नमस्कार .........आप सबको , चर्चा हिन्दी चिट्ठो के इस अंक में मै पंकज मिश्रा .....
खुशी की बात यह है कि श्री रूपचंद शास्त्री जी और दर्पण साह "दर्शन" जी हमारे चर्चा परिवार में जुड़ गए है कुछ दिन बाद से आप उनकी चर्चा भी यहाँ पढेगे .....
आइये चर्चा की शुरुआत करते है उड़नतस्तरी जी यानी की समीरलाल जी के लघु कथा से .....आज समीर जी साइड मिरर देखकर कुछ क्या बहुत कुछ लिख दिए है इस लघु कथा , अब लघु कथा भले है लेकिन मर्मगहरा छिपा है आप खुद पढ़ लीजिये .....
जानता हूँ सिर्फ साईड मिरर में देखकर न तो सड़क वाली गाड़ी चलाई जा सकती है और न ही जिन्दगी की. इन खुशनुमा अहसासों को संग लिए हमें आगे देखना होता है. आगे चलना होता है. सब कुछ कितना बदल सा जाता है जब भी तेरा चेहरा नजर आता है.. |
हेमंत भाई है परेशान बीमा एजेंटो से आप यहाँ से जाइए हेमंत भाई के ब्लॉग पर ----
ऐसे दस- बीस लोगों की भी पालिसी हो जाय तो इनका साईड बिजनस आराम से चलता है । कारण कि यह आप से प्रीमियम माह की दो-चार तारीख तक आप से पैसे ले लेते हैं । उस माह का पचीस - छब्बीस दिन और अभिकर्ताओं को एल. आई. सी. अगले माह की अन्तिम तारीख तक पैसा जमा करने की छूट उन्हें दे देती है तात्पर्य कुल मिला कर पैसा उनके पास लगभग दो माह में कुछ दिन ही कम के बराबर रहता है । ये लोग पैसे का पूरा इस्तेमाल करते हैं । यह बात कहां तक उचित है |
राकेश सिंह जी , बता रहे है कामसूत्र की नयी परिभाषा ..यहाँ
परोपकार तथा उदात्त भावनाओं का विकास| हिंदू सभ्यता की बुनियाद वेद की शिक्षा ही है | संसार से उतना ही अर्थ और काम लिया जाय जिससे मोक्ष को सहायता मिले | मुमुक्षु को उतने ही भोग्य पदार्थ को लेना चाहिए जितने के ग्रहण करने से किसी प्राणी को कष्ट ना पहुंचे |
कुछ सवाल है कुलवंत हैप्पी जी के आप यहाँ से जाकर उन सवालों के जवाब दे सकते है
नाक तेरी तरह थी, लेकिन ठोडी थोड़ी सी लम्बी, मेरी तरह..मैं सिनोग्राफी की बात कर रहा था। अगर ऐसा हुआ तो मैं उसको दबा दबा उसका चेहरा गोल कर दूंगी..पत्नी बोली। फिर मैं चुप हो गया। उसको मुझे से दूर रखना, क्योंकि उसका पिता सनकी है, पागल है..कुछ देर के बाद मैं चुप्पी तोड़ते हुए बोला। मैं उसको उसके नाना के घर छोड़ आऊंगी..वहीं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन जाएगा..पत्नी थोड़े से रौ में आते हुई बोली। |
कुछ कविताएं ....
दिन है खास जगा विश्वास पूरे होंगे होशो हवास । बटोरें नोट काले घेरे छोड़ें हरे नीले और लाल बटोरें। अविनाश वाचस्पति | रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं, इसलिए हम वेदना को सह रहीं, तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगम... डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | हम हैं घटायें कारी और वो हैं घनेरे बादल न जाने कब से दोनों जल में ही जल रहे हैं खुशियों के पाँव आये थे वो रेत पे चलके मिटने का डर है खौफ़ है हम उनपे चल रहे हैं चोरी से तूने मेरा वो हर दर्द चुराया है अदा |
महफूज साहब काफी खोजी खबर बताते है , आज बता रहे है ॐ जय जगदीश सहरे " आरती के बारे में एक अनोखी बात आप यहाँ से जाकर पढ़ लीजिये----
बहुत कम लोग ही इस सच्चाई से वाकिफ होंगे कि दुनिया भर में प्रसिद्ध प्रार्थना (आरती) 'ओम् जय जगदीश हरे' जो आज पूरे दुनिया में हिन्दू परिवारों में पूजा पद्धति के रूप में गाई जाती है के जनक(Father) श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" थे. उनके द्वारा लिपिबद्ध कि गई यह प्रार्थना (आरती) उनके अपने जीवन काल में ही एक नई ऊंचाई को छू लिया था. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" के लिए श्रद्धा का मतलब इश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण था. |
अब आगे चलते है संगीता पुरी जी के ब्लॉग पर संगीता जी बता रही है मंगल ग्रह के बारे में जानकारी की यह चौथी कडी---
यदि मंगल सूर्य के साथ हो , या ठीक अगल बगल के राशि में हो तो इसका अर्थ यह है कि सूर्य और मंगल की कोणात्मक दूरी 60 डिग्री से अधिक की नहीं है। इस स्थिति में मंगल गत्यात्मक दृष्टि से मजबूत पर स्थैतिक दृष्टि से कमजोर होता है और इस कारण जातक युवावस्था में खासकर 24 से 30 वर्ष की उम्र में बढते क्रम में मंगल से संबंधित भावों कोई खास स्तर नहीं , पर इन संदर्भों में सुख सफलता प्राप्त करता है। |
लोकसंघर्ष पर सुमन जी ने आह्वान किया है कि दीपावली के अवसर पर : सांप्रदायिक शक्तियों का नाश करो-----
देश की एकता और अखंडता की हिफाजत के लिए दीपावली के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि सांप्रदायिक शक्तियों का नाश किया जाए । इन शक्तियों ने अपने स्वार्थ के लिए जाति-धर्म, भाषा , प्रान्त का शोर मचा कर हिन्दुवत्व की आड लेकर साम्प्रदायिकता और प्रांतीयता जगा कर अपने स्वार्थ सिद्ध करते है। इन्ही स्वार्थी तत्वों के कारण देश का विकास रुकता है बाधित होता है, जबकी देश की समस्याओं का निराकरण मिल बाँट कर करने की बात नही होती है तबतक देश का विकास बाधित रहता है। सांप्रदायिक शक्तियों के कारण भाषा, जाति, प्रान्त जैसे मुद्दे बने रहते है और मुख्य मुद्दे गौड हो जाते है |
कुछ कविताएं ....
सियासत कैसे गंदे मोड़ पे लायी है इंसां को के अब इंसानियत दम तोड़ती मालूम होती है ख़ुदा के नाम पे इंसान की हैवानियत देखो अजां से जंग करती आरती मालूम होती है हया | इस अंतराल की चौथी कविता... बस बहुत हो गया मित्रों, इस चौथी कविता के साथ इस राजनैतिक एपिसोड का चौथा कर रहा हूं,,,, मैं जो पेल रहा हूं बस उसे और झेल लीजिये.... चुनावी घोषणाऒं के बजट ने आज तक कुछ नहीं संवारा जनता के लिये बजट के बीचकवि योगेन्द्र मौदगिल - | अमा का तम सघन,बेध रही दीप शिखा, अनगिन किरण कण ,बिखरे हैं चहुँ दिशा, महकी बयार है पकवानों की सुगंध से, फुलझडी,अनारों की जगमग भी छाई है, पुलकित है जग सारा नूतन उमंग से,
अल्पना वर्मा |
जलना तुम मंदिर-मंदिर  हर गांव नगर में जलना ऊंच-नीच का भेद ना करना हर चौखट तुम जलना श्रीश पाठक 'प्रखर' | कम नहीं था
वह प्रेम जो दिया मैंने तुमको । माना कि तुम्हारी कुछ मजबूरियाँ थी । पर चंदन कुमार झा | प्रियतम तेरे सपनों की, मधुशाला मैंने देखी है। होश बढ़ता इक-इक प्याला, ऐसी हाला देखी है।। मदिरालय जाने बालों नें, भ्रम यही हैं क्यों पाला। हम तो पहुंच गए मंजिल पे, पीछे रह गई मधुशाला।। |
जब कोई ठूंठ बंजर दिन घाव की तरह टीसता है, तब उसकी टभक ऐसे तमाम दिनों की यादें ताज़ा कर देती है। विद्याभूषण | हर किसी को किसी न किसी की आती है यादें , हर किसी को रुला जाती है यादें जब आती है सब कुछ भुला देती है यादें , बस रह जाती है यादें ही यादें संजय भास्कर, | स्वयं एवं समाज के लिए हम यथा संभव गंभीरता से आकलन-पुनरावलोकन कर अपने जीवन को और अधिक पारदर्शी, प्रमाणिक, सुमति-सहमति, शुचिता के आधार पर भावी योजना बनायें। ईश्वर हमारे जीवन में सफलता सम्बलता, प्रगाढ़ता, एवं स्थायित्व प्रदान करें। अंधेंरे पर क्यों झल्लायें !अच्छा हो एक दीप जलायें!! |
भारत एक विषम संकट में फंस सकता है अगर खेती की जमीन को उद्योग धंधों को खड़ा करने की मुहिम में अंधाधुंध इस्तेमाल में परहेज नहीं बरता गया। अभी कहा जा रहा है कि उद्योग धंधो के बिना पूरा विकास संभव नहीं है। इस उद्देश्य की पूर्ति में खेती की उपजाऊ जमान पर उद्योग लगाने की कोशिश हो रही है। इतना ही नहीं भविष्य के खाद्यान्न की जरूरत को दरकिनार कर बंजर पड़ी जमीनों को खेती योग्य बनाने की मुहिम भी लगभग ठंडी पड़ गई है। इसका खामियाजा यह भुगतना होगा कि आने वाले कुछ दशकों में दुनिया की जो आबादी बढ़ेगी उसके लिए पेट भर अनाज भी मयस्सर नहीं हो पाएगा। |
' चींटी और टिड्डा ' कहानी तो सबने सुनी होगी? भारत में भी हुआ था एक बार यही, जब चींटी ने पूरी गर्मी में मेहनत करके अपने लिए घर बनाया और टिड्डा?वो तो ठहरा मस्त मौला , तो इस कहानी में कैसे सुधर जाता? जाड़ों के दिनों में चींटी मज़े से अपने 3 bed apartment में २४*7 फ़ूड , एनर्जी और वाटर सप्लाई के मज़े लेने लगी... ...यहाँ तक तो सब ठीक लेकिन ये भारीतय टिड्डा था.... चुप क्यूँ रहता? टिड्डे ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, और अपनी व्यथा सबको सुनाई , और जानना चाहा देश की जनता से कि मैं कैसे ऐसे रह सकता हूँ जबकि देश में एक 'चींटी वर्ग' भी है? |
हाय….आंटीज..अंकल्स एंड दीदी लोग..या..दिस इज मी..रामप्यारी.. आज शाम के नये सवाल मे आपका स्वागत है. तो आईये अब शुरु करते हैं आज का “कुछ भी-कही से भी” मे आज का सवाल. सवाल है : इन को पहचानिये?
तो अब फ़टाफ़ट जवाब दिजिये. तब तक रामप्यारी की रामराम. इस सवाल का जवाब कल शाम को ४ : ०० बजे प्रकाशित किया जायेगा!
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अब दीजिये इजाजत कल मिलेगे एक नए चर्चा के साथ
23 comments:
एक हांथ का बोझ कई हांथों मे बंट जाय । बोझ लाठी में तब्दील हो जाती है । मयंक जी और दर्शन जी के जुड़ने के लिये बधाई ।
चर्चा बेहतर रही ।
आभार !
दिन ब दिन निखरती चर्चा दीवाली की मंगल कामनाएं !
चर्चा भी रोचक..कलेवर के साथ प्रयोग भी मोहक....
कमाल है पंकज मिश्र जी!
इतने सारे चिट्ठों की चर्चा के बाद भी पोस्ट में रोचकता बरकरार रही।
चमत्कार को नमस्कार!
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
जबरदस्त चर्चा..बेहतरीन कवरेज.
श्री रूपचंद शास्त्री जी और दर्पण साह "दर्शन" जी का चर्चा में सम्मलित होना सुखद है. और लोगों को जोड़िये ताकि कम से कम भार आये प्रति व्यक्ति और सबके दिन नियत करिये. सात दिन में एक बार या पंद्रह दिन में एक बार बेहतर है...विविधता और कम बोझ रहेगा.
अनेक शुभकामनाएं.
ब्लॉगजगत में सभी को व्यक्तिगत संदेश मेरी तरफ से:
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
भई वाह पंकज जी,
यानि टीम बननी शुरु हो गई है। मुबारक हो आपको दो बहुत ही काबिल ब्लोग्गर्स को शामिल कर सकने के लिये। पहले ही कह चुका हूं,,,,और अब तो इस सुंदर चर्चा की आदत सी पडती जा रही ह।
आपके मंच से सभी ब्लोग्गर साथियों को दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामना।
अजय कुमार झा
सुंदर बहुत सुंदर चिट्ठा चर्चा...बधाई!!
आप सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामना।
वाह ..अदभुत रंगबिरंगी संपूर्ण चर्चा. शाश्त्री जी के रुप मे एक अनुभवी और दर्पण जी के रुप मे एक जोशीला नवयुवक साथी इस चर्चा मंच को मिल गया है. उम्मीद है आप लोग दिन प्रति दिन नये और रोचक आयाम प्रस्तुत करेंगे.
इस मंच के पाठकों को दीपावली की घणी रामरम.
दर्पण भाई का प्रवेश मेरे लिये अत्यन्त प्रसन्नता का कारण है । अब चर्चा कुछ अभिनव अभिव्यक्ति के साथ उपस्थित हुआ करेगी । कुछ और जुड़े तो और आनन्द आये । एक बेहतर मंच तैयार कर रहे हैं आप पंकज भाई ! आभार ।
बहुत बहुत बधाई आप सबों को !!
bahut hi achchi lagi yeh charcha..........
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen..........
बहुत ही अच्छी चिट्ठों की चर्चा रही, अन्त में आपके साथ-साथ चिट्ठा चर्चा में शामिल होने वाले सभी ब्लागर्स को ।। दीपावली की शुभकामनायें ।।
vaise to pankaj ji aap blog jagat par chhaa gaye hain
par ab Darpan ji aur Shastri ji bhi aapki team mein aa gaye hain
bahut lucky hain aap ki aise nageene paa gaye hain
aur aapki chitta charcha ka aap sabko aadat laga gaye hain....
bahut hi acchi rahi aaj ki bhi charcha, har roj ki tarah ekdam dhaansooooooo....!!!
deepawli ki shubhkamnaayein..
darpan ji aur mayank ji ke aane ki badhai... charcha hamesha ki tarah bahut hi acchi.... deepawali ki shubhkamanayein..
बहुत ही सुन्दर चर्चा । दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
मयंक जी और दर्शन जी के जुड़ने के लिये बधाई ।
दीप पर्व आपकी रचनाशीलता को सदा आलोकित करता रहे.
अशेष शुभकामनाओं सहित,
मीनू खरे
सुंदर बहुत सुंदर चिट्ठा चर्चा,बधाई!!
आप सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामना।
दरपन जी चींटी और टिड्डा पढ़ी...! अब एक्सेलेंट, आउटस्टैंडिंग से अलग क्या कमेंट लिखूँ इस कहानी पर? अभी हाल में ही लिसनिंग टु द ग्रासहॉपर पढ़ी है.
दीप पर्व पर आपकी सृजनशीलता की उन्नति हेतु शुभकामनाएँ
मीनू खरे
जबrर्aदस्त चर्चा बधाई दीपावली शुभ हो
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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होईये ठहाका एक्सप्रेस में |
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प्रत्येक शुक्रवार सुबह 9.00 बजे पढिये
साहित्यिक उत्कृष्ट रचनाएं
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क्रियेटिव मंच
आप भी स्वीकारिएगा मन के भीतर की मंगलकामनाएं।
मिलावटी मिठाई से बचें और पर्यावरण हितैषी त्योहार सभी मनाएं।।
agli charcha ka rahega intzaar
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