Thursday, October 22, 2009

तुम तक पहुँचने से पहले लड़खड़ा कर गिर गए(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

अंक : 55
प्रस्तुतकर्ता : पंकज मिश्रा

नमस्कार, आप सबको .......आभार आपका "चर्चा हिन्दी चिट्ठो की " के इस  दैनिक प्रस्तुति को आपने इतना सराहा ......
आज चर्चा करने से पहले आपको कुछ जरूरी जानकारी दे देता हुं...
१ - आज से हमारा नया कालम शुरु हुआ है  " अतीत के झरोखे से " जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है , इसमे प्रतिदिन किसी भी एक ब्लॉगर कोई भी एक पुरानी  पोस्ट को अपने यहाँ प्रकाशित करेगे ...


२- आज से एक और कालम " नजर-ए-इनायत " शुरू किया जा रहा है ....आप पोस्ट के अंत में देख सकते है ..
तीसरी और महत्वपूर्ण खबर यह है कि -

taauji2-1 अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों ना मै ब्लागजगत के श्रेष्ठ ब्लॉगर से एक एक करके "अतिथी पोस्ट " लिखने की आग्रह करू , मै आग्रह किया अपने गरुदेव श्री रामपुरिया "ताऊ " जी से और   उन्होंने हमारा आग्रह स्वीकार  कर लिया , जल्द ही अगले हफ्ते किसी एक दिन आप यहाँ श्री ताउजी की अतिथी चर्चा पढेगे ......

आगे से हर हफ्ते  आप  यहाँ अतिथि पोस्ट पढेगे…..

अब चलते है अपने चर्चा की तरफ , कल्की चर्चा हिमांशु भाई ने किया था और एक तरह से एक साहित्यिक पत्रिका प्रस्तुत कर दिया था , मै उनके आगे कुछ भी नहीं  हु , चर्चा में आज की पोस्ट मुझे ही करनी है तो चलिए शुरू करते है चर्चा ,
शुरुआत ,
बादशाह अकबर के सवाल और ताऊ के जवाब !   से , ताउजी का सेलेक्शन अकबर के दरबार में हो गया है , जुगाड़ लगाया गया था समीर जी और राज भाटिया जी से ......

 

बादशाह अकबर - वाह ..वाह..हमे ऐसे ही आदमी की आवश्यकता है...पुराना रुतबा तो आज भी हमारे सपनों मे रह रह कर आता है...अब जर्मनी मे रहकर नौ रत्न रखना तो हम अफ़ोर्ड नही कर सकते पर एक रत्न तो रख ही सकते हैं. हमारा मन भी लगा रहेगा. हां तो तुम्हारा नाम क्या है?
ताऊ - हुजुर मुझे ताऊ कहते हैं.

बादशाह अकबर - अरे वाह ...ताऊ..वाह..मा बदौलत को नाम पसंद आया...हमे ऐसा ही नाम वाला आदमी चाहिये था...आज से तुम हमारी सेवा मे सरकारीशास्त्री जे सी फिलिप Shastri JC Philip hindi blog मुलाजिम हुये.....

 

 

 

शास्त्री जी (सारथी ) ने एक महत्वपूर्ण उपाय बताया है ब्लागिंग के बिगड़ते स्वरूप को सुधारने के लिए- चिट्ठाकारों को नंगा करने की साजिश!!

कुछ हफ्तों से चिट्ठे पढ नहीं पाया था (मेरे पिताजी के लिये घर-अस्पताल-घर चक्कर के कारण). लेकिन आज तसल्ली से बैठ कर चिट्ठों पर नजर डालने लगा तो महावीर बी सेमलानी का एक आलेख नजर आया जिसमें उन्होंने चिट्ठाजगत में पिछले दिनों जो कलुषित वातावरण पैदा हुआ था उस पर दु:ख प्रगट किया है. मैं महावीर के आलेख का अनुमोदन करना चाहता हूँ.

इसके साथ हम को एक बात मन में रखनी होगी कि हम में से हरेक कुछ हद तक इस अराजकत्व के लिये दोषी हैं. जब हम सडक पर मैला पडा देखते हैं तो बच कर निकल जाते हैं. लेकिन चिट्ठाजगत में कोई कुछ अनावश्यक लिखता है तो उसके समर्थन के लिये या टिप्पणी करने के लिये बहुतेरे लोग पहुंच जाते  हैं. पक्ष और विपक्ष हो जाता है और लेखक की इच्छा पूरी हो जाती है कि उसका चिट्ठा किसी तरह हिट हो जाये.

चित्र महावीर जी के ब्लॉग से साभार

कल दो ऐसे चिट्ठो पर नजर पडी जो कि देखने में एक दुसरे के विपरित लग रही थी , लेकिन वाह रे साधुवादिता , आप दोनों ने बिना बहस किये एक दुसरे की बात का समर्थन किया , जरुरत है आप जैसे ब्लॉगर की ...

मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना है? 

मेरा फोटोहां पर सोचने वाली यह भी है कि जिस मंदिर में फोटो खींचने की मनाही की जाती है, अगर उसी मंदिर में किसी फिल्म की शूटिंग होनी हो तो उस मंदिर में इसकी इजाजत दे दी जाती है, तब कोई नियम कानून क्यों नहीं होता है। अरे फिल्म की तो बात ही छोड़ दें अगर कोई छोटी-मोटी वीडियो फिल्म ही बनाने वाले ही वहां पहुंचा जाते हैं तो उनको कोई मना नहीं करता है। फिर ये कैसा मनमर्जी का कानून है कि किसी को फोटो खींचने से रोको, किसी को इजाजत दे दो।

धार्मिक स्थलों मैं फोटो खींचने की मनाही क्यूँ जायज है

जिस किसी भी मंदिर मैं फोटो खींचने की कोई मनाही नहीं रहती है, वहां अक्सर लोगों का नंगापनMy Photo देखने को मिलता है | लगभग ९०% लोग अपना नितंभ (अपना पिछवाडा) भगवान की मूर्ति की तरफ करके ही फोटो खिंचवाते हैं | फोटो खिंचवाने वाला बड़ा और भगवान् पीछे छोटे | फोटो भगवन की मूर्ति के आगे बैठ कर या मूर्ति के बगल मैं खड़े रह कर भी खिंचवाई जा सकती है | पर ऐसा कोई करता नहीं, क्योंकि हर आदमी को भगवान् के फोटो से ज्यादा अपना फोटो बड़ा दिखाना है | 

अब "अतीत के झरोखे से "

आज प्रस्तुत है आशीष खंडेलवाल की पोस्ट

ग्रुप ई-मेल भेजने वाले साथियो, कहीं ऐसा न हो की जीमेल अकाउंट डिसेबल हो जाए

ashish-1 आज एक ब्लॉगर साथी की आपातकालीन कॉल आई। कुछ घबराए हुए लग रहे थे। उनका जीमेल अकाउंट कुछ समय के लिए अक्रिय कर दिया गया था। संदेश में लिखा था कि उन्होंने जीमेल का असामान्य प्रयोग किया है और कुछ समय के लिए उनके जीमेल खाते को ताला लगा दिया गया है। अब यह 24 घंटे के बाद फिर शुरू हो सकेगा।

अपने पसंदीदा और जिम्मेदार चिट्ठाकार को बनायें ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉगप्रहरी की चयन प्रक्रिया शुरू हो गयी है. आपसे आग्रह है कि आप वोट देकर ब्लॉगप्रहरी के चयन में भागीदार बनें.
वोट देने के लिए
ब्लॉगप्रहरी के मुख्य पृष्ठ पर उपलब्ध वोट बटन का उपयोग करें. आपको अगर लगता है कि हमने भूलवश किसी नाम को शामिल नहीं किया तो आप वह नाम हमें सूझा सकते हैं. ब्लॉगप्रहरी की निजी टीम कुछ इस प्रकार है

आ़प ब्लॉग प्रहरी पर जाए और अपने पसंदीदा चिट्ठाकार को चुने !

अरविंद मिश्रा जी बता रहे है एक रोचक  कथा , यह कथा है हमारे और मिश्रा जी के गाव की पढिये अथ श्री राम उजागिर कथा !

My Photoमगर मेरे ही नहीं अब  स्तब्ध होने की बारी पूरे गाँव की थी -गाँव में दीवाली की ही सुबह जंगल में आग की तरह खबर फैल गयी कि राम उजागिरा जिंदा है -लखनऊ के जेल में ही फर्जी नाम से बंद है -किसी के हाथ चिट्ठी भिजवाई है -उसका बेटा लखनऊ जा चुका है ! .....और आज ही यह  पुष्ट हो गया है कि   वह नराधम सचमुच जिंदा है -गाँव में विचित्र माहौल है ! हंसने रोने की बीच सा कुछ ! मगर फिर वह लाश किसकी थी  जिसे गधों ने बैकुंठ तक पहुँचने  का कर्मकांड रच डाला ?
"पुलिस छान बीन कर रही है " -मुझे बताया गया !

कविताएं-

 

अदा  जी

मुझे मेरी नींदें -२
मेरा चैन दे दो
मझे मेरे सपनो कि एक रैन दे दो न
यही बात पहले-२
तुमसे कही थी वोही बात फिर आज दोहरा रही हूँ
पिया तुम हो सागर
तुम्हें छू के पल में बने धूल चन्दन -२
तुम्हारी महक से
महकने से लगे तन-२
मेरे पास आओ-२
गले से लगाओ
पिया और तुमसे मैं और क्या चाहती हूँ

 

My Photoउल्लास: मीनू खरे का ब्लॉगवो मेरा सबसे प्यारा दोस्त
जिसकी निगाहें
साफ़ एकदम,
जिसका दामन
पाक एकदम.
जिसने
हर मौक़े पर मदद की है मेरी
और
डूब कर सिर तक
निकाला है मुझे
गहरी नदी के पेट से
न जाने कितनी बार !

गिरिजेश राव

धुएँ में जीता श्मशान
चलती लाशें लोग।
कागज के इन फूलों में
उलझी सारी प्रीत।
क्या गाऊँ मैं गीत ?
उजली रात-तिमिर विहान
अन्धा जीवन भोग !
कितना सुख है शूलों में,
दु:खी बुद्ध हैं भीत।
क्या गाऊँ मैं गीत?

दिगम्बर नासवा

तुम तक पहुँचने से पहले
लड़खड़ा कर गिर गए कुछ शब्द
घायल शब्दों की झिर्री से
बिखर गयी चाहत
बह गए एहसास
कुछ अधूरे स्वप्न
मिलन की प्यास
उफ़ ......... इन घायल शब्दों को
मुई बैसाखी भी तो नहीं मिलती

रामप्यारी ने पहेली पूछी है ताउजी डाट काम पर , और आज की पहेली बहुत ही मनोरंजक है , सवाल एक है और जवाब कई आप नीचे का चित्र देखिये और जवाब यहाँ जाकर दीजिये

लाचारी

छोटी छोटी आँखों से उम्मीद
को रोज़ झांकते देखता हूँ,
आस के चमकीले कणों से
सने हाथ छिले देखता हूँ.
अंगार सी सड़क पे नंगे पैर
बचपन झुलसते देखता हूँ,
थर-थराती सर्दी में नंगे
जिस्मों को सिकुड़ते देखता हूँ.

"यह धरती का है भगवान।" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

 

सूरज चमका नील-गगन में।
फैला उजियारा आँगन में।।


काँधे पर हल धरे किसान।

करता खेतों को प्रस्थान।।


मेहनत से अनाज उपजाता।
यह जग का है जीवन दाता

राज भाटिया जी को नया लैपटॉप लेना है आप उनकी मदद करिए वो कौन सा माडल पसंद करे-लू तो कोन सा लू.? कृप्या आप भी राय दे...

raj bhatiya jeeतो अब आप की राय की जरुरत है, इन मे सब विंडियो सात ही है, अभी विस्टा है , लेकिन २३/१० के बाद विंडियो सात मिलेगा, तो आप सब से प्राथना है कि आप सब अपनी अपनी राय देवे, फ़िर  इस शनिवार को हमारा आखरी फ़ेंसला होगा...ओर अगले सप्ताह तक खरीद लुंगा... तो अब आप सब की राय की जरुरत है.

 

लम्बे समय से किराएदार कैसे अपने पोर्शन के मकान का मालिक बन सकता है?

रुचिर ने पूछा है... हम लोग करीब अस्सी साल से भी पहले से एक मकान में किराए से रहते हैं। मकान मालिक अब नहीं रहे। उन के पाँच बेटे और एक बेटी है, उन्हों ने अपनी बूढ़ी मां को नहीं रखा। अब वे नहीं रही। चार-पाँच माह पहले वे शांत हो गईं

अब " नजर-ए-इनायत " 

लो! बन गया नक्सली-तुमने जलाया दीये का काम था रोशनी देना उसने दी रोशनी का काम था अँधेरा मिटाना उसने मिटाया तेल चुक गया दीया बुझ गया

ऐसी घटना पूरे देश में कहीं न कहीं घटती ही रहती होगी। चौबीसों घण्टे। किन्तु बोलो! नक्सलवादी बन जाऊँ?

दायित्व-तुम्हरा काम था दीया जलाना

इन्तजार-इस जंगल के दरख्तों से क्यों पूछते हो इनकी खैरियत । इनके दहशतजर्द चेहरों पर तो खुद ही चस्पा है रोज तिल तिल कर मरते हुये अपने जिबह होने के इन्तजार की

जब उनके पुतलों की पोल खुल जायेगी-हिंदी कविता-पर्दे के पीछे वह खेल रहे हैं सामने उनके पुतले डंड पेल रहे हैं। आत्ममुग्धता हैं जैसे जमाना जीत लिया समझते नहीं भीड़ के इशा

तेरे ख़त, और उनके जवाब-तेरे वो सारे ख़त, जो तुने कभी नहीं लिखे, बस दिल में ही रखा, और तुम समझती हो, मुझ तक नहीं पहुंचे, नहीं पहुंचे होंगे शायद, पर उनके जवाब नहीं तो, और क्या थे, कागज़ के वो चाँद टुकड़े, जिन्हें आज जला आया हूँ.

ब्लोगजगत का आईना : चर्चा दो लाईना (चिट्ठी चर्चा )-शुकल जी ने जब चिट्ठा चर्चा की शुरूआत की होगी ,.तो जरूर ही ये उनके बहुत से धमाकेदार आडिईया में से एक होगा..महेन्द्र भाई ने इसे साप्ताहिकी का रूप दिया...हमने भी हंसते खेलते जो बन पडा ठेल दिया..और अब तो आदत बन गयी है..अब चच्चा टिप्पू जी ने और पंकज जी ने

मुख्यमंत्री जी, पधारो सा – लिमटी खरे-राजस्थान में किसी अतिथि के आगमन पर पधारो सा कहकर उसका स्वागत किया जाता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को सिवनी आए तो सिवनी के समस्त नागरिकों ने दिल से उन्हें पधारो सा

चिडियां-भोर हुए चिडियां चचहाई पहर हुए दाना चुग लाई शाम हुए घर लौट आई रत हुए आंख लग जाये बिना घडी इतनी नियमितता कहाँ से लाई .

एक वोट करय चोट...प्रेस क्लब के वोट के दिन करीब आएल जा रहल अछि. सदस्य पत्रकार के एकटा वोट पूरा प्रेस क्लब के तस्वीर बदलि सकैत अछि.  त किछ सोचु नहि. आगां आबि तस्वीर के बदलि के राखि दिअ. सभ सदस्य पत्रकार भाई-बहिन सं आग्रह जे 24 तारीख शनिदिन प्रेस क्लब आबि अपन वोट

गीत का जन्म लेना सफल हो गया...गीत  गीत का जन्म लेना सफल हो गया...    गीत मैंने रचे, जब वो तुमको रुचे, गीत का जन्म लेना सफल हो गया... ये कड़ी धूप है ज़िन्दगी हाँ मगर,  तुम जो आये तो छाओं के मेले रहे. तुम नहीं थे कभी

लेख --- जिम्मेदार कौन--?बचपन में देखा करती थी और देख देख के खुश भी होती थी कैसे चिड़ा चिड़िया का जोड़ा अपने घरौंदे को बनाने में मशगूल रहता था।दोनों ही खुशी खुशी ,बारी-बारी से एक एक तिनका तोड़ कर लाते और अपने घरौंदे को सजाते। अपने बच्चों को सुरक्षित रखने की पूरी कोशिश करते

गुलजार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड-ऑस्कर विजेता गुलजार को सिनेमा जगत में उनके योगदान के लिए 11वें ओसियान सिने फिल्म समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2009 से सम्मानित किया जाएगा। गुलजार को यह पुरस्कार राजधानी में 24 अकतूबर को उद्घाटन समारोह में दिया जाएगा। ओसियान की तरफ से जारी

आज के लिए दीजिये इजाजत कल फिर मिलेगे आपसे हमारे चर्चा परिवार का कोई  एक सदस्य , तब तक के लिए नमस्कार!!!

33 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह...वाह...पंकज मिश्र जी!
"अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों ना मै ब्लागजगत के श्रेष्ठ ब्लॉगर से एक एक करके "अतिथी पोस्ट " लिखने की आग्रह करू , मै आग्रह किया अपने गरुदेव श्री रामपुरिया "ताऊ " जी से और उन्होंने हमारा आग्रह स्वीकार कर लिया , जल्द ही अगले हफ्ते किसी एक दिन आप यहाँ श्री ताउजी की अतिथि चर्चा पढेगे ......"

आपके दिमाग में यह आइडिया तो बहुत अच्छा आया है।
चर्चा संतुलित व रोचक रही।
शुभकामनाएँ!

दर्पण साह said...

Ho gaya?
Chalo badhai Pankaj ji !!

Areeeee......

Chitti charcha ki !!
Aapne kya socha tha?
jaake sab link padhta hoon aur phir kal ki taiyuaari bhi to karni hai.... Himanshu ji,Aap, Roopchandrashashtri Mayank aur ab tau...
:(
aise benchmark set karoge to pankaj ji mujhe to withdrawl karna padega....

वाणी गीत said...

आईडिया बुरा नहीं है ...अच्छी चर्चा ..!!

Gyan Darpan said...

" अतीत के झरोखे से " बढ़िया शुरुआत है | पुराणी पोस्टों की यादे ताजा हो जायेगी | आभार |

Arvind Mishra said...

बहुत सुन्दर और संतुलित चर्चा -हिमांशु के बाद तो यह बहुत चुनौती भरा था मगर आपने कर दिखाया !

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत सुन्दर और संतुलित चर्चा

संगीता पुरी said...

आपकी विवेचना अच्‍छी लगी !!

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

संतुलित चर्चा और खुबसूरत प्रस्तुति |

चिटठा चर्चा मजेदार और सुन्दर होती जा रही है |

पंकज भाई आपने तो ब्लॉग्गिंग मैं नई उचाईयों को छु लिया है | मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं |

दिनेशराय द्विवेदी said...

मिश्र जी,
आप के प्रयास ब्लाग जगत को समृद्ध बनाएँगे।

राजकुमार ग्वालानी said...

आपकी नई पहल कमाल की है, इंतजार रहेगा पहले अतिथि की अतिथि पोस्ट का। हमेशा की तरह लाजवाब चर्चा

समयचक्र said...

बहुत ही बढ़िया चर्चा . उल्लेख के लिए आभारी हूँ .

seema gupta said...

बेहद शानदार चर्चा शुभकामनाये
regards

ताऊ रामपुरिया said...

दिनो दिन उत्कृष्टता की और बढती जन सुलभ चर्चा का रुप लेती जारही है आपकी यह चर्चा तो, शुभकामनाएं.

रामराम.

Himanshu Pandey said...

चर्चा की स्वीकार्यता बहुत से संकेत देती है- समरसता के, सामंजस्य के । "वृक्ष कंटक बबूल लगता है अब मरणासन्न हो गये ।"

पंकज का आभार । चर्चा बेहद संतुलित और सर्वग्राही है ।

Meenu Khare said...

क्या पंकज! मेरी कविता छाप दी पर मेरा भी नाम ग़ायब और मेरी कविता का भी?

दर्पण साह said...

"वृक्ष कंटक बबूल लगता है अब मरणासन्न हो गये ।"
ye to main likhne wala tha....
:(

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर है पंकज जी यह चर्चा और एक छोर से दुसरे छोर को कवर करती है !

Mishra Pankaj said...

@ मीनू खरे जी !

कल जबसे पोस्ट प्रकाशित किया हु मै खुद नहीं संतुस्ठ था मुझे ऐसा लग रहा है कि इस पोस्ट में कुछ गड़बड़ हुआ है ,
आपने याद  दिलाया हमने गलती सुधारी ,
अब माफ़ कर दीजिये , मै रहूगा आपका आभारी !!

सादर ,
पंकज

Meenu Khare said...

अहा! अब ठीक है. आपकी त्वरित कार्यवाई हेतु धन्यवाद.

स्नेह सहित,
मीनू खरे

मनोज कुमार said...

अच्छी चर्चा।

उम्मतें said...

प्रिय पंकज ,
एक टिप्पणी बिना आहट , दबे पांव दर्ज करा दी है शुक्र है वहां मोडरेशन का झंझट नहीं है !
और हाँ देख कर अच्छा लगा की, मंदिर और फोटो वाले भाई द्वय रंगे हाथों पकड़ लिए गये 'मित्र मित्र खेलते हुए" !
शुभकामनाएं !

शिवम् मिश्रा said...

मिश्र जी ,
मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने का बहुत बहुत धन्यवाद !
युही लगे रहे, शुभकामनाएं !

rashmi ravija said...

बहुत अच्छी चर्चा रही....कई चिट्ठों की जानकारी यहीं से मिली...शुक्रिया..

दिगम्बर नासवा said...

पंकज जी ......... शुक्रिया मेरी रचना को अपनी मुख्य पंक्ति बनाने की लिए ........... आपकी नयी शुरुआत ...... अतीत के झरोखे से....... जरूर रंग लाएगी ........... ताऊ को आपके ब्लॉग पर पढ़ कर मज़ा आ जाएगा ......... आज की चर्चा बहुत विस्तृत .........संतुलित, खुबसूरत, मजेदार और सुन्दर है .............

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर काम कर रहे है, ्बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

बढ़िया चर्चा रहे, कुछ अच्छे चिट्ठे जो छूट गए थे उनके लिंक भी मिल गए

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर said...

पंकज जी
खुबसूरत प्रस्तुति ...बढ़िया चर्चा

ओम आर्य said...

आपकी चिठ्ठा चर्चा काफी बेहतरीन होता है .........खुबसूरत प्रस्तुति !

ghughutibasuti said...

बढ़िया चर्चा।
घुघूती बासूती

स्वप्न मञ्जूषा said...

पंकज बाबू यहाँ सुबह हुई
तो आपके पृष्ठ पर आये हैं
इतने सारे आरोह-अवरोह देख
हम भी प्रभाती गाये हैं
शास्त्री जी की टिपण्णी में
अहीर भैरव पाएं हैं
दर्पण की तो बात ही छोडो
वो जैज़ में सुर लगाये हैं
वाणी जी हैं सुर भूपाली
रतन जी खमाज गाये हैं
अरविन्द जी की पूर्वी धनश्री
ललित कल्याण गावें हैं
संगीता जी की भैरवी सुरीली
दिनेश जी बिलावल सुनाये हैं
राजकुमार की काफ़ी सुने हम
महेंद्र जी जौनपुरी गावें हैं
संगीता जी की मधुर आसावरी
ताऊ जी बागेश्री गावें हैं
हिमांशु जी और मीनू जी
भीमपलासी दीखावें हैं
मनोज कुमार और अली
की टिपण्णी कल्याणी
झलक बतावें हैं
शिवम्, रश्मि, दिगंबर जी तो
मालकोंस सुनावे हैं
राज भाटिया और नीलीमा
तोड़ी में बतियावें हैं
बंगाली बाघ और ओम आर्य
दीपक राग सुनावे हैं
घुघूती बासूती को नमन हैं
ये दुर्गा में मुस्काये हैं

विनोद कुमार पांडेय said...

दिन पर दिन निखरती..बेहतरीन चिट्ठा चर्चा..धन्यवाद!!

शरद कोकास said...

भाई यह सब ठीक है लेकिन पिताजी की तबियत कैसी है ? आप का सेवा भाव देखकर अच्छा लगा ।

Shastri JC Philip said...

"शास्त्री जी (सारथी ) ने एक महत्वपूर्ण उपाय बताया है ब्लागिंग के बिगड़ते स्वरूप को सुधारने के लिए- चिट्ठाकारों को नंगा करने की साजिश!!"

बहुत मजेदार !!

सस्नेह -- शास्त्री

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