अंक : 75
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का आगाज करता हूँ-
अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन!
आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का आगाज करता हूँ-
अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी
वाह खत्री जी!
इस चमत्कार को नमस्कार!
कर ली है नौकरी,तोड़ दी बंदूक,फ़िर छोड़ेंगे नौकरी,फ़िर खरीद लेंगे बंदूक। ___प्रेम या स्नेह सिर्फ़ इंसान की ही बपौती नहीं है. - इटली का केंप्गलिया रेलवे स्टेशन। सुबह का समय, गाड़ियों की आने-जाने की आवाजों, यात्रियों की अफरा-तफरी के बीच "एल्वियो बारलेतानी" सर झुकाए अपने काम में मशगूल ...
ताऊ डॉट इन - कैटी भाभी से चुपके चुपके शादी करली? दगाबाज कहीं के! - अभी परसों की बात है. मैं बैठा अपना काम निपटा रहा था कि तीन चार युवक आगये और ताऊ हाय हाय के नारे लगाने लगे. मैं माजरा कुछ भांप नही पाया...अब अंजान माजरा.....
अंधड़ ! गलत समझने का आनंद ! - *भतीजे और उसके साथी गुंडों ने एक बार फिर अपनी अशोभनीय और गिरी हुई हरकतों से जिस तरह देश दुनिया का मनोरंजन किया उसकी जितनी भी घोर निंदा की जाए, मैं समझता हू...
KNKAYASTHA INSIDE-OUT चौराहा पे राही - हर वक़्त ख़ुद को चौराहे पर खड़ा पाता हूँ, टार्च पास नहीं, अंधेरे में भटक जाता हूँ। जो सीधे रास्ते चले थे आगे निकल गए, हम नए राह की खोज में पिछरते चले गए। वक...
Science Bloggers' Association हिन्दी ब्लॉगर्स के लिए दो अवार्ड- नामिनेशन खुला है... - मित्रो, जैसी कि 29 मई 2009 को घोषणा की गयी थी, साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन द्वारा दिये जाने वाला "साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन अवार्ड" घोषित करने का समय नज़दीक आता जा...
ईश्वर की पहचान इस्लामः मानव के लिए बहुमूल्य उपहार - इस्लाम क्या है? और इनसान को क्या संदेश देता है? खेद की बात यह है कि इसे भलि-भांति समझा नहीं गया। शताब्दियों से भारत में हिन्दू मुस्लिम एक साथ रहते आ रहे है...
हिन्दी साहित्य मंच खामोश रात में तुम्हारी यादें--------------(मिथिलेश दुबे ) - खामोश रात में तुम्हारी यादें, हल्की सी आहट के साथ दस्तक देती हैं, बंद आखों से देखता हूँ तुमको, इंतजार करते-करते परेशां नहीं होता अब, आदत हो गयी है तुमको दे...
naturica उठो ! - साथियों उठो!तुम नहीं जानतेक्या हुआ है?तुम पथरीले खेतों मेंसोना उगाने कीकोशिश करते हो..।और लोहा समझ करसरहद पर भेजते होअपने बच्चे....तुम नहीं जानतेबच्चे लोहे...
रचनाकार व्यंग्य लेखन पुरस्कार आयोजन के पुरस्कारों में इजाफ़ा - रचनाकार मित्रों, हर्ष का विषय है कि व्यंग्य लेखन पुरस्कार आयोजन में व्यंग्य लेखकों व प्रायजकों की सक्रिय भागीदारी बढ़ती जा रही है. इस आयोजन में नक़द राश...
"हिन्दी भारत" समय लिखेगा इनका भी इतिहास - गर्व का हजारवाँ चरण : प्रत्येक ज्ञात- अज्ञात को बधाईAuthor: कविता वाचक्नवी Kavita Vachaknavee |
स्वप्न मेरे................ बिखरे शब्द ...... - १) तुम तक पहुँचने से पहले कुछ अन्जाने शब्द बिखर गये थे तुम्हारे रास्ते अनदेखा कर शब्दों की चाहत मसल दिए तुमने उनके अर्थ, उनकी अभिव्यक्ति उनकी चाहत, मौन अ...
BAL SAJAG कविता क्रोध - क्रोध क्रोध बना देता है पागल , क्रोध कभी मत करना ... क्रोध अगर आ ही जाए तो , जल पीकर चुप रहना ... क्रोध जगे तो कुछ मत करना , साँस देखने लगना ... बाहर भीतर आत
हिन्दी है हम....... - अब इस गाने को गुनगुनाने पर भी "मनसे" को आपत्ति हो सकती है !क्योंकि इससे पहले हम मराठी,पंजाबी ,राजस्थानी या कुछ और है !देश को एक सूत्र में पिरोनी वाली हिन्..
कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... मुक्तक - **१ *मुझे आदत है इन अंधेरो में रहने कि ...* *ऐ जिन्दगी ये ख्वाबो के भ्रमित उजाले ...* *मुझे ना दिखलाया कर ...* *मेरे शहर कि हवाएं बड़ी जालिम है ...* *यहाँ चि...
नवगीत की पाठशाला जगत के अज्ञान तम में - जगत के अज्ञान तम में दीप अभिनन्दन तुम्हारा... यदि तिमिर से जूझने का प्रण लिये हो ज्योति जल में डूब अवगाहन किये हो तो असंख्यक बार है वन्दन तुम्हारा... आखि...
लव जिहाद: क्या बला है यह? पिछले दिनोँ सुरेश चिपलूनकर ने इशारा किया था कि केरल मेँ एक नये प्रकार का जिहाद चल रहा है. समयाभाव के कारण अभी तक इस विषय पर लिख नहीँ पाया था.जैसा मैँ ने अपने आलेखोँ (केरल में धार्मिक संघर्ष !!, केरल में मुस्लिम-ईसाई संघर्ष??) में कहा था, धार्मिक मामलों में केरल हिन्दुस्तान का सबसे सहिष्णू प्रदेश है.
बस डर जाते हैं जब वो आते हैं धप से,
हर तूफाँ को हमने तो जाना है कब से
किया वार छुपकर मेरे दोस्तों ने
सब देखा है इस दिल मरजाने ने कब से
अब ये तो बता दो उतारूँ कहाँ मैं
ये काँधे पे रखा जनाज़ा है कब से......................
आज आपलोग मेरी कहानी 'थम गया तूफान' पढिए !!
आज साहित्य शिल्पी में मेरी एक कहानी 'थम गया तूफान' प्रकाशित की गयी है , कृपया उसे पढकर अपनी प्रतिक्रिया देने का कष्ट करें !............
नैनीताल फिल्म फेस्टिवल के बहाने लंबे अरसे से सोचता था कि नैनीताल में कोई फिल्म फेस्टिवल किया जाए. दोस्तों के साथ मिलकर योजना बनाने की कोशिश भी की. लेकिन कभी कुछ तय नहीं हो पाया. इस बार पता चला कि अपने ही कुछ पुराने साथी वहां पर फिल्म फेस्टिवल की तैयारी कर रहे हैं तो मैं भी साथ में जुट गया. फेस्टिवल क़रीब आने पर दोस्तों से मिलने की ख़्वाहिश लिए मैं दिल्ली से नैनीताल के लिए निकल पड़ा. हमें उत्तराखंड संपर्क क्रांति से हल्द्वानी तक जाना था...........
गैस पीड़ितों की कब्रगाह पर खिलेगा चमन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 25 साल पहले हुए दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक हादसे को लोग अभी तक नहीं भूल पाए हैं लेकिन गैस त्रासदी पर राजनीति का रंग कुछ इस कदर चढ़ चुका है कि अब प्रभावितों की ज़िन्दगी की दुश्वारियों का चर्चा भी नहीं होता । प्रदेश सरकार केन्द्र और केन्द्र सरकार राज्य के पाले में गेंद डालकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेने की कवायद में जुटे रहते हैं । तीन दिसम्बर को भोपाल में सरकारी और गैर सरकारी तौर पर साल दर साल बड़े-बड़े आयोजन होते हैं । बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सरकार की नाइंसाफ़ी को जी भर कर लानतें भेजी जाती हैं । गैस कांड की बरसी पर यूनियन कार्बाइड , वॉरेन एंडरसन और अब डाउ केमिकल को जी भरकर कोसने का दस्तूर सा बन गया है । आगामी 3 दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी को 25 साल पूरे हो जाएंगे।......
कुछ यादें इक गृह विरही की .... एक घोर गवईं मानुष हूँ मैं -जन्म -गृह त्याग नहीं हो सका मुझसे ! आज भी वहीं पहुँचता रहता हूँ बार बार -जननी की आश्वस्ति भरी छाँव में ...जैसे मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे ....
"मुछों से पहले और मूंछों के बाद" मित्रों कल की चर्चा में मैंने एक अपनी सहपाठी की चर्चा की थी, लेकिन पता नहीं मेरे से क्या गलती हो गई, पोस्ट के विषय में तो कोई टिप्पणी नहीं आई, उसकी चर्चा गौण हो गई और सबके निशाने पर मेरी मूंछे ही आ गई. सबने मेरी मूछें ही खींची. मैं भी खुश हुआ चलो किसी काम तो आई, नही तो इतने साल से इनको फालतू ही घी पिला रहा था, आज मैं विषयांतर करके मुछों पर ही कहणा चाहता हूँ. चलो जब लोग मनोरंजन के मूड में हैं तो यही सही. कल की टिप्पणियों की बानगी का मजा लीजिये . पी.सी.गोदियाल ने कहा… झूट बोल रहे है आप, अगर लड़कियों के साथ पढ़े होते तो इतनी डरावनी मूछे नहीं रखी होती आपने :)))खुशदीप सहगल ने कहा… ललित जी,खामख्वाह इतना टंटा किया...आप मूछों पर ताव देकर एक बार खुद ही लड़की के चाचा के सामने जाकर खड़े हो जाते...न अपने भूतों के साथ सिर पर पैर रखकर भाग खड़ा होता तो मेरा नाम नहीं...वैसे आपकी पोस्ट पर एक बात और कहना चाहूंगा...इश्क और मुश्क लाख छुपाओ, नही छिपते....कहीं ये भी तो वही...खैर जाने दो...जय हिंद...जी.के. अवधिया ने कहा…
विकल्प देते देते प्रधानमंत्री विकल्प क्यों तालाश रहे हैं (पुण्य प्रसून वाजपेई)
नक्सलियों के हिमायतियों ने भी ग्रामीण-आदिवासियों के विकास का कोई वैकल्पिक समाधान नहीं दिया है। यह बात और किसी ने नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कही है। दिल्ली में आदिवासियों के मसले पर जुटे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को विकास और कल्याण का पाठ पढ़ाते हुये पहली बार प्रधानमंत्री फिसले और माओवादियों के खिलाफ आखिरी लड़ाई का फरमान सुनाने वाले वित्त मंत्री की बनायी लीक छोड़ते हुये उन्होंने आदिवासियों के सवाल पर सरकार को घेरने वाले और माओवादियो के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुये कहा कि आदिवासियों के लिये वैकल्पिक अर्थव्यवस्था या सामाजिक लीक किस तरह की होनी चाहिये इसे भी तो कोई सुझाये। ...........
चाँद रोया- (रश्मि प्रभा)...
उन्हें मालूम था
कुछ सीढ़ियाँ लगा कर
मैं चाँद से बातें कर लूँगी,..........
चाँद रोया- (रश्मि प्रभा)...
उन्हें मालूम था
कुछ सीढ़ियाँ लगा कर
मैं चाँद से बातें कर लूँगी,..........
अब आज्ञा दीजिये! अंत में इतना ही कहूँगा ...आज का अंक आपको कैसा लगा? अपनी राय बेबाक टिप्पणियों में दीजिये...... कल फिर आपकी सेवा में हमारे कोई साथी कुछ और चिट्ठों की चर्चाएँ लेकर उपस्थित होंगे.............................................धन्यवाद! नमस्कार !! |
16 comments:
बहुत सारे चिट्ठों का पठन दिखता है यहाँ । चर्चा का आभार ।
बहुत सारे चिट्ठों की विस्तृत चर्चा की आपने | आभार |
भाई कभी-कभार कार्टूनों बगैहरा के बारे में भी लिख दिया करो
बहुत ही सुंदर और विस्तारित रूप से आपने चर्चा किया है ! अच्छा लगा!
बहुरि चिट्ठाचर्चा दिखावा
लिंक देई देई सबको पढ़वा.
चेट्ठे हैं इहाँ बहुतेरे
कछु देख लिए...कछु देखेंगे सुबेरे ....
शानदार और मनमोहक।
हर तरफ अब यही अफसाने हैं,
हम मयंक जी की चर्चा के दीवाने हैं...
जय हिंद...
सुन्दर चिटठा चर्चा ...इतने अच्छे लिंक दिए हैं ..क्या पढें क्या न पढ़े !!
जैसे अच्छे चिट्ठों की आप-धापी मची हो..
बहुत खूब शास्त्री जी, सुन्दर चर्चा !
सुंदर चर्चा. आपने कितने सुंदर मोती खोज निकाले.
हर बार की तरह यह अंक भी काफी कुछ बता गयी है
सुंदर चर्चा.
विस्तृत चर्चा की आपने |
आभार |
शास्त्री जी सुंदर चर्चा-आभार
शास्त्री जी बहुत सुंदर चर्चा.
atyant sundar aur sateek charcha..
shaastriji,
waah !
anand aa gaya
mere chitthe ko jagah dene ke liye aur bhi zyada dhnyavaad..........
jai ho.......
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