Thursday, October 01, 2009

हर नज़्म नाम उनके औ' वो कहते हैं कोई तो मेरे यार का इशारा मिले (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार चर्चा हिन्दी चिट्ठो के ३३वे. अंक में मै पंकज आपका स्वागत करता हु .


अपने समीर जी को तो लोग बाग़ सुबह पौ फटते ही पढ़ लेते है फॉर भी एक तरह की पूजा समझकर मै उनकी हरपोस्ट यहाँ प्रकाशित करता हु . आशा है समीर जी अपनी कृपा दृष्टी हम जैसे नए ब्लॉगर के ऊपर हमेशा बनाएरहेगे !




मुझे मेरा फोटो
पसंद है..
मैं रिहाई का
तलबगार नहीं...

मुझ पर रहम करो..
मुझे आजाद मत करो!!!

-समीर लाल 'समीर'



ताउजी का नया किस्सा . तीन बुलाए तेरह आये दे दाल में पानी
अबकी बार रामप्यारी कुछ यूं आवाजे लगा कर खेल रही थी - जिस
उल्लू के पट्ठे को उतरना है वो उतर जाए, जिस उल्लू के पट्ठे को चढ़ना है
वो चढ़ जाए । रेलगाड़ी पहले ही एक उल्लू के पट्ठे की वजह से दो घंटे लेट
हो चुकी है .....




मेघदूत " कवि कालिदास की रचना " बहुत ही सुन्दर तरहसे एक एक श्लोक का भावार्थ बता रहे है कल्पतरु पर विवेक रस्तोगी .





रागेष्वलब्धविषयेषु वेदना महती तु या।

संशोषणी तु गात्राणां तामुत्कण्ठां विदुर्बुधा:॥


भारती के जन्म-दिन को मैं मनाना भूल जाऊँ,
स्वप्न में भी यह कभी भी हो नही सकता।


इक सलोना नीड़ सुख का मैं बनाना भूल जाऊँ,
स्वप्न में भी यह कभी भी हो नही सकता।

वो पलटते हैं मेरी डायरी के सफे कि कोई तो मेरा किस्सा पुराना मिले,




हर नज़्म नाम उनके ' वो कहते हैं कोई तो मेरे यार का इशारा मिले



कुछ उनकी नाजों-अदा और कुछ मेरी यह चुप रहने की आदत




कभी तो समझे वो इन ज़ज्बातों को तो सबको एक फ़साना मिले

दर्पण शाह

वेग नीर में, आनंद पीर में,


रोशन जीवन शंख दियों सा।

नश्वर पीड़ा, शान्ति अमर है,

अठखेलीयों में हिरणियों सा।


इंसान की चांद पर बसने की कल्पना है बहुत खूबसूरत। इंसान प्रायः हर खोज
खूबसूरती को ध्यान में रखकर ही करता है। इंसान खूबसूरती का गुलाम है।
स्त्री को उसने सिर्फ इसलिए गुलाम बनाया हुआ है, क्योंकि वो खूबसूरत है।
यहां बदसूरत स्त्रियों को प्यार तो क्या उन पर स्त्री-विमर्श भी नहीं किया
जाता।


जब भी तुझको याद करते हैं सनम[faq.jpg]


खुद को ही बरबाद करते हैं सनम
आपके पहलू में निकले अपना दम
बस यही फरियाद करते हैं सनम




खाश खबर
वैज्ञानिकों ने अब ये साबित कर दिया है कि साइकिल चलाने वाले बन सकते हैं
नामर्द...अगर आप कुंवारे हैं या फिर शादीशुदा और अगर आप चाहते हैं आपकी
गोद में आपकी संतान खिलखिलाए...तो आपको अभी से हो जाना पड़ेगा सतर्क। आपको
साइकिल चलाने और ख़रीदने से पहले काफी सावधानी बरतनी होगी ताकि आपकी एक
छोटी सी लापरवाही आपके दांपत्य जीवन पर ग्रहण ना लगा दे।



कार्टून जगत







मेरी चाहत
तुझे दुल्हन बना दूँ
तुझे ख्वाबों के
सुनहले तारों से
सजा दूँ
तेरी मांग में
सुरमई शाम का
टीका लगा दूँ



एक यहां का बेटा, एक वहां का बेटा.
किन उनसे कुछ ही फ़ीट की दूरी पर मेरा चैन हराम हो गया.
समझ ही नहीं रहा था कि क्या ऐसा हो सकता है कि किसी का बाप गुज़र जाए और
वह उन्हें देखने भी जाए. पिता की मृत्यु की ख़बर सुन कर भी छुट्टियां और
जश्न मनाता रहे. क्या ऐसा हो सकता है कि एक बेटा कह दे कि बाप के शव को
संभाल कर रख दो, हफ़्ता भर जश्न मनाने के बाद आकर आख़िरी रस्म अदा कर
देंगे.

अनकही बातें
बातें कहीं भी शुरु हो जाMy Photoती है. जंगली घास की तरह थोडी सी नमी में पनप
जाती है. कभी गोल गोल घूम कर वहीं खडी हो जाती है....कभी यूं ही बरसात
की तरह बरस जाती है. कभी खेतों सी लहलहाती है.....और उन पर अनाज से लगतें
हैं किस्से. बातों बातों में अफसाने उग आते हैं.


स्वास्थय
मूत्रवर्धक , हाई बीपी स्टेरॉयड , कार्टीजोन , स्किन की बीमारियों की
दवाएं और गर्भ - निरोधक दवाएं लगातार 6 महीने से ज्यादा वक्त तक लेते रहने
से पैंक्रियाज के काम करने पर बुरा असर पड़ता है। इससे इंसुलिन बनना कम हो
जाता है और डायबीटीज की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा , दिल की बीमारी
होने या पैंक्रियाज ग्लैंड में सूजन होने पर डायबीटीज होने की आशंका काफी
बढ़ जाती है।



दिन है बड़ा मटमैला सा !!!
अब न शाम-सहर
दिन है बड़ा मटमैला सा
उड़ गया चैन मेरे हाथों से
नीँद की ही तरह
अब न शाम- सहर

रातें जो न हों तारों भरी
हम जुगनू लेकर चल लेते
छल करता है सूरज जब-जब
छाया का टुकड़ा दे दे कर
दिन का है कहो , ये कौन पहर
अब न शाम- सहर

खबर-ए खाश
सरकारी वकील को बचाने के लिए प्राईवेट वकील किया गया


प्यार
मोहब्बत तो शमा को भी थी परवाने से
इसलिए तो ज़माने से जल रही थी
बस कहती थी, मगर उस रोज़ जो उसने देखा
कि वो परवाना सारी रात जाग उसे ताकता रहा
तो उससे रहा गया,कर दिया इज़हार--मोहब्बत
कह दी दिल कि बात,और परवाने ने
जैसे ही उसे छूने को बढाया अपना हाथ
वो जलकर राख हो गया…वो जलकर राख हो गया




चांद की चिंता




चांद ने कहा सूरज से तुम
मुझे सुरक्षा दो
या सुखा दो
वरना ये मेरा अंग अंग तोड़ देंगे
और सारा पानी निचोड़ लेंगे
ये अपने कदम अंतरिक्ष में बढ़ाना चाहते हैं
पृथ्वी के साथ साथ मुझे भी सड़ाना चाहते हैं

सतीश पंचम जी
अबके बरस भेज भईया को बाबूल
सावन में लिजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरी बचपन की सखियां
दिजो संदेसा भिजाय रे.....


!!!!!!!!ब्रेकिंग न्यूज़ !!!!!!!


चच्चा टिप्पू सिंग ने दिया है खुलेआम चैलेंज !!
चिट्ठा चर्चा

जो भी टेंपलेट ये लगायेंगे हम उसी को तुरंत लगा देंगे.
अगर आप टिपणीकर्ता हमे गलत समझते हैं तो बिना हिचक बताईये हम तुरंत यह ब्लाग बंद कर देंगे। और अगर आप समझते हैं कि चच्चा टिप्पू सिंह सही कह रहे हैं तो आप इस न्याय की बात मे हमारा साथ दिजिये और चच्चा टिप्पू सिंह के सम्मान की रक्षा किजिये जो इसने सरेआम नीलाम किया है..

और उस पर आयी कमेन्ट । किसी का छाट कर नही लिख रहा हु अभी तक जितनी कमेन्ट आयी है सभी लिख रहा हु !!
अनूप शुक्ल said... @ September 30, 2009 11:44 AM

चच्चा आप महान हो। हम आपसे सहमत हैं। मस्त रहिये।और जहां तक रही सर कटाने की बात तो आपको एक फ़ंडा बतायें। जो सर काटने की बात करे उसके ब्लाग पर एक बार टिपियाने की बात करना और एक बार पसंद करने की। देखना वो अपना सर झुका के वापस चला जायेगा।

Udan Tashtari said... @ September 30, 2009 11:57 AM

टिप्पू चाचा, आप जाने की बात मत करो.

अनूप जी तरह मैं भी आपके साथ सहमत हूँ. डटे रहो. अच्छा प्रण है, ऐसा ही होना चाहिये:

'अन्याय के आगे नही झुकेंगे। सर कट जाये मगर सम्मान नही खोयेंगे।'

राजेश स्वार्थी said... @ September 30, 2009 6:32 PM

चच्चा, मुझे भी डराया है उसने, बोलता है छोड़ूंगा नहीं. आप डांट दिजिये उसे.

कुश said... @ September 30, 2009 7:09 PM

टिप्पू चचा दोबारा पढ़ लीजिये.. हमने जो लिखा है

वैसे मैंने ये आपकी इस टिपण्णी चर्चा के लिए नहीं लिखा था.. मैंने तो उस ब्लॉग के लिए लिखा जो जितनी तेजी से आया था उतनी ही तेजी से निकल लिया.. ये वाले ब्लॉग के लिए नहीं लिखा गया.. मेरी ही टिपण्णी में अजय जी से क्या कहा गया है पढ़ लीजिये.. खामख्वाह इत्ती लम्बी पोस्ट लिख डाली आपने..

हमारी टिपण्णी के जो अक्षर बोल्ड करने चाहिए थे वो तो आपने किये ही नहीं.. चलिए मैं कर देता हूँ
टिपण्णी चर्चा के बारे में नहीं कहा गया.. जिसके बारे में कहा गया है उन्हें पता है.. आप व्यर्थ में चिंतित न हो..

ताऊ रामपुरिया said... @ September 30, 2009 7:10 PM

चच्चा अब गुस्सा छोडो भी, बच्चे हैं. आपके आने से किसे तकलीफ़ होगी? बल्कि खुशी ही होगी. आपके आने से कोरम पूरा हुआ. हम ताऊ और आप चच्चा.

वैसे अनूपजी की बात से हम सहमत हैं. चच्चा आप गुस्सा थूके और प्रसन्न रहे, हम सब आपके साथ हैं. आपको कोई गलती दिखे तो आपको डांटने का अधिकार है.

चच्चा टिप्पू सिंह की जय हो.

रामराम.

राजेश स्वार्थी said... @ September 30, 2009 7:27 PM

kush ji hamesha apni baat kah kar badal jate he. yah inki adat he. jab fans jate he, to chupne lagte he ki mene nahi kaha. itna darte he to shuru kyun karte he.

राजेश स्वार्थी said... @ September 30, 2009 7:27 PM

chacha inko danto.

Ratan Singh Shekhawat said... @ September 30, 2009 7:57 PM

चच्चा
ताऊ द्वारा कही बात हमारी भी मानी जाय |

Vivek Rastogi said... @ September 30, 2009 9:07 PM
चच्चा हम भी ताऊ से सहमत।




14 comments:

हेमन्त कुमार said...

स्वस्थ चर्चा । आभार ।

Himanshu Pandey said...

हिन्दी चिट्ठॊ की चर्चा का यह अंक भी खूबसूरत है । आभार ।

Randhir Singh Suman said...

nice

Arvind Mishra said...

बढिया चर्चा ,नियमित चर्चा !

विवेक रस्तोगी said...

अरे वाह उत्तम चर्चा बहुत सारे चिट्ठों की लिंक मिल गयी पढ़ने के लिये जो छूट गये थे।

अविनाश वाचस्पति said...

चर्चा चांदपानी की
ब्‍लॉग जगत की कहानी की

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हिन्दी चिट्ठाकारों की बातों को आप प्रमुखता और त्वरित गति से
"चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" में निष्पक्ष-भाव से उजागर करते हो।
इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं।
बधाई भी स्वीकार कर लें।

ताऊ रामपुरिया said...

वाकई बडी जानदार चर्चा है. आपकी मेहनत को सलाम बंधू. आपकी यह कोशीश एक दिन अवश्य रंग लायेगी.

रामराम.

विनोद कुमार पांडेय said...

प्रस्तुति लाज़वाब है जी..धन्यवाद..

दिगम्बर नासवा said...

आपकी चिटठा चर्चा बहूत रोचक होती जा रही है ........... ऐसे ही बनाएं रक्खें ..........

सदा said...

बहुत ही लाजवाब प्रस्‍तुति, आभार

निर्मला कपिला said...

लाजवाब प्रस्तुति बधाई

दर्पण साह said...

sabhi charcha utkrisht lagi...

binma dare thelte rahiye....

"हिन्दी चिट्ठाकारों की बातों को आप प्रमुखता और त्वरित गति से
"चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" में निष्पक्ष-भाव से उजागर करते हो।"

dr. sahab ki baaton se ewal sehmat hi nahi hoon balkin main bhi yahi maanta hoon..

स्वप्न मञ्जूषा said...

vastav mein aapki gati aur nishpakshata sarahneey hain...

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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