Saturday, October 10, 2009

चर्चा का ४२ वां अंक श्री ताउजी को समर्पित है

नमस्कार , पंकज   कुमार  मिश्रा , आज चर्चा के साथ , यह हमारा चर्चा का ४२ वां अंक है . आता जाता मुझे कुछ नहीं था लेकिन आप बड़े बुजुर्ग का आर्शीवाद और हमउम्र का साथ ने काफी कुछ सीखा दिया . बात चली है तो बता देते है आज का चर्चा हमारी ब्लागजगत के श्री ताउजी को समर्पित है .
अब चलते है अपने पहले चिट्ठा चर्चा की तरफ बात करते है महफूज अली जी के लेख की
सपनों कि मंज़िल  तक पहुँचने कि[clip_image003.jpeg]
ख़्वाहिश है,
पर रास्तों में कांटो की बारिश है,
किस कदर अपने क़दमों को रोकूँ मैं?
इधर कुआँ, तो उधर खाई नज़र  आई है.

 

 

 

 

दूसरी तरफ है अपने ओम भाई - कविता लेकर
अपने नन्हे ख्वाबों की ऊंगली
देना मेरे हाथों में[ZA.JPG],

वे मेरे भी होंगे
सिर्फ़ तुम्हारे नही.
अपनी देह में
तुम्हे संजोकर,
हर्फ़ हर्फ़ जोड़ा है तेरा,
कतरा-कतरा बुना है
तेरी अस्थियों और मज्जों को
भरा है उनमे अपना लहू और


 

अनिल पुष्कर जी ने अपने ब्लॉग पर लिखा  है -

anilPUSADKAR मेरा किसी का दिल दुखाने का इरादा भी नही था मगर मै जानता हूं कि तरकश से निकला तीर किसी न किसी को तो चोट पहुंचाता ही है।मै तो बस ये कहना चाह्ता था कि सभी धर्म समान है और यदी आप दूसरे धर्म का सम्मान करेंगे तो आप को भी उतना ही सम्मान मिलेगा।आप अपने धर्म का प्रचार करिये हमारा भी ज्ञान बढेगा और जिसे जो ग्रहण करना हो वो करेगा लेकिन इसका मतलब ये नही है कि आप दूसरे धर्म को नीचा दिखायें।सब लोग समझदार है।सब अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से तय कर लेते हैं उन्हे क्या करना है क्या नही?आप ये मत बताईये कि हम क्या करें क्या नही तो ठीक रहेगा।

अब  आगे  चलते  है  चच्चाmailnlogo  टिप्पू  सिंह  के टिप्पणी  चर्चा  पर
खुबसूरत कलेवर में की गयी टिप्पणी चर्चा

अपने शास्त्री जी का जवाब नहीं हर रोज नयी कविता उनके ब्लॉग पर , आज लिखा है विद्यालय के ऊपर कविता .
विद्या का भण्डार भरा है जिसमें सारा।
हमको अपना विद्यालय प्राणों से प्यारा।।
नित्य नियम से विद्यालय में हम पढ़ने को जाते हैं।।school copy
इण्टरवल जब होता है हम टिफन खोल कर खाते हैं।
खेल-खेल में दीदी जी विज्ञान गणित सिखलाती हैं।
हिन्दी और सामान्य-ज्ञान भी ढंग से हमें पढ़ाती हैं।।
कम्प्यूटर में सर जी हमको रोज लैब ले जाते है।
माउस और कर्सर का हमको सारा भेद बताते हैं

श्यामल सुमन जी का बेहतरीन कविता -
बात समझ में आये, यह जरूरी नहीं,
पर अंग्रेजी चैनल देखना अनिवार्य है,SSJ1
वर्तमान भारत में शान से जीने के लिए,
अंग्रेजियत की छाप भी तो अपरिहार्य है।
आगे लिखते है कि
अंग्रेजी चैनल देखना अनिवार्य है,

अदा जी की रचना , शुपुर्नखा
shurpnakhaशूर्पनखा ! हे सुंदरी तू प्रज्ञं और विद्वान्,
किस दुविधा में गवाँ आई तू अपना मान-सम्मानvanvas_ramayan
स्वर्ण-लंका की लंकेश्वरी, भगिनी बहुत दुराली
युद्ध कला में निपुण, सेनापति, पराक्रमी राजकुमारी
राजनीति में प्रवीण, शासक और अधिकारी
बस प्रेम कला में अनुतीर्ण हो, हार गई बेचारी
इतनी सी बात पर शत्रु बना जहान
शूर्पनखा ! हे सुंदरी तू प्रज्ञं और विद्वान्,

गोदियाल साहब ने लिखा है इन धर्म प्रचारको पर आप भी पढिये
यही कहूँगा कि हे खुदा, चलो आपने किसी को तो अक्ल बख्शी, इनको भी बख्शना !
और अंत में : burqa_325

पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता, मगर शायद इस लेख के बाद मेरे इस ब्लॉग 8oct_cart1पर कुछ "ख़ास मेहमान" भी आएँगे, तो उनको अपनी तारीफ़ में पहले से ही कुछ कहना चाहता हूँ !

क्या करू, मुझे अपनी तारीफ़ ठीक से करनी भी नहीं आती, जब करने लगता हूँ तो कुछ भी उटपटांग बोल जाता हूँ अब इस शेर को ही देख लीजिये:
हूँ तो बहुत कुछ, मगर जो हूँ वो मैं दिखता नहीं,

खूब लिखना भी जानता हूँ, मगर मैं लिखता नहीं !

मारवाड़ की मशहूर और नायाब जूतियाँ

राजस्थान का मारवाड़ प्रदेश जोधपुर जैसलमेर  पाली जालोर सिरोही बाड़मेर जिलों को मिला कर बना है.इस इलाके में ऊँठ बहुतायत से पाए जाते हैं इसलिए ऊँठ के  चमड़े से कुटीर उद्योग पनपे और आज जोDSCN2874धपुर कि बनी जूतियों कि एक अलग पहचान है .मुलायम चमड़े पर खूबसूरत कसीदा जूतियों कि शान में चार चाँद लगा देता है.अस्सी रूपये से लेकर दो सौ रूपये तक में आप एक खूबसूरत जोड़ा खरीद सकते हैं.काकेलाव गाँव के चोराहे पर कोने में नीम के पेड़ के नीचे बैठा शंकरजी मोची काफी पीडियों से यही काम कर रहा है

शरद्कोकस जी  बता रहे है पुरस्कारो की बात
मेरी मान्यता यह है कि अधिकांश पुरस्कार 50 या उससे कम आयु वाले लेखकों को ही दिये जाने चाहिये -60, 70, 80 की उम्र में लिये जाने वाले पुरस्कार यदि हास्यास्पद और निरर्थक नहीं तो करुणास्पद अवश्य लगने लगते हैं । रही बात आलोचकों को दिये जाने वाले पुरस्कारों की , तो वहाँ स्थिति कुछ चिंतनीय है । जब तक मैं देवीशंकर अवस्थी सम्मान निर्णायक-मंडल में रहा ,मैंने देखा कि पुरस्करणीय पुस्तक खोज पाना आसान नहीं था फिर यह कि अधिकांश आलोचना कविता और गल्प पर लिखी जा रही है और अन्य विधाओं पर समीक्षा का लगभग कोई अस्तित्व नहीं है । मुझे लगता है कि आलोचना के क्षेत्र में वर्ष की सर्वोत्तम समीक्षा, सर्वोत्तम निबन्ध ,सर्वोत्तम मोनोग्राफ, सर्वोत्तम शोध-प्रबन्ध और सर्वोत्तम पुस्तक पर सम्भव हो तो विधावार पुरस्कार दिये जाने चाहिये । शायद इससे हमारी व्यापकतर आलोचना का स्तर कुछ कम शोचनीय हो सके ।

सदगुरु वचनामृत : पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी की कलम से
 उत्साह जीवन का धर्म , अनुत्साह मृत्यु का प्रतीक है उत्साहवाmahendra mishraन मनुष्य ही सजीव कहलाने योग्य है उत्साहवान मनुष्य आशावादी होता है और उसे सारा विश्व आगे बढ़ता हुआ दिखाई देता है विजय, सफलता और कल्याण सदैव उसकी आँख में नाचा करते है . जबकि उत्साहहीन ह्रदय को अशांति ही अशांति दिखाई देती है

एक लाइन में चलती हुईं ताजा प्रविष्ठियां दिखाएं (Horizontal scrolling recent posts)ashish-1
क्या आप अपने ब्लॉग पर ताज़ा प्रविष्ठियों को एक ही लाइन में चलता हुआ (स्क्रॉलिंग) दिखाना चाहते हैं। पोस्ट के ऊपर या फिर साइडबार में। इस तरह चलती हुईं प्रविष्ठियां जगह भी कम घेरती हैं और पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित भी करती हैं

 

हिन्द की खातिर मिटने वालो ! हमको तुम पर नाज़ है .... हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा देशभक्ति गीत की प्रस्तुति

 

अब आज का नमस्कार, कैसा लगा हमारा प्रयास हमे अवगत कराये !!!!

22 comments:

Asha Joglekar said...

Wah jee aapne to sab acheache blogs ginwa diye. dhanywad.

Udan Tashtari said...

यह समर्पण भी खूब रहा...बेहतरीन चर्चा. रंग बिरंगी..मनमोहनी.

श्यामल सुमन said...

सुन्दर और सराहनीय प्रयास है आपका - कई चिट्ठों को एक साथ पढ़ने का अवसर मिला। शुभकामना।

सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com

Gyan Darpan said...

बढ़िया प्रयास |

Arvind Mishra said...

चलता रहे यह सफ़र यूं ही कदम इक कदम !

विनोद कुमार पांडेय said...

सभी सुंदर लेखों और कविताओं का एक स्थान पर उपलब्धता कितना सराहनीय प्रयास आपका...बधाई..

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर है आपका प्रयास!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पंकज मिश्र जी।
नमस्कार के जवाब में आपको अभिवादन!
रही बात आपके प्रयास की-
आपका प्रयास सराहनीय ही नही अपितु ब्लॉगर्स में नये उत्साह का भी संचार करता है। इतना ही नही चर्चा में स्थान न पाने वाले नये ब्लॉगर्स को अच्छा लिखने के लिए आप प्रेरणा का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।
बहुत-बहुत बधाई!

दर्पण साह said...

आपका प्रयास सराहनीय ही नही अपितु ब्लॉगर्स में नये उत्साह का भी संचार करता है। इतना ही नही चर्चा में स्थान न पाने वाले नये ब्लॉगर्स को अच्छा लिखने के लिए आप प्रेरणा का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।
बहुत-बहुत बधाई!


Roopchand ji ke comment ko hi hamara bhi maan lo pankaj bhai !!

:)

ताऊ रामपुरिया said...

लगता है अब चिट्ठाचर्चा मे क्रांति के दिन आगये हैं. चारों तरफ़ ही रंगीन बहार आई हुई है. शुभकामनाएं.

रामराम.

स्वप्न मञ्जूषा said...

पंकज बाबू सुनियेगा
एक राज का बात बताते हैं
आपका चर्चा में रहने के लिए
हम भोथर दिमाग पजाते हैं
कुछ नया करने के लिए
रोज भेजा दौडाते हैं
आप उससे भी नया ले आते हैं
आपको का मालूम सब चिटठा वाले
केतना तो खुश हो जाते हैं...
बहुत धन्यवाद....

निर्मला कपिला said...

aapakaa prayaas bahut achhaa lagaa badhaai

अपूर्व said...

आपकी इतनी नियमितता को देख कर आश्चर्य भी होता है और ईर्ष्या भी.. ;-)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

दिल गद-गद हुआ पंकज जी, हार्दिक धन्यवाद !

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपकी चिट्ठा चर्चा में तो दिनों दिन निखार आता जा रहा है!!

रश्मि प्रभा... said...

aapki charcha me ek alag sa aakarshan hai

दिगम्बर नासवा said...

सुन्दर चर्चा है आपकी ..........

Ashish Khandelwal said...

सुंदर चर्चा,. सशक्त चर्चा

हैपी ब्लॉगिंग

Chandan Kumar Jha said...

सुन्दर चर्चा । इतनी निरंतरता बनाये रखने के लिये बधाई ।

बाल भवन जबलपुर said...

Badhaiya ji

शरद कोकास said...

पंकज भाई मेरा नाम शरद कोकस नही शरद कोकास है । धन्यवाद ।

Anonymous said...

सुन्दर प्रयास

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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