Tuesday, February 09, 2010

मुन्ना भाई दिल्ली सम्मेलन से बैरंग लौट के आगयेला है!

सबसे पहले तो मैं सर्किट आप सबसे माफ़ी मंग रयेला है…आप लोग पूछेगा…सर्किट भाई…तुम माफ़ी काये कू मंग रयेला है?  तो अपुन आपको बता रयेला है कि अपुन दो वजह से माफ़ी मंग रयेला है…

 

पहले तो अपुन भौत दिन से आप लोगों से मिलने नही आसका और दूसरे अपुन दिल्ली मे होके बी दिल्ली मिलन समारोह मे नही आसका..पण इसमे अपुन की कोई गल्ती नही है. वो हुआ ऐसे कि मुन्ना भाई दिपावली के टाईम अपुन को लेके तिहाड पहुंच गयेला था और बोला कि सर्किट अपुन को तो अबी का अबी शादी बनाने का मुन्नी मेंटेन से.  और शादी मे लोचा हो गयेला था….कारण कि मुन्ना भाई को दिपावली पर शादी बनाने को मंगता था पण मुन्नी भाबी कू पेट्रोल …आई मीन….अपुन का मतलब  कि पेरोल नही मिला….तो मुन्ना भाई गुस्सा खाके कुतुब मीनार पर चढ गयेला था…वईसेईच जैसे ब्लागर लोग टंकी पर चढता है.

 

बहुत मुश्किल से इतने दिन के कुतुब मीनार पर चढे मुन्ना भाई को यह बोल के उतारा कि अजय झा जी ब्लागर मिलन कियेला है..और मुन्ना भाई आपको चीफ़ गेस्ट के लिये बुलायेला है..तब जाकर कहीं मुन्ना भाई नीचे आया…अब उनको लेके मैं जब ब्लागर मिलन स्थल पर पहुंचा तब तक मिटिंग खल्लास हो गयेली थी …तो मैं उदर से मुन्ना भाई को लेके आजईच शाम को मुंबई आगयेला है…तो अब मुन्ना भाई का मूड फ़्रेश करने का वास्ते ये चर्चा सुना रयेला है…आप लोग बी कान लगाके सुनने का…इस चर्चा को जो बी कान लगाके सुनेगा उसकी पोस्ट हिट हो जायेगी…तो अब आप अगरबत्ती लगाके चर्चा सुनने का…

 

होली आ गयेली है तो सबसे पहले  क्वचिदन्यतोअपि..........! पर नायक भेद पर एक फगुनही पोस्ट पढने का फ़िर दिल्ली ब्लोगर सम्मेलन : चित्रों की जुबानी – देखने का…एक गीत : जिसने मुझे बनाया .. गाते हुये अंतर्मंथन पर आखिर मिलने की चाह हमें खींच कर ले ही गई ये बोल रयेले है…डॉ टी एस दराल साहब…

 

झा जी सब की  क्लास ले रयेले हैं….

झा जी और सक्सेना जी गंभीर समस्या को डिस्कस कर रयेले हैं..

समस्या का हल मिलते ही दोनों खिलखिला रयेला है….

 

मिसफिट पर अनूप शुक्ल जी से संवाद सुनने का भाई…. मो सम कौन ? पर कुछ बात है कि हस्ती मिटनी नहीं हमारी……जियो सरदार जी  पढने का  मूल्य-परम्परा-संस्कार-प्रतिष्टा-कुल परम्परा के अनुसार जैन:प्राचीन इतिहास-15 – पढने का….ताऊ पहेली - 60 : विजेता : श्री उडनतश्तरी जीत गयेली है…..ज्ञानवाणी पर अब जीना है मुझे भयमुक्त जीवन जीने का सीखने का….

 

  जीने दो मुझे

मत डराओ

कि अब मैं डरने वाली नहीं हूँ

अब बस

जीना चाहती हूँ भयमुक्त जीवन

मरने से पहले ..

बिजली रानी, बड़ी सयानी  ये उड़न तश्तरी .... बोल रयेली है….

 

न तार होंगे, न टूटेंगे, न चोरी होगी. वो बेचारे तो बेकाम हो जायेंगे नाम से भी.
न मरम्मत कर्मचारियों की नौकरी बचेगी, न तार चोरों की रोजी और न उनको पकड़ने वाली पुलिस की रोटी. बड़ा विकट सीन हो जायेगा हाहाकारी का. कितनी खुदकुशियाँ होंगी, सोच कर काँप जाता हूँ. विदर्भ में हुई किसानों की खुदकुशी की घटना तो इस राष्ट्रव्यापी घटना के सामने अपना अस्तित्व ही खो देगी हालांकि अस्थित्व बचाकर भी क्या कर लिया. कौन पूछ रहा है. सरकार तो शायद अन्य झमेलों में उन्हें भूला ही बैठी है.

चलो चोर तो फिर भी गुंडई की सड़क से होते हुए डकैती का राज मार्ग ले कर विधान सभा या संसद में चले जायेंगे, जाते ही है, सिद्ध मार्ग है मगर ये बेकार बेकाम हुए मरम्मत कर्मचारी और पुलिस. इनका क्या होगा?

एक तार का जाना और इतनी समस्यायों से घिर जाना. कैसे पसंद करेगी मेरे देश की भोली और मासूम जनता!!

 

Gyan Darpan ज्ञान दर्पण  पर ब्लॉग पर दुकानदारी और पेपल खाते का इस्तेमाल सीखने का….और कार्टून :- ओ अभिमन्यु यह कैसी नियति है तुम्हारी...  काजलकुमार जी का मस्त कार्टून देखने का भाई….

 

फ़िर शिल्पकार के मुख से सुनने का ब्लाग जगत है तैयार-बह रही फ़ागुनी बयार (बिरहा फ़ाग)…   आइ लव यू, फ्लाय-ब्वाय...! ये अपुन नही…पाल ले इक रोग नादां.. वाले मेजर साब बोल रयेले हैं…"शब्द भी रोने लगे "   ये कुछ लम्हें पर… भाई…  कुछ चित्र/गहरी होती परछाई ये …पारूल…चाँद पुखराज का……  पर  

 

मेरी पहली पोस्ट-ब्लॉग की दुनिया में मेरा पहला कदम से चित्रांगदा कदम रख रयेली हैं…

 

[chit.jpg]

 

 

मेरी पहली पोस्ट-ब्लॉग की दनिया में मेरा पहला कदमअपने शहर से दूर महानगर में हूं, कभी दिल्ली तो कभी मुंबई..तो सिर्फ अपनी रचनाशीलता की भूख मिटाने...भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से पत्रकारिता पढ़ने के बाद उसे अपनी जिंदगी में उतारने की कोशिश में थी। लेकिन मीडिया में दबंगई और इसके दोहरे चरित्र ने असहज कर दिया। तभी सिनेमा से जुड़ाव हुआ और फिर आप सबों के देने के लिए कुछ एड फिल्में भी कीं।

 

 

सुबीर संवाद सेवा पर उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में, उतारो जूतों से आरती सब सनम हैं आए गली हमारी । होली के स्‍पेशल तरही मुशायरे के लिये ये हैं दो मिसरे । का आनंद लेने का भाई…और आदित्य (Aaditya)  अब चन्दा मामा... –बोलना सीख गयेला है भाई….

 

नीरज जी गुलाबों से मुहब्बत है जिसे – बता रयेले हैं…

 

My Photo

मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं

वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं

मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की

सदा हम साथ में अपने, यही सामान रखते हैं

यही सच्ची वजह है, मेरे तन मन के महकने की

जलाये दिल में तेरी याद का, लोबान रखते हैं

 

Dr. Smt. ajit gupta बता रयेली हैं…साहित्‍यकार माता-पिता का स्‍मरण कौन करता है?  तस्लीम पर आज की पहेली -इस मछली का नाम और इससे तैयार होने वाले प्रसिद्ध व्यंजन का नाम बताईये ….  जम्मू से कटरा घूमने का नीरज जाट के संग….

 

काव्यमंजूषा पर  याद तुम्हारी आई (गीत) पढवा रयेली हैं..रानी विशाल….

 

फिर सज गई शाम सिंदूरी
मैसम ने ली अंगड़ाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
फूलों पर गुन गुनाए भ्रमर
हर कली कली शरमाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
हंस हंसिनी चले रे घर को
चातक का कटा कलेश
चंदा ने भी अम्बर से
कैसी प्रेम सुधा बरसाई
मुझे याद तुम्हारी आई ....

 

 

 

मेरी कृति पर My Photography…. दिखा रही हैं..किरण राजपुरोहित नितिला

बच्चे है कुछ भी कर सकते है!!!!!!!!!

 

अंधड़ ! पर थोडा खाओं और सुखी रहो ! 

 

और झा जी कहिन पर झा जी आप देखिए और पहचानिए कौन शामिल हुए दिल्ली ब्लोग्गर्स बैठक में….

 

 

सबसे नीचे बाएं से दाएं
प्रतिभा कुशवाहा, संजू तनेजा, प्रवीण पथिक, अजय कुमार झा,विनीत कुमार, अविनाश वाचस्पति, अंतर सोहिल,
तारकेशवर गिरि

उससे ऊपर
डा.टी एस दराल, सतीश सक्सेना, राज भाटिया,विनोद पांडेय,सरवत जमाल, मिथिलेश दूबे, पं. डी के शर्मा वत्स ,

और सबसे आखिरी पंक्ति में ,
पद्म सिंह, राजीव तनेजा, खुशदीप सहगल और नीशू तिवारी ।

 

एक बात चलते चलते बता दें , भाई खुशदीप सहगल ने संदेशा दिया है कि उनकी लिखी हुई पोस्ट नेट कनेक्शन की बेवफ़ाई की भेंट चढी हुई है फ़िलहाल और दूसरी ये कि अब तक मिली खबर के अनुसार
दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, नई दुनिया, अमर उजाला और अन्य कुछ समाचार पत्रों में इस ब्लोग्गर्स बैठक का सचित्र जिक्र किया गया है , वो भी दिखाएंगे आपको ।

उच्चारण पर “घर-आँगन बसन्ती हो गये!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) जी बता रयेले हैं…. 

दिल्ली ब्लागर मिलन में फोटोग्राफर श्री एम् वर्मा एवं डॉ टी एस दराल ! - एस सी सक्सेना बता रयेले हैं …मेरे गीत ! पर

 

[5.jpg]

 

मेरी छोटी सी दुनिया पर PD को  दिल में बैठा एक डर बैठ गयेला है…भाई..टेंशन नही लेने का फ़िर डर निकल जायेंगा ना…मस्त रहने का PD भाई….और भाई अब लविज़ा | Laviza

का खाने का स्टाईल देखने का…. आपने खाया है कभी ऐसे ?

 

DSC02280

 

शर्मा जी बोल रयेले हैं ताश के बादशाह, बेगम तथा गुलाम सब का अपना-अपना चरित्र होता है. तो निरंतर पर मिश्र जी बता रयेले हैं आजकल के बच्चे समय से पहले ही बड़े हो रहे हैं ?  शाश्त्री जी  “बिजली रानी, बड़ी सयानी” (चर्चा मंच) पर चर्चा कर रयेले हैं.. 

 

कुछ भी...कभी भी.. पर झा जी दिल्ली ब्लोग बैठक (सिलसिलेवार रपट नं २) जारी कियेले हैं….

फ़िर सबसे पहला दौर परिचय का चला ।हमारे टकले सर के बावजूद ताऊ की पहेली के गोल घर की तरह सब हमें पहचान चुके थे सो हमने सोचा परिचय करने करवाने का काम हम शुरू करें । पहली ही बौल पे क्लीन बोल्ड ...ये हैं कविता वाक्चनवी जी ....उधर से सुधारा गया ....नहीं जी कविता वाचक्नवी ....। बस हमने कहा झाजी अब चुप होके बैठ ही लो इससे पहले कि ऐसे ही परिचय करवाओ ...। यार हम भी क्या करते पहला ही परिचय इत्ते कठिन नाम से हुआ । ...

देशनामा पर दिल्ली में ब्लॉगर-ए-बहारा, एक लेटलतीफ़ रिपोर्ट...खुशदीप – पेश कर रयेले हैं….

 

[nainital-8_edited.jpg]

 

अजय भाई ने बताया कि समीर लाल जी समीर अप्रैल या मई में भारत आने वाले हैं...उनके आने पर कोई बड़ा आयोजन ज़रूर होगा...राज भाटिया जी ने भी कहा कि वो भी मई में भारत दोबारा आने की कोशिश करेंगे...इस मौके पर सभी ने समीर जी के व्यक्तित्व की जमकर तारीफ की...सबने ये इच्छा भी जताई कि जो भी प्रोग्राम रखा जाए उसमें समीर जी को ज़्यादा से ज़्यादा सुना जाए...उनके अनुभवों का लाभ उठाया जाए...नए ब्लागर्स ने एकसुर में कहा कि समीर जी जिस तरह हर नए ब्लॉगर को प्रोत्साहित करते हैं उसने उन्हें और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिली ...मैने भी कहा कि न तो मेरी समीर जी से आज तक ई-मेल पर कोई बात हुई है और न ही फोन पर...लेकिन मैंने जितना उनकी पोस्ट और टिप्पणियों को पढ़ते-पढ़ते सीखा है और सीख रहा हूं वो पूरी ज़िंदगी का फ़लसफ़ा है...

 

शब्दों का सफर पर हुजूर, अंगूर नहीं, खट्टे हैं खजूर… फ़िर राजतन्त्र  पर महफूज और समीर भाई से हो गई फोन पर मुलाकात अजय कुमार झा से चैटिंग पर हो गई बात और

मसि-कागद  पर इसे भी बताइए ज़रा कैसी लगी???------>>>>>दीपक 'मशाल' -  पूछ रयेले हैं…तीसरा खंबा  पर नियमित कर्मचारी और दैनिक वेतन भोगी का वेतन समान नहीं हो सकता – ये वकील साहब बता रयेले हैं…

 

काव्य मंजूषा पर अदाजी राधा का संताप !!! रचना पढवा रयेली हैं…

 

हे माधव क्या समझ पाए तुम राधा का संताप
तुम सर्वज्ञ दीनबंधु हर लेते हो हर पाप
किस दुविधा में डाला उसको, कैसा दिया यह ताप
यह अलौकिक प्रेम तुम्हारा बन गया उसका शाप
राधा घर से बे-घर हो ली
तुमने अपनी दुनिया संजो ली
कभी सोचा क्या हुआ उसका
जो करती रही बस हरी जाप
यह अलौकिक प्रेम तुम्हारा बन गया उसका शाप
जब तक चाह उसे घुमाया
वन-कानन में रास रचाया
यूँ उड़ा दिया ह्रदय से
जैसे जल बने भाप
यह अलौकिक प्रेम तुम्हारा बन गया उसका शाप

 

 

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष पर संगीता जी बच्‍चों के मनोवैज्ञानिक विकास में बहुत ही सकारात्‍मक प्रभाव डालता है 'लग्‍नचंदा योग' !!के बारे में बता रयेली हैं…और हैप्पी अभिनंदन में रश्मि रविजा  से मिलवा रहे हैं…युवा सोच युवा खयालात पर…

 

कुलवंत हैप्पी : आपने अपनी एक पोस्ट में ब्लॉगवुड पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा था कि ब्लॉग जगत एक सम्पूर्ण पत्रिका है या चटपटी ख़बरों वाला अखबार या महज एक सोशल नेटवर्किंग साईट? इनमें से आप ब्लॉगवुड को किस श्रेणी में रखना पसंद करेंगी और क्यों?

रश्मि रविजा : सबसे पहले तो आपको शुक्रिया बोलूं "आपने मेरा नाम सही लिखा है" वरना ज्यादातर लोग 'रवीजा' लिख जाते हैं। वैसे I don’t mind much ....टाइपिंग मिस्टेक भी हो सकती है, और जहाँ तक आपके सवाल के जबाब की बात है। तो मैं पोस्ट में सब लिखी ही चुकी हूँ। हाँ, बस ये बताना चाहूंगी कि ब्लॉगजगत को मैं एक 'सम्पूर्ण पत्रिका' के रूप में देखना चाहती हूँ। मेरे पुराने प्रिय साप्ताहिक 'धर्मयुग' जैसा हो, जिसमें सबकुछ होता था, साहित्य, मनोरन्जन, खेल, राजनीति पर बहुत ही स्तरीय। और स्तरीय का मतलब गंभीर या नीरस होना बिलकुल नहीं है। वह आम लोगों की पत्रिका थी और उसमें स्थापित लेखकों के साथ साथ मुझ जैसी बारहवीं में पढ़ने वाली लड़की को भी जगह मिलती थी।
मेरा सपना ब्लॉगजगत को उस पत्रिका के समकक्ष देखना है क्यूंकि मैं 'धर्मयुग' को बहुत मिस करती हूँ.

 

एक आलसी का चिठ्ठा पर पढिये सिपाही मेरे…..और  ताऊ की चौपाल - 1 : की  विजेता सुश्री अल्पना वर्मा  बनी है….अमीर धरती गरीब लोग पर दर्द के बारे मे सवाल किया था मिथिलेश ने और जवाब मेरे सामने खड़ा था! ये रोचक  आलेख पढिये अनील पूसदकर जी के ब्लाग पर….

 

और अब अपुन चलने से पहले आपकू एक कविता पढवा रयेला हूं संजय भास्कर की…

 

सूख जाना ही है उसको इक रोज़,


तो पत्ता डाली पर पनपता क्यूँ है....


डरता है बदनामी से इस कदर,


तो यह दिल प्यार करता क्यूँ है... बिछड़ना है


तो दिल में प्यार पनपता क्यों है


मरना है तो इन्सान जन्म लेता क्यों है


सवालों के जवाब चाहिए

भाई अब अपुन निकल रयेला है…जल्दी ही आके फ़िर मलने का वादा कियेला है आपसे अपुन…तो जल्दी ही आता है…सबकू..मुन्ना भाई और सर्किट का  सलाम नमस्ते!

26 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

बे रंग नहीं आया है
झोली भर के रंग लाया है
आप देख रहे हैं
चित्र और ब्‍लॉगर मिलन के किस्‍से
हिस्‍से इतने सारे हैं
चित्रों में खूब नजारे हैं।

अजय कुमार झा said...

क्या बात है सर्किट मियां , सारे न्यूज़ चैनल एक साथ ही दिखा दिए आपने तो , गज़ब की धांसू फ़ांसू चर्चा किएला है बाप । बोले तो एक दम रापचिक , टिंग फ़टैक, दिस दैट, ढिंशुंग टिल्लम टिल्ल। वाह मजा आ गया आज तो ...
अजय कुमार झा

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत चित्र ..... सारे ब्लॉगेर्स अच्छे लग रहे हैं ....... अच्छी चर्चा है ..............

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत गजब चर्चा किये सर्किट भाई. पिछली सारी कसर पूरी होगई. दिल्ली मिलन समारोह की आपकी रिपोर्टिंग भी बडी गजब रही. मुन्ना भाई का शादी मुन्नी मेंटेन से नही हुई..इसका अफ़्सोस है. खुशदीप भाई को मैं बोलता है कुछ करने के लिए..टेंशन नहीं लेने का.:)

रामराम.

M VERMA said...

बहुत अच्छी चर्चा निराले अन्दाज़ मे

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Chha gayela bhai, Kasam se.

वाणी गीत said...

गागर में सागर भर लाये भाई ...
क्या रास्चिक चर्चा ले आये ...टंकी से उतरने के लिए बहुत आभार ....!!

डॉ टी एस दराल said...

बड़ी मराथन स्टाइल की चर्चा कर डाली है , भाई।
बातों बातों में बहुत मेहनत कर जाते हैं आप।
शानदार चर्चा , बधाई।

Anonymous said...

वाह मजा आ गया

rashmi ravija said...

चर्चा अच्छी रही...बहुत सारे लिंक मिले......शुक्रिया..

रानीविशाल said...

Kya Bhidu mast Charcha kiyela re...munna bhai ki shadi ka tension bhi khallas ho gaya. pan ab jasti break lene ka naiiiii :)
Aabhar!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

डॉ. मनोज मिश्र said...

अच्छी चर्चा है .....

Udan Tashtari said...

बेहतरीन चर्चा और बेहतरीन चित्र संकलन!! आनन्द आ गया लिंक्स ले कर.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मज़ा आ गयेला.... इस चर्चा से....

Himanshu Pandey said...

बहुत सारे लिंक समेट लाये हैं आप इस चर्चा में । आभार ।

दीपक 'मशाल' said...

Munna bhai.. bade dinon baad mila aapka ye stylish charcha... ek taaze hawa ke jhonke ka sa laga...
Abhar...

दीपक 'मशाल' said...

Munna bhai.. bade dinon baad mila aapka ye stylish charcha... ek taaze hawa ke jhonke ka sa laga...
Abhar...

Smart Indian said...

रंग में बेरंग? लगता है मुन्ना भाई को शिकायत लगानी ही पड़ेगी.

रंजन (Ranjan) said...

झकास...

मुनीश ( munish ) said...

I like ur style . i like it !

बाल भवन जबलपुर said...

आप क्या बोले बेरंग
मुन्ना भाई मुन्ना लौटे ?
न भाई मुन्ना खुद ब खुद सतरंगी है गुरु

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह दिल्ली ब्लॉगर्स सम्मेलन से लेकर हर विधा की बेहतरीन पोस्ट ..सुंदर चिट्ठा चर्चा...बधाई हो

Anil Pusadkar said...

वाह बीड़ू वाह्।मज़ा आ गया।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बढ़िया और विस्तृत चर्चा सर्किट जी, देर से पहुचने के लिए मुआफी !

रानीविशाल said...

Bahut hi sundar charcha hai....aapane meri rachana ko apani charcha me sthaan diya dil se aabhar!
Saadar

संजय @ मो सम कौन... said...

खुद पर शर्म आ रही है। इतने समय के बाद धन्यवाद ज्ञापन, लेकिन पता आज चला है। उस समय तो हम बिल्कुल ही नये थे, निपट अनाड़ी - अब थोड़े से अनुभवी अनाड़ी हैं सो खुद पर हंसे जाने का रिस्क लेते हुये धन्यवाद प्रकट करते हैं।
देरी के लिये माफ़ी।

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