नमस्कार , पंकज मिश्रा आपके साथ ! आपके चिट्ठों की चर्चा लेकर .आपके समक्ष मै अपने आप को रखता हु तो बहुत खुशी होती है..आप सब अपना प्यार ऐसे ही देते रहे तो मेरा मनोबल बढता रहेगा ! सादर अभिवादन –पंकज मिश्रा !
चलते है आज के चर्चा की तरफ़!
सबसे पहले शिर्डी यात्रा के कुछ पल बिताते है कुलवंत हैप्पी के साथ!
शिर्डी मंदिर परिसर में आप मोबाइल और जूते लेकर नहीं जा सकते, ये बात मुझे प्रसाद वाले ने बता दी थी, जिसके चलते मैं जूते और मोबाइल फोन वहीं दुकान पर छोड़ दिया था। मुझे मंदिर परिसर के मुख्य दरवाजे पर जाकर पता चला कि मंदिर के मुख्य दरवाजे के साथ ही मोबाइल और जूते जमा करवाने के लिए लॉकर बने हुए हैं, जिनका शुल्क बहुत कम है। सुबह की आरती में शामिल होने के लिए मंदिर परिसर में पहुंच गया था। मैं खुश था कि आज भीड़ कम है,
अब चलते है चर्चा की तरफ़ और आज की रिपोर्टिंग गिरिजेश भाई कर रहे है - मछली बाजार से ...
बंगाली लोग कहते हैं मछली खाने से दिमाग तेज होता है। उपर की बातें बड़के भैया के निमंत्रण पर उत्तर प्रदेश मीन महोत्सव में खाई गई मछली से उपजी दिमागी तेजी से आई हैं। हमार कउनो कसूर नाहीं । ... हम तो बंगाली दादाओं की बात के कायल हो गए हैं लेकिन दाल में सुम्हा मछली पका कर तो नहिंए खा पाएँगे।
कल डा. अरविन्द मिश्र जी के निमंत्रण पर मोतीमहल लॉन, लखनऊ में आयोजित मीन महोत्सव में मैं सपरिवार गया था। भव्यता, विविधता और व्यवसायिकता देख कर हम लोग दंग रह गए। माया मैम की लाठी का असर हो या साल में एक बार ही सही, जग जाने की परम्परा का पालन हो, लग गया कि राज्य सरकार के अधिकारियों में दम है। ये बात और है कि वहाँ से लौटने के बाद घटित दुर्घटना ने उन्हें गरियाने का मौकादे ही दिया और एक बार फिर मैं अपने पूर्वग्रह के किले में बन्द हो गया – ये सब बस वैसे ही हैं
सबसे पहले खबर यह है कि तोड़ दो गांधी के सारे बुत...खुशदीप जी कह रहे है!
बहन मायावती जी से भी मैं यही कहना चाहता हूं...अगर आप अपने कामों से गरीब-गुरबों, पिछड़े-कुचले वर्गों के दिलों में जगह बना लेती हैं (या कहीं कहीं बना भी ली है) तो फिर आपको किस बात का डर...फिर आप जिन्हें मनुवादी कहती रही हैं वो लाख कोशिश कर लें इतिहास में आपका नाम दर्ज होने से नहीं रोक सकते...मायावती जी के लिए मेरी सारी शुभकामनाएं हैं...अगर वो किसी दिन देश की प्रधानमंत्री बनती हैं तो मैं इसलिए खुश नहीं हूंगा कि एक दलित की बेटी प्रधानमंत्री बनी...मैं इसलिए खुश हूंगा कि बादलपुर गांव की बेटी तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पढ़ लिख कर अपनी योग्यता के बल पर देश की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंची...
और इसी तर्ज् पर पद्म सिहं जी कह रहे है कहो प्रिय, कैसी तुम्हरी प्रीत और वन्दना जी कह रही है ये तो है बावारा मन
कहो प्रिय, कैसी तुम्हरी प्रीत स्वप्न दिखा कर दूर गए तुम रूठ गए मधुमीत .. कहो प्रिय, कैसी तुम्हरी प्रीत मुझको अपने अंग लगा लो व्याकुल मन की प्यास बुझा दो
| ये मन का उड़ता पंछी |
चलिये चर्चा के अगले पडाव पर रुबरु होईये सुमन जी के विचारो से. सुमन जी कह रहे है भाई ! गाँधी की हत्या कितनी बार करोगे ?
तस्वीर दिखती है तो भी वह गाँधी की दूसरी हत्या है।
गाँधी जी के तथाकथित उत्तराधिकारी अमेरिकन साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद का मुख्य दुश्मन महात्मा गाँधी थे। अगर उनके तथाकथित उत्तराधिकारी साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं तो यह गाँधी के विचारों का वध नहीं है तो और क्या है ? गाँधी जी के विचार आज पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं अगर उनका सत्य और अहिंसा का प्रयोग उनके अनुयायी अगर अपने जीवन में उतारे होते तो निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों का शोषण भारतीय जनता को आत्महत्या करने को मजबूर नहीं करता
मै कठपुतली की तरह तो नही पर ये रचना आप पढिये
मेरे मालिक , लो मैं फिर प्रस्तुत हूँ | और अजय भाई जी है लेकर ! रद्दी की टोकरीकोशिशें अक्सर, मेरी, नाकामियां बन जाती हैंमैं जो करता हूँ, |
सफेद घर मे काफ़ी दिनो के बाद आगमन हुआ है सतीश पंचम जी का और लिखा गया है कि अमां मुर्गों की लडाई देख रिया था, लो खां तुम भी देखो, वो मुटल्ले को देखो कैसे फडक रिया है ...
आज तो खाली फडक है। मुर्गा लोग को आज फडक करवा के जोडा बनाने का है। एकवीस दिन के बाद ये लोग में से तपास के एक मस्त जोडी निकालने का अउर बाद में वो लोग का मेन फाईट होने वाला है।
मै थोडा हैरान हुआ, क्योंकि मुर्गे लडाना मैंने सुना है कि गैरकानूनी है। उस शख्स से बातचीत चलती रही। बीच बीच में उन लोगों के मुर्गों को लडते देख रहा था। मुर्गों के कई जगह से छिल जाने के भी निशान दिख रहे थे। जो मुर्गे लड लेते उनको पानी भरी बाल्टी के पास ले जाकर पानी से तर किया जाता और उनकी मालिश की जाती। मालिश करने वाले को देख रहा था तो वह अपना पानी लगा गीला हाथ मुर्गे की पीठ पर से सहलाते हुए उसकी गर्दन की ओर ले जाता और कलगी को एकाएक उपर की ओर उठा मुंह से टॉ की आवाज निकालता। इधर मुर्गा भी शायद इस टॉ की आवाज का मतलब समझता था और उतनी ही जोर से बांग देता। पंख फडफडाता। लेकिन रहता मालिक के कब्जे में ही।
प्रवीण शाह जी डा. मिश्रा जी के भविश्यवाणी से बहुते प्रभावित हुए है और लिक्खे है कि धन्यवाद आदरणीय अरविन्द मिश्र जी . . . . . . . . . . . . . . . प्रवीण शाह
ऐसे कठिन समय में आदरणीय अरविन्द मिश्र जी ने कहा कि...
मेरे हिसाब से तो मौसम में २६ जनवरी के से ही स्पष्ट चमत्कारिक बदलाव आना शुरू हो जायेगा -खूब सूरज की रोशनी मिलेगी -ठंडक काफूर हो जायेगी -४ परवरी तक तो मौसम पूरी तरह सामान्य हो जायेगा ! २७-३० के बीच थोड़ी वर्षा के भी योग हैं !
अब देखना है संगीता जी की भविष्यवाणी सच होती है या मेरी -मेथोदोलोजी दोनों की एक है आगमनात्मक ! मैं निर्गमनात्मक का अल्पग्य हूँ मगर इस बार रिस्क ले रहा हूँ !
हाँ हम भी इन्सान हैं, अपनी कमजोरियों को सुनना हमें भी अच्छा नहीं लगता बुरा लगता है ऐसा कह रहे है विवेक रस्तोगी जी !
केवल अपने पास इतना रखना चाहिये कि अपनी जिंदगी आराम से निकल जाये, ज्यादा मोह भी बुराई की जड़ है। हमेशा अपनी हद में रहना चाहिये, जिससे आप को पता रहे कि आप किसी का मन नहीं दुखा रहे हैं, और अपनी मर्यादा की सीमा का उल्लंघन भी नहीं कर रहे हैं
रतन सिहं जी बता रहे है ग्वार पाठे की और खाशियत "एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक
रामबाबू के ब्लॉग पर गूगल से आने वाले पाठकों द्वारा किये गए सर्च के विश्लेषण से मुझे पता लगा कि वहां आने वाले पाठकों में से ९०% पाठक एलोवेरा के बारे में सर्च करके आये थे | बस उसी वक्त मुझे लगा क्यों न एलोवेरा पर एक पोस्ट लिखकर ज्ञान दर्पण पर भी गूगल से कुछ और पाठक हासिल किए जाए | और इसी बात को ध्यान में रखते हुए कि एलोवेरा ब्लॉग पर ट्राफिक बढ़ाने के लिए एक बढ़िया की-वर्ड है पिछले दिनों २३ जनवरी २०१० को हमने भी ज्ञान दर्पण पर एलोवेरा के नाम से एक पोस्ट ठेल दी
और आज से चर्चा मे एक नया कालम जोडा गया है ! आप अपने अगले प्रकाशित होने वाले किसी विशेष पोस्ट का ट्रेलर एक दिन पहले हमारे इस मंच पर दे सकते है .इसके लिये आप को पोस्ट की कुछ लाईने प्रकाशित होने वाले समय और तारीख के साथ hindicharcha@googlemail.com पर दे दिजिये बस ! आगे हमारा काम :) |
आज का ट्रेलर नीचे है !
ट्रेलर
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अब दिजिये पंकज मिश्रा को इजाजत , नमस्कार!
19 comments:
bahut hi chuninda chitthon ko daala hai aapne...sabhi ek se badh kar ek..bahut mehnat karte hain aap..
hriday se aabhari hain aapke..
dhnyawaad..
वाह !! बहुत बढिया !!
वाह भाई पंकज, बहुत उम्दा चर्चा की है. बेहतरीन कवरेज!! बधाई एवं शुभकामनाएँ.
सेलेक्टेड ब्लॉग पोस्ट की सुन्दर चर्चा -आगामी आकर्षण की जुगाड़ भी जोरदार है !
खूबसूरत चर्चा । आभार ।
गांधी नाम का यही तो तिलिस्म है...एक दिल में मरता है...हज़ार दिल में जी उठता है...
चर्चा के तेवर अच्छे हैं...लगे रहो पंकज भाई...
जय हिंद...
nice
वाह बहुत बढ़िया चर्चा।
नए कालम वाला आईडिया भी बढ़िया है
बेहतर चर्चा ।
आभार..!!
सुंदर चर्चा के लिए-बधाई
गर महात्मा गांधी जी ने हिन्दी ब्लॉग बनाया होता http://avinashvachaspati.blogspot.com/2009/10/blog-post.html पूर्व में प्रकाशित इस पोस्ट को नये दर्पण के सामने बैठकर पढि़ए और युवा पीढ़ी का गांधी के नाम लिखे चेतन भगत के पत्र का गांधी जी ने क्या उत्तर दिया यह पढि़ए यहां पर http://nukkadh.blogspot.com/2009/10/blog-post_5157.html
और ट्रेलर देखकर मन आनंदित हुआ। देखते हैं कि वहां पर क्या क्या गुल जलाते हैं ताऊ जी और क्या क्या गुल बुझाते हैं गांधी जी। एक सार्थक प्रयास आपका ट्रेलर का और एक सार्थक प्रयास ताऊजी का।
सुंदर अति सुंदर चर्चा. आभार.
रामराम.
सुंदर अति सुंदर चर्चा. आभार.
Bahut khub...Umda charcha.
सुंदर चर्चा के लिए आभार .........
चर्चा तो एकदम लाजवाब रही....
आभार्!
सफल रही आज की चर्चा!
बढ़िया चर्चा है । बधाई ।
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