तुमने विवाह जैसी पवित्र संस्था को नष्ट कर दिया है। क्या तुम अवैध संबंध को उचित बता कर उसे अपनी पीढी की जीवनशैली बनाना चाहते हो? तुम्हारी फिल्म विकृत है। क्या तुम यह कहना चाहते हो कि दो पुरुष और एक स्त्री किसी कारण से साथ हो जाते हैं तो दोनों पुरुष स्त्री के साथ शारीरिक संबंध रख सकते हैं? एक वरिष्ठ सदस्य ने मुझे डांटा। वे फिल्म इंडस्ट्री की सेल्फ सेंसरशिप कमेटी के अध्यक्ष थे। यह कमेटी उन फिल्मों को देख रही थी, जिन्हें सेंसर बोर्ड ने विकृत माना या...............
ज़िन्दगी बेरुखी का दर्द - पास होकर क्यूँ दूर चले जाते हो दिल को मेरे क्यूँ इतना तड़पाते हो तेरी बेरुखी लेती है जान मेरी मत कर ऐसा कहीं ऐसा न हो तेरी बेरुखी पर अगली साँस आए या न आए और त...
वीर बहुटी - * गज़ल * *इस गज़ल को भी आदरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है ।तभी कहने लायक बनी है।* * * नज़र ज़रा सी उठा के तो देख् अपनों से शरमाना कैसा? चाहे भी शरमाये भी त...
मुझे मिल गई मम्मी की आई लाईनर...
चित्रकारी करने के लिये और क्या चाहिये होता है? क्या कहा कैनवास?
अरे घर में इतनी सारी जगह है.. और आप कैनवास की बात करते है....
जनवादी लेखक संघ के 'मासिक रचना गोष्ठी' कार्यक्रम के अंतर्गत उर्दू रचनाकारों की रचनाओं के पाठ का आयोजन स्थानिय ए आई आई ई ए (एल आय सी) यूनियन कार्यलय में आयोजित किया गया। इस अवसर पर.........................
मीडिया के एजेंडे से बाहर खेती किसानी आनंद प्रधान ऐसा बहुत वर्षों बाद हुआ कि गन्ने की कीमतों में वृद्धि और इस बाबत केंद्र सरकार के एक विवादास्पद अध्यादेश को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में गन्ना किसान दिल्ली पहुंचे. जंतर-मंतर पर धरना और रैली हुई, जिसमें किसान नेताओं के साथ लगभग पूरा विपक्ष मौजूद था. लेकिन दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया खासकर दो सबसे बड़े अंग्रेजी अखबारों के लिए खबर यह नहीं थी बल्कि अगले दिन के अखबार में पहले पेज पर खबर यह छपी कि कैसे किसानो ने पूरी दिल्ली को बंधक बना लिया. यह भी कि कैसे किसानो ने दिल्ली में उत्पात, लूटपाट,तोड़फोड़ और लोगों के साथ बदसलूकी की. दिल्ली को जाम कर दिया जिससे दिल्लीवालों को बहुत तकलीफ हुई. यही नहीं, किसानो की शराब पीते, तोड़फोड़ करते और जंतर-मंतर जैसे ऐतिहासिक स्थल को गन्दा करते तस्वीरें भी छपीं..........
कस्तूरी मृग : उत्तराखंड का राजकीय पशु
कस्तूरी मृग जिसे अंग्रेजी में मस्क डियर भी कहते हैं उत्तराखंड का राजकीय पशु है। कस्तूरी मृग में पाये जाने वाली कस्तूरी के कारण इसकी विशेष पहचान है पर इसकी यही विशेषता इसके लिये अभिशाप भी है।
कस्तूरी मृग हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। उत्तराखंड के अलावा यह नेपाल, चीन, तिब्बत, मंगोलिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, वर्मा, कोरिया एवं रुस आदि देशों में भी पाया जाता है।............
सदा
सवाल पर
सवाल मेरा,
तुम्हारा
खामोश रहना,
जानते हो
कितनी उलझने
खड़ी कर देता है
खामोश रात में तुम्हारी यादें
खामोश रात में तुम्हारी यादें,
पत्रकारिता क्या है और क्या हो रहा है, यह हर रोज वरिष्ठ पत्रकारों से सुनने को मिलता है। कल एक न्यूज एजेंसी के दफतर में पहुंचा तो एक परिचित वरिष्ट पत्रकार से मुलाकात हो गई। वे कुछ महिने पहले ही एक बड़े अखबार की नौकरी छोड़कर वहां से कम वेतन पर यहां काम कर रहे हैं। हालचाल जानने से शुरू हुई चर्चा पत्रकारिता के किस्से कहानियों तक पहुंच गई। इस पर वे बताने लगे कि जब एक अखबार में काम कर रहे थे, उस समय जब उन्होंने शादी के लिए छुट्टी मांगी तो संपादक ने कहा-शादी के लिए भी कोई छुट्टी की जरूरत है।..............
पराया देश एक जरुरी सुचना सभी कवि लोगो के लिये - नमस्कार आप सब को, आप सब को सुचित करते हुये मुझे बहुत खुश हो रही है कि २७/११/२००९ को मैने अपने ब्लांग पर एक आंतक्षरी रखी है सिर्फ़ कविताओ के लिये, आप सभी लोग...
निगम चुनाव के मतदान के बाद का दिन राजस्थान की कुछ स्वायत्त संस्थाओं के लिए मतदान कल संपन्न हो गए। 26 नवम्बर को मतगणना होगी और पता लग जाएगा कि मतदाताओं ने क्या लिखा है। इस चुनाव में मतदाताओं के पास विकल्प नहीं थे। वही काँग्रेस और भाजपा द्वारा मनोनीत और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार। कोटा नगर निगम के लिए भी मतदान हुआ। लोगों का नगर की गंदगी, सड़कों, रोडलाइट्स, निर्माण आदि से रोज का लेना देना है। उन की वार्ड पार्षद से इतनी सी आकांक्षा रहती है कि मुहल्लों की सफाई नियमित होती रहे, रोड लाइट्स जलती रहें, सड़कें सपाट रहें, अतिक्रमण न हों। लेकिन उन की ये आकांक्षाएँ कभी पूरी नहीं होतीं। हो जाएँ तो अगले चुनाव
में उम्मीदवारों के पास कहने को क्या शेष रहे?...
अरमान
नीले नीले आसमान तले,
बैठी थी मैं अरमान लिए,
दूर कहीं जाना था मुझे,
पर बैठ गई मैं हाथ मले !
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घुघूतीबासूती श्लील और अश्लील - श्लील और अश्लीलश्लील और अश्लील का रोना रोते ये लोगजिनके देश में तन ढकने को बहुतों के पास कपड़ा नहीं हैजहाँ बहुतों का पेट कहाँ खत्म होता है और पीठ कहाँ शुरूयह ..
.जी हाँ, दोस्तों, आज मेरी ५१ वीं पोस्ट है, जो आपको समर्पित कर रहा हूँ। एक जनवरी २००९ से शुरू करके, मैंने हर हफ्ते एक पोस्ट लिखने की कोशिश की है। आज इस साल के ४७ हफ्ते गुज़रे हैं और हाज़िर है, ५१ वीं पोस्ट, सब ब्लोगर्स के नाम।
टीचर, प्रोफ़ेसर, इंजीनियर और सलाहकार
डॉक्टर, वकील, मीडियाकर्मी या पत्रकार
गत्यात्मक ज्योतिष ज्योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 3 ?? - पहले आपने पढा .... ........... ज्योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 1 ?? उसके आगे आपने पढा .... . ज्योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्य...
खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (123) : रामप्यारी - हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज के इस खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी मे रामप्यारी और डाक्टर झटका आपका हार्दिक स्वागत करते है. और ...
अंधड़ ! और हमारे संचार माध्यम कब सुधरेंगे ? - आज एक खबर पढी, पढने के बाद अपने देश के संचार माध्यमों पर बड़ा गुस्सा आ रहा था ! करीब महीना भर पहले आपने भी यह खबर पढी होगी: *लखनउ, 29 अक्टूबर :भाषा:* गाजियाब...
प्रतिभा की दुनिया ...!!! कम्युनिस्ट होने का मतलब - ब्रेख्त कम्युनिस्ट थे, क्योंकि उनके लिए कम्युनिस्ट होने के मानी बहुत सहज थे- समकालीन होना. दूसरे शब्दों में अपने निजी घेरे के बाहर उन सब आवाजों का साक्षी ह...
कितनी कसी हुई है यह प्यार के जाल की फाँस संतोष की बात है कि कुछ दिन पहले ही 'कर्मनाशा' पर पहली बार (निज़ार क़ब्बानी की कवितायें) अनुवाद प्रस्तुत किया और उसे पसन्द भी किया गया। इस ठिए पर आने वाले सभी साथियों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हुए मन कर रहा है अनुवाद की पोस्ट्स को एक अंतराल बाद लगाया जाय। मित्रों और कविता प्रेमियों के उत्साहवर्धन से आलस्य टूटा है और अनुवाद का काम एक गति पकड़ चुका है । शुक्रिया दोस्तो !
अन्ना अख़्मातोवा की मेरे द्वारा अनूदित कुछ कवितायें आप 'कबाड़ख़ाना' पर पहले पढ़ चुके....
कार्टूनः वाला नोविल तो हम डिजर्ब करते हैं जी!
आज के लिए इतना ही काफी है! इंशा-अल्ला कल फिर मिलेंगे!!
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10 comments:
वाह शास्त्री जी, बड़ी विस्तार से चर्चा की है. आनन्द आ गया. जारी रहिये नियमित.
nice
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
कल ही मैंने 'प्राची के पार' पर दर्पण जी की एक बहरीन पोस्ट पढी..."रोपवे"
चर्चा अच्छी..व्यापक सन्दर्भों के साथ...!!!
बहुत सुंदर चर्चा .. सुबह सुबह कई लिंक मिल गए !!
शास्त्री जी नमस्ते - सुंदर चर्चा,आभार
बहुत ही सुन्दर चिट्ठा चर्चा, शुभकामनाओं के साथ आभार ।
बहुत सुन्दर चर्चा चला रहे हैं आप।
बधाई।
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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।
बहुत कुछ समेट लिया इस चर्चा में ;)
बहुत बढ़िया और विस्तारित रूप से चर्चा किया है आपने ! मेरी कविता को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
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