अंक : 84
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन! आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की " का आगाज करता हूँ- फूल खिलेंगे धीरज धरिये फूल खिलेंगे धीरज धरिये भरिये रस भंडार || फूल ..... ऐसे 42 या उससे भी अधिक राष्ट्रीय प्रतीक हो सकते हैं ... जिनपर हम गर्व कर सकते है !! १. जीर्ण कपड़ा उतार कर नया पहनना..... पुनर्जीवन है - २. बा से पूछा था - क्या होता है वर्षगांठ पर ?....... मोबाइल नम्बर बदलें १९ रु में..अपने मोबाइल सेवा प्रदाता की सेवा से यदि आप खुश नहीं हिं तो अब भारत में वह घड़ी आ गई है जिससे हम सभी का इंतज़ार ख़त्म हो गया है। दिसंबर से महानगर और ए श्रेणी के नगरों में मोबाइल नंबर बदलने की सेवा केवल १९ रूपये में मिलने जा रही है। पूरे देश में यह सुविधा मार्च १० तक शुरू कर दी जाएगी।........... न कोई प्रजा है न कोई तंत्र है यह आदमी के खिलाफ़ आदमी का खुला सा षड़यन्त्र है । -------------- हर बार की तरह तुम सोचते हो कि इस बार भी यह औरत की लालची जांघ से शुरू होगा और कविता तक फैल जाएगा । बिल्ली का पंजा चूहे का बिल है । -सुदामा पाण्डे धूमिल हिन्दु बेटे के अंतिम दीदार के लिए कब्रिस्तान में खोला गया मुस्लिम मां का चेहरा ब्लाग बिरादरी में इन दिनों हिन्दु और मुसलमानों को लेकर काफी कुछ लिखा जा रहा है। बहुत से लोग साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने में लगे हैं। ऐसे में जबकि अनिल पुसदकर जी के ब्लाग में पंचर का किस्सा लिखा गया तो मुझे अचानक अपने एक बचपन के दोस्त शौकत अली के मां के इंतकाम का दिन याद आ गया। उनके इंतकाल में मैं काफी विलंब से पहुंचा था जिसकी वजह से कब्रिस्तान में मुझ हिन्दु बेटे लिए उस मुस्लिम मां का चेहरा सिर्फ मुझे दिखाने के लिए .... खत्री संत कुमार टंडन जी की एक कविता पढें !! आपलोगों ने खत्री संत कुमार टंडन 'रसिक' जी का नाम अवश्य सुना होगा , हिन्दी में मुख्यत: कविता लिखनेवाले 'रसिक' जी ने समाज में रूढियों के विरूद्ध जागरूकता फैलानेवाले कई आलेख भी लिखे है। आज उनकी एक कविता आपलोगों को पढवा रही हूं , कारगिल युद्ध के बाद मिली भारत की विजय से उनकी भावनाओं ने इस कविता का रूप लिया था ...... सिर्फ़ विपन्न विस्मयता ही हमारे खून में खेल रचाया करती है व्यक्तिगत रूप से मेरा ठोस यकीन है कि जीवनानन्द दास बांग्ला कविता के शीर्षस्थ कवि हैं - किसी भी कालखण्ड के. ठाकुर रवीन्द्र से भी बड़े और सुकान्त भट्टाचार्य से भी. हालांकि उन्हें उनकी कविता ’वनलता सेन’ (बौनोलता शेन) के लिए सबसे अधिक ख्याति मिली पर उनकी अनेकानेक रचनाएं मुझे आज भी हैरत और उद्दाम प्रसन्नता से भर देती हैं. उनकी एक कविता आज लगा रहा हूं. जल्द ही जीवनानन्द दास के जीवन और उनकी रचनाओं को लेकर एकाध पोस्ट लेकर हाज़िर होता हूं. इस ख़ास कविता का मेरे लिए बहुत बड़ा महत्व इस मायने में है कि घनघोर अवसाद के जब तब आने वाले समयों में इस रचना ने मुझे बचाया है....... नया नहीं बन पाया तो सम्बन्ध पुराना बना रहे..........................'बीती ख़ुशी' ......क्या हुआ जो आरज़ू लब तलक आयी नहीं........दीपक 'मशाल'दोस्तों आज मैं आपकी खिदमत में २ रचनाएं पेश कर रहा हूँ, जिनमे से एक तो मेरी है और दूसरी मेरे किसी ऐसे अज़ीज़ की जिनके बिना मेरा जीवन अधूरा है... उनके नाम की बजाए उन्हें 'बीती ख़ुशी' कहना ज्यादा मुनासिब होगा.. लीजिये तो पहले उन्हीं का लिखा देखिये-......... पंख मेरे झड़ रहे हैं ....आज कोई गाना नहीं है बजाने को...रात रेकॉर्डिंग ही नहीं कर पाए......लेकिन कल बहुत ही सुन्दर सा गाना होगा आप लोगों की नज़र.....पक्का !!फिलहाल ये कविता....दोबारा छाप रहे हैं हम.....आपको ज़रूर पसंद आएगा..... हम खुद से बिछड़ रहे हैं हालात बिगड़ रहे हैं अब कहाँ उड़ पायेंगे पंख मेरे झड़ रहे हैं.... मानवता के दुश्मन ब्लोगिंग से दूर रहें. "हम मानवता के रक्षक हैं." मैंने यह पोस्ट सिर्फ इसलिए लगाई है की ब्लॉग जगत में (नित्य बढ़ते इन्टरनेट ज्ञान कोष में) ज्यादा समय हम अपना ज्ञानवर्धक आलेख(ऐतिहासिक, भोगोलिक, वैज्ञानिक, धार्मिक कुछ भी हो सकता है) पढने लिखने पर व्यतीत करें। साथ ही भाषा सुधार, साहित्य, हास्य-विनोद, मनोरंजन में भी बिताएं. ऐसा इसलिए की ब्लोगिंग कोई खेल नहीं है. मेरे अधिकाँश ब्लोगर मित्र भी ऐसा ही चाहते हैं. और तभी मैं प्रेरित हुआ ऐसी पोस्ट लगाने पर. ये तो मेरी बात हुई..... आप की नज़रों ने समझाफिल्म=अनपढ़, मूल गायिका=लता, संगीत=मदनमोहन, गीत=राजा मेंहदी अली खान आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गई मंज़िल मुझे आप की नज़रों ने समझा........... मुझे कुछ कहना है बार बार कहता हूँ मन के द्वंदों से, पल भर को तो रुको मुझे कुछ कहना है I............... पर्यावरण प्रदूषण (समस्या और कारण)-1 गतांक से आगे विषय भोगों को अधिकाधिक मात्रा में भोगने की लालसा ही, आज के संसार में उत्पन्न हुवे अनियंत्रित औद्योगिकीकरण के पीछे मुख्य कारण है। इसी के परिणाम स्वरूप आज सडकों, नहरों, बांधों, रेलों, कारों, बसों, संचार साधनों, कल-कारखानों, तकनीकी यंत्रों का जाल सा बिछ गया है ।................... रचनाधर्मिता क्या है और क्या कहती है? नारी ब्लोग्स सिर्फ महिलाओं के लिए है और उनके ही ब्लोग्स इसपर पब्लिश होते हैं । इसमें किसी को क्या आपति है? आज सुबह जो भी इस ब्लॉग के लिए लिखा मिला। जो भी हों - पहले लेखन के प्रति.......... दिल टूट गया ....मेरी आदत तो नहीं की बिना प्रयास किए चुप बैठ जाऊं वरना येमुझे कैसे मिलते पर जाने क्यों फ़िर एक और या तीसरी बार मैंने चुप हो जन और कुछ न करना जैसे स्वीकार कर लिया और परिणाम "मन में एक और खवाहिश दुबक गई"........... ज़िंदगी के मेले मेरी दिल्ली यात्रा: सूचना मिलते ही मुरैना स्टेशन पर पहुँचे भुवनेश शर्मा जी - पिछले माह, अक्टूबर की 11 तारीख को आधी रात बीत रही थी। *अजय कुमार झा चैट पर*बतिया रहे थे। एकाएक उनकी ओर से लिखा हुआ आया '... सोच रहा हूं आप लोगों से मिलने आ ... कल से तीन दिनों तक मुंबई से बाहर हूँ. मुशायरे के सिलसिले में आजमगढ़ और पटना जाना है. सोचा तो था के आ कर कुछ नया पोस्ट करुँगी, के तभी *तुलसी भाई पटेल *जी क... गीत-ग़ज़ल कुछ भी नहीं पूछा है उसने - ** *परछाइयों से लड़ बैठी हूँ अब कोई मुझे बुलाये न कुछ भी नहीं पूछा है तुमने ये कोई मुझे बताये न दरिया तो पार किया मैंने अब साहिल पे अटकाये न पतवारें तो ह... Hasyakavi Albela Khatri जब सरपंच बन गया नंगलाल का बाप रंगलाल - रंगलाल चुनाव में खड़े हो गए और जब जीत कर गाँव के सरपंच बन गए.....तो अपने बेटे नंगलाल से कहा- देखो बेटा ! अब मैं सरपंच बन गया हूँ तो गाँव में कोई भी दुखी ... मानसी नन्हें फूल- रोज़ ही एक नया मज़ेदार कि़स्सा - "अब के इस मौसम में नन्हें फूलों से महकी गलियाँ हैं" इस शेर को जब लिखा था तो वो प्यारे-प्यारे, छोटे-छोटे बच्चे थे दिमाग़ में, जिन्हें पढ़ाने का मौक़ा मिला है इ... मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. अन्ताक्षरी ३ गीतो भरी - नमस्कार आप सभी को, आज की आंताक्षरी १०,०० बजे भारतीय समय अनुसार शुरु की है, ओर यह भारतीया समय अनुसार रात १०,०० बजे तक चलेगी, यानि सुबह १०,०० बजे से रात १०,०... सुबीर संवाद सेवा आज राकेश खंडेलवाल जी और आदरणीय मधु खंडेलवाल जी की शादी की वर्षगांठ है उन्हें बधाई । कल यानी 22 नवंबर को लावण्य दीदी साहब का जन्मदिन है उनको भी बहुत बहुत बधाइयां । - नवंबर का महीना बहुत से आयोजनों का महीना होता है ।कल परी का जन्मदिन था । आज आदरणीय राकेश जी और मधु भाभी की शादी की वर्षगांठ है और कल लावण्य दीदी साहब का... प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 49 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका ... अंधड़ ! लघु कथा- परवेज - *आज मुझे छुट्टी से लौटकर अपनी यूनिट आये पूरे आठ महीने बारह दिन हो गए, लेकिन साले, तूने इस दौरान मुझे एक भी ख़त नहीं लिखा ! यहाँ हमारे पास इ-मेल भेजने का को... रचनाकार श्याम गुप्त की लघुकथा – ढलती शाम और डूबता सूरज - [image: women in crowd 2] ढलती शाम और डूबता सूरज,, वही स्थान,वही समय,वही दृश्य । नदी के किनारे एक ऊंचे टीले के छोर पर एक पत्थर और उसपर सफ़ेद मुलायम ऊन के ... आज के लिए इतना ही ......बाकी कल........। जय-हिन्द! जय-भारत!! |
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16 comments:
हमेशा की तरह सुन्दर चर्चा । आभार ।
बेहतरीन चिट्ठों की बेहतरीन चर्चा
सुन्दर चर्चा...
nice
वाह शास्त्री जी ,
बढिया चर्चा किये हैं मजा आ गया ...रंग एक होने से सुविधाजनक भी लग रहा है ..आभार
उम्दा सोच के साथ उम्दा चर्चा
सुन्दर
अच्छा लग रहा है सुबह-सुबह इस चर्चा को देखना।
गागर में सागर के लिए आभार
बहुत बढिया शास्त्री जी .. मेहनत से की गयी चिट्ठा चर्चा !!
हमेशा की तरह उम्दा चर्चा.....आभार|
चर्चा बड़ी कलरफ़ुल होती जा रही है सर जी..
बहुत सुंदर बिलकुल फ़ुळो की तरह से महकती चर्चा जी. धन्यवाद
Guru ji
Chaa gaye badee sajagta se charcha karaten hain hazoor
उम्दा चर्चा.....आभार
अच्छी चर्चा सार्थक शब्दों के साथ .......
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