Sunday, October 04, 2009

दस पोस्ट की चर्चा (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार रवीवारी चर्चा में आपका स्वागत है , पता है आज छुट्टी है फिर भी १० पोस्ट तो पढ़ सकते है ना जनाब ,
प्रस्तुत है १० पोस्ट की चर्चा .


कल की पोस्ट हुई थी गांधी जयंती विशेष और आज की पोस्ट है चर्चा विवाद विशेष .


टिप्पू चाचा अपने वादे पर डेट है और उन्होंने टेम्पलेट भी बदल कर एकदम चिट्ठा चर्चा जैसा ही कर दिया है. चाचा ने कुछ नियम कानून भी बनाये है ब्लागिंग के आप भी पढ़ लो .

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चच्चा टिप्पू सिंह के ब्लाग नियम


किसी की भी मगरुरता से खिल्ली मत उडावो।

भूलकर भी किसी महिला ब्लागर का मखौल मत उडावो।

खाली सनसनी फ़ैलाने के लिये किसी भी ब्लागर का नाम मत ऊछालो।


किसी से भी जल कर उसके बारे मे कुछ मत लिखो।

दूसरे की इज्जत भी अपनी जितनी ही प्यारी समझो।

अगर
आपको लगता है कि किसी की खिल्ली आप ऊडाये जिससे की सबको आनंद आयेगा तो आप
पुर्व मे उसकी परमिशन ले लिजिये बिना परमिशन किसी भी हालत मे तेज चैनल
बनने का प्रयास नही करें।

खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी का दिल ना दुखाये..ये आपका काम नही है। आप ब्लाग नैतिकता का पालन करें।
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कार्टून जगत में आज है काजल कुमार जी का कार्टून

[Clipboard01.jpg]


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वे मुझसे मिलने आयीं भरत मिलाप देखने के बहाने !
अभी उसी दिन उनका फोन आया था -"अरविन्द जी ,आप लोग भोपाल आईये न काफी
दिनों से आप लोगों से भेट नहीं हुई है "और मेरा औपचारिक प्रत्युत्तर भी
मानो प्रस्तुत होने को तत्पर था ! "आप आईये न बनारस ,आपको नाटी इमली का
भरत मिलाप और रामनगर की रामलीला दिखाते हैं "
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आओ चलें साजन सुधियों के गांव में
सरिता के तट पे घने पीपल की छांव में

बीत गया पतझड़ बसंती बहार है
फूलों से सुगंधित महकी बयार है


अम्बर का इन्द्रधनुष सपनों का आंचल
गीतों के संग बजे गीतों की पायल

शाखों पे सरसों के फूलों का झूमना
नन्हे परिन्दों का अम्बर को चूमना

भोर भए यूं चिड़ियों का फिर गीत गाना
परदेसी जल्दी से घर लौट के आना

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बढ़ चले थे


मेरे कदम

अज्ञात पथ की ओर

दिशा हीन मैं

तुमने कहा

मत जाओ

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आंख


यों ही बहुत
सुन्दर तुम्हारी
बडी काली आंख।
कमल, खंजन,
हरिण सबको
मात करती आंख।
अनगिनत से
भाव भरती
अदा जी का सवाल
हाँ तो आज सोचे कुछ अलग हो जावे... बस इसी बहाने पहुँच गए बचपन में...जब हमारे घर गाय बियाई थी...
सुबह-सुबह
ग्वाला आता था गाय दुहने और हम होते थे उनके पीछे पीछे ...नन्हा सा बछड़ा
और हमरा हाथ उसकी गर्दन पर सहलाता हुआ...ग्वाला का नाम था 'करुवा'...अब
करुवा गाय दुह रहा था ..हमको मालूम था कि कुछ दिन तक उ गाय का दूघ हम लोग
नहीं पी सकते हैं ..नई बियाई थी न..उसके दूध से 'खिरसा' बनेगा....
हम
बस लटके रहे बछा के साथ और देखते रहे गाय दुहना कि हमरा मन कैसा-कैसा तो
हो गया देख कर...दूध की जगह लहू की धार निकल गयी थी....करुवा रुक गया ..का
जानी का किया फिर दुहने लगा और अब दूध ही निकला...
लेकिन उ लहू की धार हमरे मन में ऐसा बैठी की बस हमरा दूध पीना बंद..और जो उस दिन हुआ उ आज तक बंद ही है...
इ बात हम सोचते-सोचते अब बुड्ढे होने लगे हैं फिन आज सोचे बोल ही देवें.

...
इसी दिवस से पण्डित लालबहादुर का है नाता।।





धन्य हो गई भारत की धरती इन वीर सपूतों से।

मस्तक ऊँचा हुआ देश का अमन-शान्ति के दूतों से।।
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"खुला पत्र अब ब्‍लॉगरों के नाम : दो शब्‍द अर्थ अनेक कितने नेक (अविनाश वाचस्‍पति)"


ब्‍लॉगर पीछे ब्‍लॉगर बोलो बोलो कितने ब्‍लॉगर
और अब ...
1. ब्‍लॉगर 2. सेलीब्रिटी
1. सेलीब्रिटी ब्‍लॉगर 2. ब्‍लॉगर सेलिब्रिटी
उपर जो दो शब्‍द हैं
उनके सिर्फ दो विकल्‍प ही बनते हैं
एक को आगे कर लो एक को पीछे कर लो पीछे वाले को फिर आगे आगे वाले को फिर पीछे
शब्‍द दो विकल्‍प दो अर्थ नेक
क्‍या इनके और भी विकल्‍प हो सकते हैं। अगर हां तो अवश्‍य बतलाने का कष्‍ट कीजिएगा।
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रोज सुबह नहाधोकर पूजा करना, माथे के साथ ही थोड़ा सा सिंदूर अपनी मांग में बालों की ओट में ही कहीं लगा लेना. कुछ ऐसी ही चोरों जैसी शुरूआत होती है दिन की. यह सोचकर बहुत सकूं आता है कि जिसे समय से न छीन सकी कल्पना लोक में उस निर्मोही पर मेरा वश चलता है.
फिर

भी भूल से जब लौट कर आती हूं अपने अस्तित्व की ओर, तो नजारा कुछ और ही
होता है. मेरी नजर में सिंदूर महज लाल रेत है, जिसे हथियार बना कर पुरूष
महिलाओं पर राज करना चाहते हैं. यह सोचकर ही अजीब लगता है कि एक मंगलसूत्र
पहनने के लिए मेरे सर पर किसी पुरूष का हाथ होना जरूरी है. अरे भई, मैं
नहीं मानती इन बातों कोमेरा फोटो
अगर मुझे मंगलसुत्र पसंद है, तो मैं बिना शादी के भी उसे पहन सकती हूं, क्यों किसी मर्द का मुंह तकूं....

8 comments:

Randhir Singh Suman said...

good

प्रवीण त्रिवेदी said...

धन्यवाद!!


"मिड डे मील ....... पढ़ाई-लिखाई सब साढ़े बाइस !!"

Arvind Mishra said...

रंग जम रहा है चर्चा का !

Meenu Khare said...

बहुत अच्छी चर्चा. कविता "उस शाम" के साथ "वो मुझसे मिलने आईं ..." बहुत पसन्द आई. सभी को बधाई.

दिगम्बर नासवा said...

SUNDAR CHITHA CHARCHA HAI AJ TO .... SAB LJAWAAB POST LE KAR AAYE HAIN AAJ AAP .....

L.Goswami said...

आज चिठ्ठाचर्चा में आपके इस प्रयास की चर्चा देखि ..सुन्दर है आपका प्रयास जारी रखें ..शुभकामनायें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

निष्पक्ष रूप से चिट्टाकारों को प्रविष्टियों को शामिल करने के लिए धन्यवाद।

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut badhiyaa..

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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