अंक : 92
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"" का सादर अभिवादन!
कल की कमियाँ आज पूरी कर देते हैं।
अब सीधे-सीधे "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" प्रारम्भ करता हूँ-
सुबीर संवाद सेवा फिर कुछ आनंद के पल जुड़े हैं, कल गौतम राजरिशी और संजीता की शादी की वर्षगांठ है, रविकांत पांडे के आंगन में गत रविवार को एक नन्हीं परी का आगमन हुआ, बधाई, बधाई - वीनस का मेल मिला है कि ग़ज़ल की कक्षाएं क्यों बंद हैं । मेरे विचार में ग़ज़ल की कक्षाएं अभी भी चल रही हैं और अभी जो चल रहा है वो अभ्यास कार्य चल रहा है...
गाडी और नारी.... दोनों बिना लात खाए चालू नहीं होतीं.....भाई..... अपना तो यह विश्वास है कि..... गाडी और नारी.... दोनों बिना लात खाए चालू नहीं होतीं..... इसलिए दोनों को लात मार के ही start करना पड़ता है.....अभी किसी लड़की को ज्यादा भाव दे दो.... तो देखो.... सर पे बैठ कर धान बीनने लगेगी.... इसलिए नारी मुक्ति का रास्ता भी मर्दों से ही हो के जाता है.... मर्दों का सहारा नहीं होगा तो नारी कि इज्ज़त दो कौड़ी कि भी नहीं है..... इसलिए शादी-शुदा औरत कि इज्ज़त ज्यादा होती है.... जबकि तलाकशुदा को खुद नारी भी नहीं स्वीकार करती....
कल मेरे पोस्ट पर यह एक बे-बाक टिपण्णी आई....है तो यह टिपण्णी एक ऐसे व्यक्ति की जिसकी ज़िन्दगी में अभी तक कोई नारी सही मायने में नहीं आई है.....नाम है उनका 'महफूज़ अली' ...ऐसी टिपण्णी वो कर जाते हैं और अक्सर मैं उनकी बातों को हंसी में ही ले लेती हूँ.....जब तक यह महफूज़ जी
http://lekhnee.blogspot.com/की टिपण्णी थी मैं मुस्कुरा कर रह गयी...लेकिन बाद में http://gurugodiyal.blogspot.com/गोदियाल साहब का अनुमोदन देख कर थोड़ी सोचने पर मजबूर हुई....की यह सिर्फ यहाँ लिखी गयी एक टिपण्णी नहीं है...यह एक दृष्टिकोण हैं........और इसे बदलने की बहुत आवश्यकता है......
गाडी और नारी.... दोनों बिना लात खाए चालू नहीं होतीं.....भाई..... अपना तो यह विश्वास है कि..... गाडी और नारी.... दोनों बिना लात खाए चालू नहीं होतीं..... इसलिए दोनों को लात मार के ही start करना पड़ता है.....अभी किसी लड़की को ज्यादा भाव दे दो.... तो देखो.... सर पे बैठ कर धान बीनने लगेगी.... इसलिए नारी मुक्ति का रास्ता भी मर्दों से ही हो के जाता है.... मर्दों का सहारा नहीं होगा तो नारी कि इज्ज़त दो कौड़ी कि भी नहीं है..... इसलिए शादी-शुदा औरत कि इज्ज़त ज्यादा होती है.... जबकि तलाकशुदा को खुद नारी भी नहीं स्वीकार करती....
कल मेरे पोस्ट पर यह एक बे-बाक टिपण्णी आई....है तो यह टिपण्णी एक ऐसे व्यक्ति की जिसकी ज़िन्दगी में अभी तक कोई नारी सही मायने में नहीं आई है.....नाम है उनका 'महफूज़ अली' ...ऐसी टिपण्णी वो कर जाते हैं और अक्सर मैं उनकी बातों को हंसी में ही ले लेती हूँ.....जब तक यह महफूज़ जी
http://lekhnee.blogspot.com/की टिपण्णी थी मैं मुस्कुरा कर रह गयी...लेकिन बाद में http://gurugodiyal.blogspot.com/गोदियाल साहब का अनुमोदन देख कर थोड़ी सोचने पर मजबूर हुई....की यह सिर्फ यहाँ लिखी गयी एक टिपण्णी नहीं है...यह एक दृष्टिकोण हैं........और इसे बदलने की बहुत आवश्यकता है......
हे नेता!! तेरी बहुत याद आती है! - [image: netaji] देश है तो जनता है *जनता है तो नेता हैं* नेता है तो गाड़ी है गाड़ी है तो सड़कें हैं सड़के हैं तो गढ्ढे हैं गढ्ढे हैं तो उनको भरने के वाद..
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय कुछ पल - टाइम मशीन में - बड़े भाई से लम्बी बातचीत करने के बाद काफी देर तक छोटे भाई से भी फ़ोन पर बात होती है. यह दोनों भाई जम्मू में हमारे मकान मालिक के बेटे हैं. इन्टरनेट पर मेरे बच...
गत्यात्मक ज्योतिष ज्योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 7 ?? - ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के उपायों की जो श्रृंखला चल रही है , उसे अंधविश्वास न समझा जाए , क्यूंकि हमलोग ग्रंथों को सिर्फ पढते ही नहीं , उसके सिद्ध...
खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (126) : रामप्यारी -हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज के इस खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी मे रामप्यारी और डाक्टर झटका आपका हार्दिक स्वागत करते है. और ...
An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय कुछ पल - टाइम मशीन में - बड़े भाई से लम्बी बातचीत करने के बाद काफी देर तक छोटे भाई से भी फ़ोन पर बात होती है. यह दोनों भाई जम्मू में हमारे मकान मालिक के बेटे हैं. इन्टरनेट पर मेरे बच...
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जस्टिस तुलाधर कमीशन जस्टिस लिब्रहान ने अपनी सत्रह साला तहकीकात के बाद रिपोर्ट तो पहले ही दे दी थी लेकिन वही रिपोर्ट अब जाकर लीक हुई है. रिपोर्ट लीक के मामले में लीक करने वाले इसबार चूक से गए लगे. ये लीक भी कोई लीक है? असली लीक तो वह होती कि जस्टिस लिब्रहान अपनी गाड़ी में बैठकर रिपोर्ट कांख में दबाये सरकार को देने जा रहे हों और पहले रेड सिग्नल पर गाड़ी रुकते ही रिपोर्ट लीक हो जाए.....
भाषा की लड़ाई की आड़ में कांग्रेस को नये नये दैत्य पैदा करने और उनसे खेलने का पुराना शोक है। ये दैत्य पहले तो उसके अपने अंदर की कलह से पैदा होते और उन्हीं से निपटने के काम आते थे। चाहे भिण्डरांवाले हों या बाल ठाकरे। लेकिन इस बार मनसे का नया दैत्य उसने शिवसेना की काट के लिए पैदा किया है। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में इस कार्ड से कांग्रेस ने शिवसेना को किनारे लगा दिया है। लेकिन हर दैत्य हमेशा अपने मालिक का कहा नहीं मानता। एक दिन वह मालिक से आजाद होने लगता है और तब वह अपने ही मालिक को खाने लगता है..........
वैतागवाड़ी सेल्फ पोर्ट्रेट - *एडम ज़गायेवस्की की एक और कविता * *कंप्यूटर,* पेंसिल और एक टाइप राइटर के बीच गुज़र जाता है मेरा आधा दिन। एक दिन गुज़र जाएगी आधी सदी। मैं एक अजनबी शहर ..
भारतीय नागरिक - Indian Citizen क्या हमारी तरह का धर्म-निरपेक्ष होना वास्तव में उचित है? - हम सब लोगों को धर्म-निरपेक्षता का पाठ पढाया जाता है और यह सिखाया जाता है कि धर्म-निरपेक्षता की अवधारणा सबसे अच्छी अवधारणा है। लेकिन हमारी तरह का धर्म- निरपे...
PRAKAMYA संगीतकार चूहों ने बांधा समां - *क्या आपने चूहों को वाद्य यंत्र बजाते सुना है। लंदन में एक टीवी विज्ञापन के लिए बाकायदा चूहों का आडीशन लिया गया। इन चूहों को इन्हीं के आकार के ट्रम्पेट्स...
Science Bloggers' Association आप बता नहीं सकते कि पानी ठंडा है या गरम? - जी हाँ, आप नहीं बता सकते कि पानी ठंडा है या गरम। आप सोचेंगे कि कैसी बाते कर कर रहा हूँ मैं? भला आप क्यों नहीं बता पायेंगे कि पानी ठंडा है या गरम? तो फिर इस ...
सच्चा शरणम् पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -४ -*पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१* *पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२* *पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -३ से आगे.....* और इसीलिये, शायद इस..
हृदय गवाक्ष रब ने बना दी जोड़ी - मुझसे ठीक १० साल छोटी है वो। कुछ चीजें अनोखी हुई उसके साथ...... जैसे कि ११वें महीने की ११ तारीख को ११ बज कर ११ मिनट पर जन्म हुआ उसका। २८ अगस्त को ज..
मानसिक हलचल मां के साथ छूट - उस दिन हीरालाल ने मेरे सामने स्ट्रिप्टीज की। कपड़े उतार एक लंगोट भर में दन्न से गंगाजी में डुबकी लगाई – जय गंगे गोदावरी! [image: Liberty with Ganges]गोद..
बतंगड़ BATANGAD अब कितनी सनसनी होती है - रात के करीब साढ़े दस बजे थे। दफ्तर की छत पर खुले में बैठकर हम खाना खाने जा ही रहे थे। पहला कौर उठाया ही था कि संपादक जी का फोन आ गया। हर्ष, कोई गोलीबारी क..
जिला खेल दफ्तर सुविधा विहीन प्रस्तुतकर्ता राजकुमार ग्वालानी on 2:22 PM लेबल: जिला खेल दफ्तरएक फोन भी नहीं है किसी कार्यालय में प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के राजधानी रायपुर सहित सभी जिलों के दफ्तरों में फोन जैसी आवश्यक सुविधा भी नहीं है। इसी के साथ दफ्तरों को स्टेशनरी का जो खर्च दिया जाता है, वह ऊंठ के मुंह में जीरा से भी कम है। पाइका योजना के कारण सभी जिलों के खेल अधिकारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सभी दफ्तरों मेंं कम्प्यूटर तो जरूर है, पर इंटरनेट की सुविधा नहीं है
रात के ख़िलाफ़ कहानी - शायद अब वह नहीं आयेगा उस दिन वह अचानक ही मुझसे टकरा गया था। मेरा स्कूटर अस्पताल के छोटे सँकरे गेट के अन्दर दाखिल हो रहा था और उसकी साइकिल तेजी से बाहर न...
मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. अन्ताक्षरी कविताओ की भाग १ - सब से पहले आप सभी मेरी तरफ़ से इस सुंदर सुबह की नमस्ते, राम राम, सलाम, सत श्री अकाल आप सब कवियो , कवियत्रयो का ओर अन्य साथियो का दिल से स्वागत, आप सभी का...
हम तो रहमदिल हैं ! -- करण समस्तीपुरी
धुंध काली रात,
खनकते फ़ोन,
कंपकपाते हाथ,
हलक में फंसी जुबाँ,
संज्ञाशून्य !!
अब कहाँ-क्या हुआ ??.........
अनवरत रात की बारिश और फरीदाबाद से दिल्ली का सफर -रात सोने के पहले तारीख बदल चुकी थी। सर्दी के लिहाज से हलका कंबल लिया था, एक चादर भी साथ रख लिया। केवल कंबल में भी गर्मी लगी तो उसे हटा कर चादर से काम चला.....
क्वचिदन्यतोअपि..........! कवि को श्रद्धा सुमन! - आज मेरे प्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन जी की १०१वी जयंती है -इस अवसर पर उन्हें उन्हें उनकी ही कविताओं को पढ़ते हुए,गुनगुनाते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मन.
GULDASTE - E - SHAYARI - मासूमों की जानें गई थी आज ही के दिन, उस हादसे को याद करके भयभीत होती हूँ प्रतिदिन, आओ मिलकर करें हम सब अपने देश की हिफाज़त, खात्मा कर दें उन सारे आतंकवादियों...
BAL SAJAG कविता: फूल - फूल फूल हैं ये कितने कोमल, सुंदर दिखते हैं ये हर पल.... फूल की जातियां हैं अनेक, फ़िर भी सब मिलकर रहते एक.... कमल को कीचड़ में भी उग आता, फ़िर भी इतना सुंदर है...
बगीची महंगाई मार गई छपास में पढि़ए (अविनाश वाचस्पति) - मेरे सुबह सैरिया मित्र पवन चंदन आज एक लंबे अरसे बाद मिले थे। इसलिए मूड में थे आगे पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए क्लिक कीजिए....
शब्दों का सफर क्या हिंदी व्याकरण के कुछ नियम अप्रासंगिक हो चुके हैं? - [image: n] *सुयश सुप्रभ* दिल्ली में रहते हैं और अनुवादक हैं। उनका एक ब्लाग है-अनुवाद की दुनिया, जिसके बारे में वे लिखते हैं... हिंदी को सही अर्थ में जनभा...
कथा चक्र क्या आपने ‘पंजाबी संस्कृति’ पत्रिका पढ़ी है? - पत्रिका-पंजाबी संस्कृति, अंक-अक्टूबर-दिसम्बर.09, स्वरूप-त्रैमासिक, प्रधान संपादक-डाॅ. राम आहूजा, पृष्ठ-64, मूल्य-20रू.(वार्षिक 200रू.), सम्पर्क-एन. 115, सा.
"हिन्दी भारत" शत्रु मेरा बन गया है छलरहित व्यवहार मेरा - आज बच्चन जी की जन्मतिथि पर प्रस्तुत इस विशेष लेख के कारण शुक्रवार के मौलिक विज्ञान लेखन स्तम्भ का आज प्रकाशित होना वाला लेख आप इस बार आज शुक्र की अपेक्षा आगा...
प्राइमरी का मास्टर पुराना इतिहास डराता है कि बच्चा बोरिया बिस्तर बाँधने का समय आ गया है ? - ब्लॉग्गिंग की उलझनों पर बहुत बड़े -बड़े ज्ञानी कह गए सो हमारी क्या बिसात? फिर भी मन में था जो वह ठेल ही दिए.....शायद यह अपनी ब्लॉग्गिंग यात्रा का .............
कर्मनाशा मैं जेब में लिपस्टिक साथ लिए चलती हूँ - अभी कुछ देर पहले *कुछ पढ़ते - पढ़ते मन हुआ कि इस कविता का अनुवाद अभी बस अभी किया ही जाय और हो गया। अब जैसा भी बन पड़ा है..आइए देखते - पढ़ते हैं पोलैंड की ....
JHAROKHA वो भयानक दिन - आज वो खूनी मंजर फ़िर याद आ गया सब की आंखों को फ़िर से वो बरसा गया। मांएं इंतजार में बैठी बस नजरें बाट जोह रही विधवायें सूनी मांग लिये हर कोने में सिसक रहीं। ...
मेरी भावनायें... मोक्ष - वो तुम्हारे अपने नहीं थे जिन्हें साथ लेकर तुमने सपने सजाये सूरज मिलते सब अपनी रौशनी के आगे एक रेखा खींच ही देते हैं ! शिकायत का क्या मूल्य या इन उदासियों का...
स्वप्न(dream) थाम लिया है आँचल, अबकी बार ना छोड़ेंगे - प्रस्तुत है एक और गीत पुरानी डायरी से. थाम लिया है आँचल, अबकी बार ना छोड़ेंगे थाम लिया है आँचल, अबकी बार ना छोड़ेंगे ले जायेंगे उस पार तुम्हें, इस पार ना छ...
रचनाकार फ़ैज़ मुहम्मद क़ुरैशी की ‘दुनिया की तमाम बीवियों को समर्पित’ दो ग़ज़लें - [image: Image135] ग़ज़ल 1 मैं हूँ बीबी से परेशान तुम्हें क्या मालूम है मुसीबत में मिरी जान तुम्हें क्या मालूम जब से शादी हुई घर के रहे न घाट के हम मर...
Alag sa "ताजमहल" नाम है स्वाभिमान, गौरव तथा आस्था का. इसीलिए ठीक एक साल पहले...... - *"ताज महल" सिर्फ एक होटल ही नहीं है, अब वह स्वाभिमान, गौरव तथा आस्था का प्रतीक बन चुका है। शायद इसीलिए ठीक एक साल पहले......................................
bhartimayank "गोल-गप्पे (पानी-पूड़ी) घर में बनाएँ।" (श्रीमती अमर भारती) - * * *पानी पटाके, पानी पूरी या गोल-गप्पे देखकर * *किसके मुँह में पाही नही आ जाता!* * * *आइए आज आपको घर में ही * *स्वादिष्ट गोल-गप्पे बनाने की विधि बतलाती हूँ...
रंग रूप और ये काया , हे! ताऊ ये तेरी माया भाग - 2 - रंग रूप और ये काया , हे! ताऊ ये तेरी माया भाग - 1 में हमने ताऊ पहेली के पचासवे अंक में प्रवेश की चर्चा की थी. आज हम इसके किरदार पर नजर डालेगे की आखिर में य...
आज के लिए इतना ही.....बाकी कल......!
23 comments:
बहुत बहुत धन्यवाद आपका, इतनी सुगठित चर्चा प्रस्तुत करने के लिए.
आज की चर्चा निखर कर आयी है । बहुत से लिंक यहाँ इकट्ठे मिल गये हैं । आभार ।
बढ़िया चर्चा
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
अरे वाह!! कितने लिंक हमसे छूट गये थे जो यहाँ से मिले...बहुत आभार और सुन्दर विस्तृत चर्चा.
बहुत सारे लिंक के साथ बहुत अच्छी चिटठा चर्चा ...
आभार ...!!
अच्छी चर्चा, बढ़िया चर्चा आभार ...!!
अच्छी सचित्र चर्चा
गोलगप्पा चर्चा
सुंदर और विस्तृत चर्चा के लिए आभार!
बहुत सुन्दर एवं विस्तृत चर्चा शास्त्री जी !
गोलगप्पा चर्चा
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
mumbai tiger
bahut hi swasth charcha rahi.
बड़ी विस्तृत और बहुआयामी बन गयी चर्चा आज तो...आभार.
अच्छी चर्चा.......
achhi charcha...kitne saare link mil gaye...jo padhne se rah gaye the...shukriya
बहुत अच्छी lagi yeh charcha...
आप की यह चरचा तो बहुत अच्छी लगी जी
बढ़िया चर्चा ......
लगता है सभी चिट्ठॆ इकत्रित किए गए है। बढिया है शास्त्री जी॥
एक ही जगह सबको इकट्ठा पढने का मजा ही कुछ और है।
शास्त्री जी आपने बहुत सारे चिठ्ठो को इसमे समेट लिया है इस परिश्रम हेतु साधुवाद ।
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