अंक : 88
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" का सादर अभिवादन! आज की "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" का प्रारम्भ करता हूँ- क्या हिंदी व्याकरण के कुछ नियम अप्रासंगिक हो चुके हैं? अंग्रेज़ी के संपर्क में आकर हिंदी सालों से बदलती आई है और अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बदलाव से हिंदी हमेशा समृद्ध होती है या इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। संसार की हर भाषा दूसरी भाषाओं से प्रभावित होती है और हिंदी कोई अपवाद नहीं है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर भाषाएँ अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं से प्रभावित होने के बदले आतंकित होने लगती हैं। ..... ...................................... एक प्रयास श्रीमद्भागवद्गीता से ...................... - श्रीमद्भागवद्गीता के ७ वें अध्याय के २४ वें श्लोक की व्याख्या स्वामी रामसुखदास जी ने कुछ इस प्रकार की है जिससे परमात्मा के साकार और निराकार स्वरुप की सार्थ... Dr. Smt. ajit gupta कविता - सिंह-वाली बाहर होगी - मैं विगत एक सप्ताह से उदयपुर के बाहर थी अत: इस ब्लोग जगत से बाहर थी। क्या नया पोस्ट करूँ इसी उधेड़-बुन में एक कविता कुछ दिन पहले की लिखी दिखाई दे गयी। आ... अभी कल ही दो दिनों के ट्रिप से लौटा हूं.. येलगिरी नामक जगह पर गया था जो तमिलनाडु का एक हिल स्टेशन है.. अभी फिलहाल इन चार चित्रों को देखें, लिखने का मन किया तो वहां के भी किस्से सुनाऊंगा.. उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के मेक्सिको देश में एक और विश्व विरासत स्थल है . ठण्ड के मौसम में पक्षियों को गर्म देश में उड़ने के बारे में हम सबने सुना है . लेकिन तितलियाँ भी ऐसा करती हैं !....... तेरा हाथ हाथ में लिए नहर के किनारे सरसों के खेतों की पगडंडियों पर गुनगुनी धूप में देर तक चलते....... "आ रहा हूँ..." कुछ नए किरदार चाहिए थे अपनी कविताओं के लिए सो किसी ने कुछ किताबें सजेस्ट की पढने को....किसी ने देखा कि अक्सर दुःख मुझे घेर लेता है तो उसने कुछ और कर दीं...मैं जरा पढ़ कर आ रहा हूँ। शायद थोड़ा वक्त लग जाए, मैं जरा धीरे पढता हूँ. आप भी पढ़ सकते हैं गर कोई टाइटल अच्छा लग जाए तो.... रबीन्द्रनाथ टैगोर, 1913 = साहित्य सीवी रमन, 1930 = भौतिकी एच खुराना, 1968 = चिकित्सा मदर टेरेसा, 1979 = शांति एस चंद्रशेखर, 1983 = भौतिकी अमर्त्यसेन, 1998 = अर्थशास्त्र वीएस नागपॉल, 2001 = साहित्य वेंकटरमण रामकृष्णन, 2009 = रसायन विज्ञान ऐ खुदा रेत के सेहरा को समन्दर कर दे या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे तुझको देखा नहीं मेहसूस किया है मैंने आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर* कर दे ...... मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.अन्ताक्षरी ५ गीतो भरी - आज की अन्ताक्षरी शुर करने से पहले आप सब से एक प्राथना है कि आप एक तो अपनी दिये गीत हटये( डीलिट) ना करे, दुसरा जब बहुत से लोग इकट्टॆ गीत देते है , तो उस समय... भारतीय नागरिक - Indian Citizen सात मौतें ज्यादा बड़ी हैं या एक व्यक्ति की दूसरी शादी? - आप लोग जवाब दें मेरे इस सवाल का कि दो बम धमाके, सात मौतें और पचास घायल ज्यादा बड़े हैं या एक उद्योगपति की दूसरी शादी। कल इन धर्म-निरपेक्षिया चैनलों के पास ... वीर बहुटी- गज़ल *ज़िन्दगी से मैने कहा कि मैं गज़ल सीखना चाहती हूँ तो उसने कहा कि तुम्हारे पास क्या है जो गज़ल लिखोगी? मैने कहा देखो इस मे काफिया भी है रदीफ भी है तो वो ह... मोमबत्तियाँ खरीद लीं कि नहीं? “स्यापा सेलिब्रेशन महोत्सव” शुरु हो चुका है… भाईयों-बहनों, मोमबत्तियों का स्टॉक बढ़ा लीजिये, किसी मोमबत्ती कम्पनी की शेयर हों तो रखे रहिये भाव बढ़ने वाले हैं, डिम्पल कपाड़िया के फ़ैन हों या न हों, उनकी दुकान से डिजाइनर मोमबत्तियाँ खरीद लीजिये… आपको तो पता ही होगा 26/11 की बरसी नज़दीक आ गई है…।.............. मुझे मेरा बचपन लौटा दो , कदम्ब तो नहीं झूले पर झुला दो । याद नहीं माँ की थपकी , और न मधुमय तुतलाना । स्मरण नहीं वे लम्हें अब तो , उन लम्हों को सास्वत ही बना दो । मुझे मेरा ...................... ।... देखा है जिंदगी को कुछ कुछ करीब से । एहसास इस सफर में हुए हैं अजीब से ॥ रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम । शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥........... लोकप्रियता के लिये होड भई अब तो हम जब भी कोई न्यूज साईट या अखबार को पडते है तो पडने के लिए एक खबर हमेशा मिल जाती है वह है असली मराठी मानुस बनने की हॊड. शिवसेना शुरु से ही इस मुद्दे पर वोट मागती आ रही थी पर अब जब से मनसे अस्तित्व मे आयी है तब से दोनो मे इस मुद्दे को लेकर होड सी लग गयी है................ अबे कितनी बार कहा है झंडा मत बोले कर एक झंडा देना.... अबे तेरे को कितनी बार कहा है कि झंडा मत बोले कर फिर भी साले तेरे को न तो कोई फर्क पड़ता है और न ही शर्म आती है, क्या तू देशद्रोही है जो ऐसी बातें करता है। अबे कुछ तो शर्म कर झंडा बोलने से लगता है कोई अपने देश के झंडे का अपमान कर रहा है। ये किसी फिल्म के डॉयलाग नहीं हैं बल्कि हमारे द्वारा अपने एक मित्र के साथ किए गए संवाद के अंश हैं। हमारे एक मित्र हैं उनको विल्स फ्लैक सिगरेट पीने की आदत है। अब सिरगेट पीने की आदत है, वहां तक तो ठीक है, लेकिन हमारे मित्र जब भी किसी चाय या पान की दुकान में जाते हैं तो फ्लैक के स्थान पर एक झंडा देना कहते हैं। उनकी उस मांग को ...... वंदे मातरम मदरसे मेंदेश आज फिर से वंदे मातरम् गाने या न गाने की बहस में उलझा हुआ है। क्या किसी ने इस बात पर कभी विचार किया है कि क्या इस बात से अनजान कोई एक ऐसी दुनिया भी भारत के किसी कोने में हो सकती है जिसे मदरसा कहा जाता है और जहाँ पर वंदे मातरम् के बाद कुरान पढ़ाई जाती है, दोपहर खाने के बाद पढ़ाई शुरू करने से पहले सभी बच्चे गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं। यहाँ पर गीता और कुरान साथ में पढ़ाई जाती है..... रुकिए रुकिए यह कोई सपना नहीं है यह भारत में ही हो रहा है और आज कल में नहीं होने लगा बल्कि पिछले ३० सालों से यही चल रहा है... यहाँ पर मदरसे में ३० हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं... . पेड पौधों के बाद जीव जंतुओं का विनाश .. ये समाप्त हो गए तो फिर क्या करेंगे आप ?? आज मानव की दानवीय कूरता के चंद उदाहरण आपके सामने रख रही हूं ..... दही और वनस्पति से बननेवाली माइकोबायल रेनेट का उपयोग न कर अधिक जायकेदार चीज बनाने के लिए गाय के बछडे के पेट में रेनेट नामक पदार्थ को प्राप्त करने के लिए नवजात बछडों का वध कर दिया जाता है । जिसकी मां का अमृत समान दूध हमारे बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है , उसी बच्चे का जीवन हम अपने स्वाद के लिए ले लेते हैं। छि: छि: यह हमारा कैसा व्यवहार है ??.................. सितारे डूबते सूरज से क्या सामान लेते हैंसोचा, बहुत दिन हो गये आपलोगों को अपनी ग़ज़ल से बोर किये हुये। तो आज एक ग़ज़ल- एकदम नयी ताजी। जमीन अता़ की है फ़िराक़ गोरखपुरी साब ने...."बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं/तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं"...सुना ही होगा आपसब ने?...तो इसी जमीन पर एक तरही मुशायरे का आयोजन हुआ था आज की ग़ज़ल के पन्नों पर। उसीमुशायरे से पेश है मेरी ग़ज़ल:- हमारे हौसलों को ठीक से जब जान लेते हैं अलग ही रास्ते फिर आँधी औ’ तूफ़ान लेते हैं बहुत है नाज़ रुतबे पर उन्हें अपने, चलो माना कहाँ हम भी किसी मगरूर का अहसान लेते हैं............ बालाघाटी ठाकरे किस हक से मुंबई पर अधिकार जताते हैं! कांग्रेस के शक्तिशाली महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र पर जातिवाद और क्षेत्रवाद का कहर बरपाने वाले बाला साहेब ठाकरे और उनके भतीजे राज ठाकरे के मुंबईया होने पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए एक धमाका कर दिया है।बकौल राजा दिग्विजय सिंह, बाला साहेब ठाकरे मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के मूल निवासी हैं। इस लिहाज से वे मुंबईकर नहीं हैं। दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश पर दस साल लगातार राज किया है, इस लिहाज से उनकी जानकारी गलत नहीं मानी जा सकती है।...... अपने देश में आतंकवाद तो स्थायी मेहमान बन चुका है, लेकिन इसके शिकार हुए लोगों का मुआवजा आज भी राजनेताओं और अधिकारियों की लालफीताशाही के बीच झूलता नजर आता है। यही कारण है कि आतंकियों की गोलियों ने मरने वालों के साथ भले कोई भेद न किया हो, लेकिन मृतकों के परिजनों को मिलने वाले सरकारी मुआवजे की राशियों में यह भेद साफ नजर आता है। मुंबई पर हुए हमले में कुल 179 लोग मारे गए थे। इनमें जो लोग सीएसटी [वीटी] रेलवे स्टेशन के अंदर मारे गए थे.............., आज के लिए इतना ही..बाकी कल........। |
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22 comments:
बढियां है
बेहतर चर्चा । आभार ।
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा |
बेहतरीन। चर्चा, अभिनंदन।
आभार ...!!
उम्दा चर्चा// इत्मिनान से...आराम से...विस्तार से,...
आनन्द आया इस आनन्ददायी चर्चा से!!
झकास चर्चा
सभी महत्वपूर्ण आलेखों को चर्चा में समेट लिया आपने .. धन्यवाद !!
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा ......
bahut ki jandar aur kargar post lagayi hai aaj ..............badhayi
बढ़िया चर्चा .
आभार.
बहुत बढिया.
रामराम.
एक बार फिर एक उम्दा चर्चा में मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
sundar charchaa hai!!!
रंग बिरंगी चर्चा ले कर आये शास्त्री जी, मजे दार ओर बढिया चर्चा जी
बडिया चर्चा बधाई
अच्छी रही चर्चा..
बढ़िया रही चर्चा मेरे लिखे को शामिल करने के लिए शुक्रिया
बढ़िया चर्चा है...
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा ......
जब सारे चिठ्ठों को पढ़ने का समय नहीं मिलता तब आपकी यह पोस्ट काम आती है। आपका परिश्रम सफल हो, यही शुभकामनाएं हैं।
अच्छा लगा यह चर्चा ।
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