Wednesday, December 16, 2009

अंक एक सौ ग्यारह (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार…”चर्चा हिन्दी चिट्ठो की” इस अंक मे मै पंकज मिश्रा आप सबका स्वागत करता हु…आज हमारा एक सौ ईग्यारहवा अंक है

आज आफ़िस मे सुबह नौ बजे हाऊस कीपींग वाला एक नौ साल का लडका लेकर हाजिर हुआ ….मैनेजर ने लडके को देखते ही काम करवाने से मना कर दिया ..हाऊस किपींग का कान्ट्रक्टर बोला—साहब आपने मजबूत आदमी मांगा था इसिलिये मै इसको लेकर आया हु..यह सिर्फ़ दिखने मे छोटा है ..इसकी उमर उन्नीस साल है…

मैनेजर बोला-मै कोई आसमान से टपका हु जो मुझे बहका रहे हो? मै समझ रहा हु इसकी उमर कितनी है…ले जाओ इसे..

कान्ट्रक्टर बोला- अच्छा आज के लिये रख लो नही तो इसका अपसेन्ट लगेगा..

और वह ळडका चुप चाप मैनेजर की तरफ़ कातर निगाहो से देख रहा था कि शायद उसे रख लिया जाये,,,,….

जरा सोचकर देखिये कहा जा रहे है हम ..बच्चे देश का भविश्य है…ऐसा कहा जाता है…तो आप बताईये कैसा रहेगा हमारा भारत आगे आने वाले समय मे?

चलिये चर्चा कर लेते है…..शुरुआत करते है आज के अंक की मनोरमा पर से ..श्यामल सुमन जी रचना और अंधड के गोदीयाल साहब जी के लेख से…

image

इश्क चढ़ता गया

उम्र बढ़ती गयी इश्क चढ़ता गया
ख्वाब सजते रहे दिन गुजरता गया
उम्र छोटी बहुत जिस्म से प्यार की
इश्क आँखों से आकर निखरता गया
उलझनों में उलझने की फितरत नहीं
प्यार उलझन में फँसकर सँवरता गया

image

फिर हम तुम्हारे किसलिए ?

आ मिल-बैठ सुलझा ले आपसी कलह को,
ये विद्वेष सारे किसलिए ?
गर बात दिल की न हम से कह सको,
फिर हम तुम्हारे किसलिए ?
इक रोज तुम्ही ने तो हमको उठाकर,
अपनी पलकों में था बिठाया,
फिर इस तरह आज ये तन्हाई का
पल-पल, हम गुजारे किसलिए ?

अरविन्द मिश्रा जी बता रहे है ऐसी की तैसी उन सबकी ....ये नया नया जोश है अभी!  सही ही कह रहे है आप जोश नया है!!

image हम तो शुरू से ही एक "बे" फालतू के से आत्म गौरव के शिकार रहे और ऐसे क्षणों के लुत्फ़ और रोमांच से इसलिए  वंचित भी ! साथी संगाती ऐसे अवसरों का खूब लाभ उठाते थे और लौट कर अपने शौर्य /चौर्य और उडाये गए दावत के मीनू की चर्चा जब करते थे तो  उनके मौज मस्ती और अपने आहत स्वाभिमान से मेरी हालत पतली हो जाती थी! ऐसे शौर्य गान को सुन सुन कर  कई बार आहत आत्मसमान कृत संकल्प भी हुआ कि हम अगली ही किसी पार्टी में खुद ही जा पहुंचेगें और अपने शौर्य की परीक्षा ले ही  लेगें मगर ऐसा न हुआ और उम्र की देहारियाँ पार होती गयीं -कहते हैं न जो शौक बचपन और जवानी में पूरे न हो पाए उन्हें बुढापे में पूरा करने को कितनो का मन हुलसता रहता है! तो हम भी इक्का दुक्का ऐसे सुअवसरों का लाभ अभी अभी  बीते शादी विवाह के मौसम में उठा ही लिए और आत्म समान तेल बेचने चल पडा .... जहाँ उसे बहुत पहले ही  चला जाना चाहिए था ! मगर रुकिए अभी जरा एकाध दूसरे गेट क्रेशरों  के कुछ रोचक संस्मरण /आप बीतिओ से आपके ज्ञान कोशों को समृद्ध तो करता चलूँ!

गंगा ही नहीं हमारा जीवन ही प्रदूषित कर दिया गया है……….सुमन लोक….पर

ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने अँधाधुंध तरीके से जंगलो की कटाई कर जमुरिया नदी को उथली कर दिया था । वन विभाग ने कागज पर इतने पेड़ लगा दिए हैं की जनपद में कोई भी जगह पेड़ लगने से अछूती नहीं रह गयी है । जमुरिया में मछली से लेकर विभिन्न जीव जंतुओं का विनाश भी मुनाफे के चक्कर में हुआ है । जहर डाल कर पानी को विषाक्त कर मछलियां मारी गयी जिससे पानी कि सफाई का कार्य भी स्वत: बंद हो गया ।
गंगा गौमुख से निकल कर बंगाल कि खाड़ी तक जाती है जिसमें हजारों नदियाँ , उपनदियाँ मिलती हैं । जमुरिया नदी के साथ जो कार्य हुआ वही गंगा के साथ हुआ है । जमुरिया नदी भी से गंगा बनती है । जब हमारी मां या बाप या प्राणरक्षक गंगा हो या जमुरिया उसको पहले साम्राज्यवाद ने बर्बाद किया और अब हमारे उद्योगपति, पूंजीपति और नगर नियोजक हमारी नदियों को समाप्त करने पर तुले हैं। यह लोग यह चाहते हैं की पानी के ऊपर उनका सम्पूर्ण अधिपत्य हो जाए और कम से कम 20 रुपये लीटर पानी हम बेचें । आज जरूरत इस बात की है कि इन पूंजीवादी, साम्राज्यवादी शक्तियों व उनके द्वारा उत्पन्न नगर नियोजकों के खिलाफ जन आन्दोलन नहीं चलाया जाता है तो हमारी गंगा बचेगी न हमारी जमुरिया ।

शास्त्री जी बता रहे है अग्नीशमन के गुणो के बारे मे सुन्दर बाल कविता के माध्यम से …image

image

अग्नि शमन यह यऩ्त्र है सुन्दर, सुखद ललाम।
आग बुझाने में सदा यह आता है काम।।

 

पग-पग पर अपनाइए सुलभ सुरक्षा ढंग।
यन्त्र अनोखा राखिए कम्प्यूटर के संग।।

 

विद्युत मीटर-कक्ष में और किचन के साथ।
अग्नि-शमन उपकरण बिन नही सुरक्षा तात।।

 

 

रन्जना रन्जू भाटिया जी की प्रस्तुति क्षणिकाएँ...

बनो तुम चाहे
मेरी कविता
चाहे बनो अर्थMy Photo
चाहे बनो संवाद,
पर मत बनो
ऐसी उलझन
जिसे में कभी
सुलझा न सकूं!

चाँद भी तन्हाMy Photo
तारे भी हैं अकेले
और हम भी उदास से
उनकी राह तकते हैं
तीनो हैं तन्हा एक साथ
फ़िर भी क्यों इस कदर
अकेले से दिखते हैं ?

श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी महराज के आश्रम मे आजकल प्रवचन देने के लिये पधारे है श्री जी लालितानन्द जी महराज और आज तीसरे भाग मे प्रस्तुत स्वामी ललितानंद महाराज प्रवचनमाला भाग - 3- शब्दै मारा गिर पड़ा

image शब्द की महिमा अपरम्पार है, कहा गया हैं न "बातन हाथी पाईये और बातन हाथी पांव" मुंह से निकला हुआ शब्द कभी व्यर्थ नहीं जाता और जब शब्द मुंह से बाहर निकल जाता है तो वह अपना प्रभाव उत्पन्न कर परिणाम भी देता है. यह परिणाम हमें कभी प्रत्यक्ष रूप से और कभी अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होता  ही है.
इसी लिए हमारे मनीषियों ने कहा है, "सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, अप्रियम सत्यं  न ब्रूयात" अगर आपको सत्य भी कहीं कहना पड़े तो उसे प्रियता के साथ कहें क्योंकि सदा से सत्य कहना,बोलना और सुनना हमेशा कठिन रहा है. 

 

समीरानंद जी आश्रम का प्रस्तावित भवन यह है

image

बाबा जी के बारे में

 

 

ताऊजी डाट काम पर पहेली ..

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (144) : आयोजक उडनतश्तरी

बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं.image
जैसा कि आप मुझसे भी ज्यादा अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं क्यों ५ सप्ताह तक इस खेल का आयोजक रहूंगा. इस खेल के सारे नियम कायदे सब कुछ पहले की तरह ही रहेंगे. सिर्फ़ मैं आपके साथ प्रतिभागी की बजाय आयोजक के रुप मे रहुंगा. डाक्टर झटका भी पुर्ववत मेरे साथ ही रहेंगे.
आशा करता हूं कि आपका इस खेल को संचालित करने मे मु झे पुर्ण सहयोग मिलता रहेगा क्योंकि अबकी बार आयोजकी एक दिन की नही बल्कि ५ सप्ताह की है. और इस खेल मे हम रोचकता बनाये रखें और आनंद लेते रहें. यही इसका उद्देष्य है. तो अब आज का सवाल :-

खबरो की खबर मे अजय भाई बता रहे है इटली में एक आदमी ने प्रधानमंत्री को पीटा ,बताओ लोकतंत्र हमारा मजबूत है , कैसे जी

imageन ज़र :- बताओ यार ! एक हम हैं खामख्वाह का हल्ला मचाते रहते हैं कि लोकतंत्र मजबूत है हमारा । बाहर वाले कभी प्रधानमंत्री पीट मारते हैं तो कभी राष्ट्रपति को जूता ठोंक देते हैं । हम बस वोट वोट खेल कर ही रह जाते हैं । कायदे से होना तो ये चाहिए कि हमें भी समय समय पर कम से कम एक आध छोटे मोटे एम एल ए , एम पी तो पीटते ही रहने चाहिए । देखिए इसके भी दो वाजिब कारण तो हैं ही हमारे पास । एक तो ये कि हमारे वाले मंत्री नेता , इटली अमरीका वालों से कहीं ज्यादा डिसर्व करते हैं ये पीटमपीट अवार्ड । दूसरा ये कि हम मारे न मारे, वे बेचारे खुद तो एक दूसरे के सेवा करते ही रहते हैं जब तब । तो ऐसे में आपको ये नहीं लगता कि हमें भी पूरी दुनिया को दिखा देना चाहिए कि लोकतंत्र में हमारा विश्वास सिर्फ़ थ्योरिटकली ही नहीं है ....तो बंधुओं आईये हम ये शपथ लें कि मौका मिलते ही ................हां .....पक्का पक्का ॥

और साथ मे बी.एस पाबला जी बता रहे है….आज आवाज़ में 'कस्बा' व 'भारतीय पक्ष'image

कल्पतरु पर विवेक जी की सहायता किजिये और आपको बताईये कि मोबाईल लेना है पर बहुत भ्रम है कि कौन सा लेना चाहिये... आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है…..।

१ जनवरी से मोबाईल के क्षैत्र में क्रान्ति आने वाली है, क्योंकि १ जनवरी से नंबर पोर्टेबिलिटी शुरु होने जा रही है। अभी हमारे पास टाटा इंडिकोम का मोबाईलimage  और नंबर है पर अब हम एमटीएनएल की सर्विसेस लेना चाहते हैं,

लो जी इन्तजार की घडिया खतम हुई दुसरा धमाका हो गया है राजतन्त्र पर ग्वालानी जी के द्वारा सीरियल ब्लास्ट का दूसरा धमाका पाबला जी के नाम

image वैसे हम एक सवाल करना चाहते हैं कि क्या अभी ब्लाग बिरादरी गुटबाजी से बची हुई है जो अब गुटबाजी प्रारंभ हो जाएगी। ये दुनिया है मित्र जब अपने देश के 11 खिलाडिय़ों की टीम में गुटबाजी हो सकती है तो फिर यह तो एक अथाह सागर वाली ब्लाग बिरादरी है, इसको गुटबाजी से कैसे बचाया जा सकता है। लेकिन हम लोग इतना जरूर यकीन दिला सकते हैं कि हम लोग कोई भी काम किसी गुटबाजी के तहत नहीं कर रहे हैं। हम लोगों को जरूरत महसूस हुई कि अपने राज्य का एक ब्लाग एसोसिएशन होना चाहिए, इसी के साथ लगा कि एक और चिट्ठा चर्चा होनी चाहिए जिससे ब्लागरों को आगे बढऩे का मौका मिले। हमारा ऐसा सोचना है कि जितनी ज्यादा चिट्ठा चर्चा का प्रारंभ हो, यह ब्लाग बिरादरी के लिए अच्छा ही है। यह चर्चा एक तरह से एंग्रीकेटर का काम करती है जहां पर कई अच्छे ब्लागों की पोस्ट एक साथ देखने को मिल जाती है।

विनोद कुमार पांडेय जी का लेख राखी के स्वयंबर में सलामत दूबे जी..एक हास्य भरी काल्पनिक प्रस्तुति

image

राखी का स्वयंवर,अयोध्या से भी गये थे एक वर,क्योंकि,अब भी वहाँ के लोगों को ये यकीं है,कि स्वयंवर-व्यमवर के मामले में, अयोध्यावासी थोड़े लकी हैं,
बस फिर क्या एक थे, राखी के प्यार में डूबे, नाम था जिनका सलामत दूबे, उछलते-कूदते किस्मत के सहारे, स्वयंवर वाले स्टूडियो में इंट्री मारे,

राखी झल्लाई पर खुद को संभाली, एक भी फूटकर गाली मुँह से नही निकाली, सीरियस रोल में हो ली, और बहुत कंट्रोल कर के बोली,दूबे जी,आप तो बड़े ही मजाकिया टाइप के है, आइए,बैठिए,कुछ बात आगे बढ़ाते है, और फिर आपको औकात में लाते हैं, बताइए कैसे हालात है, और मेरे बारे में आपके क्या जज़्बात है,
इतना सुनते ही दूबे जी,भावनाओं में डूब गये, खूब बहकनें लगे,बातें बना बना कर कहने लगे,कि राखी बचपन से तुम्हारे प्यार में पड़ा हूँ, तुम्हारे प्यार के सहारे यहाँ जिंदा खड़ा हूँ, आगे भी सहारा दो नही बैठ जाऊँगा, यही सोफे पर पड़े पड़े ही

 

और अंत मे देखिये मेरी पसंद मे आज की तस्वीर और अनुरोध आप सबसे धरा बचाईये …नमस्कार

image

26 comments:

Arvind Mishra said...

बहुत संयत और समग्र चर्चा !

श्यामल सुमन said...

अच्छी चर्चा पंकज जी। अंत में अच्छे चित्र के साथ धरा बचाने की अपील भी सुखद है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

राजकुमार ग्वालानी said...

बेहतरीन-ताजा तरीन चर्चा

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

पंकज जी! बढिया चर्चा-आभार

अविनाश वाचस्पति said...

वाह वाह
हंसा हंसा कर
पोस्‍टों में जूतों
और विनोद की कविता से
कर दिया दोहरा।

विनोद कुमार पांडेय said...

badhiya chittha charcha..nirantar lokpriyata ke shikhar par pahunchata yah sarahniy pryaas..badhayi

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पंकज मिश्र जी!
चर्चा बहुत बढ़िया है
मगर हिन्दी की वर्तनी खास तौर पर मात्राओं में
बहुत विसंगति देखने में आती हैं।
कल की चर्चा भी आप ही करेंगे!

राजकुमार ग्वालानी said...

शतक पूरा होने की हमारे तरफ से शतकीय बधाई
आपकी चर्चा यूं ही चलती रहे पंकज भाई

Himanshu Pandey said...

समग्र चर्चा की अरविन्द जी का बात से सहमत हूँ ।

चर्चा सुन्दर रही ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर पंकज जी, शुक्रिया !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गागर में सागर भर लाए।
--------
हर बाशिन्दा महफू़ज़ रहे, खुशहाल रहे।
छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।

हेमन्त कुमार said...

पंकज भाई ! चिराग जलाये रहिये
कारवां बनेगा...
आभार.।

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

achchi charcha

Janmdin ki bahut bahut badhaaai

Happy Blogging

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

पंकज जी आपको तथा अन्य चर्चाकारों को भी शतकीय चर्चा की बहुत बहुत बधाई......

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब चर्चा, शुभकामनाएं.

रामराम.

शरद कोकास said...

चर्चा की शुरुआत मे जो कथा है वह स्तब्ध कर देती है ।

अजय कुमार झा said...

वाह जी खूबे जोरदार चर्चा रही एक दम मस्त

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut badhiya rahi charcha..

vandana gupta said...

badhiya charcha.

रश्मि प्रभा... said...

waah

रंजू भाटिया said...

बेहतरीन चर्चा शुक्रिया मेरे लिखे लिंक को लेने के लिए

सदा said...

बहुत ही बेहतरीन चर्चा ।

Unknown said...

waah..........

bahut khoob !

विवेक रस्तोगी said...

बहुत सारे लिंक मिल गये जो छूट गये थे..

Chandan Kumar Jha said...

बहुत बढ़िया चर्चा पंकज जी !!!!!!

दिगम्बर नासवा said...

सुन्दर चर्चा पंकज जी ......

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

Followers

जाहिर निवेदन

नमस्कार , अगर आपको लगता है कि आपका चिट्ठा चर्चा में शामिल होने से छूट रहा है तो कृपया अपने चिट्ठे का नाम मुझे मेल कर दीजिये , इस पते पर hindicharcha@googlemail.com . धन्यवाद
हिन्दी ब्लॉग टिप्स के सौजन्य से

Blog Archive

ज-जंतरम

www.blogvani.com

म-मंतरम

चिट्ठाजगत