Friday, October 30, 2009

सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की)

आज का चर्चा का ये अंक दर्पण शाह और पंकज मिश्रा दोनों की सम्मिलित प्रस्तुति है .....आशा है आपको बेहद पसंद आयेगी ...
सबसे पहले आपको ये बता दे कच्छा  और चढ्ढी में कोई फर्क नहीं होता ये  मै कल पढा .....अब ब्लागजगत में यही सब बताया जा रहा है ...........देखो आगे क्या क्या होगा राम जाने ....राम  नहीं भाई  लिखने वाले जाने ...और हां आप ये मत पूछियेगा कि उस ब्लॉग का लिंक दीजिये ......क्युकी मै दुगा नहीं ...का काहे ये जबरिया है ....तो सुन लीजिये हमतो ....जाने दीजिये किसी की कापी राइट है.........
अब चलिए गधा सम्मलेन में ...अरे नहीं भाई ....हमें तो न्योता न ही नहीं है अपणे ताउजी गए है ....गधा तो ले गए है लेकिन खुद रिपोर्टर की हैसियत से गए है.....पढ़ लीजिये रिपोर्ट .........

जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम
image जैसे ही उज्जैन के निकट पहुंचे…तो भांति भांति के, बच्चे बुड्ढे और जवान गधेडे और गधेडियां  मिलने लगे.  रास्ते मे सांवेर नगर पार करते ही खimageबर मिली की बालीवुड के सितारे गधेडे और गधेडियां जैसे की सलमान खान . ऐश्वर्या , अभिषेक और  शाहिद कपूर भी … वहां पहुंच चुके हैं और रिपोर्टिंग के लिये आयोजक गण हमारा और रामप्यारी का ईंतजार कर रहे हैं.  हमने और रामप्यारी ने अपने अपने गधों को कहा कि जल्दी चलो भाई. तो बिचारे वो भी हमारी तरह शरीफ़ थे ..पूरे दम के साथ भाग लिये.

अब हमको चलना है. इस गधेडे और गधेडी की प्रेमलीला का क्या हुआ?  जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया..इसको अगली रिपोर्ट मे देखियेगा. और उसके बाद की रिपोर्टिंग होगी सीधे उज्जैन सम्मेलन स्थल से.

और हां अहमदाबाद से रिपोर्टींग करेंगे  सबसे तेज चैनल के  हमारे सहयोगी श्री संजय बेंगानी….जिनको हम नेट कनेक्शन मिलते ही तुरंत प्रसारित करेंगे…यह रिपोर्ट हम रामप्यारी के खिलौना लेपटोप से भिजवा रहा हूं सो क्वालीटी उतनी अच्छी नही है. कृपया सहयोग करें.

अब समीर जी को तो मै कुछ कहुगा ही नहीं जितना सामान बाधना हो बाध ले :) और निकल पड़े पुल के उस पार से: इलाहाबाद दर्शन पर ……….

imageतीन शर्ट, तीन फुल पेण्ट, एक हॉफ पैण्ट (नदी स्नान के लिए), एक तौलिया, एक गमझा (नदी पर ले जाने), एक जोड़ी जूता, एक जोड़ी चप्पल, तीन बनियान, तीन अण्डरवियरimage, दो पजामा, दो कुर्ता, मंजन, बुरुश, दाढ़ी बनाने का सामान, साबुन, तेल, दो कंघी ( एक गुम जाये तो), शाम के लिए कछुआ छाप अगरबत्ती, रात के लिए ओडोमॉस, क्रीम, इत्र, जूता पॉलिस, जूते का ब्रश, चार रुमाल, धूप का चश्मा, नजर का चश्मा, नहाने का मग्गा, बेड टी का इन्तजाम (एक छोटी सी केतली बिजली वाली, १० डिप डिप चाय, थोड़ी शाक्कर, पावडर मिल्क, दो कप, एक चम्मच), एक मोमबत्ती, माचिस, एक चेन, एक ताला, दो चादर,  एक हवा वाला तकिया

मैं इसलिये हाशिये पर हूँ क्यूँकि

मैं बस मौन रहा और

उनके कृत्यों पर

मंद मंद मुस्कराता रहा!! 

बेहतरीन चिट्ठों की एक बकवास चिट्ठा चर्चा.... (भारत एक गरीब देश है जहाँ अमीर लोग बसते हैं.... की तर्ज़ पर !!)

इतनी बकवास कि, अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना कहते हमने वो पढ़ा तो आप इसे भी पढ़ लीजिए... क्यूँ पढ़ लीजिये भाई ? कम से कम अभी साफ़ कह तो सकते हैं कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष? हम नहीं जानते जी आपको !! वैसे ही ब्‍लॉगिंग से स्‍तब्‍ध हैं सत्‍ताधारी. सत्ताधारी?????? कहाँ हैं सत्ताधारी, कहाँ है सरकार? मिल कर इसका नाम विचारें ! आइये इन्‍हें पहचानें !! कुछ तो करें..... चलो एक कविता ही सोचो..... सोचो बहुत दूर कही   पुल के उस पार  या कभी एक प्यारा सा गाँव, जिसमें पीपल की छाँव  या दहलीज के उस पार जहाँ से हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए , ...से लौटकर झांकते हैं कि कहीं जिनको छोड़ के गये थे घर में वो तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे हमारे बच्चों को पीट ने लग गए तो? और वह जीत गए तो? ह्म्म्म !! वैसे बच्चे आजकल के शोले ,हँसगुल्ले हँसने के लिए, जो हिंदी को हेय समझते हैं, भावनाओं के राग नहीं जानते, श्रीमद्भागवतगीता से उन्हें कोई लेना देना नहीं   लडेगा कौन इनसे सर पर कफ़न बांध कर ? लेकिन बेचारे जाएँ तो जाएँ कहाँ.... ह्म्फ़.... ह्म्फ़... बहुत हो गयी न ये बकवास ? बस !! !! इतनी मेहनत के बाद काश... एक गरम चाय की प्याली हो.

अदा जी पुछ रही है कहाँ है हमरा घर ?? 

जब 'इ' आये तो इनसे भी कैसे कहें कि बाथरूम जाना है.....इ अपना प्यार-मनुहार जताने लगे और हम रोने लगे.....इ समझे हमको माँ-बाबूजी की याद आरही है...लगे समझाने.....बड़ी मुश्किल से हम बोले बाथरूम जाना है....उ रास्ता बता दिए हम गए तो लौटती बेर रास्ता गडबडा गए थे ...याद है हमको

अड़बड़िया कड़बड़

ऊँची उनकी नाक
रस्ते नमन चलो

पूछे हैं वो

हाले कहन चलो

करनी है बात

जीभे कटन चलो

ना सुनें जो वो

चुपके निकल चलो।

चेतावनी रा चुंग्ट्या : कवि की कविता की ताकत

पग पग भम्या पहाड,धरा छांड राख्यो धरम |
(ईंसू) महाराणा'र मेवाङ, हिरदे बसिया हिन्द रै ||1||


गिरद गजां घमसांणष नहचै धर माई नहीं |
(ऊ) मावै किम महाराणा, गज दोसै रा गिरद मे ||3||
हमको हमारी खाक न मिली !

नापाक जिन्दगी को कोई पाक न मिली,
दिल-ए-गम को हमारे कोई धाक न मिली !image
दे पाये कहीं पर वास्ता, जिसके प्यार का,
बदकिस्मती कह लो कि वो इत्तेफाक न मिली !!

मुद्दतो से पाला था जहन में इक हसीं ख्याल,
कि लिखवाएंगे इक सुन्दर नज्म कभी तो!
ज्यूँ श्यामपट्ट, दिल टाँगे भी रखा सीने पर,
लिखने को मगर इक अदद चाक न मिली !

अनूप सेठी की कविता – रोना

बादलों का घुमड़ना और बरस पड़ना जैसा
सदियों पुराना जुमला भी रोने के मर्म को छू नहीं पाताimage
पर्वत का रोना इस तरह कि
बरसात में जैसे नसें उसके गले की फूल जाएं
कहना भी रोने को ठीक से बता नहीं पाता
रोना तो रोना
रोने के बाद का हाल तो और भी अजब है
कोई ईश्वर जैसे जन्म ले रहा हो
बारिश के बाद भी धुंधले सलेटी

क्या हुआ बेटा? ...पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ'

दिनांक : २४-अक्तूबर-२००९

image प्रातः अलार्म के पांच बार बजाने के बाद, बिस्तर से उतरने का मन बनाया | लेटे-लेटे ही अपनी हथेलियों को देख "कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमुले ..." मंत्र पढा, बच्चों का चेहरा देखा (मैं प्रातः सबसे पहले बच्चे का ही चेहरा देखता हूँ) | यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य था पर एक चौकानेवाली बात हुई - आज मेरे बड़े लड़के 'अक्षत' ने पैर छू कर प्रणाम किया | मैंने समझा शायद मेरी धर्म पत्नी ने इसे ऐसा करने को कहा होगा, पर मैं गलत था | पूछा क्या हुआ बेटा? बालक का सरल सुलभ जवाब - पापा 'आपके साथ रहना चाहता हूँ मैं'

कुछ दीप कुछ ऎसे भी जगमागतए है
दुसरे दिन कुछ लपंट लोगो ने ओर उन सफ़ेद पोशो ने अपनी करतुत छिपाने के लिये उस लडकी के बारे पुछ ताछ शुरु कर दी, ओर अंट शंट बकना शुरु कर दिया, जब वो बातraj bhatiya jee घर मै लोगो के कानो मै पडी तो बुढिया ने कहा कि बिटिया तुझे इस घर स कोई नही निकाल सकता, लोगो को बक बक करने दो...
हां कुछ बाते लिखना भुल गया कि  कई समाज सुधारको ने , नारी संगठनो ने इन पर केस किया कि एक बुढे ने नाबालिग लडकी से शादी कर के हिदु समाज का मुंह काला कर दिया, पहली बीबी के होते हुये दुसरी बीबी से शादी की, लेकि उस परिवार का कहना है कि हमे हर जगह हमारे सच ने बचाया,
"एक असफल स्टिंग आपरेशन [व्यंग्य] - शक्ति प्रकाश"

आम आदमी : नमस्कार महोदय, मैं शक्ति..
पत्रकार : शक्ति? कपूर तो नहीं हैं ना? हैं हैं हैं ....बैठिये बैठिये, वो तो ऐसे भी पत्रकारों के सामने नहीं आ सकता (पिच्च..) पर आपने रेफरेन्स नहीं बताया?
आम आदमी : जी वो बबलू भाई....
पत्रकार : श्रीवास्तव ? बहुत तगड़ा रेफरेन्स लाये हैं भाई।
आम आदमी : जी वो बबलू भाई बिल्डर सैक्टर ग्यारह वाले|
पत्रकार : तो ऐसे कहिये ना, कैसा है अपना बबलुआ?
आम आदमी : जी अच्छे हैं, पर लगता है बहुत अंतरंगता है आपकी?

रेल दुर्घटनायें : एक नियमित नियति

image अब से एक दशक पहले रेलवे से जुडी सभी कमियों, कमजोरियों, दोषों ,अपूर्ण योजनाओं और नहीं पूरे किये जा सकने वाले सुधार उपायों के लिये बजट का नहीं होना या संस्धानों की कमी को ही जिम्मेदार ठहरा कर इतिश्री कर ली जाती थी । किंतु अब जबकि ये प्रमाणित हो गया है कि रेलवे न सिर्फ़ लाभ में बल्कि बहुत ही मुनाफ़े में चल रही है तो भी सुरक्षित यात्रा के अनिवार्य लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाना बहुत ही अफ़सोसजनक बात है ।और बहुत बार ऐसी दुर्घटनाओके बाद जांच आयोगों की रिपोर्टों, समीक्षा समितियों की अनुशंसाओं से ये बात बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय रेलवे न तो इन दुर्घटनाओं से कोई सबक लेती है और न ही भविष्य के लिये कोई मास्टर प्लान तैयार कर पाती है। इसे देख कर तो ऐसा ही लगता है कि रेलवे प्रशासन के लिये सुरक्षित यात्रा कोई मुद्दा है ही नहीं, सो उस पर क्यों सोचा, विचारा जाए।
प्रेतों का उत्सव [इस्पात नगरी से - १९]
image समुद्री डाकू का यह भूत हमसे मिलने बड़ी दूर से आया है।

अब बारी अतीत के झरोखे की

आज अतीत के झरोखे मे है  डा. अरविंद मिश्रा जी के ब्लॉग की कविता आजाद है या पराधीन भारत ?

सत्यमेव जयते को क्या हो गया है ,
महाकाव्य का अर्थ ही खो गया है
वोटों के खातिर जुटे हैं जुआड़ी ,
हुयी द्रोपदी आज जनता विचारी
हालत जो पहुँची है बद से भी बदतर,
कहाँ चक्रधारी कहाँ हैं धनुर्धर
................................................
अस्मिता खोता भारत ,महाभ्रष्ट भारत
आजाद है या पराधीन भारत
महाभारती का महाघोष भारत
करो या मरो मन्त्र फिर से लो भारत !
डॉ .राजेंद्र प्रसाद मिश्र

अब " नजर-ए-इनायत "

रामप्यारी का सवाल – 97-image
मेरा फोटोआनेवाले दो महीने महत्‍वाकांक्षी युवाओं के लिए बडे खास रहने चाहिए !!-युवा वर्ग पर किसी न किसी प्रकार के कार्यक्रम का दबाब बढता चला जाएगा। 2 , 3 , 8 , 9 , 10 , 17 , 18 , 19 , 29 , 30 नवम्‍बर तथा 1 , 6 , 7 दिसम्‍बर को यानि इन खास तिथियों को मंगल ग्रह अधिक प्रभावी रहेगा।

साधो यह हिजडों का गाँव-4--व्यंग्य-पद  (11) साधो अब मसखरे पलेंगे। व्यंग्य रखो अंटी में अपनी, मंचों पर चुटकुले चलेंगे। जो नैतिक हैं उन लोगों से, लंपट-पापी बहुत जलेंगे। सच्चे सदा रहेंगे वंचित, झूठे सुख में नित्य ढलेंगे

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा और दुष्प्रवृत्तियाँ प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है...--माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है और दुष्प्रवृत्तियाँ भी उसी के अन्दर होती है . अब यह उसकी अपनी योग्यता बुद्धीमत्ता और विवेक पर निर्भर करता है की वह अपना मत देकर जिसे

दोस्ती की एक अनोखी मिसाल है ये मूर्ती ---पिछली पोस्ट में मैंने एक जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया था, इस सवाल के साथ की दिल्ली के नेहरु पार्क में लेनिन की मूर्ती क्यों स्थापित है. ज़वाब में बहुत सारे दोस्तों ने टिपण्णी की।

‘ये लड़का पूछता है, अख्तरुल-ईमान तुम ही हो?

खाए-अघाये लोग और 'आम-धन का खेल' !*जाहिर है कि यह बात उन लोगो के लिए कोई मायने नहीं रखती जो कामरेड के कहने पर दो किलो चावल के लिए पुलिस गश्ती दल के वाहन के नीचे विस्फोटक लगा कर उसे उड़ा देते है, यह बात उन लोगो के लिए

रिश्‍तों की अग्नि में ...मैं लकड़ी होता और कोई मुझे जलाता, तो जलकर मैं इक आग हो जाता, डाल देता कोई उन जलते हुये अं

दिखने वाली शायरी यादों के लिये (Visual Shayari Yadoon ke liye)-

हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए !लोग किनारे की रेत पे जो अपने दर्द छोड़ देते है वो समेटता रहता है अपनी लहरें फैला-फैला कर हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए जब भी कोई उदास हो कर आ जाता है

ब्लाग्जगत मे नये चिट्ठे -

हमारा खत्री समाजimage

 

 

[hindi.jpg]महफ़िल ए हिंदी

अब दिजिये इजाजत

नमस्कार

30 comments:

दीपक 'मशाल' said...

:)

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

नए चिट्ठे अलग से देने की माँग पूरी करने के लिए धन्यवाद।

Gyan Darpan said...
This comment has been removed by the author.
Arvind Mishra said...

ई तो एक नयी स्टाईल में आ गए -धाँसू !

शरद कोकास said...

चर्चा की इस जुगलबन्दी के लिये बधाई ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सन्र्दर, संयत और स्तरीय चर्चा के लिए,
पंकज मिश्र जी को बधाई!

ताऊ रामपुरिया said...

गजब करने लगे हो भाई. अब ये लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल वाली जुगलबंदी भी चालू करदी. पसंद आई.

रामराम.

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया चर्चा हुई .. पर मेरे चिट्ठे का लिंक नहीं बना है !!

रंजन (Ranjan) said...

बहुत खुब... बधाई..

वाणी गीत said...

नयी स्टाइल की चिटठा चर्चा ...पढ़ कर देखने में क्या हर्ज़ है ...!!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सार सार को गहि रहे-थोथा देय उड़ाय, बने सुग्घर चि्ट्ठी चर्चा बधई,

अजय कुमार झा said...

जे बात जुगलबंदी से गजबे जुलम ढाती चर्चा है पंकज जी और दर्पण जी ..एक झक्कास ..

अजय कुमार झा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत संतुलित चर्चा पंकज जी !

Dr. Shreesh K. Pathak said...

अच्छा लगा जी.....

Anonymous said...

जे तो गज़ब शैली है भैया आनंद आ गया
शुक्रिया वज़नदार चर्चा के लिए

vandana gupta said...

bahut hi badhiya charcha rahi..........har rang samaya hua hai......badhayi

samaj.darshanindia.blogspot.com said...

wah ati sunder abto meri bhi kosis hogi ki ap mere blog guru bane

ओम आर्य said...

बहुत बढिया लगी ......प्रस्तुतिकरण!

रश्मि प्रभा... said...

charcha chiththon ki drut gati se chalti jaa rahi hai.......bich-bich me chay mil hi jati hai

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर चर्चा । आभार

मनोज कुमार said...

vsry good.

अपूर्व said...

भई जुगलबंदी तो खूब हिट हुई..मगर बीच मे २४ सेकेंड मे २४ रिपोर्टर वाली फ़टाफ़ट चर्चा-ट्रेन कई स्टेशन्स से इतनी तेज निकली कि समझ मे नही आया कि कब कानपुर निकला कब इलाहाबाद आया..अगर फ़टाफ़ट चर्चा के ब्लॉग्स का कुछ रिफ़ेरेन्स भी यही मिल जाता तो वापसी की ट्रेन न पकड़नी पड़ती...

Ambarish said...

इतनी बकवास कि, अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना कहते हमने वो पढ़ा तो आप इसे भी पढ़ लीजिए... क्यूँ पढ़ लीजिये भाई ? कम से कम अभी साफ़ कह तो सकते हैं कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष? हम नहीं जानते जी आपको !! वैसे ही ब्‍लॉगिंग से स्‍तब्‍ध हैं सत्‍ताधारी. सत्ताधारी?????? कहाँ हैं सत्ताधारी, कहाँ है सरकार? मिल कर इसका नाम विचारें ! आइये इन्‍हें पहचानें !! कुछ तो करें..... चलो एक कविता ही सोचो..... सोचो बहुत दूर कही पुल के उस पार या कभी एक प्यारा सा गाँव, जिसमें पीपल की छाँव या दहलीज के उस पार जहाँ से हमने कई बार देखा है समंदर कों नम होते हुए , ...से लौटकर झांकते हैं कि कहीं जिनको छोड़ के गये थे घर में वो तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे हमारे बच्चों को पीट ने लग गए तो? और वह जीत गए तो? ह्म्म्म !! वैसे बच्चे आजकल के शोले ,हँसगुल्ले हँसने के लिए, जो हिंदी को हेय समझते हैं, भावनाओं के राग नहीं जानते, श्रीमद्भागवतगीता से उन्हें कोई लेना देना नहीं लडेगा कौन इनसे सर पर कफ़न बांध कर ? लेकिन बेचारे जाएँ तो जाएँ कहाँ.... ह्म्फ़.... ह्म्फ़... बहुत हो गयी न ये बकवास ? बस !! !! इतनी मेहनत के बाद काश... एक गरम चाय की प्याली हो.
अदा जी पुछ रही है कहाँ है हमरा घर ??

andaaz badhiya hai.. links dekhne ka time nahi.. jaipur mein khoye hain... baad mein aate hain fir...

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया चिठ्ठी चर्चा . मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभारी हूँ.

Gyan Dutt Pandey said...

चर्चा करने का मोहक स्टाइल। आप टेबल के प्रयोग में टेक्स्ट के लिये पैडिंग दे दें तो शब्द बायीं ओर दीवार से सटे नजर नहीं आयेंगे।

Gyan Darpan said...

बेहतरीन चर्चा | ये नया तरीका भी मजेदार रहा |

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

सुन्दर और मजेदार रही चर्चा | "इतनी बकवास कि, अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना कहते हमने वो पढ़ा तो आप इसे भी पढ़ लीजिए... " प्रयोग बहुत बढिया लगी ...

ये चिटठा चर्चा नित नए आयाम स्थापित कर रही है ...

धन्यवाद भाई लोगों ... लगे रहिये

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बढिया स्टाईल....बढिया चर्चा!!!

स्वप्न मञ्जूषा said...

दिनों-दिन ये चर्चा चटकदार, चमकदार, धारदार, जोरदार, हाहाकार......बनता जाता है......
हर दिन नित नया रूप देख मन बहुत हर्षाता है.......
और हाँ इतनी अच्छी कलाकारी दिखाई है चर्चा में इसको 'बकवास' का नाम मत दीजिये......मन हताहत होता है.....कुछ भी कहिये 'बकवास' नहीं बस ...आपकी कलम से कभी कुछ भी बकवास नहीं हो सकता है ....सब कुछ सार्थक है.....यह मेरी विनती है......

Smart Indian said...

गजब स्टाइल! गजब चर्चा !

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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