Monday, October 05, 2009

निर्मला कपिला जी की पहली पोस्ट वीर बहुटी पर !


नमस्कार जैसा कि आप जानते है हमारा आज का साप्ताहिक प्रस्तुती होता है , किसी एक ब्लॉगर के पहले पोस्ट को प्रकाशीत करने का .
आज इस कड़ी में है हमारे ब्लागजगत की श्रीमती निर्मला कपिला जी . और उनकी पहली पोस्ट वीर बहुटी पर .
निर्मला जी ने ये पोस्ट लिखी थी

November 26, 2008 शीर्षक कविता जिन्दगी


लिख्नना बहुत कुछ चाह्ती हूं मगर लिख्नना नहीं आता नएएसीख रही हू ध्न्याबाद आपने मुझे एक नयी दुनियाँ से परीचित करवाया

कविता (जिन्दगी)

खिलते फूल सी मुसकान है जिन्दगी
समझो तो बरी आसान है जिन्दगी
खुशि से जिए तो सदा बहार है जिन्दगी
दुख मे तलवार की धार है जिन्दगी
पतझर बसन्तो का सिलसिला है जिन्दगी
कभी इनयतेन तो कभी गिला है जिन्दगी
कभी हसीना सी चाल सी मटकती है जिन्दगी
कभी सूखे पते सी भट्कत है जिन्दगी
आगे बदने वालोन के लिये पैगाम है जिन्दगी
भटकने वालोन की मैयखाने मे गुमनाम है जिन्दगी
निराशा मे जी का जन्जाल है जिन्दगी
आशा मे सन्गीत सी सुरताल है
कह मखमली बिस्तेर पर सोती है जिन्दगी
कभी फुटपाथ पर पडी रोती है जिन्दगी
कभी होती थी दिल्बरे यार जिन्दगी
आज चौराहे पे खडी है शरमसार जिन्दगी
सदिओन से मा के दूध की पह्चान है जिन्दगी
उसी औरत की अस्मत पर बेईमान है जिन्दगी
वरदानो मे दाऩ क्षमादान है जिन्दगी
बदले की आग मे शमशान है जिन्दगी
खुशी से जीओ चन्द दिन की मेहमान है जिन्दगी
इबादत करो इसकी भगवान है जिन्दगी



~~~~अब आज का नमस्कार ~~~~



13 comments:

Arvind Mishra said...

एक चिट्ठा ,एक चर्चा मगर महनीय चर्चा !

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ये ही जिन्दगी है,कुछ खट्टी कुछ मीठी,कुछ कड़वी कुछ खारी
धन्यवाद आपने निरमला जी की पहली पोस्ट से परिचित कराया

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत आभार जी आपका उनकी प्रथम ब्लाग कृति पढवाने के लिये.

रामराम.

Anil Pusadkar said...

आभार आपका।

seema gupta said...

बेहद सराहनीय प्रयास , निर्मला जी की पहली प्रस्तुती से अवगत कराने का आभार...

regards

संगीता पुरी said...

गजब की रचना .. बहुत आभार आपका !!

निर्मला कपिला said...

iइतनी गलतियाँ । माफ करें तब मैने पहली बार कुछ टाईप करना सीखा था। कुछ भी नहीं जानती थी कम्प्यूटर के बारे मे मेरे दामद जी ने बिठा दिया जबर्दस्ती तो अब मुझे उठाने के लिये उन्हें जबरदस्ती उठाना पडता है। खैर बहित अच्छा लगा अपनी गलतोयों पर टिप्पणी करना। धन्यवाद आपका

रंजू भाटिया said...

सुन्दर रचना है शुक्रिया

Randhir Singh Suman said...

खुशी से जीओ चन्द दिन की मेहमान है.nice

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

ये भी एक बढिया प्रयास है !

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर रचना .....पढवाने के लिये शुक्रिया!

अपूर्व said...

भाई बेहतरीन प्रयास है आपका..और नये नये कन्सेप्ट ले कर आते हैं..वरन इतने सीनियर ब्लॉगर्स की शुरुआती पोस्ट्स हम जैसे नये रंगरूट तो पढ़ ही नही पाते..निर्मला जी की खूबसूरत कविता पढ़्वाने के लिये शुक्रिया..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

निर्मला कपिला जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
इस श्रम-साध्य खोज के लिए
मूर्धन्य चर्चाकार को धन्यवाद!

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