृष्ण नगर के २३ संख्यक मकान में हमारा निवास था और बेनीपुरीजी का भरा-पूरा परिवार १०८ संख्यक मकान में रहता था। इन दोनों संख्याओं के... मेरी भावनायें...आकाश को मुठ्ठी में भर लो .. - तुम्हें देखा तो वह लडकी याद आई जो फूलोंवाली फ्रॉक पहन बसंत का संदेशा देती थी आम्र मंजरों में कोयल की कूक बन मुखरित होती थी जेठ की दोपहरी में आसाढ़ के गीत... आलोक स्तम्भ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा मछली से सीखो.... - यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से सीखो ... जो स्वदेश (पानी ) के लिए तड़प - तड़प कर अपनी जान दे देती है - नेताजी सुभाष चंद्र बोस!... Alag sa कौन था वह? लार्ड कर्जन को मारना चाहता था या बचाना ? - दो-तीन दिन पहले अवधिया जी तथा भाटिया जी की पोस्टों को देख कर वायसराय लार्ड कर्जन के जीवन में घटी कुछ अजीबोगरीब घटनाओं के बारे मे पढा हुआ याद आ गया। सन 18... नया ठौर एक दिलचस्प टिप्पणी - *वरिष्ठ टीवी पत्रकार श्री अंशुमान त्रिपाठी जी को मैने व्यंग्य- लुटेरों के लिए भी आचार संहिता बने- मेल किया था। जिसे पढ़ने के बाद उनकी दिलचस्पी टिप्पणी आईः KNKAYASTHA INSIDE-OUT बेबस आह! - अधखिली कली वो जूही की मेरे बचपन की माली थी, मेरे सपनो की गलियों में फिरती बनी मतवाली थी। चंचल चितवन, गोरी शबनम सोम-सुधा की प्याली थी, वह वसंत के दिन मे.. ताऊजी डॉट कॉम खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (115) : रामप्यारी - हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. इससे पहले कि हम आज का "खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी" शुरु करें, मैं आपको बतादूं कि आज का सवाल प्रस्त... अंधड़ ! घरवालो को इन्फ्लेशन की मीनिंग समझाने का नायब तरीका ! - *हमारी सरकार जो मुद्रास्फीति के आंकड़े पहले हर हफ्ते देती थी और अब महीने में एक बार देती है, उसने हम भारतीयों को बहुत समय से चक्कर में डाल रखा है! महंगाई आस... 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"हिन्दी भारत" धरती पर भगवान् - धरती पर भगवान् गत दिनों देवबंद में फतवे की घटना के साथ जोड़ कर रामदेव जी की आलोचना करने वालों को एक आधार मिल गया था| पहले भी कुछ लोग आलोचना, निंदा और दु.... मुंबई के लोग जितने दिलचस्प हैं उतनी ही दिलचस्प है उनकी भाषा. ये भाषा जो न मराठी है और ना ही हिंदी ये अजीब सी भाषा है, जिसका भारतीय संविधान में दी गयी भाषा... और मेरे हृदय की धक्-धक् पूछती है– वह कौन - * -^-* कल १४ नवम्बर था- "बाल दिवस" या कहें कि *जवाहर लाल नेहरू* का जन्म दिवस ; जिनके विषय में *बाबा नागार्जुन* ने लिखा था - आओ रानी, हम ढोयेंगे पालक... शब्दों का सफर भरी जवानी, मांझा ढीला [मध्यस्थ-4] - [image: rishi3] ती र्थंकर, ऋषि या सन्त के अर्थ में मुनि शब्द हिन्दी के प्रचलित शब्दों में शुमार है। *मुनि* का अर्थ होता है महात्मा, सन्त, महर्षि, सन्यासी आ. अंत में इतना ही कहूँगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा? अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये...... कल फिर आपकी सेवा में हमारे कोई साथी कुछ और चिट्ठों की चर्चाएँ लेकर उपस्थित होंगे...........................अब आज्ञा दीजिये! नमस्कार !! |
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Tuesday, November 17, 2009
"कश्ती का खामोश सफर है" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)
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26 comments:
बड़ी विस्तार से चर्चा की. आनन्द आ गया!! बहुत बधाई शास्त्री जी और अनेक शुभकामनाएँ.
बहुत ही सराहनीय प्रयास शास्त्री जी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
वाह शास्त्री जी आपने बड़े ही सुंदर ढंग से और विस्तारित से चर्चा किया है जो प्रशंग्सनीय है! बहुत अच्छा लगा !
चर्चा अच्छी लगी, चयन सुन्दर...
चर्चा को बेहतर ढंग से सँवारा है आपने । पंकज की अनुपस्थिति में चर्चा इतनी नियमितता और विविधता से करने के लिये धन्यवाद ।
cartoons ko add karne ke lie badhai...saath hee mere chitthe ki shamil karne ke lie bhi aabhaar..
ये चर्चा भी लाजवाब है ...
सुंदर चिट्ठा चर्चा, धन्यवाद शास्त्री जी
ज़ारी रहे सुंदरचर्चा शास्त्री जी
शुक्रिया
वाह आज तो बहुत विस्तृत और लाजवाब चर्चा कर डाली आपने. आपके रुप मे एक परिपक्व चर्चाकार ब्लागजगत को मिल गया. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत बढिया .. आप भी ब्लाग जगत को बहुत समय देते हैं !!
बढ़िया रही यह चर्चा शुक्रिया "कुछ मेरे कलम से "लेने के लिए
एक और सुन्दर और विस्तृत चर्चा, शाश्त्री जी , बहुत-बहुत शुक्रिया !
शास्त्री जी शानदार-जानदार चर्चा के लिए जोरदार बधाई
कश्ती का खामोश सफ़र और उस सफ़र में चिठ्ठों की चर्चा ........बहुत बढ़िया
एक बार फ़िर बेहद उम्दा चर्चा करी आपने, मेरे ब्लॉग को एक बार फ़िर चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
एक बार फ़िर बेहद उम्दा चर्चा करी आपने, मेरे ब्लॉग को एक बार फ़िर चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
एक बार फ़िर बेहद उम्दा चर्चा करी आपने, मेरे ब्लॉग को एक बार फ़िर चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
एक बार फ़िर बेहद उम्दा चर्चा करी आपने, मेरे ब्लॉग को एक बार फ़िर चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
is baar to kafi hatkar charchayein ki hain........bahut hi badhiya raha.
बढ़िया चर्चा है ।
बेहद उम्दा चर्चा ......
सुन्दर चर्चा……………………………
bahut achchee charcha rahi..aap wakayee bahut mehnat se charcha karte hain.
[aur meri post ko shamil karne ke liye shukriya.]
बेहतरीन चर्चा रही आज की भी...
जय हिंद...
शास्त्री जी नमस्कार !!!
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