एक पहेली ख्याल आती है: *एक पैकेट में ७ बन(ब्रेड) हैं. मेरी पत्नी रोज आधा खाती है और मैं एक पूरा.* पहेली है कि ५ वें दिन कौन कितना खायेगा? *जबाब हो...
पुर्तगालियों ने मुम्बई को 1534 में गुजरात के शासक सुल्तान बहादुर से प्राप्त किया था। प्रशासनिक व्यवस्था के लिए उन्हों ने यहाँ एक सैन्य अधिकारी को नियुक्त क...
प्यार जिदंगी का बहुत खूबसूरत खुशनुमा एहसास है । प्यार की अनुभूति तो उसे ही हो सकती है जिसने कभी खुद प्यार जैसे खूबसूरत एहसास को महसूस किया हो या जिसने कभी ...
भारत माता* *विधा दायिनी सुमति , श्वेत्वस्त्राव्रुता देवी सरस्वती* *आज आपके लिए कुछ कवितायेँ लेकर उपस्थित हूँ ........**............* *माँ ,** अल्मोड़े मे...
पिछले दिनों ऑफिस के काम से एक यात्रा पर जाना हुआ. दिल्ली, कानपुर और बीच में लखनऊ. यूँ तो बहुत दिन नहीं हुए पर पता नहीं क्यों लगा कि एक अरसे [image: Unpub...
आज दुनिया भर में काले बनने बनाने का फितूर छाया हुआ है। अभी कुछ अर्सा पहले तक जो कंपनियाँ गोरेपन को तरह-तरह की क्रीमों के जरिए भुना रही थीं, उन सभी को सावधा...
सभी आधुनिक सुख पाने को हरदम करे प्रयास। इस कारण से रिश्ते खोये आपस का विश्वास। भैया जी ऽऽऽऽऽऽऽ क्योंकि वक्त नहीं मेरे पास।। उनसे बात नहीं होती थी जो बसते पर...
पुराने ज़माने की बात है ....तब आज की तरह पानी के लिए नल और बोरिंग जैसी सुविधा नही थी ....सिर पर कई घड़ों का भार लिए स्त्रियाँ कई किलोमीटर दूर तक जा कर कुओं ...
ब्रेड बँटवारा और स्त्री /पुरुष विमर्शसमीरलाल जी उड़नतश्तरी की तश्तरी पर ब्रेड परोस लाए। और आज की मंहगाई में पेट पर बेल्ट कसते हुए ब्रेड का विभाजन भी बहुत बढ़िय...
बोलना तो है। यह एक किताब का नाम है। बोलने के तौर-तरीकों को लेकर हिंदी में एक अच्छी किताब आई है। अपने मित्र दुर्गानाथ स्वर्णकार के हवाले से यह पुस्तक हाथ लग...
कल से कई फोन आ रहे हैं और एक ही बात पूछ रहे हैं पूछने वाले बन्धु कि क्या LAUGHTER KE PHATKE वाकई अच्छा बन रहा है ? मैं उन सब को विश्वास हूँ ..
रचना, तुम्हारे प्रश्नों के जवाब इतने सारे हो चुके थे की इसे पोस्ट का रूप ही देना पड़ा। छोटे राज्यों कि राजनीति वह भी अपने नाम को अमर करने वाले कुछ अमरता लो...सच्चा शरणम् तेहिं तर ठाढ़ि हिरनियाँ .... - अम्मा गा रही हैं - *"छापक पेड़ छिउलिया कि पतवन गहवर हो..."* । मन टहल रहा है अम्मा की स्वर-छाँह में । अनेकों बार अम्मा को गाते सुना है, कई बार अटका हूँ, भटका...
(पिछली किस्त से जारी)जौलिंगकौंगअगली सुबह हम थोड़ा देर से उठते हैं. इगलू की नन्ही खिड़कियों से छन कर आए धूप के दो चमकीले आयत भीतर किसी सर्रियल पेन्टिंग का सा अह...
दिल ढूंढता है, फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन … जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेटकर आँखों पे खींचकर तेरे दामन के साए को औंधे पड़े रहें, कभी करवट लिए हुए | An ...
पंकज मिश्रा की बात!!!
नमस्कार …चर्चा के इस विशेष अंक मे आज चर्चाकार है हमारे शास्त्री जी लेकिन मुझे कुछ कहना था इसिलिये आपके सामने आया हु…
ब्लागिन्ग लगभग पूरे विश्व के हर भाषा मे होता है …हम आप सभी हिन्दी भाषी है अतः हिन्दी भाषा मे लिखते है…और लगभग सही ही लिखते है….कभी भी भूल से किसी भी तरह से मजाक मे भी ऐसी भाषा का प्रयोग नही करते है कि किसी जाति ,व्यक्ती विशेष कि किसी भी प्रकार की तकलीफ़ पहुची हो…
लेकिन हमारे इसी ब्लाग परिवार मे से कुछ ऐसे भी महानुभाव है जो कि आजकल खूले तौर पर गन्दी भाषाओ का खुलेआम प्रयोग कर रहे है….क्या सन्जय जी ने कुछ ऐसा लिखा था कि वहा कमेन्ट के साथ साले शब्द की उपस्थिति अनिवार्य हो गयी थी ,,,
चिट्ठा चर्चा के पुराने पोस्ट पर साले शब्द का प्रयोग और साथ मे विशेश कर किसी एक प्रान्त के ब्लागर को गाली देना कहा की बुद्धीमता है…
आज की टिप्पु चच्चा की पोस्ट भी कुछ ऐसी ही बातों की पोल खोल रही है कि किस तरह कुछ अपने आप को उच्च कोटि के ब्लागर मानने वाले ऐसी तुच्छ हरकत कर रहे है..आप यहा से पढ सकते है….
चंद लोगो को खुश करने के लिए.. क्या क्या नहीं करते है साले ?
ई शुकुल जी ने हमरे शान मा मगरुरवा द्वारा की गई गुस्ताखी वाली टिप्पणी अबी तक नाही हटाई….तो बचूआ लोग आप हमका ई बताईये कि नीचे की दू टिप्पणी इनका इहां से कौन हटा गया अऊर कौन कर गया? आप तो खुदई फ़ैसला करिये…चच्चा कुच्छौ नाही बोलेगा. हम पूरा जांच पडताल कर लिया हूं. ई लोग दूसर लोगों की इज्जत खराब करे का काम करत हैं….अऊर आप लोग चुपेचाप देखे जात हो? किसी दिन आपका भी इज्जत ई लोग लपेट लेगा..तब चच्चा को याद करोग
सबसे पहले ऊहां पर ये वाली टिप्पणी आई रही…..
नेक सलाह ने आपकी पोस्ट "उसने मुझे चूमा बहुत धीमे मैंने कसके" पर एक नई टिप्पणी छोड़ी है:
अनूप शुक्ल ने कहा…
बाकी कुश के जैसा लिखने वाले ब्लाग जगत में बहुत कम हैं। जैसा यह लेख कुश ने लिखा है वैसे लेख का लिंक आपने कभी लिखा हो बताइयेगा।
आपका उपरोक्त कथन सौ प्रतिशत सही है। और हम इसका समर्थन करते हैं। और कुश जी के दिये गये लिंक पर हमने जाकर वो उनके पुराने लेख भी पढे। उस लिहाज से कुश जी बहुत ही उच्च कोटि के लेखक हैं और साथ ही भविष्य दृष्टा भी. उन्होने कितने समय पहले यह भविषवाणी कर दी थी? बहुत आभार उनको।
आपसे अनुरोध है कि इस ब्लाग जगत मे असल गुरु (बाबा समीरानंद) और चेले (बाबा ताऊ आनंद) को निकाल बाहर किया जाये। सारी गंदगी इन दोनों की वजह से है। और इनको बाहर करने के काम मे हम आपके साथ हैं। आप और कुश जी बिल्कुल सही कर रहे हैं।
बल्कि मैं तो कहुंगा कि इन साले म.प्र. और छत्त्तीसगढ वालों को ब्लागिंग से निकाल कर बाहर कर दिया जाना चाहिये। जिससे सारी गंदगी ही दूर हो सके। और गंभीर और मौलिक लोग बचे रहें। हम आपके साथ हैं।
अब हम ई बात पर कुच्छौ नाही बोलेंगे कि ये किसने टिप्पणी की अऊर क्यों की? आप सब जानत है…खुदे समझा जाये….अऊर ई टिप्पणि का उपर फ़िर टिप्पणी आई शिव बाबू की जो आप नीचे पढिये।
Shiv Kumar Mishra ने आपकी पोस्ट "उसने मुझे चूमा बहुत धीमे मैंने कसके" पर एक नई टिप्पणी छोड़ी है:
@ नेक सलाह जी,वैसे तो आपने अनूप शुक्ल जी को संबोधित किया है फिर भी मैं कुछ कहना चाहता हूँ. कुछ ज्यादा ही बड़े शुभचिंतक नहीं हो गए आप अनूप शुक्ल के? दो प्रान्तों के चिट्ठाकारों के लिए साले शब्द का प्रयोग करते समय एक बार भी नहीं सोचा आपने कि यह क्या कर रहे हैं? जिन लोगों के लिए आपने अपने इतने उच्च और महान विचार रखे हैं, वे क्या इस तरह की भाषा और विचार डिजर्व करते हैं?किसी के लिए घटिया भाषा वाली टिप्पणी लिखने में आपने तो सब को पीछे छोड़ दिया.
और एक बात. आप और अनूप शुक्ल कौन हैं किसी को ब्लॉग जगत से निकालने वाले? ब्लॉग जगत आपका है? अनूप शुक्ल का है? इस तरह की टिपण्णी करके आप खुद को मौलिक और गंभीर बता रहे हैं. ब्लॉग जगत को लेकर इतने ही गंभीर और मौलिक हैं तो प्रोफाइल पर पर्दा क्यों डाल रखा है?
हलकान भाई, कहीं ये आप तो नहीं?
अब इहां ई सवाल है कि ई हलकान भाई कौन है? समजने वाले सब समझ गये,,,कि ये सब कहां से अऊर कैसे खेल चल रहा है? खुद ई कमेंट करो..खुद ई मिटाओ…अरे बचूआ त चच्चा ने क्या तुम्हाई भैंसिया खोली है? काहे नाही मिटावत हो ऊ कमेंटवा?
अऊर बच्चा लोग…अब हमको आपको ऊपर का कमेंट किसकी कारस्तानी है? कौन ई साला शब्द बात बेबात प्रयोग करत है? ऊ आप नीचे का कमेंट देख कर ही समझ जायेंगे….काहे से कि ई लोगों को दूसरे की इज्जत खराब करने अऊर गाली देने की आदत पडी हुई है. नीचे का कमेंट मा ई गाली लिखने की कोनू परिस्थिति नाही थी..पर ई तो इनकी गंदी जबान पर चिपका हुआ है…देखा जाये तनि…
हिन्दुओं को राज का भय दिखाया जा रहा है
कुश Says:
December 11th, 2009 at 1:55 pmचंद लोगो को खुश करने के लिए.. क्या क्या नहीं करते है साले!
आप उपरोक्त पोस्टवा पढिये अऊर देखिये कि वहां साले कहने की कोई गुंजाईश ई नाही थी..पर गाली दी गई है..जैसे चच्चा कॊ दी थी…अब हम कुच्छौ नाही कहुंगा..बच्चा लोग आपई फ़ैसला करो कि ई कौन है जो इन सबको साले कहिन रहा…
और साथ मे देखिये चच्चा के गुरु और चेलवा का डान्स जो कि चच्चा के ब्लाग के दाये कोने पर नाच रहे है….दे दना दन !!
अब हमारा और शास्त्री जी का नमस्कार!!!
14 comments:
अपराधी कौन ? एक नहीं मंडली है पूरी गिरहकटों की !
nice
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा शास्त्री जी ।
पंकज भाई की बातों से सौ प्रतिशत सहमत ॥
अजय कुमार झा
badhiya charchaa..........
badhaai 1
सुन्दर चिट्ठा चर्चा शास्त्री जी। बहुत से चिट्ठों को एकत्रित करने का एक सफल प्रयास।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सुन्दर चिट्ठा चर्चा -आभार
किसने कहा कि साले सिर्फ गाली भर है
उसमें छिपा जिंदगी भर का रिश्ता दर है
निःसन्देह अवांछनीय/अभद्र भाषा का प्रयोग किये जाने से बचा जाना चाहिए । लेखन अपने आप में एक चरित्र है-इसे शुभ्र रखा जाना चाहिये ।
चर्चा सुन्दर है ! आभार ।
बहुत कुछ कह रही है आज की चर्चा. निसंदेह अफ़्सोसजनक है जो कुछ हो रहा है.
रामराम.
सुन्दर चिट्ठा चर्चा शास्त्री जी !
चर्चा अच्छी लगी बाकी क्या माजरा है अपनी समझ से परे है। धन्यवाद्
सुन्दर चर्चा......
आजकल ब्लागजगत में जो कुछ हो रहा है, उसे किसी भी प्रकार से ठीक नहीं कहा जा सकता...
बढ़िया चर्चा है।...
निसंदेह अफ़्सोसजनक... बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा
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