Saturday, December 05, 2009

"जो भी मन में हो कह जाओ! द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)

अंक : 100
चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
ज़ाल-जगत के सभी हिन्दी-चिट्ठाकारों को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"" का सादर अभिवादन!
आज "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" 100वीं पोस्ट है।
इस अवसर पर कुछ तुकबन्दी आपकी सेवा में प्रस्तुत है:-
नौका खेवन वाले, खेवनहार बदल जाते हैं।
प्यार-मुहब्बत के वादे, सब नही निभा पाते हैं,
नीति-रीति के मानदण्ड, व्यवहार बदल जाते हैं।
कंगाली में आटा गीला’, भूख बहुत लगती है,
जीवन यापन करने के, आधार बदल जाते हैं।
जप-तप, ध्यान-योग, केवल, टीवी, सीडी. करते हैं,
पुरुष और महिलाओं के, संसार बदल जाते हैं।
क्षमा, सरलता, धर्म-कर्म ही सच्चे आभूषण हैं,
आपा-धापी में निष्ठा के, तार बदल जाते हैं।
फैशन की अंधी दुनिया ने, नंगापन अपनाया,
बेशर्मी की गफलत में, श्रंगार बदल जाते हैं।
माता-पिता तरसते रहते, अपनापन पाने को,
चार दिनों में बेटों के, घर-द्वार बदल जाते हैं।
भइया बने पड़ोसी, वैरी बने जिन्दगी भर को,
भाई-भाई के रिश्ते औऱ, प्यार बदल जाते हैं।
इसी क्रम मे यह भी झेल लें:-
द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!
दूर-दूर रह कर, क्यों हल को खोज रहे हो,
मरुथल में जाकर क्यों जल को खोज रहे हो,
गंगा तट पर प्यास बुझाने,
गड़वा लेकर आ भी जाओ।
द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!
छलनी के छेदों मे तुम तो केवल अवगुण देख रहे हो,
कूड़ा आँचल में रखते हो, सार-सार को फेंक रहे हो,
खुलकर के मन- सुमन मिलेंगे,
उपवन में अब आ भी जाओ।
द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!
क्षमा-सरलता गुण हैं और हैं मानव के आभूषण भी,
वायु करती प्राण-प्रवाहित और जगाती है दूषण भी,
मत देखो पुतले में अवगुण,
जीवन भरने आ भी जाओ!
द्वार खुले हैं, आ भी जाओ!!
घर में अंग्रेजी का अखबार देर से आता है - दिन में ११ बजे के आसपास , सो उसे रात को ही बाँचता हूँ फुरसत से। कल रात में अखबार पढ़ते हुए देखा कि पूरा एक पेज भोपाल गैस कांड / गैस त्रासदी पर है मय तस्वीरों के। बहुत देर तक मन में उथल - पुथल होती रही और आधी रात गए कुछ यूँ ही लिख लिया गया। आप चाहें तो इसे कविता भी कह सकते हैं :
राग भोपाल
चौथाई सदी से
बज रहा है यह
ध्वनि के सहयात्री हैं -
धूल - धक्कड़
धुआँ
आँसू
आग।
एक लेटलतीफ़ की शादी
image पिछले दिनों उसने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया. बारात 27 नवम्बर को लखनऊ से कानपुर जानी थी.उसका आग्रह था कि मैम शादी में आपको ज़रूर ज़रूर आना है.ऑफिस के अन्य सहकर्मी भी सादर आमंत्रित थे.अपने प्रिय शिष्य़ की शादी में शामिल होने का मेरा खुद बimage हुत मन था. मन में उसे दूल्हा बना देखने की बड़ी उमंग थी.उसने बताया कि "मैम चूँकि शादी में बैण्ड पहली शिफ़्ट का है अत: कैसे भी करके बारात कानपुर 6:30 शाम तक ज़रूर पहुँचनी है वर्ना बैण्ड वाले वापस चले जाएँगे." समय से पहुँचने की उसकी एक दो रिमाइंडर कॉल भी मुझे प्राप्त हुई.बारात पौने पाँच बजे शाम को रवाना हुई
दोस्त मेरा...
image कभी फूल तो कभी गुल्नारों की बातें करता था
दोस्त मेरा चाँद सितारों की बातें करता था
दूर तलक कड़ी धूप में चलते चलते
दोस्त मेरा बहारों की बातें करता था......
जेली के बहाने फायदेमंद अमृतफल आंवला अपने बच्‍चों को खिलाएं !!
अमृतफल आंवले से भला कौन परिचित न होगा , फिर भी इसके बारे में वैज्ञानिक जानकारी के लिए विकिपीडीया का यह पृष्‍ठपढें। एशिया और यूरोप में बड़े पैमाने पर आंवला की खेती होती है. आंवला के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं,....................
आरजुओं का सारा जहां लुट गया
आज किसी दोस्त किसी बिछडे दोस्त को याद कर लिया जाये। ठंडी छांव की ही नही कभी-कभी कडी धूप भी जरूरी होती है। कभी-कभी उदास भी हो लिया जाये।
मासिक राशिफल----दिसंबर 2009
यह मासिक भविष्यफल जन्मराशि पर आधारित है । अत: सही फलादेश के लिए नामराशि की अपेक्षा अपनी जन्मराशि के अनुसार ही इसे पढें । यदि किसी को अपनी जन्मराशि की जानकारी नहीं है,तो,टिप्पणी अथवा ईमेल के जरिए अपना जन्मविवरण भेज कर अपनी राशि पता कर सकते हैं ।
गीत-ग़ज़ल मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी -
** *मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी बाद मुद्दत के सही , पुरवाई तो चली थाम लम्हों को , किस्मत तो ...
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** तरक्की की कीमत.. -
My Photo बचपन के दिन कैसे फुदक के उड़ जाते हैं ,स्कूल की शिक्षा खत्म हुई और आँखो में बड़े बड़े सपने खिलने लगते हैं जैसे ही उमंगें जवान होती है कुछ करने का जोश और आग...
वक़्त का पहिया चलता रहा ...एक दिन आंटी अपने क्लीनिक से घर जा रही थी कि सड़क के एक और उन्हें शिवानी दिखी उसके साथ उसका दोस्त रोहित था ..शिवानी की हालत बहुत बुरी हो रही थी .. सुंदर शिवानी के गाल पिचक चुके थे बाल उलझे हुए कंघी मांग रहे थे और गोरा खिला हुआ रंग काला पड़ चुका था .कमज़ोर इतनी थी कि बोला भी नही जा रहा था .हर चीज की अति बुरी होती है और शिवानी कि हालत उसकी बर्बादी की कहानी सुना रहे थे !
आदित्य (Aaditya) पकड़ सकते हो!! -
ये मेरा पसंदीदा खेल है.. कभी बाबा के साथ तो कभी मम्मी के साथ.. खूब खेलते है पुरे जोश और मस्ती के साथ.. बाबा थक जाते है पर 'आची' नहीं.. २ मिनिट का ये ;;;;
स्वप्न(dream) कोई याद करता है दिल कह रहा है - कोई याद करता है दिल कह रहा है कोई हम पे मरता है दिल कह रहा है किसकी ये खुशबू फिजा में है शामिल ये किसकी सदा कह रही मुझसे आ मिल कोई आह भरता है दिल कह रहा है...
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GULDASTE - E - SHAYARI - किसीकी याद सताए तो क्या करें, किसीसे मिलने को दिल चाहे तो क्या करें, कहते हैं सभी, होती है मुलाकात सपनों में, पर नींद ही न आए तो क्या करें ! 
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गुलमोहर का फूल तुम्हारी प्रतीक्षा में - मैं नहीं कहता[image: fallen flower] कि तुम्हारे लिये ले आऊँगा तोड़कर चाँद तारे । मैं नहीं कहता कि तुम्हारे लिये बना दूँगा पहाड़ को धूल और झुका ...
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BAL SAJAG कविता: मैंने सोचा - मैंने सोचा मैंने सोचा था कि खेत हो मेरे पास, मेरे खेत की मिट्रटी अच्छी... वह मिट्रटी बहुत उपजाऊ हो. मै सोचा था कि इसमे क्या बोउं... भइया बोले मिर्च लगाओ, खे...
हम धरती के फूल, हमीं हैं खुश्बू वाले झरने। -कृष्ण शलभ-
हम धरती के फूल, हमीं हैं खुश्बू वाले झरने।
उड़े हवा के पंख लगा कर, कोई क्या उड़ पाए।
गुस्सा होती दादी अम्मा हमें देख हंस जाए।..
नवगीत की पाठशाला कार्यशाला-६ कोहरा या कुहासा - नवगीतों की पाँचवीं कार्यशाला धीरे धीरे आगे बढ़ी फिर भी इसमें अच्छे नवगीत आए और नए लोगों की रचनाएँ देखकर ऐसा लगा कि उनमें नवगीत की समझ बढ़ रही है। सभी भाग ल...
मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी

मैं वो बात नहीं छेड़ूँगी , वो तेरा दिल दुखायेगी
मेरा क्या है , वो तेरे जख्मों को छेड़ जायेगी
बाद मुद्दत के सही , पुरवाई तो चली
थाम लम्हों को , किस्मत तो सँवर जायेगी..................

ITNI SI BAAT
अफगानिस्तान:करज़ई के गले में पट्टा डला !! -

आज के लिए इतना ही! 

25 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह! सुंदर चर्चा के लिए आभार.
अगर आप इसे तुकबंदी कहें तो आपका बड़प्पन है.

वाणी गीत said...

बहुत सारे लिंक के साथ सुन्दर चर्चा ..आभार ..!!

Arvind Mishra said...

शतक जयंती पर बहुत बधायी !

siddheshwar singh said...

* आज "चर्चा हिन्दी चिट्ठों की" 100वीं पोस्ट है। यह जानकर बहुत अच्छा लगा। पूरी टीम को बधाई और विशेषकर शास्त्री जी को । आपकी मेहनत और चयन तथा प्रस्तुति के लिए साधुवाद से बेहतर शब्द कोई है तो वह कहा जाना चाहिए।

** फिलहाल साधुवाद और बधाई!

विवेक रस्तोगी said...

शतक जमाने पर बहुत बधाई

संगीता पुरी said...

100 वीं चर्चा की बधाई .. इस अवसर पर सुंदर रचना के लिए धन्‍यवाद !!

Gyan Darpan said...

शतक पर बहुत बधाई

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

100 वीं चर्चा की बधाई,सुंदर रचना के लिए धन्‍यवाद !!

Himanshu Pandey said...

१००वीं चर्चा तक की यात्रा की बधाई । बहुत सारे लिंक दे दिये हैं आपने सजाकर ! आभार ।
जिन्हें तुकबंदियाँ कह रहे हैं , उनका सौन्दर्य और उनके संदेश देखकर मुग्ध हो रहा हूँ । आभार ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत सुंदर चर्चा। शतक के लिए बधाई!

ताऊ रामपुरिया said...

शतकीय पारी की बधाई एवम शुभकामनाएं.

रामराम.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

१००वी पोस्ट की बधाई सभी चर्चाकारों को और सुन्दर चर्चा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आज 5 दिसम्बर को तो हमारी 36वीं वैवाहिक वर्ष-गाँठ भी है!

मनोज कुमार said...

सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

Meenu Khare said...

सेंचुरी की बधाई और शास्त्री जी को शादी की सालगिरह मुबारक .

vandana gupta said...

100 vi post ki hardik badhayi.........charcha bahut hi badhiya lagi .
36 vi varshgaanth ki hardik badhayi.

vandana gupta said...

shastri ji ye aapki shadi ki 36vi varshgaanth ke liye badhayi di hai

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

शत पोस्ट पूर्ण होने की बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

१००वी पोस्ट पर बधाई ......... अच्छी चर्चा है .........

राज भाटिय़ा said...

शतक पर बहुत बधाई

निर्मला कपिला said...

शतक की बहुत बहुत बधाई

अजय कुमार झा said...

वाह शास्त्री जी ....
देखिये इतनी जल्दी जल्दी शतक तक की मजिल तय कर ली गई..
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं..पंकज भाई की व्यस्तता अभी कम नहीं हुई क्या

Gyan Dutt Pandey said...

यह पढ़ने पर इतना स्पष्ट लगता है कि बहुत विविधता आ गयी है हिन्दी ब्लॉगिंग में।

विनोद कुमार पांडेय said...

सेंचुरी पूरा हो गयी आपकी..बहुत बहुत बधाई..बढ़िया चिट्ठा चर्चा जारी है....धन्यवाद

शरद कोकास said...

बढ़िया चर्चा है शास्त्री जी । धन्यवद और बधाइयाँ ।

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